Social Welfare
नई पीढ़ी के लिए जीएसटी सुधार
Posted On: 20 SEP 2025 16:48 PM
जेब पर हल्के, भविष्य के लिए लाभकारी
मुख्य बिंदु
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- युवाओं द्वारा संचालित एमएसएमई और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए चमड़ा, जूते, वस्त्र, हस्तशिल्प और खिलौनों पर जीएसटी घटाकर 5% किया गया
- शिक्षा पर आने वाली लागत में कमी लाने के लिए पेंसिल, रबड़ और अभ्यास पुस्तिकाओं जैसी आवश्यक शिक्षण सामग्री को जीएसटी-मुक्त किया गया
- जिम/फिटनेस सेंटरों पर जीएसटी 18% से घटाकर 5% कर दिया गया, जिससे फिटनेस अधिक किफायती और सुलभ हो गई।
- दोपहिया वाहनों (≤350cc) और छोटी कारों पर जीएसटी 28% से घटाकर 18% कर दिया गया, जिससे युवाओं की गतिशीलता में वृद्धि हुई।
- सीमेंट पर जीएसटी 28% से घटाकर 18% कर दिया गया, जिससे आवास और बुनियादी ढाँचे की लागत में कमी आई ।
- दवाओं पर जीएसटी घटाकर 5%/शून्य कर दिया गया, जबकि स्वास्थ्य बीमा को जीएसटी से मुक्त कर दिया गया, जिससे स्वास्थ्य सेवा किफायती हो गई।
- ड्रोन पर एक समान 5% जीएसटी दर को लागू किया गया, जिससे स्टार्टअप और मेक इन इंडिया पहल को बढ़ावा मिला।
- यूएचटी दूध, रोटी, पराठा, पनीर और पैकेज्ड स्नैक्स जैसी रोजमर्रा की खाद्य वस्तुओं को 5% या शून्य जीएसटी के दायरे में लाया गया, जिससे घरेलू खर्च कम हुए।
- सुधारों से युवाओं और परिवारों के लिए सामर्थ्य, स्वस्थ जीवनशैली और जीवन की सुगमता को बढ़ावा मिलेगा।
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सितंबर 2025 में शुरू किए गए वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) सुधार, भारत की कराधान प्रणाली को नया रूप देने और युवाओं की आकांक्षाओं को बेहतर ढंग से पूरा करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम हैं। कर संरचनाओं को सरल बनाकर, प्रमुख उद्योगों में कर दरों को कम करके और लंबे अर्से से चली आ रही विसंगतियों को दूर करके ये सुधार उद्यमिता, रोज़गार सृजन और किफायती जीवन के लिए अनुकूल वातावरण बनाने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। शिक्षा, ऑटोमोबाइल, प्रौद्योगिकी, हस्तशिल्प, फुटवियर, स्वास्थ्य सेवा, खाद्य प्रसंस्करण और वस्त्र— जैसे युवाओं की उच्च भागीदारी वाले क्षेत्रों—को लागत कम करने, प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने और नवाचार को प्रोत्साहित करने के लिए प्राथमिकता दी गई है। परिवारों और व्यवसायों पर वित्तीय बोझ कम करने के अलावा, ये सुधार समावेशी विकास, स्थिरता और अगली पीढ़ी के सशक्तिकरण के भारत के दृष्टिकोण को भी मज़बूत करते हैं।
नौकरियों, व्यवसायों और स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने के लिए जीएसटी सुधार
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सरकार ने व्यापार और वाणिज्य के प्रमुख क्षेत्रों में दरों में उल्लेखनीय कटौती के साथ सरलीकृत जीएसटी संरचना लागू की है। इस सुधार के अंतर्गत चमड़ा, जूते, कागज़, वस्त्र, हस्तशिल्प, खिलौने, पैकेजिंग और लॉजिस्टिक्स जैसे आवश्यक उद्योगों को शामिल किया गया है। इसका उद्देश्य मौजूदा व्यवसायों और स्टार्टअप्स को बढ़ावा देना और युवाओं को व्यवसाय शुरू करने और स्टार्टअप शुरू करने के लिए प्रोत्साहित करना है।

कई वस्तुओं पर जीएसटी स्लैब को 5% तक घटाते हुए तथा परिवहन एवं संबद्ध क्षेत्रों में दरों को युक्तिसंगत बनाते हुए, इन सुधारों का उद्देश्य उपभोक्ताओं के लिए लागत कम करना, व्यापारियों के लिए अनुपालन को आसान बनाना और भारतीय व्यवसायों की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाना है।
चमड़ा और जूता उद्योग के लिए जीएसटी दरों को तर्कसंगत बनाना
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भारत में चमड़ा और जूता क्षेत्र एक प्रमुख नियोक्ता है, जो युवाओं को प्रत्यक्ष रूप से लाभ पहुंचाता है और इसका मज़बूत निर्यात आधार भी है। यहाँ जीएसटी दरों को तर्कसंगत बनाने से युवा विनिर्माताओं पर बोझ कम होता है और उपभोक्ताओं के लिए उत्पाद अधिक सुलभ बनते हैं।
- साँभर चर्म, चमड़े या चमड़े के रेशे पर आधारित मिश्रित चमड़ा, और टैनिंग या क्रस्टिंग के बाद तैयार चमड़े पर जीएसटी 12% से घटाकर 5% कर दिया गया है।
- 2500 रुपये प्रति जोड़ी तक के जूतों पर अब केवल 5% जीएसटी लगता है, जिसका सीधा लाभ युवा उपभोक्ताओं को मिल रहा है।
- चमड़े, खाल और चमड़ा (अध्याय 41 के अंतर्गत आने वाले) से संबंधित जॉब वर्क की आपूर्ति पर भी जीएसटी 12% से घटाकर 5% कर दिया गया है, जिससे एमएसएमई उत्पादन लागत कम हुई है और युवा उद्यमियों को प्रोत्साहन मिला है।
लकड़ी उद्योग के लिए जीएसटी दरों को तर्कसंगत बनाना
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कृषि-आधारित और पर्यावरण-अनुकूल लकड़ी के विकल्पों पर कर दरें कम की गई हैं, जिनसे टिकाऊ विनिर्माण और एमएसएमई प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिलता है।
- चावल की भूसी बोर्ड, ग्लासफाइबर सुदृढ़ जिप्सम बोर्ड, सीमेंट बॉन्डेड पार्टिकल बोर्ड, जूट पार्टिकल बोर्ड, बगास बोर्ड, सिसल फाइबर बोर्ड आदि पर जीएसटी दर 12% से घटाकर 5% कर दी गई है।
- वेयरिंग के लिए शीट्स, बांस की फर्श सामग्री, लकड़ी के कास्क, बैरल, वाट्स, टब भी इसमें शामिल किए गए हैं।
- इसका उद्देश्य लकड़ी निर्माण में एमएसएमई को समर्थन देना और पर्यावरण-अनुकूल विकल्पों को बढ़ावा देना है।
हस्तशिल्प उद्योग के लिए जीएसटी दरों को तर्कसंगत बनाना
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युवा कारीगरों और निर्यातकों के लिए महत्वपूर्ण हस्तशिल्प क्षेत्र को कर दरों को तर्कसंगत बनाए जाने से लाभ होगा, जिससे पारंपरिक वस्तुएँ अधिक किफायती और वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी बनेंगी।
- लकड़ी, पत्थर और धातु से बनी मूर्तियों पर जीएसटी 12% से घटाकर 5% कर दिया गया है।
- जीएसटी में यह कटौती पेंटिंग, रेखाचित्र, मूल उत्कीर्णन, हस्तनिर्मित मोमबत्तियाँ, नक्काशीदार लकड़ी के उत्पाद, पाउच और पर्स सहित हैंडबैग, पत्थर की कलाकृतियाँ, पत्थर की जड़ाई, मिट्टी और टेराकोटा से बने टेबलवेयर और रसोई के बर्तनों पर भी लागू होती है।
- इसके अतिरिक्त, इसमें कांच की मूर्तियाँ, लोहे, एल्यूमीनियम, पीतल/तांबे आदि से बनी कलाकृतियाँ भी शामिल हैं।
- ये सुधार भारत की सांस्कृतिक अर्थव्यवस्था और युवा कारीगरों की आजीविका को मज़बूती प्रदान करते हैं।
वस्त्र उद्योग के लिए जीएसटी दरों को तर्कसंगत बनाना
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वस्त्र उद्योग में जीएसटी दरों को तर्कसंगत बनाने से संरचनात्मक विसंगतियाँ दूर होती हैं, लागत कम होती है, माँग बढ़ती है, निर्यात को समर्थन मिलता है और रोज़गार बरकरार रहते हैं।
- मानव निर्मित रेशों (एमएमएफ) पर जीएसटी 18% से घटाकर 5% कर दिया गया है।
- मानव निर्मित धागों पर जीएसटी 12% से घटाकर 5% कर दिया गया है।
- प्रति पीस 2,500 रुपये (पहले सीमा 1,000 रुपये थी) तक के रेडीमेड परिधानों पर जीएसटी 5% निर्धारित किया गया है।
दरों में कटौती से भारतीय एमएमएफ-आधारित परिधान वैश्विक बाज़ारों में मूल्य-प्रतिस्पर्धी बनेंगे, जिससे वैश्विक वस्त्र केंद्र बनने की भारत की महत्वाकांक्षा को बल मिलेगा। इससे नवोदित और युवा निर्यातकों को भी मदद मिलेगी।
कालीन और अन्य फर्श कवरिंग पर भी जीएसटी 12% से घटाकर 5% कर दिया गया है।
पैकेजिंग लागत कम करने के लिए जीएसटी दरों को तर्कसंगत बनाना
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पैकिंग पेपर, केस, कार्टन, बॉक्स (कोरगेटेड पेपर या नॉन कोरगेटेड पेपर या पेपर बोर्ड के) और पेपर पल्प मोल्डेड ट्रे पर जीएसटी घटाकर 5% कर दिया गया है। इस तरह तर्कसंगत बनाए जाने से:
- समग्र लॉजिस्टिक्स और पैकेजिंग लागत में कमी आएगी, जिससे ग्राहकों के लिए उत्पाद और व्यवसायों के लिए उत्पादन सस्ता होने का दोहरा उद्देश्य पूरा होगा।
किफ़ायती पैकेजिंग समाधानों पर निर्भर युवा व्यवसायों और छोटे निर्माताओं को राहत मिलेगी।
परिवहन और लॉजिस्टिक्स लागत में कमी के लिए जीएसटी दरों को तर्कसंगत बनाना
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व्यावसायिक मालवाहक वाहनों (ट्रक, डिलीवरी वैन, आदि) पर जीएसटी दर को 28% से घटाकर 18% कर दिया गया है। ट्रक भारत की आपूर्ति श्रृंखला की रीढ़ हैं, जो लगभग 65%-70% माल ढुलाई करते हैं। कम जीएसटी से ट्रकों की पूंजीगत लागत कम होगी, जिससे प्रति टन-किमी माल ढुलाई दरों में सीधे तौर पर कमी आएगी, जिसकी बदौलत विशेष रूप से भारत के युवा उद्यमियों को लाभ होगा।
इसके अतिरिक्त, मालवाहक वाहनों के थर्ड-पार्टी बीमा पर जीएसटी दर में कमी (आईटीसी के साथ 12% से 5% तक) इन प्रयासों को और भी सशक्त बनाती है।
स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ावा देने के लिए जीएसटी सुधार
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यद्यपि डॉक्टरों, अस्पतालों और नैदानिक केंद्रों द्वारा प्रदान की जाने वाली स्वास्थ्य सेवाएँ जीएसटी से मुक्त हैं, आवश्यक दवाओं और चिकित्सा उपकरणों पर करों में कमी से मरीजों के इलाज की लागत कम हुई है। साथ ही, तम्बाकू और उससे संबंधित वस्तुओं जैसे हानिकारक उत्पादों पर उच्च कर, निवारक स्वास्थ्य सेवा और कैंसर जैसी जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों से निपटने पर सरकार के फोकस को रेखांकित करते हैं। यह संतुलित दृष्टिकोण सुनिश्चित करता है कि कर प्रणाली स्वयं युवाओं के स्वास्थ्य की रक्षा और परिवारों की भलाई को मजबूत करने का साधन बने।
दवाओं और औषधियों के लिए जीएसटी दरों को तर्कसंगत बनाना
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दवाओं और औषधियों पर जीएसटी दरों को 12% से घटाकर 5%/ शून्य कर दिया गया है। इससे विभिन्न आवश्यक दवाओं की लागत में कमी आएगी और मरीजों पर वित्तीय बोझ कम होगा। इस कदम से:
- दीर्घकालिक बीमारियों के दीर्घकालिक उपचार के सामर्थ्य में वृद्धि होगी।
- विशेष रूप से जेनेरिक दवाओं के मामले में, घरेलू सामर्थ्य सुनिश्चित करते हुए, “विश्व की फार्मेसी” के रूप में भारत की भूमिका को मज़बूत किया जाएगा।
इसके अलावा, औषधीय उत्पादों के विनिर्माण से संबंधित जॉब वर्क की आपूर्ति पर जीएसटी भी 12% से घटाकर 5% कर दिया जाएगा।
दृष्टि सुधार उत्पादों के लिए जीएसटी दरों को तर्कसंगत बनाना
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दृष्टि सुधार उत्पादों पर जीएसटी दरों को 12% से घटाकर 5% कर दिया गया है। चश्मा कोई विलासिता नहीं, बल्कि स्वास्थ्य संबंधी ज़रूरत है। जीएसटी दर में कटौती से चश्मों के सामर्थ्य और उन्हें अपनाने में मदद मिलेगी। जीएसटी दर कम होने से दृष्टि सुधार अनेक लोगों, खासकर छात्रों, बुजुर्गों और कम आय वाले परिवारों के लिए किफायती हो जाएगा। इससे युवाओं की उत्पादकता में भी सुधार होगा।

बच्चों की देखभाल से संबंधित उत्पादों के लिए जीएसटी दरों को तर्कसंगत बनाना
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शिशुओं के लिए नैपकिन और नैपकिन लाइनर, तथा दूध की बोतलों पर जीएसटी दरों को 12% से घटाकर 5% कर दिया गया है। थर्मामीटर पर जीएसटी 18% से घटाकर 5% कर दिया गया है। यूएचटी दूध पर जीएसटी 5% से घटाकर शून्य कर दिया गया है।
जीएसटी सुधार शिशु डायपर, निप्पल और संबंधित वस्तुओं सहित अन्य आवश्यक बाल देखभाल उत्पादों पर भी कर का बोझ कम करते हैं।
इन उत्पादों की कम लागत से युवा परिवारों पर आर्थिक दबाव कम होता है, शिशुओं के लिए आवश्यक वस्तुओं की सुलभता में सुधार होता है, तथा बेहतर स्वच्छता और संक्रमण की रोकथाम को बढ़ावा देकर प्रारंभिक बाल स्वास्थ्य को बढ़ावा मिलता है।
व्यक्तिगत स्वास्थ्य बीमा पर जीएसटी छूट
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इससे युवाओं और मध्यम वर्गीय परिवारों के लिए प्रीमियम सस्ता हो जाएगा और स्वास्थ्य बीमा को व्यापक रूप से अपनाने को प्रोत्साहन मिलेगा, जिससे अपनी जेब से किए जाने वाले चिकित्सा खर्च में कमी आएगी।
तम्बाकू और संबंधित उत्पादों पर जीएसटी दरों में वृद्धि
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तम्बाकू और संबंधित उत्पादों पर जीएसटी दरों को 28% से बढ़ाकर 40% कर दिया गया है। इनमें शामिल हैं:
- तम्बाकू या तम्बाकू के विकल्प से बने सिगार, चुरूट, सिगारिलो और सिगरेट
- अन्य निर्मित तम्बाकू और निर्मित तम्बाकू के विकल्प;
- "समरूप" या "पुन: संयोजित" तम्बाकू ; तम्बाकू के अर्क और आसव
- तम्बाकू या पुन: संयोजित तम्बाकू युक्त सामग्री से बने और जलाए बिना श्वास से लिए जाने वाले उत्पाद
- तम्बाकू या निकोटीन के विकल्पों से युक्त और जलाए बिना श्वास से लिए जाने वाले उत्पाद
शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए जीएसटी सुधार
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शिक्षा, पोषण, देखभाल और खेल हर बच्चे के विकास की नींव हैं। जीएसटी दरों को तर्कसंगत बनाने के हालिया उपाय भारत भर के परिवारों के लिए शिक्षा, आवागमन और बच्चों की देखभाल को और अधिक किफायती बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं।
औपचारिक शिक्षा पर जीएसटी छूट
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स्कूल और विश्वविद्यालय की शिक्षा को जीएसटी से पूरी तरह छूट दी गई है। लाभों के विस्तार में अब आवश्यक शिक्षण सामग्री और बाल देखभाल उत्पाद भी शामिल हैं, जिससे भारतीय परिवारों के लिए शिक्षा और पालन-पोषण अधिक किफायती हो गया है और हमारे देश के भावी युवाओं का बेहतर पालन-पोषण हो रहा है।

शिक्षण सामग्री पर जीएसटी दरों को तर्कसंगत बनाना
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पेंसिल, शार्पनर, क्रेयॉन, अभ्यास पुस्तिकाएँ, ग्राफ़ बुक, मानचित्र और चार्ट पर जीएसटी 12% से घटाकर शून्य कर दिया गया है। रबड़ पर जीएसटी 5% से घटाकर शून्य कर दिया गया है। इस कटौती से खासकर सरकारी स्कूलों, ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों और युवाओं के लिए बुनियादी शिक्षण सामग्री सस्ती हो जाएगी। यह परिवारों के शिक्षा पर होने वाले व्यक्तिगत खर्चों में कमी लाता है स्कूल में नामांकन को बढ़ावा देता है, और बेहतर शैक्षिक परिणामों का समर्थन करता है। साथ ही, इससे खासकर एमएसएमई के बीच घरेलू स्टेशनरी के निर्माण की मांग बढ़ेगी।
खिलौनों और खेल उत्पादों के लिए जीएसटी दरों को तर्कसंगत बनाना
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बच्चों के विकास और एमएसएमई विनिर्माण के लिए महत्वपूर्ण खिलौना उद्योग को जीएसटी में कमी का लाभ मिला है।
- खिलौनों और खेल के सामान पर जीएसटी 12% से घटाकर 5% कर दिया गया है।
- यह खिलौनों को अधिक सुलभ बनाता है, जिससे खेल के माध्यम से प्रारंभिक बाल्यावस्था की शिक्षा को प्रोत्साहन मिलता है।
- यह घरेलू और युवा एमएसएमई खिलौना निर्माताओं की सहायता करके "वोकल फॉर लोकल" पहल को भी बढ़ावा देता है।
साइकिल पर जीएसटी दरों में कमी - छात्रों के लिए किफायती गतिशीलता
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साइकिल पर जीएसटी दरों को 12% से घटाकर 5% कर दिया गया है। इससे साइकिलें और भी किफायती हो जाएँगी और ग्रामीण व अर्ध-शहरी क्षेत्रों के बच्चों को स्कूल पहुँचने में आसानी होगी। इससे गतिशीलता को और भी बढ़ावा मिलेगा और खासकर लड़कियों की स्कूल छोड़ने की दर में कमी आएगी। इसके अलावा, यह बच्चों में फिटनेस, बाहरी गतिविधियों और स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा देता है।
जीवन की सुगमता को बढ़ावा देने के लिए जीएसटी दरों में सुधार
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दैनिक खाद्य पदार्थों, निर्माण सामग्री, जिम/फिटनेस सेंटर और ऑटोमोबाइल के संबंध में जीएसटी दरों को कम करके, सरकार ने न केवल परिवारों का वित्तीय बोझ कम किया है, बल्कि स्वस्थ जीवन शैली, किफायती आवास और परिवहन को बढ़ावा देने और युवाओं के बीच जीवन की सुगमता में सुधार लाने के अपने दीर्घकालिक दृष्टिकोण को भी आगे बढ़ाया है।
रोज़मर्रा की खाद्य वस्तुओं पर जीएसटी दरों को तर्कसंगत बनाना
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सरकार ने अधिकांश खाद्य वस्तुओं को 5% या शून्य कर स्लैब के अंतर्गत लाकर खाद्य सामर्थ्य को बढ़ाने का लक्ष्य निर्धारित किया है, जैसा कि पराठा, परोटा और रोटी जैसी मुख्य भारतीय ब्रेड को जीएसटी से छूट दिए जाने में देखा गया है, जो उन्हें आवश्यक घरेलू खाद्य पदार्थों के रूप में दर्शाता है।
वस्तुओं की श्रेणी
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पिछला जीएसटी
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नया जीएसटी
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अल्ट्रा-हाई टेम्परेचर (यूटीएच) दूध
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5%
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शून्य
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पूर्व-पैकेज्ड और लेबलयुक्त छेना/पनीर
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5%
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शून्य
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पिज़्ज़ा ब्रेड, खाखरा, चपाती/रोटी
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5%
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शून्य
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पराठा, परोटा
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18%
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शून्य
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पूर्व-पैकेज्ड और लेबलयुक्त नारियल पानी
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12%
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5%
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पेयजल (20 लीटर की बोतलें)
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12%
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5%
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सॉस और मसाले जैसे करी पेस्ट, मेयोनेज़, मिश्रित मसाले
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12%
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5%
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स्वाद या रंग मिश्रित परिष्कृत चीनी, शुगर क्यूब्स; उबली हुई चीनी से बनी मिठाइयों सहित सभी वस्तुएँ
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12%
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5%
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ब्राज़ील नट्स (सूखे हुए)
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12%
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5%
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अन्य सूखे मेवे जैसे बादाम, हेज़लनट या फिलबर्ट्स, चेस्टनट, पिस्ता, मैकाडामिया नट्स, कोला नट्स, पाइन नट्स
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12%
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5%
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खजूर, अंजीर, अनन्नास, एवोकाडो, अमरूद, आम (सिवाय कटे हुए या सूखे आम के)
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12%
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5%
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भुना हुई चिकोरी और अन्य भुने हुए कॉफी विकल्प (सत्त अर्क गाढ़ा घोल)
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12%
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5%
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गोजातीय पशुओं, भेड़ या बकरियों, सूअरों, मछली या समुद्री स्तनधारियों की वसा, पशु या सूक्ष्मजीवी वसा
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12%
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5%
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मक्खन, घी और अन्य डेयरी वसा
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12%
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5%
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डिब्बा बंद और प्रसंस्कृत मांस/मछली, जैसे सॉसेज, तैयार/ डिब्बा बंद मांस, मछली, क्रस्टेशियन्स
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12%
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5%
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गाढ़ा दूध, पनीर
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12%
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5%
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जैम, जेली, मुरब्बा, प्यूरी, नट्स पेस्ट
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12%
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5%
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डिब्बाबंद सब्ज़ियाँ और अचार
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12%
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5%
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फलों और सब्जियों के रस /पेय जैसे फलों का गूदायुक्त रस, नट जूस, सब्जियों का रस
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12%
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5%
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दूध, सोया दूध युक्त पेय पदार्थ
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12%
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5%
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आइसक्रीम और खाने योग्य बर्फ
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18%
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5%
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पौधों से बने दूधयुक्त पेय
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18%
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5%
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सूप और शोरबा और इसकी तैयारी
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18%
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5%
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चाय और कॉफी (सत्त अर्क गाढ़ा घोल)
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18%
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5%
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चॉकलेट और कोको उत्पाद (मक्खन, पाउडर)
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18%
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5%
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वनस्पति रस और अर्क
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18%
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5%
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चीनी से बनी मिठाइयाँ ; पेस्ट्री, केक, बिस्कुट और अन्य बेकरी उत्पाद
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18%
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5%
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खाद्य पदार्थों पर जीएसटी दर को घटाकर 5% या शून्य करने से न केवल उपभोक्ताओं को लाभ होगा, बल्कि खाद्य प्रसंस्करण मूल्य श्रृंखला में शामिल युवाओं - किसानों और सहकारी समितियों से लेकर एमएसएमई, खुदरा विक्रेताओं और निर्यातकों तक को भी लाभ होगा।
- जीएसटी को तर्कसंगत बनाने से भारत के खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों, दुग्ध सहकारी समितियों और निजी डेयरियों को प्रोत्साहन मिलेगा, क्योंकि इससे इनपुट लागत कम होगी और उत्पादन की मात्रा बढ़ेगी। इससे युवाओं को भी इस उद्योग में व्यावसायिक उद्यम शुरू करने का प्रोत्साहन मिलेगा।
- इस कदम से अर्ध-शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में मांग को भी बढ़ावा मिलेगा, जिससे युवाओं द्वारा संचालित या उन्हें रोजगार देने वाले एमएसएमई और क्षेत्रीय ब्रांडों को सहायता मिलेगी
जिम/फिटनेस सेंटरों के लिए जीएसटी दरों को तर्कसंगत बनाना
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जिम/फिटनेस सेंटरों पर जीएसटी 18% से घटाकर 5% कर दिया गया है। फिटनेस सेंटरों पर जीएसटी में कमी स्वस्थ और अधिक सक्रिय भारत के निर्माण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। फिटनेस, जिसे पहले कई लोग विलासिता मानते थे, अब समाज के व्यापक वर्गों के लिए सुलभ हो रही है। यह खासकर युवाओं के बीच निवारक देखभाल और स्वास्थ्य संवर्धन के व्यापक जन स्वास्थ्य एजेंडे के अनुरूप है।
प्रमुख लाभ:
- कम जीएसटी से जिम और फिटनेस सदस्यताएँ अधिक किफायती हो जाती हैं, जिससे अधिक से अधिक लोगों, विशेष रूप से युवाओं और मध्यम वर्गीय परिवारों को संरचित स्वास्थ्य और कल्याण सेवाओं तक पहुँच प्राप्त करने का प्रोत्साहन मिलता है।
- यह उपाय फिट इंडिया मूवमेंट जैसी राष्ट्रीय निवारक स्वास्थ्य पहलों का पूरक है, जो नागरिकों को पुरानी बीमारियों से बचाव के लिए नियमित व्यायाम और जीवनशैली में बदलाव लाने को प्राथमिकता देने के लिए प्रोत्साहित करता है।
- शहरी कर्मचारी और विद्यार्थी जो नियमित व्यायाम के लिए जिम पर निर्भर हैं, उन्हें कम लागत का लाभ मिलेगा, जिससे वे व्यस्त जीवनशैली और फिटनेस के बीच संतुलन बना पाएँगे।
- फिटनेस केंद्रों को अधिक सुलभ बनाकर, सरकार उपचारात्मक स्वास्थ्य सेवा से निवारक स्वास्थ्य सेवा की ओर सामाजिक बदलाव को प्रोत्साहित कर रही है, जिससे अंततः परिवारों के दीर्घकालिक स्वास्थ्य व्यय में कमी आएगी।
दोपहिया वाहनों (350 सीसी तक की बाइक) के लिए जीएसटी दरों को तर्कसंगत बनाना
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दोपहिया वाहनों (350 सीसी तक की बाइक) पर जीएसटी 28% से घटाकर 18% कर दिया गया है। दोपहिया वाहन केवल वाहन ही नहीं, बल्कि लाखों भारतीयों, खासकर ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों के युवाओं के लिए आवागमन की जीवनरेखा हैं। जीएसटी में कमी निम्न-मध्यम वर्गीय परिवारों, युवा पेशेवरों और गिग वर्कर्स को महत्वपूर्ण राहत प्रदान करती है, जो अपनी आजीविका और दैनिक आवश्यकताओं के लिए किफायती परिवहन पर निर्भर हैं।
प्रमुख लाभ:
- कम जीएसटी के साथ, दोपहिया वाहनों की कुल कीमत कम हो जाती है, जिससे ये युवाओं, छात्रों और पहली बार वाहन खरीदने वालों, खासकर निम्न-मध्यम वर्ग के परिवारों के लिए ज़्यादा किफ़ायती हो जाते हैं।
- छोटे शहरों और गाँवों में, बाइक अक्सर परिवहन का मुख्य साधन होती हैं। सस्ती बाइक सुलभता बढ़ाएँगी और रोज़ाना आवागमन के विकल्पों में सुधार लाएँगी।
- डिलीवरी एजेंट, राइड-हेलिंग सेवा प्रदाता और अन्य गिग वर्कर दोपहिया वाहनों पर बहुत अधिक निर्भर हैं। जीएसटी की कम दरें उनकी खरीद लागत, ईएमआई और रखरखाव के बोझ को कम करती है, जिससे उनकी मासिक बचत बढ़ती है।
- आवागमन की लागत कम करके, यह सुधार श्रमिकों को अधिक बचत करने, रोज़गार के अवसरों के लिए गतिशीलता में सुधार लाने और समग्र कार्यबल दक्षता को मज़बूत बनाने में मदद करता है।
- किफ़ायती परिवहन युवाओं को गतिशीलता संबंधी चुनौतियों से पीछे हटे बिना शिक्षा, रोज़गार और उद्यमिता के अवसरों की तलाश करने में सक्षम बनाता है।
छोटी कारों के लिए जीएसटी दरों को तर्कसंगत बनाना
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छोटी कारों पर जीएसटी 28% से घटाकर 18% कर दिया गया है। छोटी कारें खासकर टियर-2 और टियर-3 शहरों में भारत के ऑटोमोबाइल बाजार की रीढ़ हैं । इस खंड के लिए जीएसटी कम करके, सरकार सीधे तौर पर युवाओं और मध्यम वर्गीय परिवारों की आकांक्षाओं को पूरा कर रही है, साथ ही ऑटोमोबाइल उद्योग को भी महत्वपूर्ण रूप से बढ़ावा दे रही है।
प्रमुख लाभ:
- जीएसटी में कमी से छोटी कारें ज़्यादा किफ़ायती हो जाती हैं, जिससे युवाओं और पहली बार कार खरीदने वालों को व्यक्तिगत परिवहन समाधानों में निवेश करने के लिए प्रोत्साहन मिलता है।
- कॉम्पैक्ट कारें अर्ध-शहरी और ग्रामीण बाज़ारों में सबसे ज़्यादा लोकप्रिय हैं। कम जीएसटी इन क्षेत्रों में बिक्री को बढ़ावा देगा, जिससे ग्रामीण इलाकों में ऑटो उद्योग की पहुँच मज़बूत होगी।
- कारों की ज़्यादा बिक्री से न सिर्फ़ निर्माताओं को बल्कि डीलरशिप, सर्विस सेंटर, ड्राइवरों और ऑटो-फाइनेंस कंपनियों को भी फ़ायदा होगा, जिसका अर्थव्यवस्था पर दूरगामी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
- किफ़ायती छोटी कारें युवा पेशेवरों, कामकाजी माता-पिता और छात्रों के लिए परिवहन के विकल्पों का विस्तार करती हैं, जिससे रोज़ाना आवागमन आसान और ज़्यादा विश्वसनीय हो जाता है।
बड़ी कारों के लिए जीएसटी दरों को तर्कसंगत बनाना
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बड़ी कारों पर जीएसटी को तर्कसंगत बनाकर 40% (बिना किसी उपकर के) कर दिया गया है। बड़ी कारों के लिए जीएसटी के सरलीकरण से कीमतों में पूर्वानुमान की संभावना बढ़ती है और महत्वाकांक्षी युवा खरीदारों को नई गाड़ियों में निवेश करने का प्रोत्साहन मिलता है।
बसों के लिए जीएसटी दरों को तर्कसंगत बनाना
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बसों (10+ लोगों के बैठने की क्षमता वाली) पर जीएसटी 28% से घटाकर 18% कर दिया गया है। बसों और मिनी बसों पर जीएसटी कम होने से सार्वजनिक और साझा परिवहन को महत्वपूर्ण लाभ होगा।
- यह बेड़ा संचालकों, स्कूलों, सहकारी समितियों, टूर ऑपरेटरों और राज्य परिवहन उपक्रमों की अग्रिम लागत को कम करता है। इससे बसों और मिनी बसों की मांग बढ़ेगी।
- यह किराए को और अधिक किफायती बनाता है, खासकर ग्रामीण और अर्ध-शहरी मार्गों वाले युवाओं के लिए।
- यह सार्वजनिक परिवहन को अपनाने को प्रोत्साहित करता है, जिससे भीड़भाड़ और प्रदूषण कम होता है।
सीमेंट पर जीएसटी दरों को तर्कसंगत बनाना
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सीमेंट पर जीएसटी 28% से घटाकर 18% कर दिया गया है। सीमेंट निर्माण में सबसे बड़ी लागतों में से एक है, जो कुल निर्माण लागत का 15-20% और समग्र निर्माण व्यय का लगभग 11% है।
- जीएसटी में कमी से समग्र निर्माण लागत में उल्लेखनीय कमी आएगी, जिससे आवास और बुनियादी ढांचागत परियोजनाएँ अधिक किफायती हो जाएँगी।
- सीमेंट की कम कीमतों का सीधा लाभ प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी और ग्रामीण) और अन्य सार्वजनिक बुनियादी ढांचागत पहलों के तहत मकानों के निर्माण को मिलेगा।
- सीमेंट उद्योग अत्यधिक रोजगार-प्रधान है, जिसमें खनन, लॉजिस्टिक्स, विनिर्माण और वितरण शामिल हैं। कम कीमतों के कारण बढ़ी हुई माँग से सीमेंट संयंत्रों, सहायक उद्योगों और लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में युवाओं के लिए रोजगार सृजन को बढ़ावा मिलेगा।
संगमरमर और ग्रेनाइट ब्लॉकों के लिए जीएसटी दरों को तर्कसंगत बनाना
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संगमरमर और ग्रेनाइट ब्लॉकों पर जीएसटी 12% से घटाकर 5% कर दिया गया है। भारत में प्राकृतिक पत्थर का विशाल क्षेत्र है, जिसमें राजस्थान, गुजरात, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश जैसे राज्य प्रमुख उत्पादक हैं।
- जीएसटी में कमी से फर्श, टाइलिंग और आंतरिक साज-सज्जा की लागत कम होगी, जिसका सीधा लाभ युवा घर खरीदारों और बुनियादी ढांचागत परियोजनाओं को होगा।
- जीएसटी में कटौती से घरेलू प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और आयातित प्राकृतिक पत्थरों पर निर्भरता कम होगी।
- संगमरमर और ग्रेनाइट उद्योग लाखों श्रमिकों, विशेषकर युवाओं को रोजगार प्रदान करता है, और कर राहत से निष्कर्षण, प्रसंस्करण और संबंधित गतिविधियों में रोजगार बनाए रखने में मदद मिलेगी।

ईंटों के निर्माण हेतु जॉब वर्क के लिए जीएसटी दरों को तर्कसंगत बनाना
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ईंटों के जॉब वर्क पर जीएसटी 12% से घटाकर 5% कर दिया गया है, जिससे ग्रामीण आवास की लागत कम होगी और ईंट भट्टे चलाने वाले एमएसएमई को सहायता मिलेगी।
ड्रोन तकनीक को बढ़ावा देने के लिए जीएसटी सुधार
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ड्रोन कृषि, रक्षा, आपदा प्रबंधन और बुनियादी ढाँचागत विकास जैसे क्षेत्रों में परिवर्तनकारी उपकरण के रूप में उभरे हैं। तकनीक-प्रेमी युवाओं में ड्रोन तकनीक की क्षमता को पहचानते हुए, भारत सरकार राष्ट्रीय विकास रणनीतियों में ड्रोन तकनीक को शामिल करने के प्रयासों को तेज़ कर रही है। इसी तर्ज पर, मानवरहित विमानों (ड्रोन) पर जीएसटी की पहले की 18%/28% की दरों से घटाकर एक समान 5% कर दिया गया है। इन दरों को तर्कसंगत बनाने का उद्देश्य विभिन्न क्षेत्रों में ड्रोन को व्यापक रूप से अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना है और साथ ही मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत पहलों के तहत घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देना है।
सभी ड्रोनों पर, चाहे उनकी विशिष्टताएँ कुछ भी हों, एक समान 5% जीएसटी दर समानता सुनिश्चित करती है और वर्गीकरण संबंधी विवाद मिटाती है, जिससे उद्योग को स्पष्टता और दीर्घकालिक स्थिरता मिलती है। यह नीति उत्पादन-आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के अनुरूप है और इससे कृषि, पेट्रोलियम, खनन, बुनियादी ढाँचा, लॉजिस्टिक्स, रक्षा और आपातकालीन प्रतिक्रिया जैसे विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक उपयोग की संभावनाएँ खुलने की उम्मीद है। क्षेत्रीय विकास के अलावा, यह विनिर्माण, सॉफ्टवेयर विकास, फील्ड ऑपरेशन्स और रखरखाव में युवाओं के लिए नए रोजगार के अवसरों का सृजन करके आर्थिक लाभ को भी बढ़ावा देगा।
समावेशी आर्थिक विकास और युवा सशक्तिकरण की दिशा में भारत की यात्रा में वर्ष 2025 के जीएसटी सुधार एक परिवर्तनकारी अध्याय का प्रतीक हैं। विभिन्न उद्योगों में दरों को युक्तिसंगत बनाकर, सरकार ने न केवल जीवन-यापन की लागत को कम किया है, बल्कि स्टार्टअप्स, एमएसएमई और नौकरी चाहने वालों के लिए नए अवसरों का भी सृजन किया है। आवश्यक वस्तुओं, सेवाओं और उभरती प्रौद्योगिकियों के लिए कर में कमी एक दूरदर्शी दृष्टिकोण को रेखांकित करती है, जो सामर्थ्य और प्रतिस्पर्धात्मकता को जोड़ती है। ये उपाय घरेलू विनिर्माण को प्रोत्साहित करेंगे, पारंपरिक उद्योगों को सहायता देंगे और नवाचार को प्रोत्साहित करेंगे, साथ ही सार्वजनिक स्वास्थ्य, शिक्षा और गतिशीलता में भी सुधार लाएंगे। सामूहिक रूप से, ये सुधार युवा नागरिकों को देश के आर्थिक भविष्य के केंद्र में रखना सुनिश्चित करते हुए कराधान को सरल, न्यायसंगत और अधिक विकासोन्मुखी बनाने के लिए भारत की प्रतिबद्धता दोहराते हैं ।
संदर्भ
आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय
नागरिक उड्डयन मंत्रालय
सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय
ग्रामीण विकास मंत्रालय
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय
वस्त्र मंत्रालय
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय
युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय
शिक्षा मंत्रालय
वित्त मंत्रालय
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय
भारी उद्योग मंत्रालय
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