Economy
ऑटोमोबाइल में जीएसटी सुधार
Posted On: 11 SEP 2025 14:39 PM
सस्ती कारें, अधिक सुलभता
मुख्य बिंदु
- ऑटो उद्योग विनिर्माण, बिक्री, वित्तपोषण और रखरखाव में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 3.5-करोड़ से अधिक नौकरियों का सृजन करता है।
- दो-पहिया वाहनों (350-सीसी तक की बाइक) और छोटी कारों पर जीएसटी 28% से घटाकर 18% कर दिया गया, जिससे मध्यम वर्ग को लाभ होगा।
- ट्रैक्टरों (1800-सीसी से कम) पर जीएसटी 12% से घटाकर 5% कर दिया गया है, जिससे कृषि क्षेत्र में मशीनीकरण को बढ़ावा मिलेगा।
- बसों(10+ व्यक्तियों के बैठने की क्षमता) पर जीएसटी 28% से घटाकर 18% कर दिया गया है, जिससे सार्वजनिक परिवहन के उपयोग को प्रोत्साहन मिलेगा।
- परिवहन सेवाओं पर व्यापक प्रभाव से बचने के लिए इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) को बढ़ाया गया है और आवश्यकता अनुसार लागू किया गया है।
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परिचय
वैश्विक प्रतिस्पर्धी ऑटोमोबाइल पारिस्थितिकी तंत्र में, भारत सरकार ने ऑटो और संबंधित उद्योगों में परिवर्तनकारी सुधारों को प्राथमिकता दी है। मेक इन इंडिया, उत्पादन-आधारित प्रोत्साहन(पीएलआई) और राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति जैसी प्रमुख योजनाओं के माध्यम से सरकार ने स्वदेशी ऑटोमोबाइल विनिर्माण को बढ़ावा देने, बुनियादी ढांचे का आधुनिकीकरण करने और नवाचार को प्रोत्साहन देने पर ध्यान केंद्रित किया है। ऑटोमोबाइल, ऑटो-पार्ट्स और संबद्ध क्षेत्रों पर जीएसटी दरों को तर्कसंगत बनाना इसी व्यापक दृष्टिकोण को दर्शाता है, जिसका उद्देश्य रोजगार सृजन, एमएसएमई सशक्तिकरण, स्वच्छ गतिशीलता समाधान और निर्यात प्रतिस्पर्धा को बढ़ाना है।
- जीएसटी दरों में कटौती बाइक (350-सीसी तक), बसें, छोटी से लेकर लग्जरी कारें, ट्रैक्टर(1800 सीसी से कम) और ऑटो-पार्ट्स पर लागू होगी।
- जीएसटी कम होने से मांग बढ़ेगी, जिससे ऑटोमोबाइल विनिर्माताओं और टायर, बैटरियां, कांच, स्टील, प्लास्टिक एवं इलेक्ट्रॉनिक्स जैसी सहायक उद्योगों को लाभ होगा।
- वाहनों की बढ़ती बिक्री से गुणक प्रभाव पैदा होगा, जो पूरी आपूर्ति श्रृंखला में एमएसएमई को मजबूती प्रदान करेगा।
- ऑटो उद्योग विनिर्माण, बिक्री, वित्तपोषण और रखरखाव में 3.5- करोड़ से अधिक प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष नौकरियों का सृजन करता है।
- बढ़ती मांग से डीलरशिप, परिवहन सेवाओं, लॉजिस्टिक्स और कंपोनेंट एमएसएमई में नई भर्तियां होंगी।
- चालक, मैकेनिक और छोटे सर्विस गैराज जैसी अनौपचारिक क्षेत्र की नौकरियों को भी जीएसटी कटौती से लाभ होगा।
- क्रेडिट-आधारित वाहन खरीद से खुदरा ऋण वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा, परिसंपत्ति गुणवत्ता में सुधार होगा और अर्ध-शहरी भारत में वित्तीय समावेशन को बढ़ावा मिलेगा।
- तर्कसंगत जीएसटी दरें नीतिगत स्थिरता प्रदान करती हैं, जिससे नए निवेश को बढ़ावा मिलता है और मेक इन इंडिया पहल को समर्थन मिलता है।
- जीएसटी कटौती से लोग पुराने वाहनों को नए, ईंधन-कुशल मॉडलों से बदलने के लिए प्रेरित होंगे, जिससे स्वच्छ गतिशीलता को बढ़ावा मिलेगा।
ऑटोमोबाइल
दो-पहिया वाहनो (350-सीसी तक की बाइक, जिसमें 350-सीसी की बाइक भी शामिल है) - (28% से 18%)
- कम जीएसटी से बाइकों की कीमतें कम होंगी, जिससे वे युवाओं, पेशेवरों और निम्न-मध्यम वर्गीय परिवारों के लिए अधिक सुलभ होंगी।
- ग्रामीण और अर्ध-शहरी भारत में बाइक परिवहन का मुख्य साधन है, और सस्ती बाइक से किसानों, छोटे व्यापारियों और दिहाड़ी मजदूरों को सीधा लाभ मिलेगा।
- इससे गीग वर्कर्स की बचत बढ़ने की उम्मीद है, क्योंकि दोपहिया वाहन पर ऋण की ईएमआई और लागत दोनों कम हो जाएंगी।
छोटी कारें (जीएसटी 28% से घटकर 18%)
(इसमें 1200-सीसी से कम और 4 मीटर से कम लंबाई वाली पेट्रोल इंजन वाली कारें और 1500-सीसी से कम और 4 मीटर से कम लंबाई वाली डीजल कारें शामिल हैं)
- किफायती श्रेणी की कारें अब और सस्ती हो जाएंगी, जिससे पहली बार कार खरीदने वालों को प्रोत्साहन मिलेगा और घरेलू गतिशीलता बढ़ेगी।
- कम जीएसटी से छोटे शहरों और कस्बों में बिक्री को बढ़ावा मिलेगा, जहां छोटी कारों का वर्चस्व है।
- ज्यादा बिक्री से कार डीलरशिप, सर्विस नेटवर्क, चालकों और ऑटो-फाइनेंस कंपनियों को लाभ होगा।
बड़ी कारें (बिना किसी उप-कर के जीएसटी को घटाकर 40% कर दिया गया है)
- अतिरिक्त उपकर हटाने से न केवल दरें कम हुई हैं बल्कि कराधान भी सरल और पूर्वानुमानित हो गया है।
- 40% पर भी, उपकर न होने से बड़ी कारों पर प्रभावी कर कम हो जाएगा, जिससे यह आकांक्षी खरीदारों के लिए अपेक्षाकृत अधिक किफायती हो जाएगा।
- कर की दर को 40% पर लाने और उपकर हटाने से यह भी सुनिश्चित होगा कि ये उद्योग पूरी तरह से आईटीसी(इनपुट टैक्स क्रेडिट) के लिए पात्र हो जाएगा, जबकि पहले आईटीसी का उपयोग केवल 28% तक ही किया जा सकता था, उपकर घटक के लिए तो बिलकुल भी नहीं किया जाता था।
उपकर क्या है?
एकत्रित उपकरों से प्राप्त राशि भारत के संविधान के अनुच्छेद 266 के अनुसार, भारत की संचित निधि में जमा की जाती है। यह राशि, केंद्र सरकार का संसाधन होने के कारण, मुख्यतः विभिन्न आरक्षित निधियों के माध्यम से भारत सरकार की विभिन्न योजनाओं में उपयोग की जाती है।
ऑटो कंपोनेंट्स
मोटर कारों और मोटर बाइकों के निर्माण में उपयोग किए जाने वाले अधिकांश ऑटो कंपोनेंट्स पर भी जीएसटी घटाकर 18% कर दिया गया है।
ट्रैक्टर और वाणिज्यिक माल वाहन

ट्रैक्टर (1800-सीसी से कम: 12% से घटाकर 5%)
सेमी-ट्रेलर के लिए रोड ट्रैक्टर (1800-सीसी से अधिक इंजन क्षमता: 28% से घटाकर 18%)
ट्रैक्टर पार्ट्स (जैसे टायर, ट्यूब, हाइड्रोलिक पंप आदि: 18% से घटाकर 5%)[1]
- भारत दुनिया के सबसे बड़े ट्रैक्टर बाज़ारों में से एक है; जीएसटी कटौती से घरेलू और निर्यात दोनों में मांग बढ़ेगी।
- ट्रैक्टर निर्माण के कंपोनेंट्स जैसे टायर, गियर आदि पर भी अब केवल 5% कर लगेगा।
- इंजन, टायर, हाइड्रोलिक पंप और स्पेयर पार्ट्स बनाने वाली सहायक एमएसएमई को उत्पादन बढ़ने से लाभ होगा। जीएसटी में कटौती से भारत की वैश्विक ट्रैक्टर निर्माण केंद्र के रूप में स्थिति और भी मजबूत होगी।
- ट्रैक्टरों को खरीदने की सुगमता बढ़ने से कृषि क्षेत्र में मशीनीकरण को बढ़ावा मिलेगा। इससे धान, गेहूं आदि जैसी प्रमुख फसलों की उत्पादकता में सुधार होगा।
वाणिज्यिक माल वाहन (ट्रक, डिलीवरी-वैन आदि) [जीएसटी 28% से घटाकर 18%]
- ट्रक भारत की आपूर्ति श्रृंखला की रीढ़ हैं (माल ढुलाई का 65%–70% हिस्सा)।
- जीएसटी घटने से ट्रकों की प्रारंभिक पूंजीगत लागत कम हो जाएगी, जिससे प्रति टन-किमी माल ढुलाई की दरें घटेंगी।
- इससे कृषि उत्पाद, सीमेंट, स्टील, एफएमसीजी और ई-कॉमर्स डिलीवरी का सस्ता परिवहन संभव होगा और मुद्रास्फीति का दबाव कम होगा।
- यह कटौती एमएसएमई ट्रक मालिकों को भी लाभ पहुंचाएगी, जो भारत के सड़क परिवहन क्षेत्र का बड़ा हिस्सा हैं।
- सस्ते ट्रक सीधे तौर पर लॉजिस्टिक्स लागत को कम करने में मदद करेंगे, जिससे निर्यात प्रतिस्पर्धा में सुधार होगा।
- माल परिवहन वाले वाहनों के थर्ड-पार्टी बीमा पर जीएसटी 12% से घटाकर 5% करने से इन प्रयासों को और बल मिलेगा।
- जीएसटी कटौती में रेफ्रिजरेटेड मोटर वाहन शामिल नहीं हैं (इनकी अलग श्रेणी है)।
- ये कदम पीएम गति शक्ति और राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति के लक्ष्यों के अनुरूप हैं।
बसें (10+ सीट क्षमता वाली) [जीएसटी 28% से घटाकर 18%]
- कम कर दर से बसों और मिनीबसों (10+ सीटों वाली) की शुरुआती लागत कम हो जाएगी।
- इससे फ्लीट ऑपरेटर, कॉरपोरेट, स्कूल, टूर ऑपरेटर और राज्य परिवहन उपक्रमों की ओर से मांग बढ़ेगी।
- यात्रियों के लिए टिकट किराए किफायती होंगे (विशेषकर अर्ध-शहरी/ग्रामीण मार्गों पर)।
- जीएसटी कटौती से निजी वाहनों से साझा/सार्वजनिक परिवहन की ओर जाने का रुझान बढ़ेगा, जिससे जाम और प्रदूषण में कमी आएगी।
- यह सार्वजनिक परिवहन के उपयोग को बढ़ावा देने के साथ-साथ फ्लीट विस्तार और आधुनिकीकरण को भी प्रोत्साहित करेगा।
यह ध्यान देना भी महत्वपूर्ण है कि माल और यात्रियों के परिवहन से जुड़ी सेवाओं में भी उल्लेखनीय परिवर्तन किया गया है तथा इसे युक्तिसंगत बनाया गया है। जहां आवश्यक था वहां दरों को घटाया गया है और करों के दोहरे प्रभाव से बचने के लिए आईटीसी(इनपुट टैक्स क्रेडिट) को आगे किया गया है।
निष्कर्ष
ऑटोमोबाइल क्षेत्र के लिए जीएसटी को युक्तिसंगत बनाने, विकास और नवाचार को प्रोत्साहित करने, एमएसएमई की भागीदारी बढ़ाने और आत्मनिर्भर भारत के विजन को साकार करने के लिए सरकार की अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है। ये नीतिगत सुधार न केवल घरेलू मांग और रोजगार सृजन को बढ़ावा देंगे, बल्कि एक आधुनिक, समावेशी और वैश्विक स्तर पर प्रमुख विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र की शुरूआत भी करेंगे, जिससे भारत के भारी उद्योगों में सतत और प्रौद्योगिकी-आधारित विकास का मार्ग प्रशस्त होगा।
संदर्भ:
LOK SABHA UNSTARRED QUESTION NO. 3290
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