मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय
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राष्ट्रीय गोकुल मिशन और कामधेनु योजना

प्रविष्टि तिथि: 16 DEC 2025 3:00PM by PIB Delhi

कर्नाटक में राष्ट्रीय गोकुल मिशन (आरजीएम) के अंतर्गत बीदर जिले सहित अन्य क्षेत्रों में कृत्रिम गर्भाधान (एआई कवरेज), नस्ल विकास और गोकुल ग्रामों की स्थापना के संदर्भ में हुई भौतिक और वित्तीय प्रगति का विवरण अनुलग्नक-I में दिया गया है।

राज्यों द्वारा पशुधन उत्पादकता बढ़ाने के प्रयासों को पूरक बनाने के लिए, भारत सरकार का पशुपालन एवं डेयरी विभाग (डीएएचडी) देश भर में निम्नलिखित योजनाएं लागू कर रहा है, जिनमें बीदर जिले जैसे सूखाग्रस्त और आर्थिक रूप से पिछड़े क्षेत्र भी शामिल हैं, जहां पशुधन ग्रामीण आय का एक महत्वपूर्ण स्रोत है:

  1. राष्ट्रीय गोकुल मिशन (आरजीएम): आरजीएम का उद्देश्य स्वदेशी नस्लों का विकास और संरक्षण, मवेशियों की आनुवंशिक गुणवत्ता में सुधार और दूध उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि करना है। इस योजना के अंतर्गत किए गए प्रमुख प्रयास निम्नलिखित हैं:
  1. राष्ट्रव्यापी कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम: इस कार्यक्रम का उद्देश्य कृत्रिम गर्भाधान (एआई) कवरेज को बढ़ाना और स्वदेशी नस्लों सहित उच्च आनुवंशिक गुणवत्ता वाले सांडों के वीर्य से किसानों के घर तक गुणवत्तापूर्ण कृत्रिम गर्भाधान सेवाएं पहुंचाना है। इस कार्यक्रम की प्रगति को भारत पशुधन/एनडीएलएम (राष्ट्रीय डिजिटल पशुधन मिशन) पर वास्तविक समय में अपलोड किया जाता है, जिससे कृत्रिम गर्भाधान सेवाओं में पारदर्शिता सुनिश्चित होती है और कार्यक्रम से लाभान्वित होने वाले किसानों की निगरानी की जा सकती है। अब तक 9.36 करोड़ पशुओं को इस कार्यक्रम के अंतर्गत शामिल किया गया है, 14.56 करोड़ कृत्रिम गर्भाधान किए गए हैं और 5.62 करोड़ किसानों को इसका लाभ मिला है। उत्पादकता में वृद्धि के साथ-साथ भाग लेने वाले किसानों की आय में भी वृद्धि होने की उम्मीद है।
  2. लिंग-आधारित वीर्य: देश में लिंग-आधारित वीर्य तकनीक को लागू किया गया है ताकि 90% तक सटीक मादा बछड़ों का उत्पादन सुनिश्चित किया जा सके। यह एक क्रांतिकारी तकनीक है, क्योंकि इससे न केवल दूध उत्पादन बढ़ता है, बल्कि आवारा पशुओं की संख्या कम करने में भी मदद मिलती है। भारत में पहली बार, राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत स्थापित सुविधाओं ने स्वदेशी पशु नस्लों के लिंग-आधारित वीर्य का सफलतापूर्वक उत्पादन किया है। ये सुविधाएं गुजरात, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के पांच सरकारी वीर्य केंद्रों में स्थित हैं। इसके अलावा, तीन निजी वीर्य केंद्र भी लिंग-आधारित वीर्य के उत्पादन में लगे हुए हैं। अब तक निजी वीर्य केंद्रों से उत्पादित वीर्य की मात्रा सहित देश में 128 लाख लिंग-आधारित वीर्य की मात्रा का उत्पादन किया जा चुका है। स्वदेशी रूप से विकसित लिंग-आधारित वीर्य उत्पादन तकनीक का शुभारंभ माननीय प्रधानमंत्री द्वारा 5.10.2024 को किया गया था। इस तकनीक से लिंग-आधारित वीर्य की लागत 800 रुपये से घटकर 250 रुपये प्रति मात्रा हो गई है। देश में अब तक स्वदेशी तकनीक का उपयोग करते हुए 40 लाख खुराक की लिंग-आधारित वीर्य उत्पादन सुविधा स्थापित की जा चुकी है।

लिंग-आधारित वीर्य का उपयोग करके त्वरित नस्ल सुधार कार्यक्रम: इस कार्यक्रम के अंतर्गत स्वदेशी नस्लों के लिंग-आधारित वीर्य को प्रोत्साहन दिया जाता है। इस घटक के तहत, सुनिश्चित गर्भधारण होने पर किसानों को लिंग-आधारित वीर्य की लागत का 50% तक प्रोत्साहन राशि उपलब्ध कराई जाती है।

  1. ग्रामीण भारत में बहुउद्देशीय कृत्रिम गर्भाधान तकनीशियन (मैत्री): मैत्री को किसानों के घर पर ही गुणवत्तापूर्ण कृत्रिम गर्भाधान सेवाएं प्रदान करने के लिए प्रशिक्षित और उपकरणों से लैस किया जाता है। अब तक, 39810 मैत्री को प्रशिक्षित और उपकरणों से लैस किया जा चुका है।
  2. इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) तकनीक का कार्यान्वयन: देश में पहली बार स्वदेशी नस्लों के विकास और संरक्षण के लिए बोवाइन आईवीएफ तकनीक को बढ़ावा दिया जा रहा है। विभाग ने इस बावत पूरे भारत में 24 आईवीएफ प्रयोगशालाएं स्थापित की हैं। आईवीएफ तकनीक का लाभ उठाते हुए त्वरित नस्ल सुधार कार्यक्रम शुरू किया गया है, जिसका मकसद उन्नत प्रजनन विधियों को किसानों तक पहुंचाना है। प्रत्येक सुनिश्चित गर्भधारण पर 5,000 रुपये का प्रोत्साहन भी दिया जाता है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य स्वदेशी नस्लों के विकास को बढ़ावा देना है। कर्नाटक में सेंट्रल फ्रोजन सीमेन प्रोडक्शन एंड ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट (सीएफएसपी एंड टीआई), हेसरघाटा, बेंगलुरु में एक आईवीएफ प्रयोगशाला का संचालन शुरू हो गया है।
  3. वंश परीक्षण एवं वंशावली चयन कार्यक्रम: इस कार्यक्रम का उद्देश्य स्वदेशी नस्लों के सांडों सहित उच्च आनुवंशिक गुणवत्ता वाले सांडों का उत्पादन करना है। गिर और सहीवाल नस्लों के मवेशियों तथा मुर्रा और मेहसाना नस्लों की भैंसों के लिए वंश परीक्षण किया जाता है। वंशावली चयन कार्यक्रम के अंतर्गत राठी, थारपरकर, हरियाना और कंकरेज नस्लों के मवेशी तथा जाफराबादी, नीली रावी, पंढरपुरी और बन्नी नस्लों की भैंसें शामिल हैं। कार्यक्रम के अंतर्गत उत्पादित रोगमुक्त और उच्च आनुवंशिक गुणवत्ता वाले स्वदेशी नस्लों के सांडों को देश भर के वीर्य परीक्षण केंद्रों को उपलब्ध कराया जाता है। अब तक 4288 उच्च आनुवंशिक गुणवत्ता वाले सांडों का उत्पादन किया जा चुका है और उन्हें कर्नाटक में स्थित वीर्य परीक्षण केंद्रों सहित सभी वीर्य परीक्षण केंद्रों को वीर्य उत्पादन के लिए उपलब्ध कराया गया है।
  4. वीर्य उत्पादन में गुणात्मक और मात्रात्मक सुधार लाने के लिए वीर्य केंद्रों को सुदृढ़ बनाना, जिसमें स्वदेशी नस्लों के वीर्य का उत्पादन भी शामिल है। अब तक 47 वीर्य केंद्रों को और बेहतर बनाने की मंजूरी दी जा चुकी है, जिनमें कर्नाटक के 6 वीर्य केंद्र शामिल हैं।
  • vii. किसानों में जागरूकता पैदा करना: इस योजना के तहत, किसानों को स्वदेशी मवेशी नस्लों के महत्व के बारे में जागरूक करने के लिए प्रजनन शिविर, दुग्ध उत्पादन प्रतियोगिताएं, बछड़ा रैलियां, सेमिनार, कार्यशालाएं और सम्मेलन आयोजित किए गए हैं।

2. राष्ट्रीय दुग्ध विकास कार्यक्रम (एनपीडीडी): एनपीडीडी को निम्नलिखित 2 घटकों के साथ कार्यान्वित किया जा रहा है:

  1. एनपीडीडी योजना का घटक '''' गुणवत्तापूर्ण दूध परीक्षण उपकरणों के साथ-साथ राज्य सहकारी डेयरी संघों/जिला सहकारी दुग्ध उत्पादक संघों/स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी)/दुग्ध उत्पादक कंपनियों/किसान उत्पादक संगठनों के लिए प्राथमिक शीतलन सुविधाओं के बुनियादी ढांचे के निर्माण/मजबूती पर केंद्रित है।
  2. एनपीडीडी योजना का घटक ''बी'' "सहकारी समितियों के माध्यम से दुग्ध उत्पादन" का उद्देश्य किसानों की संगठित बाजार तक पहुंच बढ़ाकर, दुग्ध प्रसंस्करण सुविधाओं और विपणन बुनियादी ढांचे को उन्नत करके और उत्पादक स्वामित्व वाली संस्थाओं की क्षमता बढ़ाकर दूध और दुग्ध उत्पादों की बिक्री बढ़ाना है।

एनपीडीडी योजना के तहत, कर्नाटक में 22 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है, जिनकी कुल परियोजना लागत 45521.03 लाख रुपये है, जिसमें केंद्र सरकार का हिस्सा 30783.03 लाख रुपये है और इसमें से 23660.11 लाख रुपये जारी किए जा चुके हैं। इन परियोजनाओं का कार्यान्वयन कर्नाटक सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ लिमिटेड द्वारा किया जा रहा है।

बीदर जिले में कार्यान्वयन के लिए स्वीकृत प्रमुख डेयरी परियोजनाओं का विवरण अनुलग्नक-II में दिया गया है।

  1. डेयरी गतिविधियों में संलग्न डेयरी सहकारी समितियों और किसान उत्पादक संगठनों (एसडीसीएफपीओ) को सहायता प्रदान करना: प्रतिकूल बाजार स्थितियों या प्राकृतिक आपदाओं के कारण उत्पन्न संकट से उबरने के लिए राज्य डेयरी सहकारी संघों को सुगम कार्यशील पूंजी ऋण पर, ब्याज सब्सिडी (नियमित 2% और शीघ्र भुगतान पर अतिरिक्त 2%) प्रदान करके सहायता करना।
  2. पशुपालन अवसंरचना विकास कोष (एएचआईडीएफ): एएचआईडीएफ पशुधन उत्पाद प्रसंस्करण और विविधीकरण अवसंरचना के निर्माण/मजबूती के लिए 3% प्रति वर्ष की दर से ब्याज में छूट प्रदान करता है, जिससे असंगठित उत्पादक सदस्यों की संगठित बाजार तक बेहतर पहुंच सुनिश्चित होती है।
  3. राष्ट्रीय पशुधन मिशन (एनएलएम): मुर्गी पालन, भेड़, बकरी, सुअर पालन और चारा पशुओं में उद्यमिता विकास और नस्ल सुधार पर विशेष ध्यान देना। इसके लिए व्यक्तियों, किसान उत्पादक संगठनों, स्वयं सहायता समूहों, धारा 8 कंपनियों को उद्यमिता विकास के लिए प्रोत्साहन प्रदान करना और राज्य सरकार को नस्ल सुधार अवसंरचना के लिए सहायता प्रदान करना।

राष्ट्रीय श्रम नीति (एनएलएम) के अंतर्गत, उद्यमिता विकास कार्यक्रम (एनएलएम-ईडीपी) एक महत्वपूर्ण घटक है, जिसके तहत ग्रामीण मुर्गीपालन फार्मों के साथ-साथ भेड़, बकरी, सूअर, ऊंट, घोड़े और गधे के प्रजनन फार्मों की स्थापना के लिए 50% पूंजी सब्सिडी प्रदान की जाती है, जिसकी विभिन्न घटकों के लिए अधिकतम सीमा 3 लाख रुपए से 50 लाख रुपए तक है। इसके अलावा, यह चारा मूल्यवर्धन इकाइयों, जिनमें घास, साइलेज, संपूर्ण मिश्रित राशन (टीएमआर), चारा ब्लॉक और चारा बीजों के प्रसंस्करण, वर्गीकरण और भंडारण की इकाइयाँ शामिल हैं, को भी सहायता प्रदान करता है। यह सब्सिडी व्यक्तियों, किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ), स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी), संयुक्त देयता समूहों (जेएलजी), किसान सहकारी संगठनों (एफसीओ) और धारा 8 कंपनियों के लिए उपलब्ध है। बीदर जिले और पूरे कर्नाटक राज्य में एनएलएम-ईडीपी के तहत स्वीकृत परियोजना प्रस्ताव अनुलग्नक-III में दिया गया है।

राज्य सरकार अपने पशुधन की चारे की मांग को पूरा करने के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार है। केंद्र सरकार देश में चारे के विकास के लिए विभिन्न प्रकार की पहल कर रही है। राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रयासों को पूरक बनाने के लिए, केंद्र सरकार 'राष्ट्रीय पशुधन मिशन' नामक केंद्रीय प्रायोजित योजना को लागू कर रही है, जिसमें चारा विकास पर एक उप-मिशन भी शामिल है। यह योजना 2014-15 से पूरे देश में कार्यरत है। मिशन को जुलाई 2021 में पुनर्गठित किया गया और मार्च 2024 में संशोधित किया गया। चारा विकास पर उप-मिशन के निम्नलिखित घटक हैं:

  1. गुणवत्तापूर्ण चारा बीज उत्पादन के लिए सहायता
  2. पशु आहार और चारे में उद्यमशीलता गतिविधियाँ
  3. चारा बीज प्रसंस्करण अवसंरचना (प्रसंस्करण और श्रेणीकरण इकाई/चारा बीज भंडारण गोदाम) के लिए उद्यमियों की स्थापना
  4. गैर-वन बंजर भूमि/चारागाह/गैर-कृषि योग्य भूमि से चारा उत्पादन और वन भूमि से चारा उत्पादन

इसके अतिरिक्त, भारत सरकार के पशुपालन और डेयरी उत्पादन विभाग ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से चारा उत्पादन क्षेत्रों को बढ़ाने और राज्य तथा केंद्र सरकार की अन्य योजनाओं के समन्वय हेतु, राज्य चारा कार्यबल गठित करने का अनुरोध किया है। इन प्रयासों से संबंधित राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में चारे की उपलब्धता बढ़ेगी।

इसके अलावा, आईसीएआर-भारतीय चरागाह और चारा अनुसंधान संस्थान, झांसी ने कर्नाटक के लिए चारा संसाधन विकास योजना तैयार की है, जिसे कार्यान्वयन के लिए कर्नाटक को भेज दिया गया है।

  1. पशुधन स्वास्थ्य और रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एलएचडीसीपी): इसका मकसद पशु रोगों के खिलाफ निवारक टीकाकरण, पशु चिकित्सा सेवाओं की क्षमता निर्माण, रोग निगरानी और पशु चिकित्सा अवसंरचना को मजबूत करना है। साथ ही, इस योजना के तहत पशु औषधि का एक नया घटक जोड़ा गया है, ताकि प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्रों (पीएम-केएसके) और सहकारी समितियों के ज़रिए पूरे देश में सस्ती जेनेरिक पशु चिकित्सा दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके। इससे सस्ती और अच्छी गुणवत्ता वाली जेनेरिक दवाओं के लिए एक व्यवस्था तैयार हो सकेगी। एलएचडीसीपी के तहत 2025-26 के दौरान कर्नाटक राज्य को कुल 5126.65 लाख रुपये जारी किए गए हैं। बीदर जिले सहित कर्नाटक में कुल 275 मोबाइल पशु चिकित्सा इकाइयां (एमवीयू) कार्यरत हैं और कुल 1,11,106 किसानों को लाभ हुआ है और कर्नाटक में 1,96,620 पशुओं का इलाज किया गया है। वित्त वर्ष 2025-26 के दौरान, कर्नाटक में 1.78 करोड़ पशुओं को फुट एंड माउथ डिजीज (एफएमडी) के लिए टीकाकरण किया गया और 34.73 लाख किसानों को इसका लाभ मिला, जिसमें बीदर जिले में 3.54 लाख पशुओं का टीकाकरण और 75,986 किसानों को लाभ प्राप्त हुआ।

अनुलग्नक-I

कर्नाटक में राष्ट्रीय गोकुल मिशन (आरजीएम) के विभिन्न घटकों के अंतर्गत हुई प्रगति

क्रमांक

विवरण

2020-25 के दौरान प्रगति

कर्नाटक राज्य

बीदर जिला

भौतिक

वित्तीय

(लाख रुपये में)

भौतिक

वित्तीय

(लाख रुपये में)

1

देशव्यापी कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम

1.71 करोड़ कृत्रिम गर्भाधान किए गए

4894.78

2.10 लाख कृत्रिम गर्भाधान किए गए

86.59

2

लिंग-आधारित वीर्य का उपयोग करके त्वरित नस्ल सुधार कार्यक्रम (एबीआईपी-एसएस)

53665 कृत्रिम गर्भाधान किए गए

516.37

188 कृत्रिम गर्भाधान किए गए

2.29 (कृत्रिम गर्भाधान तकनीशियनों को दिए गए प्रोत्साहन सहित)

3

ग्रामीण भारत में बहुउद्देशीय कृत्रिम गर्भाधान तकनीशियन (मैत्री)

1450

1523.45

129

41.94

4

गोकुल ग्राम की स्थापना

लिंगादहल्ली, चिक्कमगलुरु, कर्नाटक में अमृत महल नस्ल के मवेशियों के विकास और संरक्षण के लिए

1

250

-

-

5.

वीर्य परीक्षण केंद्र को बेहतर बनाना

5

3211.82

-

-

 

अनुलग्नक-II

राष्ट्रीय दुग्ध विकास कार्यक्रम के अंतर्गत बीदर जिले के लिए स्वीकृत प्रमुख दुग्ध परियोजनाओं का विवरण

परियोजना संख्या

गतिविधियाँ

कुल राशि

(लाख रुपये में)

एनपीडीडी_केए_01बी

76 दुग्ध सहकारी समितियों के लिए पूंजी निवेश

177.84

एनपीडीडी_केए_04 एफ(क्यूएमपी)

संयंत्र स्तर पर एफटीआईआर प्रौद्योगिकी आधारित दुग्ध विश्लेषक की स्थापना

85.00

एनपीडीडी_केए_21एल(डीसीएस)

36 नई दुग्ध सहकारी समितियों का संगठन

66.96

एनपीडीडी_केए_22एल

दूध को ठंडा करने और दुग्ध परीक्षण करने वाली प्रयोगशालाओं की सुविधाओं को सुदृढ़ बनाना

57.00

 

अनुलग्नक-III

कर्नाटक में एनएलएम-ईडीपी के तहत स्वीकृत परियोजनाओं का विवरण

स्वीकृत परियोजनाओं की संख्या

परियोजना लागत (करोड़)

स्वीकृत सब्सिडी (करोड़)

जारी की गई पहली किस्त की संख्या

जारी की गई पहली किस्त की राशि (करोड़)

जारी की गई दूसरी किस्त की संख्या

जारी की गई दूसरी किस्त की राशि (करोड़)

कर्नाटक

1133

801.012

379.12

494

92.6

200

35.26

बीदर जिला

52

49.7

21.32

33

7.08

10

1.56

 

उपरोक्त उत्तर भारत सरकार के मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री श्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ​ललन सिंह ने लोकसभा में पूछे गए एक प्रश्न के जवाब में दिया।

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पीके/केसी/एनएस/डीके


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