वस्त्र मंत्रालय
भारतीय वस्त्रों की ब्रांडिंग
प्रविष्टि तिथि:
09 DEC 2025 3:10PM by PIB Delhi
भारत विश्व का छठा सबसे बड़ा कपड़ों और परिधान का निर्यातक है, जिसने वित्तीय वर्ष 2024–25 में 37.75 अरब अमेरिकी डॉलर का निर्यात दर्ज किया। 200 से अधिक वैश्विक बाज़ारों में मौजूदगी के साथ, भारत की विविध वस्त्र वैल्यू चेन की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहुत ज्यादा मांग है और यह अपनी एक विश्वसनीय एवं भरोसेमंद आपूर्तिकर्ता के रूप में पहचान तेजी से बढ़ रहा है। सरकार वस्त्र आपूर्ति शृंखला को मजबूत करने और ब्रांडिंग से जुड़े सभी प्रयासों को अत्यधिक महत्व देती है। भारतीय वस्त्रों, परिधानों और हस्तशिल्प उत्पादों की वैश्विक पहुंच बढ़ाने के लिए—एकीकृत ब्रांडिंग, बाजार प्रोत्साहन, व्यापार सुविधा और आपूर्ति शृंखला सुदृढ़ीकरण सहित—राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाए जा रहे प्रमुख कदम नीचे दिए गए हैं:
सरकार ने निर्यात संवर्धन मिशन (ईपीएम) को मंजूरी दी है, जो वाणिज्य विभाग, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम(एमएसएमई) मंत्रालय, वित्त मंत्रालय तथा अन्य प्रमुख हितधारकों जैसे वित्तीय संस्थानों, निर्यात संवर्धन परिषदों, कमोडिटी बोर्ड, उद्योग संघों और राज्य सरकारों की सहभागिता वाला एक सहयोगात्मक ढांचा है।
ईपीएम के निर्यात प्रोत्साहन घटक ब्याज अनुदान, निर्यात फैक्टरिंग, संपार्श्विक गारंटी, ई-कॉमर्स निर्यातकों के लिए क्रेडिट कार्ड और नए बाजारों में विविधीकरण हेतु ऋण वृद्धि समर्थन जैसे कई साधनों के माध्यम से एमएसएमई को किफायती व्यापार वित्त तक पहुंच में सुधार पर केंद्रित है।
ईपीएम के निर्यात दिशा घटक में गैर-वित्तीय सहयोग शामिल है, जो बाजार तैयारी और प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाता है, इसमें निर्यात गुणवत्ता एवं अनुपालन सहायता, अंतरराष्ट्रीय ब्रांडिंग और पैकेजिंग में मदद, व्यापार मेलों में भागीदारी, निर्यात वेयरहाउसिंग एवं लॉजिस्टिक्स, अंतर्देशीय परिवहन प्रतिपूर्ति, व्यापार खुफिया और क्षमता-विकास पहल का समावेश है।
भारत ने अब तक कुल 15 मुक्त व्यापार समझौतों (FTAs) पर हस्ताक्षर किए हैं, जिनमें भारत–यूके व्यापक आर्थिक एवं व्यापार समझौता (CETA) शामिल है। इन समझौतों का उद्देश्य शुल्क एवं गैर-शुल्क बाधाओं को कम करना, प्रक्रियाओं को सरल बनाना और संरचनात्मक मुद्दों का समाधान कर भारतीय निर्यातकों को साझेदार देशों के बाजारों में अधिक प्रतिस्पर्धी बनाना है।
‘ब्रांड इंडिया’ की वैश्विक स्थिति को सुदृढ़ करने के लिए प्रमुख पहल, जिनमें कस्तूरी कपास (प्रीमियम भारतीय कपास को विशिष्ट पहचान देने के लिए पंजीकृत ट्रेडमार्क, जिसमें जवाबदेह स्रोत-निर्धारण और आपूर्ति शृंखला पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए ट्रैसेबिलिटी सिस्टम का समर्थन मिला है।); सिल्क मार्क (रेशम उत्पादों की शुद्धता और गुणवत्ता की गारंटी देने वाला एक प्रमाणन चिह्न, जो वैश्विक रेशम क्षेत्र में भारत के नेतृत्व को मजबूती प्रदान करता है) शामिल है।
निर्यात संवर्धन परिषदों/संगठनों द्वारा भारत TEX 2025 नामक वैश्विक मेगा वस्त्र कार्यक्रम का आयोजन किया गया।, जिसका उद्देश्य भारतीय वस्त्र मूल्य शृंखला की सामर्थ्य, नवीनतम प्रगति एवं नवाचारों को प्रदर्शित करना और भारत को वस्त्र क्षेत्र में सोर्सिंग एवं निवेश के लिए सबसे पसंदीदा गंतव्य के रूप में स्थापित करना है।
सरकार भारतीय वस्त्र एवं परिधान क्षेत्र को बढ़ावा देने और इसकी प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने के लिए कई योजनाएं/पहलों लागू कर रही है। इन प्रमुख योजनाओं/पहलों में शामिल है; RoSCTL/RoDTEP योजना, जिसके तहत केंद्रीय एवं राज्य सरकार के करों, शुल्कों और लेवी में ढूट दी जाती है (किसी दूसरी योजना में छूट नहीं मिलती); आधुनिक, एकीकृत और विश्वस्तरीय वस्त्र अवसंरचना का निर्माण करने के लिए पीएम मेगा एकीकृत वस्त्र क्षेत्र और परिधान(PM MITRA) पार्क योजना; उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (PLI) योजना के तहत एमएमएफ फैब्रिक, एमएमएफ परिधान और तकनीकी वस्त्रों पर केंद्रित, बड़े पैमाने पर विनिर्माण और प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ावा दिया जा सके।
डिजाइन एवं अन्य में नवाचार को बढ़ावा देने के लिए वर्तमान प्रमुख पहलें:
तकनीकी वस्त्रों को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन (NTTM) की शुरूआत की गई है, जो कार्बन फाइबर, एरामिड फाइबर, नायलॉन, कम्पोजिट आदि जैसे विशेष फाइबर और जियोटेक्सटाइल, एग्रो टेक्सटाइल, मेडिकल टेक्सटाइल जैसे विभिन्न तकनीकी वस्त्र क्षेत्रों में अनुसंधान एवं नवाचार और स्वदेशी मशीनरी विकास पर केंद्रित है। साथ ही, इससे उपयोगकर्ता के बीच जागरूकता बढ़ाई जा सके।
VisioNxt, NIFT के तहत एक समर्पित अनुसंधान, शैक्षणिक और नवाचार इकाई है, जिसमें NIFT चेन्नई में अत्याधुनिक AI लैब शामिल है। यह पहल स्वदेशी पूर्वानुमान तकनीकों और रणनीतिक डिज़ाइन बुद्धिमत्ता को आगे बढ़ाती रहती है, जिससे सांस्कृतिक रूप से समृद्ध और भविष्य-उन्मुख फैशन नवाचार में भारत की नेतृत्वकारी भूमिका मजबूत होती है। यह राष्ट्रीय डिज़ाइन प्रतिस्पर्धात्मकता को सुदृढ़ करने और वस्त्र मूल्य शृंखला को सूचित, दूरदर्शी एवं भविष्य-आधारित उत्पाद विकास संबंधी निर्णय लेने में सक्षम बनाने पर केंद्रित है।
हैंडलूम क्षेत्र में डिजाइन नवाचार को बढ़ावा देने के लिए वस्त्र मंत्रालय द्वारा अनुसंधान एवं विकास (R&D) परियोजनाएं चलाई जा रही हैं, जिनमें विलुप्तप्राय हैंडलूम शिल्पों का पुनर्जीवन और दस्तावेजीकरण, नए रेशों/प्राकृतिक रंगों/ऑर्गेनिक कॉटन के उपयोग पर प्रयोग एवं शोध, और बुनकर सेवा केंद्रों (WSCs) में उपलब्ध/विकसित डिजाइनों का दस्तावेजीकरण शामिल है। इसके अतिरिक्त, देशभर के बुनकर सेवा केंद्रों में डिज़ाइन संसाधन केंद्र (डीआरसी) स्थापित किए गए हैं, ताकि पारंपरिक हैंडलूम डिज़ाइनों का संरक्षण हो सके और हैंडलूम क्षेत्र में डिज़ाइन-उन्मुख उत्कृष्टता का निर्माण एवं संवर्धन किया जा सके।
यह जानकारी वस्त्र राज्य मंत्री श्री पबित्रा मार्घेरिटा ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में प्रदान की।
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पीके/केसी/पीकेपी/
(रिलीज़ आईडी: 2201243)
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