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संविदा कर्मचारियों के हितों की रक्षा को सुदृढ़ बनाना

प्रविष्टि तिथि: 08 DEC 2025 2:55PM by PIB Delhi

 प्रमुख बिंदु

  • सभी के लिए न्यूनतम वेतन, फ्लोर वेज (आधारभूत वेतन) की शुरुआत तथा ओवरटाइम और बोनस का भुगतान निष्पक्ष पारिश्रमिक सुनिश्चित करते
  • वेतन एवं देय राशियों के भुगतान का दायित्व, वेतन पर्ची जारी करने तथा समय पर वेतन के भुगतान से नियोक्ता की जवाबदेही सुनिश्चित होती है।
  • दुर्घटना मुआवजा, ईएसआईसी के अंतर्गत कवरेज, परिवार की परिभाषा का विस्तार, वार्षिक स्वास्थ्य जाँच और वर्कर री-स्किलिंग फंड सामाजिक सुरक्षा एवं कल्याण प्रदान करते हैं।
  • वार्षिक अवकाश, निश्चित काम के घंटे और स्वास्थ्य व सुरक्षा के प्रावधान उदार कार्यस्थल की दशाएँ सुनिश्चित करते हैं।
  • लैंगिक भेदभाव का न होना न्यायसंगत कार्य संस्कृति को बढ़ावा देता है।

परिचय

भारत के श्रम क्षेत्र में 29 श्रम कानूनों को 4 सरल और आधुनिक श्रम संहिताओं में समाहित करके एक ऐतिहासिक बदलाव आया है। ये चार संहिताएँ हैं: वेतन संहिता, 2019; औद्योगिक संबंध संहिता, 2020; व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्यस्थल स्थिति (ओएसएच) संहिता, 2020 और सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 परिभाषाओं को एकीकृत करने, प्रक्रियाओं को सरल बनाने और जवाबदेही बढ़ाने के माध्यम से, ये संहिताएँ श्रमिक कल्याण और 'ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस' (व्यवसाय करने में सुगमता) दोनों को बढ़ावा देती हैं। महत्वपूर्ण रूप से, ये सुधार एक अधिक पारदर्शी और प्रवर्तनीय प्रणाली के तहत स्पष्ट अधिकार, मज़बूत वेतन सुरक्षा, विस्तारित सामाजिक सुरक्षा और बेहतर कार्यस्थल स्थिति सुनिश्चित करके संविदा कर्मचारियों के लिए सुरक्षा में महत्वपूर्ण सुधार करते हैं।

संविदा कर्मचारियों के लिए सुरक्षा का उन्नत कवच

संविदा कर्मचारी भारत के श्रम बल का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, जो अक्सर उद्योगों में आवश्यक लेकिन संवेदनशील भूमिकाओं में कार्यरत रहते हैं। इन सुधारों का उद्देश्य एक ऐसा अधिक समावेशी और न्यायसंगत श्रम वातावरण बनाना है जहाँ संविदा कर्मचारियों को मजबूत अधिकार, बेहतर कार्य दशाएँ और उन्नत सामाजिक-आर्थिक सुरक्षा प्राप्त हो।  

बेहतर वेतन सुरक्षा  

सभी के लिए न्यूनतम वेतन: कोई भी नियोक्ता किसी भी कर्मचारी को सरकार द्वारा अधिसूचित न्यूनतम वेतन से कम भुगतान नहीं करेगा। पहले न्यूनतम वेतन केवल अधिसूचित रोजगारों पर लागू था, लेकिन अब यह सभी कर्मचारियों पर लागू होगा। सरकार सामान्यतः पाँच वर्ष से अधिक के अंतराल पर न्यूनतम वेतन की दरों की समीक्षा या पुनरीक्षण करेगी। साथ ही, सरकार कर्मचारी के कौशल और काम की कठिनाई के आधार पर विभिन्न वेतन अवधियों — जैसे प्रति घंटा, दैनिक या मासिक — के लिए समय-आधारित कार्य और पीस-वर्क हेतु न्यूनतम वेतन की दरें तय करेगी।

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फ्लोर वेज (आधारभूत वेतन): फ्लोर वेज (आधारभूत वेतन) सरकार द्वारा किसी कर्मचारी के भोजन, वस्त्र आदि सहित न्यूनतम जीवन-स्तर को ध्यान में रखते हुए तय की जाएगी। इसे भी नियमित अंतराल पर संशोधित किया जाएगा, जिससे श्रमिकों का एक राज्य से दूसरे राज्य में होने वाला पलायन कम होगा।

ओवरटाइम वेतन: सामान्य कार्य अवधि से अधिक कार्य करने पर, नियोक्ता को कर्मचारी को सामान्य वेतन दर की कम से कम दोगुनी दर से भुगतान करना अनिवार्य होगा।

बोनस प्रावधान: बोनस प्रत्येक ऐसे कर्मचारी को दिया जाएगा जिसने किसी लेखा वर्ष में कम से कम 30 दिन तक कार्य किया हो और जिसका वेतन सरकार (केंद्र/राज्य) द्वारा निर्धारित राशि से अधिक न हो। वार्षिक बोनस कर्मचारी द्वारा अर्जित किए गए वेतन का न्यूनतम आठ और एक-तिहाई प्रतिशत और अधिकतम 20 प्रतिशत तक दिया जाता है।

ठेके पर काम (पीस वर्क) के लिए न्यूनतम टाइम रेट मज़दूरी: अगर कोई कर्मचारी ठेके पर काम (पीस वर्क) करता है जहाँ पीस रेट के बजाय न्यूनतम टाइम रेट तय है, तो नियोक्ता को इस न्यूनतम टाइम रेट से कम मजदूरी नहीं देनी होगी।

देय राशि के भुगतान का दायित्व : नियोक्ता अपने यहाँ कार्यरत कर्मचारी को वेतन का भुगतान करेगा। यदि ऐसा नियोक्ता संहिता के अनुसार यह भुगतान करने में विफल रहता है, तो कर्मचारी जिस प्रतिष्ठान में कार्यरत है, उस प्रतिष्ठान की कंपनी, फर्म, एसोसिएशन या कोई अन्य व्यक्ति जो उसका मालिक है, उन सभी अदत्त वेतन के लिए उत्तरदायी होगा।

वेतन भुगतान की व्यवस्था: एक ठेकेदार बैंक ट्रांसफर या इलेक्ट्रॉनिक तरीके से वेतन का भुगतान करने के लिए ज़िम्मेदार होगा। अगर ठेकेदार तय समय में ऐसा करने में विफल हो जाता है, तो मुख्य नियोक्ता संबंधित संविदा श्रमिक को पूरा वेतन या बकाया राशि का भुगतान करने के लिए ज़िम्मेदार होगा, और ठेकेदार को किसी भी कॉन्ट्रैक्ट के तहत देय किसी भी राशि से कटौती करके या ठेकेदार द्वारा देय ऋण के रूप में भुगतान की गई राशि वसूल करेगा।

यदि कॉन्ट्रैक्टर वेतन का भुगतान नहीं करता है, तो समुचित सरकार (केंद्र/राज्य) आदेश जारी करेगी कि बकाया वेतन का भुगतान उस राशि में से किया जाए जो ठेकेदार ने लाइसेंसिंग अधिकारी द्वारा जारी किए गए लाइसेंस के तहत सुरक्षा जमा के रूप में जमा की है।

वेतन पर्ची देना : नियोक्ता वेतन के भुगतान के दिन या उससे पहले, कर्मचारी को वेतन पर्ची इलेक्ट्रॉनिक रूप से या फिजिकल रूप में जारी करेंगे।

लिमिटेशन पीरियड: किसी कर्मचारी के लिए क्लेम फाइल करने का लिमिटेशन पीरियड बढ़ाकर तीन साल कर दिया गया है, जबकि अभी यह छह महीने से दो साल तक होता है।

वेतन के भुगतान की समय सीमा: नियोक्ता सभी कर्मचारियों को रोजगार के प्रकार के आधार पर वेतन का भुगतान करेगा या करवाएगा –

 

रोजगार के प्रकार

भुगतान का समय

दैनिक वेतन

कार्य अवधि की समाप्ति

साप्ताहिक

साप्ताहिक अवकाश से पहले

हर पंद्रह दिन में

पंद्रह दिन की अवधि खत्म होने के बाद 2 दिन के अंदर

मासिक, चाहे कर्मचारियों की संख्या कितनी भी हो

अगले महीने के 7 दिनों के भीतर

समाप्ति या त्यागपत्र पर

2 कार्य दिवसों के भीतर

 

वेतन का समय पर भुगतान और अनधिकृत कटौती: वेतन का समय पर भुगतान और वेतन से अनधिकृत कटौती से संबंधित प्रावधान, जो पहले केवल 24,000 रुपये प्रति माह तक वेतन पाने वाले कर्मचारियों के संबंध में लागू थे, को वेतन सीमा पर ध्यान दिए बिना सभी कर्मचारियों पर लागू किया गया है।  

संविदा कर्मचारियों के लिए विस्तारित सामाजिक सुरक्षा

आवागमन के दौरान हुई दुर्घटनाएँ भी अब कर्मचारी क्षतिपूर्ति में शामिल : किसी कर्मचारी के साथ होने वाली दुर्घटना (ड्यूटी के लिए अपने निवास से रोजगार के स्थान पर आते-जाते समय या ड्यूटी करने के बाद अपने रोजगार के स्थान से अपने निवास पर लौटते समय) जो रोजगार से उत्पन्न होती हैं और रोजगार के दौरान होती हैं अब कर्मचारी क्षतिपूर्ति के अंतर्गत शामिल कर ली गई हैं।

ईएसआईसी कवरेज का पूरे भारत में विस्तार: ईएसआईसी कवरेज को अखिल भारतीय स्तर तक विस्तारित कर दिया गया है और अधिसूचित क्षेत्र  का कॉन्सेप्ट हटा दिया गया है। स्वैच्छिक सदस्यता को भी नियोक्ता और कर्मचारी की आपसी सहमति से शुरू किया गया है (जहाँ प्रतिष्ठान की सीमा 10 व्यक्तियों से कम है)।

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"परिवार" की परिभाषा का विस्तार: "परिवार" की परिभाषा का विस्तार किया गया है इसमें पति/पत्नी, बच्चे जिसमें कर्मचारी के गोद लिए हुए बच्चे भी शामिल हैं, जो उस पर निर्भर हैं और अठारह साल की उम्र पूरी नहीं की है साथ ही, कर्मचारी पर आश्रित माता-पिता, दादा-दादी, विधवा बेटी और विधवा बहन भी शामिल हैं। हालांकि, ऐसे आश्रित जिन्हें उपयुक्त सरकार (केंद्र/राज्य) द्वारा निर्धारित कुछ स्रोतों से आय प्राप्त हो रही है, उन्हें इसमें शामिल नहीं किया जाएगा।

नियुक्ति पत्र के ज़रिए फॉर्मलाइजेशन: प्रत्येक कर्मचारी को निर्धारित प्रारूप में, तीन महीने के भीतर नियुक्ति पत्र मिलेगा, जिसमें कर्मचारी का विवरण, पदनाम, श्रेणी, वेतन का विवरण, सामाजिक सुरक्षा का विवरण आदि निर्दिष्ट होगा।

निशुल्क वार्षिक स्वास्थ्य जाँच : प्रत्येक कर्मचारी निशुल्क वार्षिक स्वास्थ्य जाँच के लिए पात्र होगा।

श्रमिक पुनः कौशलीकरण निधि: यदि किसी नियोक्ता द्वारा किसी श्रमिक की छंटनी की जाती है, तो नियोक्ता छंटनी की तारीख से 45 दिनों के भीतर श्रमिक पुनः कौशलीकरण निधि में, उस छंटनी किए गए श्रमिक के अंतिम आहरित वेतन के 15 दिनों के बराबर राशि का योगदान करेगा।

मज़बूत कार्यस्थल मानक

वेतन सहित वार्षिक छुट्टी: एक प्रतिष्ठान में कार्यरत श्रमिक अब एक कैलेंडर वर्ष में 180 दिन या उससे अधिक (पहले 240 दिन या उससे अधिक) कार्य करने पर सवैतनिक अवकाश के हकदार होंगे।

सामान्य कार्य दिवस के लिए कार्य घंटे निर्धारित करना: नए प्रावधान अब सामान्य कार्य घंटों को सीमित करते हैं ताकि कर्मचारी को पर्याप्त वेतन के बिना अत्यधिक काम न करना पड़े, जिससे उनके स्वास्थ्य और काम-काज के जीवन में संतुलन बना रहे। किसी भी कर्मचारी को एक दिन में 8 घंटे से अधिक और एक सप्ताह में 48 घंटे से अधिक काम करने की आवश्यकता नहीं होगी।

श्रमिकों के स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए सभी जगहों का यूनिवर्सल कवरेज: ओएसएच कोड अब सभी क्षेत्रों के सभी श्रमिकों, जिसमें संविदा श्रमिक भी शामिल हैं, को स्वास्थ्य और सुरक्षा का कवरेज प्रदान करता है। इसमें स्वच्छता, पीने का पानी, शौचालय, विश्राम कक्ष, कैंटीन आदि के लिए प्रावधान शामिल हैं।  

समानता और भेदभाव-रहित व्यवहार को प्रोत्साहन

लैंगिक भेदभाव का निषेध: नियोक्ता कर्मचारियों द्वारा किए गए समान कार्य या समान प्रकृति के कार्य के संबंध में, भर्ती, वेतन या रोजगार की शर्तों से संबंधित मामलों में लैंगिक आधार पर भेदभाव नहीं करेंगे।

निष्कर्ष

नियमों को सरल बनाकर और सुरक्षा को मजबूत करके, ये सुधार विशेष रूप से संविदा श्रमिकों के कल्याण को बढ़ावा देते हैं। स्पष्ट अधिकार, व्यापक सामाजिक सुरक्षा और बेहतर कामकाजी परिस्थितियों के साथ, यह नई व्यवस्था सुनिश्चित करती है कि संविदा श्रमिकों को उचित व्यवहार और सार्थक सुरक्षा मिले। कुल मिलाकर, ये परिवर्तन एक अधिक कुशल और पारदर्शी श्रम इकोसिस्टम का समर्थन करते हुए, श्रमिकों के कल्याण के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को और मजबूत करते हैं।

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