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राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु तिरुवनंतपुरम में नौसेना दिवस समारोह में सम्मिलित हुईं


भारत महासागरों को मुक्त, स्थिर और नियम-आधारित बनाए रखने के विचार के लिए प्रतिबद्ध है: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु

भारतीय नौसेना सुरक्षित, समृद्ध और टिकाऊ महासागरों के हमारे दृष्टिकोण को सुदृढ़ करती है: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु

प्रविष्टि तिथि: 03 DEC 2025 8:29PM by PIB Delhi

राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने आज (3 दिसंबर, 2025) केरल के तिरुवनंतपुरम में नौसेना दिवस-2025 समारोह में भाग लिया और भारतीय नौसेना के परिचालन प्रदर्शन का अवलोकन किया।

इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि नौसेना दिवस निस्वार्थ सेवा और सर्वोच्च बलिदान का उत्सव है।

 

इस अवसर पर अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने कहा कि नौसेना दिवस हमारी मातृभूमि की रक्षा में नौसेना कर्मियों द्वारा की गई निस्वार्थ सेवा और सर्वोच्च बलिदान का उत्सव है। उन्होंने कहा कि भारत की जनता राष्ट्र के प्रति उनकी सेवा के लिए भारतीय नौसेना के जवानों के प्रति कृतज्ञ है। उन्होंने उनकी व्यावसायिकता, लगन और देशभक्ति की प्रशंसा की।

 

राष्ट्रपति ने कहा कि हिंद महासागर क्षेत्र एक अत्यंत सामरिक और महत्वपूर्ण समुद्री क्षेत्र है। यह वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति और व्यापार का एक माध्यम है। उन्होंने कहा कि चूँकि भारत हिंद महासागर के केंद्र में स्थित है, इसलिए हमारा विशेष दायित्व है। राष्ट्रपति ने कहा कि हम महासागरों को मुक्त, स्थिर और नियम-आधारित बनाए रखने के विचार के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि 'वसुधैव कुटुम्बकम' के हमारे दृष्टिकोण के अनुरूप, भारत का दृष्टिकोण प्रतिस्पर्धात्मक के बजाय सहयोगात्मक है। राष्ट्रपति ने कहा कि हमारा देश साझा जागरूकता, क्षमता निर्माण और समुद्रों के शांतिपूर्ण उपयोग को बढ़ावा दे रहा है।

 

राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय नौसेना हमारे समुद्रों की सुरक्षा के लिए प्रमुख भूमिका निभाती है। उन्होंने कहा कि खतरों को रोकने से लेकर समुद्री डकैती से निपटने तक, हमारे विशेष आर्थिक क्षेत्र की सुरक्षा से लेकर नौवहन की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने तक, नौसेना की भूमिका पारंपरिक रक्षा से कहीं आगे तक फैली हुई है। राष्ट्रपति ने कहा कि नौसेना भारत के मानवीय पहलू का भी उदाहरण है। उन्होंने कहा कि हिंद महासागर क्षेत्र में संकटों के दौरान, इसने: नागरिकों को निकालना, सहायता प्रदान करना और मानवीय सहायता पहुँचाने के कार्य में प्रथम सहायता प्रदानकर्ता के रूप में कार्य किया है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि सागर (एसएजीएआर) परिकल्पना के अंतर्गत की गई नई पहल समुद्री क्षेत्र में जागरूकता बढ़ाएगी, मानवीय सहायता प्रदान करेगी और अंतर्राष्ट्रीय समुद्री समुदाय की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी।

राष्ट्रपति ने कहा कि आज भारत सतत विकास के प्रेरक के रूप में समुद्री अर्थव्यवस्था (ब्लू इकोनॉमी) की क्षमता का उपयोग करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। उन्होंने कहा कि भारतीय नौसेना इन प्रयासों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। राष्ट्रपति ने कहा कि समुद्री मार्गों को सुरक्षित करके, समुद्री संसाधनों की रक्षा करके, अवैध गतिविधियों को रोककर और समुद्री अनुसंधान को सहायता देकर, नौसेना सुरक्षित, समृद्ध और टिकाऊ महासागरों की हमारी परिकल्पना को मजबूत करती है।

राष्ट्रपति ने कहा कि आधुनिकीकरण के साथ-साथ नई तकनीकों का विकास और अनुकूलन किसी भी सशस्त्र बल की युद्ध तत्परता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने यह जानकर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि भारतीय नौसेना देश में ही जटिल प्लेटफार्मों के डिज़ाइन और निर्माण की क्षमता का प्रदर्शन कर रही है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि भारतीय नौसेना स्वदेशी तकनीकों का विकास जारी रखेगी और "विकसित भारत" के लक्ष्य को प्राप्त करने में योगदान देगी।

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