कृषि एवं किसान कल्‍याण मंत्रालय
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पीएमएफबीवाई के परिचालन संबंधी दिशानिर्देश

प्रविष्टि तिथि: 02 DEC 2025 5:43PM by PIB Delhi

एनसीआईपी में नामांकित सभी आवेदनों की गुणवत्ता जांच और सत्यापन किया जाता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पीएमएफबीवाई के परिचालन दिशानिर्देशों जैसेकि बीमित की जा रही फसल का बीमा योग्य होना, भूमि का स्वामित्व या किरायेदार या बटाईदार होने का प्रमाण, बीमित भूमि का क्षेत्र भूमि के वास्तविक क्षेत्र के समतुल्य या उससे कम होना, बीमित फसल और बोई गई फसल समान होना और आधार कार्ड के अनुसार किसान का नाम समान होना आदि प्रावधानों का अनुपालन हो। जो आवेदन इन बुनियादी पूर्व-अपेक्षाओ और परिचालन दिशानिर्देशों के प्रावधानों का अनुपालन नहीं करते हैं या सही विवरण दिए बिना, अधूरे विवरण के या आवश्यक दस्तावेजों के बिना तैयार गए हैं, उन्हें बीमा कंपनियों द्वारा अस्वीकार कर दिया जाता है। इसके लिए परिचालन दिशानिर्देशों के अनुसार प्रदान की गई अधिकतम समय-सीमा योजना में किसानों के प्रीमियम/नामांकन के लिए कट-ऑफ डेट से 60 दिन है, जो सामान्यतः खरीफ सीजन में 31 जुलाई है और रबी सीजन में 31 दिसंबर है।

बीमा कम्पनियाँ उन आवेदनों जिनमें दस्तावेज पूरे नहीं है, को नामांकन चैनल (सीएससी, बीमा मध्यस्थ/बैंक) को वापस भेज देती हैं ताकि वे पूरे दस्तावेज उपलब्ध करा सकें/अपलोड कर सकें। यदि वांछित दस्तावेज उपलब्ध करा दिए जाते हैं, तो बीमा कम्पनियाँ आवेदनों को स्वीकार कर लेती हैं अन्यथा उन्हें अस्वीकार कर देती हैं। यदि संबंधित किसान को आवेदनों की अस्वीकृति पर कोई आपत्ति है, तो वह कृषि रक्षक पोर्टल और हेल्पलाइन के माध्यम से बीमा कंपनी को इसकी सूचना दे सकता है या वांछित दस्तावेजों के साथ कृषि विभाग के तालुका/तहसील/जिला स्तरीय अधिकारियों या जिला स्तरीय शिकायत निवारण समिति (डीजीआरसी) से संपर्क कर सकता है ताकि आवेदनों की समीक्षा की जा सके और बीमा कम्पनियों द्वारा अनुमोदन हेतु उन पर पुनर्विचार किया जा सके।

परिचालन दिशानिर्देशों में, दावों के निपटान में निर्धारित समय-सीमा से अधिक देरी के कारण विलंबित दावा भुगतान का प्रावधान है, तथापि, आवेदनों की अस्वीकृति पर जुर्माना लगाने की कोई व्यवस्था नहीं है क्योंकि संबंधित जिला और राज्य सरकारों द्वारा आवेदनों की अस्वीकृति का समाधान और समीक्षा किया जाना अपेक्षित है। बीमा कंपनियाँ केवल उन्हीं आवेदनों को अस्वीकार कर सकती हैं जिन्हें संबंधित राज्य सरकार द्वारा राष्ट्रीय फसल बीमा पोर्टल के माध्यम से अस्वीकृति हेतु अनुमोदित किया गया हो।

पीएमएफबीवाई के परिचालन दिशानिर्देशों में योजना के समग्र कार्यान्वयन की निगरानी के एक तंत्र के रूप में क्रमशः जिला मजिस्ट्रेट और कृषि विभाग के प्रधान सचिव की अध्यक्षता में जिला स्तरीय निगरानी समिति और राज्य स्तरीय निगरानी समिति के गठन का प्रावधान है। बीमित/आवेदक किसानों की शिकायतों के निवारण के लिए, योजना के तहत बीमित किसानों के लिए शिकायत निवारण का पहला स्तर कृषि रक्षक पोर्टल और हेल्पलाइन (केआरपीएच) के माध्यम से प्रदान किया जाता है, जो एकल टोल-फ्री नंबर 14447 पर उपलब्ध है। केआरपीएच देश भर में 10 स्थानों पर स्थित 500 से अधिक केआरपीएच अधिकारियों के माध्यम से वेब-पोर्टल और वॉयस कॉल के माध्यम से वर्ष में सभी दिन 24 x 7 उपलब्ध है।

इसके अतिरिक्त, इस योजना के अंतर्गत विभिन्न शिकायत निवारण समितियों जैसे जिला शिकायत निवारण समिति (डीजीआरसी) और राज्य शिकायत निवारण समिति (एसजीआरसी) के माध्यम से शिकायत निवारण तंत्र का अपीलीय स्तर भी उपलब्ध है।

 

यह जानकारी कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री रामनाथ ठाकुर ने आज लोकसभा में एक लिखित जवाब में दी।

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पीके/केसी/डीवी


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