पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय
पूर्वोत्तर राज्यों में विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत निधियां
प्रविष्टि तिथि:
03 DEC 2025 2:55PM by PIB Delhi
संशोधित अनुमान बजट आंकड़ों के अनुसार, पिछले 5 वर्षों में पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय द्वारा निम्नलिखित योजनाओं के अंतर्गत पूर्वोत्तर राज्यों के लिए कुल 15905.86 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं:
(i) पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए प्रधानमंत्री विकास पहल (पीएम-डेवाइन)
(ii) पूर्वोत्तर परिषद की योजनाएं (सोनेक)
(iii) पूर्वोत्तर विशेष अवसंरचना विकास योजना (सड़क अवसंरचना के अलावा)
(iv) पूर्वोत्तर विशेष अवसंरचना विकास योजना (सड़कें)
(v) विशेष विकास पैकेज (एसडीपी)
(vi) पूर्वोत्तर उद्यमी विकास योजना (एनईईडीएस)
पिछले पांच वर्षों (वित्त वर्ष 2020-21 से वित्त वर्ष 2024-25) के दौरान उक्त योजनाओं के तहत पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय द्वारा जारी राज्यवार धनराशि नीचे तालिका में दी गई है:
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क्रमांक
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राज्यों के नाम
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पिछले पांच वर्ष के दौरान जारी की गई राशि (करोड़ रुपए में)
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1
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अरुणाचल प्रदेश
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1203.00
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2
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असम
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2306.34
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3
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मणिपुर
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717.62
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4
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मेघालय
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1231.93
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5
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मिजोरम
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809.49
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6
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नागालैंड
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1137.34
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7
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सिक्किम
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763.93
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8
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त्रिपुरा
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702.90
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9
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केन्द्रीय एजेंसी
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996.22
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कुल
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9868.77
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अनेक चुनौतियों के बावजूद इन योजनाओं के अंतर्गत राज्यों ने निधियों का 62 प्रतिशत उपयोग किया है।
राज्य सरकार द्वारा पूर्वोत्तर विकास सेतु (पीवीएस) पोर्टल पर सभी आवश्यक सहायक दस्तावेजों के साथ मांग पत्र अपलोड करने के बाद, धनराशि जारी करने के प्रस्तावों पर कार्रवाई की जाती है।
राज्यों की मांग, राज्यों द्वारा कार्यान्वयन की वित्तीय और भौतिक प्रगति, साथ ही उन्हें पहले से जारी धनराशि के उपयोग के आधार पर राज्य सरकारों को धनराशि जारी जारी की जाती है। पूर्वोत्तर राज्यों में छोटे कार्य अवधि, भूमि की उपलब्धता, चुनौतीपूर्ण भौगोलिक स्थिति और निर्माण सामग्री की आपूर्ति में बाधाओं के कारण धनराशि के उपयोग की गति धीमी हो जाती है।
वित्तीय प्रबंधन को मजबूत करने के लिए, पीवीएस सेतु पोर्टल विकसित किया गया है जिसमें एक मांग अनुरोध प्रारूप है जिसमें चल रही परियोजनाओं के लिए धन जारी करने हेतु मांग अनुरोध प्रस्तुत करने के साथ-साथ राज्य सरकार/केंद्रीय एजेंसियों द्वारा उपयोग प्रमाण पत्र और समापन प्रमाण पत्र अपलोड करने का प्रावधान है। चल रही परियोजनाओं की निगरानी को मजबूत करने के लिए, परियोजना गुणवत्ता मॉनिटर/तृतीय पक्ष तकनीकी निरीक्षण की व्यवस्था शुरू की गई है। मंत्रालय ने पूर्वोत्तर विकास वित्त संस्थान के माध्यम से प्रत्येक राज्य में एक फील्ड स्तरीय तकनीकी सहायता इकाई (एफटीएसयू) भी स्थापित की है। एफटीएसयू नियमित रूप से परियोजना कार्यान्वयन एजेंसियों (आईए) के साथ बातचीत कर रहे हैं, इन परियोजनाओं के डेटाबेस को बनाने के साथ-साथ इसे अपडेट कर रहे हैं, नियमित रूप से प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत कर रहे हैं और किसी भी अड़चन को सामने लाते हुए पूर्वोत्तर विकास मंत्रालय को फीडबैक भी दे रहे हैं।
धनराशि वितरण दक्षता में सुधार लाने और शीघ्र व्यय एवं उचित निगरानी के बीच संतुलन बनाने के लिए, मंत्रालय की विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत स्वीकृत परियोजनाओं की राशि अब 25 प्रतिशत की चार समान किश्तों में जारी की जाती है। पूर्वोत्तर विकास मंत्रालय की विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत परियोजनाओं की परिणाम-आधारित निगरानी, नीति आयोग के आउटपुट-आउटकम मॉनिटरिंग फ्रेमवर्क के अंतर्गत आती है और इसकी रिपोर्ट नियमित रूप से नीति आयोग को प्रस्तुत की जाती है।
पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास राज्य मंत्री डॉ. सुकांत मजूमदार ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।
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पीके/केसी/बीयू/एम
(रिलीज़ आईडी: 2198206)
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