कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय
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कौशल विकास योजना के अंतर्गत प्रशिक्षित हुए युवा

प्रविष्टि तिथि: 01 DEC 2025 5:28PM by PIB Delhi

सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में स्थापित जिला कौशल समितियों (डीएससी) को स्थानीय रोजगार अवसरों, कौशल मांग और उपलब्ध प्रशिक्षण अवसंरचना की पहचान करते हुए विकेन्द्रीकृत करने व जमीनी-स्तर के कौशल नियोजन को बढ़ावा देने हेतु जिला कौशल विकास योजनाएं (डीएसडीपी) तैयार करने का दायित्व सौंपा गया है। इसके आधार पर, विभिन्न क्षेत्रों में पहचाने गए कौशल अंतरालों को पाटने के लिए उपयुक्त सरकारी कौशल विकास कार्यक्रम विकसित किए जाते हैं। इसके अतिरिक्त, उद्योग विशेषज्ञों के नेतृत्व में कार्यरत 36 क्षेत्र कौशल परिषदें (एसएससी) नियमित रूप से क्षेत्रवार कौशल आवश्यकताओं का आकलन करती हैं और योग्यता मानक निर्धारित करती हैं। ये अध्ययन और मानक सरकार को ऐसे हस्तक्षेपों की दिशा प्रदान करते हैं, जिनके माध्यम से कार्यबल को उद्योग जगत की वास्तविक एवं उभरती जरूरतों के अनुरूप तैयार किया जा सके।

भारत सरकार के कौशल भारत मिशन (एसआईएम) के अंतर्गत, कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत कौशल विकास केंद्रों के व्यापक नेटवर्क के माध्यम से कौशल, पुनः कौशल और विस्तारित कौशल प्रशिक्षण प्रदान करता है। इसमें प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई), जन शिक्षण संस्थान (जेएसएस), राष्ट्रीय शिक्षुता प्रोत्साहन योजना (एनएपीएस) और शिल्पकार प्रशिक्षण योजना (सीटीएस) से औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) के जरिये देश भर में समाज के सभी वर्गों को लाभ होता है। इस एसआईएम का उद्देश्य भारत के युवाओं को भविष्य के लिए तैयार करना और उन्हें उद्योग-संबंधित कौशल से सुसज्जित करना है। एमएसडीई की विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत प्रशिक्षित कुल उम्मीदवारों का राज्य/केंद्र शासित प्रदेश वार विवरण अनुबंध-I में दिया गया है।

कौशल विकास योजनाओं के प्रभाव का आकलन उनके तृतीय पक्ष द्वारा स्वतंत्र मूल्यांकन के माध्यम से किया जाता है। कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय की योजनाओं के मूल्यांकन में उनके सकारात्मक परिणामों को स्वीकार किया गया है और प्रशिक्षित अभ्यर्थियों की नियुक्ति या आजीविका में सुधार के संदर्भ में उनकी सफलता का उल्लेख किया गया है, जैसा कि नीचे दर्शाया गया है:

पीएमकेवीवाई: एमएसडीई की प्रमुख योजना पीएमकेवीवाई का मूल्यांकन नीति आयोग द्वारा अक्टूबर 2020 में किया गया था। अध्ययन के अनुसार, सर्वेक्षण में शामिल लगभग 94 प्रतिशत नियोक्ताओं ने बताया कि वे पीएमकेवीवाई के तहत प्रशिक्षित और अधिक उम्मीदवारों को नियुक्त करेंगे। इसके अलावा, पूर्णकालिक/अंशकालिक रोजगार में रखे गए और आरपीएल घटक के तहत उन्मुख 52 प्रतिशत उम्मीदवारों को उच्च वेतन मिला या उन्हें अपने अप्रमाणित साथियों की तुलना में अधिक वेतन होगा।

जेएसएस: 2020 में जेएसएस योजना के मूल्यांकन अध्ययन में पाया गया कि प्रशिक्षण से लाभार्थियों की घरेलू आय लगभग दोगुनी हो गई, जिसमें महिलाओं (79%) और ग्रामीण समुदायों (50.5%) की मजबूत भागीदारी रही। अध्ययन में आजीविका में उल्लेखनीय सुधार की जानकारी दी गई, जिसमें 73.4% प्रशिक्षुओं हेतु बेहतर रोजगार, 89.1% के लिए उच्च आय और 85.7% के लिए प्रभावी लाभार्थी जुटाना शामिल है। इसमें यह भी बताया गया कि 77% प्रशिक्षु नए व्यवसायों में चले गए, जो आत्मनिर्भर भारत पहल के अनुरूप स्व-रोजगार पर योजना के अधिक फोकस को दर्शाता है।

आईटीआई: एमएसडीई द्वारा 2018 में प्रकाशित आईटीआई स्नातकों के ट्रेसर अध्ययन की अंतिम रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि कुल आईटीआई उत्तीर्णों में से 63.5% को रोजगार मिला (वेतन+स्व, जिनमें से 6.7% स्व-नियोजित हैं)।

एनएपीएस: 2021 में किए गए एनएपीएस के तृतीय-पक्ष मूल्यांकन अध्ययन में पाया गया कि इस योजना ने संरचित ऑन-द-जॉब प्रशिक्षण प्रदान करके और विभिन्न उद्योगों में प्रशिक्षुओं की भागीदारी बढ़ाकर युवाओं की रोजगार क्षमता में सुधार किया है। योजना के नए संस्करण में, सरकार के हिस्से को सीधे प्रशिक्षुओं के बैंक खातों में स्थानांतरित करने के लिए प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) पद्धति को अपनाया गया है, क्योंकि रिपोर्ट में सुव्यवस्थित प्रतिपूर्ति प्रक्रिया की सिफारिश की गई थी।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 इस बात पर बल देती है कि गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा का उद्देश्य अच्छे, विचारशील, सर्वांगीण और रचनात्मक व्यक्तियों का विकास करना होना चाहिए। यूजीसी ने एनईपी की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए चॉइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम को संशोधित किया है और स्नातक कार्यक्रमों के लिए एक नया पाठ्यक्रम और क्रेडिट फ्रेमवर्क विकसित किया है। यह रूपरेखा एनईपी की सिफारिशों को प्रतिबिंबित करती है, सीमित डिग्री कार्यक्रम, बहु-प्रविष्टियां एवं विकल्प, एकल व दोहरे प्रमुख, बहु-/अंतर-विषयक विकल्पों के साथ लचीले डिग्री विकल्प तथा शैक्षणिक विषयों के अतिरिक्त रोजगार कौशल के साथ निर्मित पाठ्यक्रम शामिल हैं।

पाठ्यक्रम में प्रमुख स्ट्रीम के कार्यक्रम, लघु स्ट्रीम के पाठ्यक्रम और अन्य विषयों के पाठ्यक्रम, भाषा पाठ्यक्रम, कौशल पाठ्यक्रम तथा पर्यावरण शिक्षा, भारत को समझना, डिजिटल व तकनीकी समाधान, स्वास्थ्य एवं कल्याण, योग शिक्षा और खेल एवं फिटनेस पर पाठ्यक्रमों का एक सेट शामिल है। लघु स्ट्रीम पाठ्यक्रमों में व्यावसायिक पाठ्यक्रम भी शामिल हैं, जो विद्यार्थियों को रोजगार-उन्मुख कौशल से लैस करने में मदद करेंगे। व्यावसायिक शिक्षा एवं प्रशिक्षण से संबंधित 'माइनर' स्ट्रीम के लिए न्यूनतम 12 क्रेडिट आवंटित किए जाएंगे और ये विद्यार्थी की पसंद के प्रमुख या गौण विषय से संबंधित हो सकते हैं। ये पाठ्यक्रम उन विद्यार्थियों के लिए नौकरी ढूंढने में उपयोगी होंगे, जो कार्यक्रम पूरा करने से पहले ही पढ़ाई छोड़ देते हैं।

इसके अलावा, एआईसीटीई ने तकनीकी एवं उच्च शिक्षा को उद्योग जगत की आवश्यकताओं के अनुरूप बनाने और विद्यार्थियों की रोजगार क्षमता बढ़ाने के लिए कई पहल की हैं। प्रमुख उपायों में अनिवार्य इंटर्नशिप के साथ परिणाम-आधारित मॉडल पाठ्यक्रम की शुरुआत और उद्योग जगत के पेशेवरों के साथ सहयोग व जुड़ाव को सुगम बनाने वाले दिशानिर्देशों के माध्यम से उद्योग-अकादमिक गतिशीलता को बढ़ावा देना शामिल है। संस्थानों को उद्योग भागीदारों के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने हेतु प्रोत्साहित किया जाता है और एआईसीटीई ने उद्योग-प्रासंगिक कौशल पाठ्यक्रमों को शैक्षणिक कार्यक्रमों में एकीकृत करने के लिए सेल्सफोर्स, एडोब, सिस्को, माइक्रोसॉफ्ट, आईबीएम, सीडैक, बजाज फिनसर्व, व्हीबॉक्स तथा अन्य जैसे अग्रणी संगठनों के साथ सहयोग किया है।

अनुलग्नक-I

एमएसडीई योजनाओं के तहत प्रशिक्षित उम्मीदवारों की राज्य/केंद्र शासित प्रदेश वार कुल संख्या

क्रम संख्या

राज्य/केंद्र शासित प्रदेश

एनएपीएस (2021-22 से 31.10.2025 तक कार्यरत प्रशिक्षु)*

जेएसएस (2018-19 से 31.10.2025 तक)

पीएमकेवीवाई (शुरुआत से 31.10.2025 तक)

सीटीएस (सत्र 2014-15 से 2024-25 तक नामांकित उम्मीदवार)

1.

अंडमान और निकोबार द्वीप समूह

401

6,600

5,501

4,949

2.

आंध्र प्रदेश

90,225

76,690

5,28,234

5,81,629

3.

अरुणाचल प्रदेश

317

--

98,157

6,332

4.

असम

44,302

66,006

8,39,672

36,821

5.

बिहार

27,264

2,17,133

7,60,581

11,11,363

6.

चंडीगढ़

5,330

11,803

28,035

10,218

7.

छत्तीसगढ़

22,850

1,37,946

2,04,543

2,13,969

8.

दिल्ली

89,901

38,845

5,27,664

1,01,560

9.

गोवा

39,130

12,227

10,484

21,236

10.

गुजरात

3,83,125

1,19,578

4,71,884

8,37,302

11.

हरियाणा

2,87,735

52,982

7,63,070

5,38,047

12.

हिमाचल प्रदेश

38,609

79,975

1,76,654

2,23,311

13.

जम्मू और कश्मीर

4,454

12,996

4,29,954

57,630

14.

झारखंड

43,785

95,604

3,14,146

3,51,892

15.

कर्नाटक

3,38,175

1,36,703

6,05,744

7,76,554

16.

केरल

57,805

1,11,843

2,74,836

3,57,298

17.

लद्दाख

179

832

4,076

1,851

18.

लक्षद्वीप

28

4,393

390

2,510

19.

मध्य प्रदेश

1,07,276

3,51,410

12,15,857

7,23,746

20.

महाराष्ट्र

10,51,680

2,63,937

13,32,397

12,62,784

21.

मणिपुर

406

47,010

1,15,021

2,931

22.

मेघालय

937

5,380

58,856

6,899

23.

मिजोरम

415

6,354

44,147

4,073

24.

नागालैंड

101

11,522

54,055

2,218

25.

ओड़िशा

46,899

2,94,304

6,02,374

5,76,855

26.

पुदुचेरी

13,124

--

35,597

9,160

27.

पंजाब

69,544

21,853

5,63,591

4,46,123

28.

राजस्थान

84,592

90,597

14,08,412

12,69,995

29.

सिक्किम

1,588

--

19,479

3,245

30.

तमिलनाडु

4,10,131

96,403

8,89,722

4,04,463

31.

तेलंगाना

1,68,573

75,767

4,64,811

3,53,439

32.

दादरा और नागर हवेली तथा दमन और दीव

 

 

11,497

 

 

14,578

 

 

11,842

 

 

5,053

33.

त्रिपुरा

1,678

18,937

1,60,367

20,826

34.

उत्तर प्रदेश

3,08,923

5,92,927

25,09,373

29,73,580

35.

उत्तराखंड

88,507

90,174

2,52,138

1,11,209

36.

पश्चिम बंगाल

1,18,665

89,930

6,51,369

3,32,991

 

कुल योग

39,58,151

32,53,239

1,64,33,033

1,37,44,062

 

*39,58,151 में से 192 नियोजित प्रशिक्षुओं को बाहर रखा गया है, क्योंकि राज्य स्पष्‍ट नहीं है।

यह जानकारी कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री जयंत चौधरी ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी है।

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पीके/केसी/एनके


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