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पीएम-किसान की 21वीं किस्त
आपदा प्रभावित राज्यों पर विशेष ध्यान देते हुए 9 करोड़ किसानों को ₹18,000 करोड़ का प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण
Posted On:
19 NOV 2025 3:03PM by PIB Delhi
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प्रमुख बिंदु
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- 21वीं किस्त के अंतर्गत आसानी से प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के माध्यम से 9 करोड़ किसानों को ₹18,000 करोड़ प्रदान किए गए।
- लॉन्च के बाद से 11 करोड़ से अधिक किसान परिवारों को ₹3.70 लाख करोड़ से अधिक की राशि वितरित की जा चुकी है, जिससे पीएम-किसान दुनिया की सबसे बड़ी प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) पहलों में से एक बन गया है।
- आधार कार्ड-आधारित ई-केवाईसी, डिजिटल भूमि रिकॉर्ड और पीएम-किसान पोर्टल पारदर्शी और छेड़छाड़-रहित लाभार्थी सत्यापन सुनिश्चित करते हैं।
- किसान-ई-मित्र एआई चैटबॉट और पीएम-किसान मोबाइल ऐप किसानों के लिए पहुंच, शिकायत निवारण और त्वरित समय पर जानकारी को बेहतर बनाते हैं।
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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 19 नवंबर, 2025 को कोयंबटूर, तमिलनाडु से प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) योजना की 21वीं किस्त जारी करेंगे। इस किस्त के अंतर्गत, देश भर के लगभग 9 करोड़ किसानों को प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) प्रणाली के माध्यम से लगभग ₹18,000 करोड़ की प्रत्यक्ष वित्तीय मदद मिलेगी, जिससे पारदर्शिता सुनिश्चित होगी और किसी भी बिचौलिये की भागीदारी खत्म हो जाएगी।
देश में कृषि योग्य भूमि वाले सभी भूमिधारक किसान परिवारों को आय की मदद प्रदान करने के लिए, केंद्र सरकार ने 24 फरवरी, 2019 को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) नामक एक केंद्रीय योजना शुरू की। इस योजना के अंतर्गत प्रत्येक पात्र किसान परिवार को 6,000 रुपये की वार्षिक वित्तीय मदद की जाती है, जो 2,000 रुपये की तीन समान किस्तों में, प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के माध्यम से किसानों के आधार से जुड़े बैंक खातों में जमा की जाती है।
अब तक देश के 11 करोड़ से अधिक किसान परिवारों को 20 किस्तों में 3.70 लाख करोड़ रुपये से अधिक की राशि वितरित की जा चुकी है। इस योजना का लाभ उन किसानों को मिल रहा है, जिनकी जमीन का विवरण पीएम-किसान पोर्टल पर दर्ज है, जिनके बैंक खाते आधार से जुड़े हैं और जिनका ई-केवाईसी पूरा हो चुका है।
यह योजना वैश्विक स्तर पर सबसे बड़ी प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) पहलों में से एक है, जो लाभार्थियों को सीधे वित्तीय मदद प्रदान करने में इसके अभूतपूर्व प्रभाव को रेखांकित करती है। समावेशिता के प्रति प्रतिबद्धता के साथ, यह अपने लाभों का 25% से अधिक महिला लाभार्थियों को समर्पित करती है।
इस योजना की सफलता का एक प्रमुख कारण भारत का मजबूत डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर है। जन-धन खातों, आधार और मोबाइल फोन के एकीकरण के साथ, योजना का हर घटक निर्बाध रूप से ऑनलाइन संचालित होता है। किसान स्वयं पंजीकरण करा सकते हैं, भूमि अभिलेखों का डिजिटल सत्यापन किया जाता है और भुगतान सीधे उनके बैंक खातों में स्थानांतरित किए जाते हैं। राज्य सरकारों ने भी सुचारू कार्यान्वयन सुनिश्चित करने में बड़ी भूमिका निभाई है, जिससे एक एकीकृत और किसान-अनुकूल वितरण प्रणाली बनाने में मदद मिली है। इस योजना ने डिजिटल नवाचारों के विकास को और प्रेरित किया है, जैसे कि किसान ई-मित्र, एक आवाज-आधारित चैटबॉट, और एग्रीस्टैक, जिसका उद्देश्य किसानों को निजी और समय पर सलाह सेवाएं देना है। ये सभी प्रगतियां मिलकर भारतीय कृषि को आधुनिक बनाने और इसे भविष्य के लिए तैयार करने में मदद कर रही हैं।

- अपनी स्थापना के बाद से, भारत सरकार ने 11 करोड़ से अधिक किसान परिवारों को 20 किस्तों के जरिए 3.70 लाख करोड़ रुपये से अधिक का वितरण किया है।
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- नवंबर 2023 में विकसित भारत संकल्प यात्रा के अंतर्गत शुरू किए गए एक महत्वपूर्ण संकल्प अभियान ने इस योजना में 1 करोड़ से अधिक पात्र किसानों को जोड़ा।
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- जून 2024 में अगली सरकार के पहले 100 दिनों के भीतर अतिरिक्त 25 लाख किसानों को शामिल किया गया। इसके चलते, 18वीं किस्त प्राप्त करने वाले लाभार्थियों की संख्या बढ़कर 9.59 करोड़ हो गई।
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- स्व-पंजीकरण से जुड़े लंबित मामलों के निपटान के लिए 21 सितंबर, 2024 से एक विशेष अभियान चलाया गया। इस अभियान के अंतर्गत, शुरुआत से ही, राज्य/ केंद्र शासित प्रदेशों की ओर से 30 लाख से अधिक लंबित स्व-पंजीकरण मामलों को मंजूरी दी गई है।
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- इस योजना की विभिन्न राज्यों में विस्तृत पहुंच है। उदाहरण के लिए, 20वीं किस्त (अप्रैल 2025 - जुलाई 2025) के दौरान, उत्तर प्रदेश में लाभार्थियों की संख्या सबसे अधिक 2.34 करोड़ थी, जिसके बाद महाराष्ट्र में 92.89 लाख लाभार्थी थे।
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दो हेक्टेयर से कम जमीन वाले 85 प्रतिशत से अधिक भारतीय किसानों के लिए, पीएम-किसान एक जरूरी सहायता प्रणाली के तौर पर काम कर रहा है। यह वित्तीय मदद उन्हें बुआई और कटाई जैसे महत्वपूर्ण समय का प्रबंधन करने में मदद करती है, जब अक्सर नकदी प्रवाह सीमित होता है। यह वित्तीय तनाव को कम करता है, अनौपचारिक क्रेडिट पर निर्भरता कम करता है, और कठिन समय में सुरक्षा कवच प्रदान करता है। मौद्रिक लाभ के अतिरिक्त, यह योजना सम्मान की भावना पैदा करती है और इस बात को पुष्ट करती है कि किसान सम्मानित हैं और देश के विकास में उनका महत्वपूर्ण योगदान है।
लघु एवं सीमांत किसानों (एसएमएफ) की आय बढ़ाने के उद्देश्य से, पीएम-किसान योजना का उद्देश्य है:
प्रत्येक फसल चक्र के अंत में अनुमानित कृषि आय के अनुसार, उचित फसल स्वास्थ्य और उचित उपज सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न आदानों की खरीद में एसएमएफ की वित्तीय जरूरतों को पूरा करना।
इससे उन्हें ऐसे खर्चों को पूरा करने के लिए साहूकारों के चंगुल में फंसने से भी बचाया जा सकेगा और कृषि गतिविधियों में उनकी निरंतरता तय होगी।
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पीएम-किसान के अंतर्गत नामांकन हेतु पात्रता के पैमाने
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सभी भूमिधारक किसान परिवार, जिनके नाम पर कृषि योग्य भूमि है, इस योजना के अंतर्गत लाभ प्राप्त करने के पात्र हैं। योजना में नामांकन के लिए आवश्यक अनिवार्य जानकारी:
- किसान/ पति/ पत्नी का नाम
- किसान/ पति/ पत्नी की जन्मतिथि
- बैंक खाता संख्या
- आईएफएससी/ एमआईसीआर कोड
- मोबाइल (संपर्क) नंबर
- आधार संख्या
- अधिदेश पंजीकरण के लिए पासबुक में उपलब्ध अन्य ग्राहक जानकारी की आवश्यकता हो सकती है।
कार्यान्वयन रणनीति
- राज्य सरकारें पात्र किसान परिवारों का एक विस्तृत डेटाबेस तैयार करने के लिए उत्तरदायी हैं, जिसमें नाम, आयु, श्रेणी, आधार संख्या, बैंक खाता विवरण और मोबाइल नंबर जैसे विवरण शामिल हों। उन्हें भुगतानों के दोहराव को भी रोकना होगा और बैंक विवरण से संबंधित किसी भी समस्या का तुरंत समाधान करना होगा।
- लाभार्थियों को एक स्व-घोषणा पत्र देना होगा, जिसमें यह पुष्टि की गई हो कि वे योजना के पात्रता मानदंडों से बाहर नहीं हैं। इस घोषणा पत्र में सरकार की ओर से सत्यापन के लिए उनके आधार और अन्य जानकारी के उपयोग हेतु लाभार्थी की सहमति शामिल होनी चाहिए।
- लाभार्थियों की पहचान मौजूदा भूमि-स्वामित्व अभिलेखों के आधार पर की जाएगी। राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों को इन अभिलेखों को अपडेटेड रखना होगा, डिजिटलीकरण प्रक्रिया में तेजी लानी होगी और उन्हें आधार एवं बैंक विवरण से जोड़ना होगा।
- पात्र लाभार्थियों की सूची ग्राम स्तर पर प्रदर्शित की जानी चाहिए। जो किसान पात्र हैं लेकिन योजना से बाहर रह गए हैं, उन्हें अपील करने और योजना में शामिल होने का मौका दिया जाना चाहिए।
राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों को अयोग्य किसानों जैसे उच्च आय वर्ग के लोगों, आयकर दाताओं, सार्वजनिक उपक्रमों के कर्मचारियों, राज्य/ केंद्र सरकार, संवैधानिक पद धारकों आदि को वितरित धनराशि वसूलने का अधिकार दिया गया है। 5 अगस्त 2025 तक, देश भर में अपात्र प्राप्तकर्ताओं से कुल 416 करोड़ रुपये वसूले जा चुके हैं।
निगरानी और शिकायत निवारण
- निगरानी राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तर पर की जाती है।
- कैबिनेट सचिव राष्ट्रीय स्तर की समीक्षा का नेतृत्व करते हैं।
- राज्य, राज्य और जिला निगरानी समितियां गठित करते हैं।
- राज्य दोनों स्तरों पर शिकायत निवारण समितियां भी गठित करते हैं।
- शिकायतों का निपटारा दो हफ्ते के भीतर योग्यता के आधार पर किया जाना है।
- मंत्रालय के अंतर्गत एक पंजीकृत संस्था के रूप में एक केंद्रीय परियोजना निगरानी इकाई (पीएमयू) का गठन किया गया है।
- इसका नेतृत्व एक सीईओ करता है और यह पूरी निगरानी एवं प्रचार अभियान (आईईसी) का संचालन करता है।
- सभी राज्य/ केंद्र शासित प्रदेश, केंद्र के साथ समन्वय के लिए एक नोडल विभाग नियुक्त करते हैं।
- राज्य/ केंद्र शासित प्रदेश अपने स्वयं के राज्य-स्तरीय पीएमयू स्थापित करने के लिए भी स्वतंत्र हैं।
- केंद्र कभी-कभी राज्य/ केंद्र शासित प्रदेशों के पीएमयू और प्रशासनिक खर्चों को पूरा करने के लिए किस्त राशि का 0.125% प्रदान करता है। 12 अगस्त, 2025 तक, राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों को प्रशासनिक खर्च के रूप में कुल 265.64 करोड़ रुपये प्रदान किए जा चुके हैं।
पीएम-किसान योजना के महत्त्व को देखते हुए, पीएम-किसान पोर्टल और केंद्रीकृत लोक शिकायत निवारण एवं निगरानी प्रणाली (सीपीजीआरएएमएस) पर एक शिकायत निवारण प्रणाली उपलब्ध कराई गई है। किसान त्वरित और समय पर जानकारी के लिए सीधे पीएम-किसान पोर्टल पर अपनी परेशानी दर्ज करा सकते हैं।
यह योजना तकनीकी और प्रक्रियागत प्रगति का लाभ उठाती है, जिससे अधिकतम लाभार्थी बिना किसी परेशानी के लाभान्वित हो सकें। किसान-केंद्रित डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर व्यापक पहुंच सुनिश्चित करता है, जिससे देश भर के पात्र किसान इस योजना का लाभ निर्बाध रूप से उठा सकें। डिजिटल सार्वजनिक वस्तुओं के रणनीतिक समावेशन ने न केवल बिचौलियों को समाप्त किया है, बल्कि एक सुव्यवस्थित वितरण प्रणाली का मार्ग भी प्रशस्त किया है जो दूर-दराज के इलाकों तक पहुंचती है।
आधार-आधारित लिंकेज
आधार कार्ड और आधार कार्ड-आधारित भुगतान प्रणाली के उपयोग से इस योजना का प्रभाव और भी बढ़ जाता है, जिससे सुरक्षित और कुशल लेन-देन सुनिश्चित होते हैं। पीएम-किसान में आधार एक महत्वपूर्ण स्तंभ है, जो ई-केवाईसी पूरा करके लाभार्थी की पहचान स्थापित करने में योग्य बनाता है। अब किसान निम्नलिखित विकल्पों में से किसी एक का इस्तेमाल करके अपना ई-केवाईसी पूरा कर सकते हैं:
- ओटीपी आधारित ई-केवाईसी
- बायोमेट्रिक आधारित ई-केवाईसी
- चेहरे से प्रमाणीकरण आधारित ई-केवाईसी

पीएम-किसान वेब पोर्टल
देश में लाभ हस्तांतरण की सुविधा प्रदान करने हेतु एक एकीकृत मंच प्रदान करने हेतु, पीएम-किसान पोर्टल की शुरुआत की गई। इस पोर्टल पर किसानों का विवरण एक समान तरीके से अपलोड किया जा सकता है। पीएम-किसान पोर्टल निम्नलिखित उद्देश्यों से बनाया गया है:
- पोर्टल पर किसानों के विवरण की सत्यता का एक सत्यापित और एकल स्रोत उपलब्ध कराना।
- कृषि कार्यों में किसानों को समय पर मदद प्रदान करना।
- सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस) एकीकरण के माध्यम से किसानों के बैंक खातों में नकद लाभ हस्तांतरित करने हेतु एक एकीकृत ई-प्लेटफॉर्म।
- लाभार्थी किसानों की सूची की स्थान-वार उपलब्धता।
- देश भर में पैसों के लेन-देन विवरण की निगरानी में आसानी।
पीएम-किसान मोबाइल एप्लिकेशन
पीएम-किसान मोबाइल ऐप फरवरी 2020 में लॉन्च किया गया था। इसे अधिक पारदर्शिता और अधिक किसानों तक पहुंचने पर जोर देते हुए तैयार किया गया है। पीएम-किसान मोबाइल ऐप, पीएम-किसान वेब पोर्टल का एक सरल और कुशल विस्तार है। यह मोबाइल ऐप स्व-पंजीकरण, लाभ पहुंचने की ट्रैकिंग और चेहरे के प्रमाणीकरण-आधारित ई-केवाईसी जैसी सेवाएं प्रदान करता है। 2023 में, ऐप को एक अतिरिक्त 'चेहरे का प्रमाणीकरण' सुविधा के साथ फिर से लॉन्च किया गया। इससे दूरदराज के किसान बिना ओटीपी या फिंगरप्रिंट के अपना चेहरा स्कैन करके ई-केवाईसी कर सकते हैं। किसान अपने आस-पड़ोस के 100 अन्य किसानों को उनके घर पर ई-केवाईसी पूरा करने में भी मदद कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त, भारत सरकार ने किसानों के ई-केवाईसी पूरा करने की सुविधा राज्य सरकार के अधिकारियों को भी प्रदान की है, जिससे प्रत्येक अधिकारी 500 किसानों का ई-केवाईसी कर सकता है।
सुविधा केंद्र: सामान्य सेवा केंद्र और डाकघर
पंजीकरण की सुविधा और अनिवार्य जरूरतों को पूरा करने के लिए 5 लाख से अधिक सामान्य सेवा केंद्रों (सीएससी) को भी जोड़ा गया है। इसके साथ ही, डाक विभाग पीएम-किसान योजना के लाभार्थी किसानों के लिए मोबाइल नंबर को आधार से जोड़ने/ अपडेट करने की सुविधा भी देता है। यह इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक के माध्यम से ई-केवाईसी पूरा करने के लिए है।
पीएम-किसान एआई चैटबॉट: किसान-ई-मित्र
सितंबर 2023 में, पीएम-किसान योजना के लिए किसान-ई-मित्र नाम से एक एआई चैटबॉट लॉन्च किया गया, जो केंद्र सरकार की किसी प्रमुख योजना के साथ एकीकृत होने वाला पहला एआई चैटबॉट बन गया। यह एआई चैटबॉट किसानों को भुगतान, पंजीकरण और पात्रता संबंधी सवालों के स्थानीय भाषाओं में त्वरित, स्पष्ट और सटीक जवाब देता है। इसे ईकेस्टेप फाउंडेशन और भाषिणी के सहयोग से तैयार कि गया और बेहतर बनाया गया है। डिजिटल इंडिया पहल, भाषिणी का उद्देश्य भारतीय भाषाओं में इंटरनेट और डिजिटल सेवाओं तक आसान पहुंच को सरल बनाना और इन भाषाओं में सामग्री निर्माण में मदद करना है। पीएम-किसान शिकायत प्रबंधन प्रणाली में एआई चैटबॉट की शुरुआत का उद्देश्य किसानों को एक उपयोगकर्ता-अनुकूल और सुलभ मंच प्रदान करना है।

किसान-ई-मित्र की कुछ विशेषताएं इस प्रकार हैं:
- अपनी पसंदीदा भाषाओं में 24/7 पहुंच, हिंदी, अंग्रेजी, तमिल, बंगाली, उड़िया, मलयालम, गुजराती, पंजाबी, तेलुगू, मराठी और कन्नड़ सहित 11 प्रमुख क्षेत्रीय भाषाओं का सहयोग करके तकनीकी और भाषाई बाधाओं को दूर करना।
- किसान अपने आवेदन की स्थिति पता कर सकते हैं और अपने भुगतान के बारे में विवरण प्राप्त कर सकते हैं।
- चैटबॉट ध्वनि इनपुट के आधार पर 11 प्रमुख भाषाओं का अपने आप पता लगा सकता है। अन्य भाषाओं के लिए, उपयोगकर्ताओं को शुरुआत में अपनी पसंद चुननी होगी, और भविष्य के अपडेट पूर्ण स्वचालित भाषा पहचान कवरेज का विस्तार करेंगे।
- उपयोगकर्ता के पहले प्रश्न के आधार पर, सिस्टम स्वचालित रूप से संबंधित योजना की पहचान करेगा, जिससे किसानों के लिए प्रक्रिया सरल हो जाएगी।
- यह एआई बॉट लार्ज लैंग्वेज मॉडल (एलएलएम) की मदद से संचालित है, जो चैटबॉट की सटीक, संदर्भ-संवेदनशील प्रतिक्रियाएँ प्रदान करने की क्षमता को बेहतर करता है।
किसान-ई-मित्र ने 15 जुलाई, 2025 तक 53 लाख किसानों के 95 लाख से अधिक सवालों का जवाब दिया है।
प्राथमिक कृषि क्रेडिट समितियों (पीएसीएस) के साथ एकीकरण
सरकार ने एक समान उद्यम संसाधन नियोजन (ईआरपी) मंच प्रदान करके और प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्र (पीएमकेएसके), सामान्य सेवा केंद्र (सीएससी), प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र (पीएमबीजेके), ईंधन खुदरा दुकान, तरलीकृत पेट्रोलियम गैस (एलपीजी) वितरकों, ग्रामीण जल आपूर्ति प्रणालियों के संचालन और रखरखाव (ओएंडएम), और किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के गठन जैसे लिंकेज को योग्य करके प्राथमिक कृषि क्रेडिट समितियों (पीएसीएस) को पीएम-किसान योजना और कई अन्य केंद्रीय योजनाओं के साथ एकीकृत किया है। ये उपाय पीएसीएस गतिविधियों में विविधता लाते हैं और लेखा परीक्षा पारदर्शिता, बेहतर शासन मानदंडों और मॉडल उप-नियमों के अंतर्गत अनुमत विस्तारित आर्थिक कार्यों के माध्यम से उनकी वित्तीय स्थिरता को मजबूत करते हैं।
किसान रजिस्ट्री का निर्माण
पीएम-किसान योजना के अंतर्गत, किसानों के लिए अंतिम छोर तक पहुंच सुनिश्चित करना बहुत जरूरी है। लाभों का डिजिटल और पारदर्शी वितरण हमेशा से एक प्रमुख उद्देश्य रहा है। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए, कृषि मंत्रालय ने किसान रजिस्ट्री बनाने की एक नई पहल शुरू की है। यह सुव्यवस्थित और सावधानीपूर्वक जांचा-परखा डेटाबेस किसानों को सामाजिक कल्याण लाभों तक पहुंचने के लिए जटिल प्रक्रियाओं से गुजरने की जरूरत को खत्म कर देगा। किसान रजिस्ट्री की स्थापना से पहले, सामाजिक कल्याण योजनाओं तक पहुंच प्राप्त करना किसानों के लिए एक समय लेने वाली प्रक्रिया थी। अब, इस रजिस्ट्री के साथ, किसान इन लाभों का सहज और बिना किसी परेशानी के लाभ उठा सकेंगे।
पीएम-किसान लाखों किसानों को त्वरित, पारदर्शी और सम्मानजनक सहायता प्रदान करते हुए ग्रामीण समर्थन की आधारशिला बन गया है। इसकी मजबूत डिजिटल संरचना और ई-केवाईसी, किसान रजिस्ट्री और एआई-आधारित सेवाओं जैसे लगातार एडवांस करना, एक अधिक कुशल और समावेशी प्रणाली को आकार दे रहे हैं।
जैसे-जैसे भारत विकसित भारत की ओर बढ़ रहा है, प्राथमिकता कवरेज को विस्तृत बनाना, अंतिम छोर तक पहुंच को बढ़ाना और यह सुनिश्चित करना है कि प्रत्येक पात्र किसान को बिना किसी बाधा के लाभ मिले। आगे चलकर, पीएम-किसान ग्रामीण लचीलेपन का एक महत्वपूर्ण चालक और भारत के कृषक समुदाय के लिए एक अधिक सुरक्षित और समृद्ध भविष्य के निर्माण में एक प्रमुख साधन बना रहेगा।
संदर्भ
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय
https://www.pib.gov.in/PressReleseDetail.aspx?PRID=2190074
https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2171684
https://www.myscheme.gov.in/schemes/pm-kisan
https://www.pib.gov.in/PressNoteDetails.aspx?NoteId=154960&ModuleId=3
https://sansad.in/getFile/annex/268/AU1464_CSuYc2.pdf?source=pqars
https://sansad.in/getFile/annex/266/AU1302_YaVIcH.pdf?source=pqars
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https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2105462
https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2061928
https://www.pib.gov.in/PressReleaseIframePage.aspx?PRID=1947889
https://www.pib.gov.in/PressReleaseIframePage.aspx?PRID=1934517
https://www.pib.gov.in/PressReleaseIframePage.aspx?PRID=1959461
विशेष सेवा एवं सुविधाएं
https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1869463
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(Release ID: 2192091)
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