प्रधानमंत्री कार्यालय
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गुजरात के डेडियापाड़ा में जनजातीय गौरव दिवस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री के संबोधन का पाठ

Posted On: 15 NOV 2025 7:24PM by PIB Delhi

जय जोहार।  गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत जी, यहां लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्रीमान भूपेंद्र भाई पटेल, गुजरात भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष जगदीश विश्वकर्मा जी, गुजरात सरकार में मंत्री नरेश भाई पटेल, जयराम भाई गामित जी, संसद के मेरे पुराने साथी मनसुख भाई वसावा जी, मंच पर उपस्थित भगवान बिरसा मुंडा के परिवार के सभी सदस्यगण, देश के कोने-कोने से इस कार्यक्रम का हिस्सा बन रहे मेरे आदिवासी भाई-बहन, अन्य सभी महानुभाव और देश के अनेक कार्यक्रम इस समय चल रहे हैं, अनेक लोग हमारे साथ टेक्नोलॉजी से जुड़े हुए हैं, गर्वनर श्री हैं, मुख्यमंत्री हैं, मंत्री हैं, मैं उनको भी जनजातीय गौरव दिवस की बहुत-बहुत शुभाकामनाएं देता हूं। 

वैसे मैं आप के पास आता हूं तब गुजराती बोलना चाहिए, पर अभी पूरे देश के लोग हमारे कार्यक्रम में जुड़े हुए हैं, इसलिये आप सभी के आशीर्वाद और अनुमति से अब मुझे बात हिन्दी में करनी पडे़गी। 

मां नर्मदा की ये पावन धरती आज एक और ऐतिहासिक आयोजन की साक्षी बन रही है। अभी 31 अक्टूबर को हमने यहां सरदार पटेल की 150वीं जयंती मनाई है। हमारी एकता और विविधता को सेलिब्रेट करने के लिए भारत पर्व शुरू हुआ और आज भगवान बिरसा मु्ंडा की 150वीं जयंती के इस भव्य आयोजन के साथ हम भारत पर्व की पूर्णता के साक्षी बन रहे हैं। मैं इस पावन अवसर पर भगवान बिरसा मुंडा को प्रणाम करता हूं। आजादी के आंदोलन में गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश और पूरे जनजातीय क्षेत्र में आजादी की अलख जगाने वाले, गोविंद गुरु का आशीर्वाद भी हम सबके साथ जुड़ा हुआ है। मैं इस मंच से गोविंद गुरु को भी प्रणाम करता हूं। अभी कुछ देर पहले मुझे देवमोगरा माता के दर्शन का भी सौभाग्य प्राप्त हुआ है। मैं मां के चरणों में भी फिर से नमन करता हूं। बहुत कम लोगों को पता होगा, काशी विश्वनाथ कॉरिडोर, उसकी चर्चा होती है, उज्जैन महाकाल की चर्चा होती है, आयोध्या के राम मंदिर की चर्चा होती है, केदारनाथ धाम की चर्चा होती है। पिछले एक दशक में ऐसे कई हमारे धार्मिक, ऐतिहासिक स्थानों का विकास हुआ है। लेकिन बहुत कम लोगों को पता होगा,  मैं 2003 में मुख्यमंत्री के रूप में जब कन्या शिक्षा के लिए रेलिया पाटन में आया था और तब मैं मां के चरणों में नमन करने आया था और उस समय वहां की जो स्थिति मैंने देखी थी, एक छोटी सी झोपड़ी जैसी जगह थी और मेरे जीवन में जो पूर्णनिर्माण के अनेक काम हुए होंगे, तो उसके लिए मैं गर्व के साथ कह सकता हूं, उसकी शुरूआत देवमोगरा माता के स्थान के विकास से हुई थी। और आज जब मैं गया तो मुझे बहुत अच्छा लगा कि लाखों की तादाद में अब लोग वहां आते हैं, मां के प्रति अपार श्रद्धा, खासकर के हमारे जनजातिय बंधुओं में है।

साथियों,

डेडियापाड़ा और सागबारा का ये क्षेत्र कबीर जी की शिक्षाओं से प्रेरित रहा है। और मैं तो बनारस का सांसद हूं और बनारस यानी संत कबीर की धरती है। इसलिए, संत कबीर का मेरे जीवन में एक अलग स्थान स्वाभाविक है। मैं, इस मंच से उन्हें भी प्रणाम करता हूँ।

साथियों,

आज यहाँ देश के विकास और जनजातीय कल्याण से जुड़े, कई प्रोजेक्ट्स का लोकार्पण और शिलान्यास हुआ है। पीएम-जनमन और अन्य योजनाओं के तहत, यहाँ 1 लाख परिवारों को पक्के घर दिये गए हैं। बड़ी संख्या में एकलव्य मॉडल स्कूलों और आश्रम स्कूलों का लोकार्पण एवं शिलान्यास किया गया है। बिरसा मुंडा ट्राइबल यूनिवर्सिटी में श्री गोविंद गुरु चेयर की स्थापना भी हुई है। स्वास्थ्य, सड़क और यातायात से जुड़े कई और प्रोजेक्ट्स भी शुरू हुये हैं। मैं इन सभी विकास कार्यों के लिए, सेवा कार्यों के लिए, कल्याण योजनाओं के लिए,  आप सभी को, विशेषकर के गुजरात के और देश के मेरे जनजातीय परिवारों को बहुत-बहुत बधाई देता हूँ।

साथियों,

2021 में हमने भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को, जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत की थी। जनजातीय गौरव हजारों वर्षों से हमारे भारत की चेतना का अभिन्न हिस्सा रहा है। जब-जब देश के सम्मान स्वाभिमान और स्वराज की बात आई, तो हमारा आदिवासी समाज सबसे आगे खड़ा हुआ। हमारा स्वतन्त्रता संग्राम इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। आदिवासी समाज से निकले कितने ही नायक-नायिकाओं ने आज़ादी की मशाल को आगे बढ़ाया।  तिलका मांझी, रानी गाइदिनल्यू, सिधो-कान्हो, भैरव मुर्मू, बुद्धो भगत, जनजातीय समाज को प्रेरणा देने वाले अल्लूरी सीताराम राजू, इसी तरह, मध्यप्रदेश के तांत्या भील, छत्तीसगढ़ के वीर नारायण सिंह, झारखंड के तेलंगा खड़िया, असम के रूपचंद कोंवर, और ओडिशा के लक्ष्मण नायक, ऐसे कितने ही वीरों ने आज़ादी के लिए अपार त्याग किया, संघर्ष किया, जीवन भर अंग्रेजों को चैन से बैठने नहीं दिया। आदिवासी समाज ने अनगिनत क्रांतियाँ कीं, आज़ादी के लिए अपना लहू बहाया।

साथियों,

यहां गुजरात में भी जनजातीय समाज के ऐसे कितने ही शूरवीर देशभक्त हैं, गोविन्द गुरू, जिन्होंने  भगत आंदोलन का नेतृत्व किया, राजा रूपसिंह नायक, जिन्होंने पंचमहाल में ब्रिटिश सरकार के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ी! मोतीलाल तेजावत, जिन्होंने ‘एकी आंदोलन’ चलाया, और अगर आप पाल चितरिया जाएंगे तो सैंकड़ों आदिवासियों की शहादत का वहां स्मारक है, जलियावाला बाग जैसी वो घटना, साबरकांठा के पाल चितरिया में हुई थी। हमारी दशरीबेन चौधरी, जिन्होंने गांधीजी के सिद्धांतों को आदिवासी समाज तक पहुंचाया। स्वतन्त्रता संग्राम के ऐसे कितने ही अध्याय जनजातीय गौरव और आदिवासी शौर्य से रंगे हुये हैं। 

भाइयों बहनों,

स्वतंत्रता आंदोलन में ट्राइबल समाज के योगदान को हम भुला नहीं सकते हैं, और आजादी के बाद ये काम होना चाहिए था, लेकिन कुछ ही परिवारों को आजादी का श्रेय देने के मोह में, मेरे लक्ष्यावादी आदिवासी भाई-बहनों की त्याग, तपस्या, बलिदान को नकार दिया गया, और इसलिए 2014 के पहले देश मे कोई भगवान बिरसा मुंडा को याद करने वाला नहीं था, सिर्फ उनके अगल-बगल के गांव तक पूछा जाता था। हमने उस परिचित को बदला क्यों, हमारी  अगली पीढ़ी को भी पता होना चाहिए, कि मेरे आदिवासी भाई-बहनों ने हमें कितना बड़ा तोहफा दिया है, आजादी दिलवाई है। और इसी काम को जिंदा करने के लिए, आने वाली पीढ़ी को स्मरण रहे, इसलिए हमने, देश में कई ट्राइबल म्यूज़ियम्स बनाए जा रहे हैं। यहाँ गुजरात में भी, राजपिपला में ही 25 एकड़ का विशाल ट्राइबल म्यूज़ियम के लिए जमीन पर बहुत बड़ा म्यूजियम आकार ले रहा है। अभी कुछ दिन पहले मैं छत्तीसगढ़ भी गया था। वहां भी मैंने शहीद वीर नारायण सिंह जनजातीय संग्रहालय का लोकार्पण किया था।  वैसे ही रांची में, जिस जेल में भगवान बिरसा मुंडा रहे, उस जेल में अब भगवान बिरसा मुंडा को और उस समय की आजादी के आंदोलन को लेकर के एक बहुत भव्य म्यूजियम बनाया गया है। 

साथियों,

आज श्री गोविंद गुरु, उनके नाम से एक चेयर जनजातीय भाषा संवर्धन केंद्र के रूप में उसकी स्थापना की गई है। यहां भील, गामित, वसावा, गरासिया, कोकणी, संथाल, राठवा, नायक, डबला, चौधरी, कोकना, कुंभी, वर्ली, डोडिया, ऐसी सभी जनजातियों की, उनकी बोलियों पर अध्ययन होगा। उनसे जुड़ी कहानियों और गीतों को संरक्षित किया जाएगा। जनजातीय समाज के पास हजारों वर्षों के अनुभवों से सीखा हुआ ज्ञान का अपार भंडार है। उनकी जीवन-शैली में विज्ञान छिपा है, उनकी कहानियों में दर्शन है, उनकी भाषा में पर्यावरण की समझ है। श्री गोविंद गुरु चेयर इस समृद्ध परंपरा से नई पीढ़ी को जोड़ने का काम करेगी।

साथियों,

आज जनजातीय गौरव दिवस का ये अवसर, हमें उस अन्याय  को भी याद करने का अवसर देता है, जो हमारे करोड़ों आदिवासी भाई-बहनों के साथ किया गया। देश में 6 दशक तक राज करने वाली कांग्रेस ने आदिवासियों को उनके हाल पर छोड़ दिया था। आदिवासी इलाकों में कुपोषण की समस्या थी, स्वास्थ्य सुरक्षा की समस्या थी, शिक्षा का अभाव था, कनेक्टिविटी का  तो नामो-निशान नहीं था। ये अभाव ही एक प्रकार से आदिवासी क्षेत्रों की पहचान बन गई थी। और कांग्रेस सरकारें हाथ पर हाथ धरकर बैठी रहीं।

लेकिन साथियों, 

आदिवासी कल्याण भाजपा की सर्वोच्च प्राथमिकता रही है। हम हमेशा इस संकल्प को लेकर चले, कि हम आदिवासियों के साथ हो रहे अन्याय को समाप्त करेंगे, उन तक विकास का लाभ पहुंचाएंगे। देश को आजाद तो 1947 में हो गया था। आदिवासी समाज तो भगवान राम के साथ भी जुड़ा हुआ है, इतना पुराना है। लेकिन छह-छह दशक तक राज करने वालों को पता ही नहीं था, कि इतना बडे आदिवासी समाज के विकास के लिए कुछ करने की जरूरत है।

साथियों,

जब पहली बार अटल  बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बनें, भाजपा की सरकार बनी, तब देश में पहली बार जनजातीय समाज के लिए एक अलग मंत्रालय का गठन किया था, उसके पहले नहीं किया गया। लेकिन अटल जी की सरकार के बाद, दस साल जो कांग्रेस को फिर से काम करने का मौका मिला, तो उन्होंने इस मंत्रालय की उपेक्षा की, पूरी तरह भुला दिया गया। आप कल्पना कर सकते हैं, 2013 में काँग्रेस ने जनजातीय कल्याण के लिए कुछ हजार करोड़ रुपए  की योजना बनाई, कुछ हजार करोड़ रूपये, एक जिले में एक हजार करोड़ रूपये से काम नहीं होता है। हमारी सरकार आने के बाद हमने बहुत बड़ी वृद्धि की, उसके हितों की चिंता की, हमने मंत्रालय के बजट को बढ़ाया। और, आज जनजातीय मंत्रालय का बजट अनेक गुणा बढ़ाकर के हमने आज जनजातीय क्षेत्रों के विकास का बीड़ा उठाया है। शिक्षा हो, स्वास्थ्य हो, कनेक्टिविटी हो, हर क्षेत्र में हम आगे बढ़ने का प्रयास कर रहे हैं। 

साथियों,

एक समय यहां गुजरात में भी आदिवासी इलाकों में स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी। हालात ये थी कि अंबाजी से उमरगांव तक पूरे आदिवासी पट्टे में एक भी साइंस स्ट्रीम की स्कूल तक नहीं थी, साइंस स्कूल नहीं थी। देडियापाड़ा और सागबारा जैसे इलाकों में विद्यार्थियों को आगे पढ़ने का मौका नहीं मिल पाता था। मुझे याद है, जब मैं गुजरात का मुख्यमंत्री था तो मैंने यहाँ देडियापाड़ा से ही कन्या केलवणी महोत्सव शुरू किया था। तब बहुत सारे बच्चे मुझसे मिलते थे, और वो बच्चे बहुत सपने देखते थे, बहुत कुछ बनना चाहते थे, किसी को डॉक्टर बनने का मन था, कोई इंजीनियर बनना चाहता था, कोई साइंटिस्ट बनना चाहता था।  मैं उन्हें समझाता था,  शिक्षा ही इसका रास्ता है। आपके सपनों को पूरा करने में जो भी बाधाएँ हैं, उन्हें हम दूर करेंगे, मैं विश्वास देता था।

साथियों, 

स्थितियों में बदलाव के लिए हमने दिन रात मेहनत की। उसी का परिणाम है, आज गुजरात के आदिवासी पट्टे में, मैं जब मुख्यमंत्री बना उसके पहले जहां साइंस सट्रीम की स्कूल नहीं थी, आज उस आदिवासी पट्टे में 10 हजार से ज्यादा स्कूल हैं। पिछले दो दशकों में आदिवासी इलाकों में दो दर्जन साइंस कॉलेज,  सिर्फ स्कूल नहीं, साइंस कॉलेज, कॉमर्स कॉलेज, आर्ट कॉलेज बने हैं। भाजपा सरकार ने आदिवासी बच्चों के लिए सैकड़ों हॉस्टल तैयार किए। यहां गुजरात में 2 ट्राइबल यूनिवर्सिटी भी बनवाई। ऐसे ही प्रयासों से यहां भी बड़ा बदलाव आया है। 20 साल पहले जो बच्चे अपना सपना लेकर मुझसे मिलते थे, अब उनमें से कोई डॉक्टर और इंजीनियर है, तो कोई रिसर्च फील्ड में काम कर रहा है।

साथियों,

आदिवासी बच्चों का भविष्य उज्ज्वल बनाने के लिए हम दिन रात काम कर रहे हैं। बीते 5-6 वर्षों में ही केंद्र सरकार ने, देश में एकलव्य मॉडल आदिवासी स्कूलों के लिए 18 हजार करोड़ से ज्यादा रुपए खर्च किए हैं। छात्राओं के लिए स्कूल में जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराई गईं हैं। इसका नतीजा ये है, कि इन स्कूलों में एड्मिशन लेने वाले ट्राइबल बच्चों की संख्या में 60 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

साथियों,

आदिवासी युवाओं को जब अवसर मिलते हैं, तो वो हर क्षेत्र में बुलंदी को छूने की ताकत रखते हैं। उनकी हिम्मत, उनकी मेहनत और उनकी काबिलियत, ये उन्हें परंपरा से मिले हुए, विरासत में मिले होते हैं। आज खेल जगत का उदाहरण सबके सामने है, दुनिया में तिरंगे की शान बढ़ाने में आदिवासी बेटे-बेटियों ने बहुत बड़ा योगदान दिया है! अभी तक हम सब मैरी कॉम, थोनाकल गोपी, दुति चंद और बाईचुंग भूटिया जैसे खिलाड़ियों के नाम जानते थे। अब हर बड़ी प्रतियोगिता में ट्राइबल इलाकों से ऐसे ही नए नए खिलाड़ी निकल रहे हैं। अभी भारत की क्रिकेट टीम ने वुमेन वर्ल्ड कप जीतकर इतिहास रचा है। उसमें भी हमारी एक जनजातीय समाज की बेटी ने अहम भूमिका निभाई है। हमारी सरकार आदिवासी इलाकों में, नई प्रतिभाओं को तलाशने और उन्हें आगे बढ़ाने के लिए लगातार काम कर रही है। जनजातीय क्षेत्रों में स्पोर्ट्स फैसिलिटीज़ को भी बढ़ाया जा रहा है।

साथियों,

हमारी सरकार वंचित को वरीयता के विज़न पर काम करती है। इसका बहुत बड़ा उदाहरण ये हमारा नर्मदा जिला भी है। पहले तो यह अलग नहीं था, वो भरूच जिले का हिस्सा था, कुछ सूरत जिले का हिस्सा था। और यह सारा इलाका कभी पिछड़ा माना जाता था, हमने इसे वरीयता दी, हमने इस जिले को आकांक्षी जिला बनाया, और आज ये विकास के कई पैरामीटर्स में बहुत आगे आ गया है। इसका बहुत बड़ा लाभ यहां के आदिवासी समुदाय को मिला है। आपने देखा है, केंद्र सरकार की कई योजनाओं को, हम आदिवासी बहुल राज्यों और वंचित वर्गों के बीच जाकर ही लॉंच करते हैं। आपको याद होगा, 2018 में मुफ्त इलाज के लिए आयुष्मान भारत योजना लॉंच हुई थी। ये योजना हमने, झारखंड के आदिवासी इलाके में रांची में जाकर के शुरू हुई थी। और, आज देश के करोड़ों आदिवासी भाई-बहनों को इसके तहत 5 लाख तक मुफ्त इलाज की सुविधा मिल रही है। सरकार ने आयुष्मान आरोग्य मंदिर की शुरुआत भी आदिवासी बहुल छतीसगढ़ से की थी। इसका भी बहुत बड़ा लाभ जनजातीय वर्ग को मिल रहा है।

साथियों, 

आदिवासियों में भी जो सबसे पिछड़े आदिवासी हैं, हमारी सरकार उन्हें विशेष प्राथमिकता दे रही है। जिन क्षेत्रों में आज़ादी के इतने दशक बाद भी, जहां ना बिजली थी, ना पानी पहुंचाने की व्यवस्था थी, ना सड़क थी, ना अस्पताल की सुविधा थी, इन इलाकों के विकास का विशेष अभियान चलाने के लिए हमने झारखंड के खूंटी से पीएम जनमन योजना शुरू की थी। भगवान बिरसा मुंडा के गांव में गया था। उस मिट्टी को माथे पर चढ़ाकर के, मैंने आदिवासियों के कल्याण के संकल्प लेकर के निकला हुआ इंसान हूं। और देश का मैं पहला प्रधानमंत्री था, जो भगवान बिरसा मुंडा के घर गया था और आज भी भगवान बिरसा मुंडा के परिवारजनों के साथ मेरा उतना ही गहरा नाता रहा है। पीएम जनमन योजना पर 24 हजार करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं।

साथियों,

धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान भी पिछड़े आदिवासी गांवों के विकास की नई गाथा लिख रहा है। देशभर में अब तक 60 हजार से अधिक गांव इस अभियान से जुड़ चुके हैं। इनमें से हज़ारों गांव ऐसे हैं, जहां पहली बार पीने का पानी पाइपलाइन से पहुंचा है। और सैकड़ों गांवों में टेली-मेडिसिन की सुविधा शुरू हुई है। इस अभियान के तहत ग्राम सभाओं को विकास की धुरी बनाया गया है। गांवों में स्वास्थ्य, शिक्षा,  पोषण, कृषि और आजीविका पर सामुदायिक योजनाएं तैयार हो रही हैं। ये अभियान दिखाता है कि अगर कुछ ठान लिया जाए, तो हर असंभव लक्ष्य भी संभव बन जाता है।

साथियों,

हमारी सरकार आदिवासियों के जीवन से जुड़े हर पहलू को ध्यान में रखकर काम कर रही है। हमने वन-उपज की संख्या को 20 से बढ़ाकर करीब 100 किया है, वन उपज पर MSP बढ़ाई। हमारी सरकार मोटे अनाज, श्रीअन्न को खूब बढ़ावा दे रही है, जिसका फायदा आदिवासी क्षेत्रों में खेती करने वाले हमारे आदिवासी भाई-बहनों को मिल रहा है। गुजरात में हमने आपके लिए ‘वनबंधु कल्याण योजना’ शुरू की थी। इससे आपको एक नई आर्थिक मजबूती मिली। और मुझे याद है जब उस योजना को मैंने शुरू किया था, तो महीनों तक अलग-अलग आदिवासी क्षेत्रों से लोग मेरा धन्यवाद करने और मुझे सम्मानित करने के लिए आते। इतनी बड़ी परिवर्तनकारी थी। मुझे आज खुशी है कि भूपेंद्र भाई उस वन बंधु कल्याण योजना का विस्तार कर रहे हैं और अब उसे जनजातीय कल्याण योजना के रूप में नए विस्तृत कार्यक्रमों के साथ आपकी सेवा में प्रस्तुत किया जा रहा है। 

भाइयों बहनों,

आदिवासी समुदायों में सिकिल सेल, ये बीमारी एक बहुत बड़ा खतरा रही है। इससे निपटने के लिए जनजातीय इलाकों में डिस्पेंसरी, मेडिकल सेंटर और हॉस्पिटल की संख्या बढ़ाई गई है। सिकिल सेल बीमारी से निपटने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर अभियान चल रहा है। इसके तहत देश में 6 करोड़ आदिवासी भाई-बहनों की स्क्रीनिंग हो चुकी है।

साथियों,

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत स्थानीय भाषा में पढ़ाई की सुविधा भी दी जा रही है। आदिवासी समाज के जो बच्चे केवल भाषा के कारण पिछड़ जाते थे, वो अब स्थानीय भाषा में पढ़ाई करके खुद भी आगे बढ़ रहे हैं, और देश की तरक्की में अपना ज्यादा से ज्यादा योगदान दे रहे हैं।

साथियों,

हमारे गुजरात के आदिवासी समाज के पास कला की भी अद्भुत पूंजी है। उनकी पेंटिंग्स, उनकी चित्रकलाएं अपने आपमें खास हैं। एक बेटी वहां चित्र लेकर के बैठी है। वो देने के लिए लाई लगती है। यह हमारे एसपीजी के लोग जरा ले लो इस बेटी के पास से। यहां से मुझे लगता है कुछ वर्ली पेंटिंग भी दिखता है उसमें। धन्यवाद बेटा। आपका अगर उसमें अता पता होगा तो मैं चिट्ठी लिखूंगा आपको। बहुत-बहुत धन्यवाद बेटा। कला चित्र यह यहां सहज है।  हमारे परेश भाई राठवा जैसे चित्रकार, जो इन विधाओं को आगे बढ़ा रहे हैं, और मुझे संतोष है कि हमारी सरकार ने परेश भाई राठवा पद्म पुरस्कार से सम्मानित किया है।

साथियों,

किसी भी समाज की प्रगति के लिए लोकतन्त्र में उसकी सही भागीदारी भी उतनी ही जरूरी होती है। इसीलिए, हमारा ध्येय है, जनजातीय समाज के हमारे भाई-बहनों को, देश के बड़े पदों पर भी पहुंचे, देश का नेतृत्व करें। आप देखिए, आज देश की राष्ट्रपति एक आदिवासी महिला हैं। इसी तरह, बीजेपी ने, NDA ने हमेशा आदिवासी समाज के हमारे होनहार साथियों को शीर्ष पदों पर पहुंचाने का प्रयास किया है। आज छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री, हमारे जनजातीय समाज के विष्णुदेव जी साय,  छत्तीसगढ़ का कायाकल्प कर रहे हैं। ओड़ीशा में श्री मोहन चरण मांझी, भगवान जगन्नाथ जी के आशीर्वाद से जनजातीय समुदाय के हमारे माझी जी, उड़ीसा का विकास कर रहे हैं। अरुणाचल प्रदेश में हमारे जनजातीय बंधु पेमा खांड़ू मुख्यमंत्री के रूप में काम कर रहे हैं, नागालैंड में हमारे जनजातीय  बंधु नेफ्यू रीयो काम कर रहे हैं। हमने कई राज्यों में आदिवासी मुख्यमंत्री बनाए। देश के कई राज्यों की विधानसभाओं में हमारी पार्टी ने आदिवासी स्पीकर बनाए। हमारे गुजरात के ही मंगूभाई पटेल, मध्य प्रदेश में गवर्नर हैं। हमारी केंद्र सरकार में सर्बानंद जी सोनोवाल आदिवासी समाज से हैं और पूरी शिपिंग मिनिस्ट्री संभाल रहे हैं। वे कभी आसाम के मुख्यमंत्री हुआ करते थे। 

साथियों,

इन सभी नेताओं ने देश की जो सेवा की है, देश के विकास में जो योगदान दिया है, वो अतुलनीय है, अभूतपूर्व है।

साथियों,

आज देश के पास ‘सबका साथ, सबका विकास’ के मंत्र की ताकत है। इसी मंत्र ने बीते वर्षों में करोड़ों लोगों का जीवन बदला है। इसी मंत्र ने देश की एकता को मजबूती दी है। और, इसी मंत्र ने दशकों से उपेक्षित जनजातीय समाज को मुख्यधारा से जोड़ा है, इतना ही नहीं संपूर्ण समाज का नेतृत्व हो रहा है। इसलिए, आज भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के पावन पर्व पर हमें ‘सबका साथ, सबका विकास’ के मंत्र को मजबूत करने की शपथ लेनी है। ना विकास में कोई पीछे रहे, ना विकास में कोई पीछे छूटे। यही धरती आबा के चरणों में सच्ची श्रद्धांजलि है। मुझे विश्वास है, हम सब एक साथ मिलकर आगे बढ़ेंगे, और विकसित भारत के सपने को पूरा करेंगे। इसी संकल्प के साथ, आप सभी को एक बार फिर जनजातीय गौरव दिवस की शुभकामनाएँ। और मैं देशवासियों को कहूंगा, कि यह जनजातीय गौरव दिवस इसमें हमारी मिट्टी की महक है, इसमें हमारे देश के परंपराओं को जीने वाले जनजातीय समुदाय की परंपरा भी है, पुरुषार्थ भी है और आने वाले युग के लिए आकांक्षाएं भी है। और इसलिए भारत के हर कोने में हमेशा-हमेशा हमने 15 नवंबर को भगवान बिरसा मुंडा के जन्मदिवस को जनजातीय गौरव दिवस को अत्यंत गौरव के साथ मनाना है। हमें नई शक्ति से आगे बढ़ना है। नए विश्वास से आगे बढ़ना है। और भारत की जड़ों से जुड़ते हुए हमने नई ऊंचाइयों को पार करना है। इस विश्वास के साथ आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद। 

भारत माता की जय। 

भारत माता की जय।

भारत माता की जय।

हम सबको पता है वंदे मातरम इस गीत को 150 साल, यह अपने आप में भारत की एक महान प्रेरणा का, लंबी यात्रा का, लंबे संघर्ष का, हर प्रकार से वंदे मातरम एक जो मंत्र बन गया, उसके 150 वर्ष हम मना रहे हैं। मेरे साथ बोलिए –

वंदे मातरम्।

वंदे मातरम्।

वंदे मातरम्।

वंदे मातरम्।

वंदे मातरम्।

वंदे मातरम्।

वंदे मातरम्।

वंदे मातरम्।

वंदे मातरम्।

बहुत-बहुत धन्यवाद।

 

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MJPS/ST/SS/DK


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