स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय
नर्सिंग नीति की प्राथमिकताओं और सर्वोत्तम प्रथाओं पर राष्ट्रीय परामर्श की तीन दिवसीय कार्यशाला सफलतापूर्वक संपन्न हुई
राष्ट्रीय कार्यशाला में नर्सिंग उत्कृष्टता को आगे बढ़ाने और भविष्य के लिए तैयार कार्यबल के निर्माण के लिए भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि की गई
Posted On:
14 NOV 2025 7:05PM by PIB Delhi
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने जेएचपीइगो और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के सहयोग से आज नई दिल्ली में भारत में नर्सिंग नीति प्राथमिकताओं और सर्वोत्तम प्रथाओं पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय परामर्श और अनुभव साझाकरण कार्यशाला का समापन हुआ।
इस कार्यशाला में केंद्र और राज्य सरकारों के वरिष्ठ अधिकारियों, नर्सिंग प्रमुख, शैक्षणिक विशेषज्ञों और विकास भागीदारों को एक साथ लाया गया और नर्सिंग और मिडवाइफरी सुधारों पर राष्ट्रीय एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए एक मंच के रूप में कार्य किया गया।
कार्यशाला में व्यवस्थित कार्यबल योजना और प्रबंधन के महत्व पर जोर दिया गया। राज्यों और विशेषज्ञों ने उचित कर्मचारियों के स्तर को निर्धारित करने, तैनाती में सुधार करने और विभिन्न स्तरों पर मरीजों के अनुपात में सही संख्या में नर्सों की तैनाती सुनिश्चित करने के लिए वैज्ञानिक नियोजन उपायों को अपनाने की सिफारिश की। विचार-विमर्श में नर्सों को उन्नत अभ्यास, सार्वजनिक स्वास्थ्य और नेतृत्व की भूमिका निभाने में सक्षम बनाने वाले स्पष्ट और प्रगतिशील करियर पथ बनाने की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला गया। प्रतिभागियों ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि कार्यस्थल की बेहतर स्थिति, मार्गदर्शन प्रणाली और सहायक पर्यवेक्षण बेहतर प्रतिधारण और व्यावसायिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान देंगे।

सेवा वितरण पर चर्चाओं में देश भर से साक्ष्य-आधारित नर्सिंग प्रथाओं को बढ़ाने पर जोर दिया गया। राज्यों ने नर्स के नेतृत्व वाले देखभाल मॉडल, गुणवत्ता सुधार पहल और समुदाय आधारित सेवा वितरण में नवाचारों के उदाहरण साझा किए, जिन्हें राष्ट्रीय स्तर पर दोहराया जा सकता है।
विशेषज्ञों और राज्य प्रतिनिधियों ने भारत भर के सफल मॉडलों को साझा किया, जिनमें कार्यबल नियोजन नवाचार, गुणवत्ता सुधार ढाँचे और क्षमता निर्माण पहल शामिल हैं। कार्यशाला में नर्सों के लिए नेतृत्व की भूमिकाओं का विस्तार, कार्यस्थल के वातावरण को बेहतर बनाने और भारत के नर्सिंग इकोसिस्टम को वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाने जैसी प्रमुख प्राथमिकताओं पर भी विचार-विमर्श किया गया।
समापन सत्र में बोलते हुए, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय में चिकित्सा शिक्षा विभाग के अपर सचिव, डॉ. विनोद कोटवाल ने केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव द्वारा व्यक्त की गई भावनाओं को दोहराया और कहा कि "नर्सें स्वास्थ्य सेवा वितरण प्रणाली का हृदय हैं।" उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत के नर्सिंग कार्यबल की शक्ति, समर्पण और नैदानिक क्षमता, देखभाल के हर स्तर पर सेवा वितरण का मूल आधार हैं।

डॉ. कोटवाल ने यह भी कहा कि कार्यशाला से प्राप्त सुझाव अत्यंत मूल्यवान हैं, क्योंकि वे विभिन्न राज्यों के प्रतिभागियों, जिनमें शिक्षक, क्लिनिकल नर्स, प्रशासक और नियामक शामिल हैं, जो उनके जीवंत अनुभवों पर आधारित हैं। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि कार्यशाला का एक सबसे महत्वपूर्ण पहलू ज्ञान का सामूहिक आदान-प्रदान था, जिसमें प्रत्येक राज्य ने अपनी उपलब्धियों, चुनौतियों और नवाचारों को प्रस्तुत किया।
उन्होंने आगे भारत की संसाधन-सीमित व्यवस्थाओं के अनुरूप व्यावहारिक, समाधान-उन्मुख रणनीतियों को विकसित करने के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने प्रतिभागियों को ऐसे समाधानों को तैयार करने के लिए प्रोत्साहित किया जो व्यवहार्य, टिकाऊ और मौजूदा क्षमताओं के साथ संरेखित हों, साथ ही निरंतर सुधार पर भी जोर दें।
इस अवसर पर बोलते हुए, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय में नर्सिंग एवं दंत चिकित्सा विभाग की उप सचिव सुश्री आकांक्षा रंजन ने तीन दिवसीय कार्यशाला के दौरान नर्सिंग नेताओं, शिक्षकों और राज्य प्रतिनिधियों की सक्रिय भागीदारी और विचारशील योगदान की सराहना की।

उन्होंने यह भी कहा कि कार्यशाला नर्सिंग शिक्षा, सेवा वितरण और शासन में महत्वपूर्ण कमियों की पहचान करने में अत्यधिक उपयोगी रही है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस परामर्श का मूल्य न केवल इन कमियों को पहचानने में है, बल्कि व्यावहारिक, समाधान-उन्मुख दृष्टिकोण उत्पन्न करने में भी है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि चर्चा किए गए कई समाधान विभिन्न राज्यों की अनूठी चुनौतियों का समाधान करने के लिए तैयार किए गए थे, जो सहयोगी समस्या-समाधान और साझा सीखने की ताकत को प्रदर्शित करते हैं।
उन्होंने अकादमिक-नैदानिक संबंधों को मजबूत करने, संस्थागत क्षमताओं को बढ़ाने और यह सुनिश्चित करने के महत्व को रेखांकित किया कि नर्सिंग शिक्षा स्वास्थ्य प्रणाली की उभरती जरूरतों के अनुरूप बनी रहे।
आगे की राह पर विचार व्यक्त करते हुए, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक (डीजीएचएस) की नर्सिंग सलाहकार, डॉ. दीपिका सी. खाखा ने कार्यशाला के दौरान नर्सिंग पेशेवरों और राज्य प्रतिनिधियों द्वारा प्रदर्शित प्रतिबद्धता की सराहना की। उन्होंने यह भी कहा कि कार्यशाला ने भारत के नर्सिंग इकोसिस्टम में व्यावहारिक कार्यों और ठोस सुधारों के लिए प्रभावी रूप से संदर्भ तैयार किया है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि चुनौतियों के बारे में बात करना अक्सर आसान होता है, लेकिन सच्चा नेतृत्व व्यवस्था की क्षमताओं और सीमाओं के भीतर समाधानों के बारे में सोचने में निहित है।

इस बात पर ज़ोर देते हुए कि यह कार्यशाला "नर्सों के लिए और नर्सों द्वारा" आयोजित की गई थी, उन्होंने प्रतिभागियों द्वारा प्रदर्शित पारस्परिक सहयोग और सहयोगात्मक शिक्षण की भावना की सराहना की। इसके अलावा, डॉ. खाखा ने योग्यता-आधारित पाठ्यक्रम को मज़बूत करने, निरंतर संकाय विकास में निवेश करने और भविष्य के लिए तैयार नर्सिंग नेतृत्व के निर्माण की आवश्यकता पर ज़ोर दिया। उन्होंने यह भी कहा कि फिलीपींस के बाद भारत दुनिया भर में प्रवासी नर्सों का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत है, जो भारतीय नर्सों की उच्च माँग और सुरक्षित, नैतिक और सुसमर्थित प्रवासन मार्ग सुनिश्चित करने के लिए शासन तंत्र को मज़बूत करने की आवश्यकता, दोनों को दर्शाता है।
अपने समापन भाषण में उन्होंने कहा कि आगे का रास्ता नर्सिंग शिक्षा, विनियमन और समग्र शासन को मजबूत करने के लिए एकीकृत टीम के रूप में मिलकर काम करने पर केंद्रित होना चाहिए।

इस कार्यक्रम का समापन इन सिफारिशों को आगे बढ़ाने और एक सशक्त, कुशल और प्रेरित नर्सिंग कार्यबल का निर्माण जारी रखने के साझा संकल्प के साथ हुआ, जो देश की उभरती स्वास्थ्य आवश्यकताओं को पूरा कर सके। मंत्रालय ने दोहराया कि गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा प्राप्त करने और सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज की दिशा में भारत की प्रगति में तेज़ी लाने के लिए नर्सिंग में निवेश करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
इस कार्यक्रम में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के पूर्व अपर सचिव, मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य, डॉ. मनोहर अगनानी, राज्य के वरिष्ठ अधिकारी और नर्सिंग पेशे से जुड़े प्रतिभागी भी उपस्थित थे।
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