विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय
डॉ. जितेंद्र सिंह ने आईसीजीएच 2025 में कहा कि भारत आत्मनिर्भर हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था की वैश्विक परिवर्तन यात्रा का प्रमुख हिस्सा है
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि एक-लाख करोड़ रूपए की आरडीआई योजना डीप-टेक और स्वच्छ ऊर्जा नवाचार को गति देगी
पूर्ण हरित हाइड्रोजन मूल्य श्रृंखला का प्रदर्शन करने के लिए भारत भर में चार हाइड्रोजन वैली स्थापित किया जा रहा है
Posted On:
12 NOV 2025 5:10PM by PIB Delhi
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने नई दिल्ली के भारत मंडपम में तीसरे अंतर्राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन सम्मेलन (आईसीजीएच-2025) को संबोधित करते हुए कहा कि भारत आज आत्मनिर्भर हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था की वैश्विक परिवर्तन यात्रा का प्रमुख हिस्सा है।
मंत्री डॉ. सिंह ने इस बात पर बल दिया कि स्वच्छ ऊर्जा अब सिर्फ पर्यावरणीय विकल्प नहीं है, बल्कि राष्ट्र के विकास के लिए एक "आर्थिक, तकनीकी और रणनीतिक आवश्यकता" है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत का स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन सरकारी, औद्योगिक और शैक्षणिक साझेदारी पर आधारित सहयोगी मॉडल से संचालित हो रहा है, जो भविष्य के लिए स्थायी समाधान तैयार कर रहा है। उन्होंने हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था को भारत की ऊर्जा सुरक्षा और औद्योगिक प्रतिस्पर्धात्मकता का एक प्रमुख स्तंभ बताते हुए कहा, "भारत केवल स्वच्छ तकनीकों को ही नहीं अपनाएगा----हम उनका आविष्कार करेंगे, उनका नेतृत्व करेंगे और अपनी दूरदर्शिता एवं संकल्प से परे विश्व को भी प्रेरित भी करेंगे।"
नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) और प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार कार्यालय द्वारा पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय (एमओपीएनजी), विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) और वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान विभाग (डीएसआईआर) के सहयोग से आयोजित इस दो दिवसीय सम्मेलन में नीति निर्माताओं, वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं और उद्योग जगत की हस्तियों ने भारत के हरित हाइड्रोजन परिवर्तन की दिशा तय करने के लिए एक मंच प्रदान किया।
प्रमुख पहलों पर प्रकाश डालते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने घोषणा की कि देश भर में चार हाइड्रोजन वैली विकसित की जा रही हैं, जिसमें हाइड्रोजन उत्पादन और भंडारण से लेकर परिवहन और उपयोग तक की पूरी मूल्य श्रृंखला को प्रदर्शित किया जाएगा। इस पर कुल 485 करोड़ रूपए का निवेश किया जाएगा। इसमें से 169.89 करोड़ रूपए राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन (एनजीएचएम) के तहत आवंटित किए गए हैं, जबकि 315.43 करोड़ रूपए उद्योग और संघीय भागीदारों से प्राप्त होंगे।
मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि ये हाइड्रोजन वैली इनोवेशन क्लस्टर्स (HVICs), जिनकी संकल्पना विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा की गई थी और अब इन्हें नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) के राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन (एनजीएचएम) के तहत एकीकृत किया गया है, इसे भारत की पहली बड़े पैमाने की हाइड्रोजन प्रदर्शन परियोजनाओं को प्रदर्शित करने और नवाचार, मानकीकरण तथा नीति निर्माण के लिए जीवंत प्रयोगशालाओं के रूप में कार्य करने हेतु डिजाइन किया गया है।
मंत्री डॉ. सिंह ने हाल ही में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा 3 नवंबर, 2025 को शुरू की गई अनुसंधान, विकास और नवाचार (आरडीआई) योजना का भी उल्लेख किया और इसे “खोज से प्रयोग तक के सेतु” के रूप में ऐतिहासिक कदम बताया। एक-लाख करोड़ रूपए की इस योजना में से 20,000 करोड़ रूपए विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग को आवंटित किए गए हैं, जिसका उद्देश्य स्टार्टअप्स और उद्योग जगत की सक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहित करते हुए डीप-टेक और स्वच्छ ऊर्जा नवाचार को प्रोत्साहन देना है। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह पहल सरकारी वित्तपोषण से आगे बढ़कर साझेदारी आधारित, दीर्घकालिक और टिकाऊ नवाचार मॉडल की दिशा में परिवर्तन का प्रतीक है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (एएनआरएफ) की स्थापना को शिक्षा जगत, उद्योग और सरकार के लिए एक मिशन-उन्मुख ढांचे के तहत एकीकृत करने हेतु एक ऐतिहासिक सुधार बताया। उन्होंने कहा कि यह फाउंडेशन भारत की वैज्ञानिक क्षमताओं को स्वच्छ ऊर्जा, उन्नत विनिर्माण और स्थिरता में राष्ट्रीय लक्ष्यों के अनुरूप लाएगा।
उच्च प्रभाव वाले क्षेत्रों में उन्नति हेतु मिशन - इलेक्ट्रिक वाहन (महा-ईवी) का उल्लेख करते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह पहल इलेक्ट्रिक मोबिलिटी और हाइड्रोजन ईंधन प्रौद्योगिकियों में स्वदेशी नवाचार को बढ़ावा देकर भारत की आत्मनिर्भर भारत की भावना को दर्शाता है। यह मिशन भारतीय परिस्थितियों के अनुकूल उन्नत बैटरियों, ईंधन कोशिकाओं और स्केलेबल चार्जिंग बुनियादी ढांचे के विकास हेतु सार्वजनिक अनुसंधान संस्थानों और निजी भागीदारों को एक साथ एक मंच पर लाता है।
स्वच्छ ऊर्जा सहयोग में भारत के वैश्विक नेतृत्व पर जोर देते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने उपस्थित लोगों को याद दिलाया कि "मिशन इनोवेशन" शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम प्रधानमंत्री मोदी ने किया था। मिशन इनोवेशन 2.0 के अंतर्गत, भारत स्वच्छ हाइड्रोजन की लागत को 2 अमेरिकी डॉलर प्रति किलोग्राम तक कम करने और वर्ष 2030 तक अपने हाइड्रोजन वैली मॉडल को वैश्विक स्तर पर दोहराने की दिशा में अंतर्राष्ट्रीय साझेदारों के साथ मिलकर काम कर रहा है। उन्होंने कहा, "इस मिशन में भारत का नेतृत्व दर्शाता है कि कैसे विज्ञान, नवाचार और उद्यम मिलकर एक स्वच्छ और सुरक्षित भविष्य का निर्माण कर रहे हैं।"
मंत्री डॉ. सिंह ने सरकार और राष्ट्र के समग्र दृष्टिकोण की सराहना की जिसने हरित हाइड्रोजन मिशन को अंतर-मंत्रालयी सहयोग का एक आदर्श मॉडल बना दिया है। उन्होंने सम्मेलन के संयुक्त आयोजन और विभिन्न क्षेत्रों में संवाद को बढ़ावा देने के लिए नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय, प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार कार्यालय, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) और वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (डीएसआईआर) की सराहना की।
अपने संबोधन के समापन में डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि आत्मनिर्भर हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था, विकसित भारत 2047 की ओर भारत की यात्रा की आधारशिला होगी। उन्होंने कहा, "नवाचार, सहयोग और सामूहिक संकल्प के माध्यम से, हम पूरे विश्व के लिए एक आदर्श प्रस्तुत कर रहे हैं।" उन्होंने सभी हितधारकों से भारत की स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्यों को साकार करने के लिए मिलकर काम करने का आग्रह किया।
सम्मेलन में नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा राज्यमंत्री श्री श्रीपद वाई. नाइक, राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के मिशन निदेशक श्री अभय बाकरे, अवादा ग्रुप के अध्यक्ष श्री विनीत मित्तल, तथा भारतीय सौर ऊर्जा निगम के प्रबंध निदेशक श्री आकाश त्रिपाठी सहित अन्य लोगों ने भी भाग लिया।
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