नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय
azadi ka amrit mahotsav

केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी ने बायोमास-आधारित हाइड्रोजन पायलट परियोजनाओं के लिए ₹100 करोड़ के प्रस्तावों की घोषणा की


राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन (एनजीएचएम) भारत में स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में बदलाव को गति दे रहा है और भारत को हरित हाइड्रोजन के वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित कर रहा है: केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी

एनजीएचएम ₹8 लाख करोड़ से अधिक का निवेश जुटाएगा, छह लाख नौकरियां पैदा करेगा और जीवाश्म ईंधन आयात में सालाना ₹1 लाख करोड़ की बचत करेगा: श्री संतोष कुमार सारंगी, सचिव, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा

Posted On: 11 NOV 2025 5:39PM by PIB Delhi

केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री श्री प्रल्हाद जोशी ने कहा कि राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन (एनजीएचएम) भारत में स्वच्छ ऊर्जा की ओर बढ़ते परिवर्तन को तेज कर रहा है। यह मिशन रोज़गार के नए अवसर पैदा करने के साथ निवेश आकर्षित कर रहा है और भारत को हरित हाइड्रोजन के वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित कर रहा है। वे नई दिल्ली के भारत मंडपम में हरित हाइड्रोजन पर तीसरे अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन (आईसीजीएच 2025) के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे, जहां उन्होंने स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन में भारत के वैश्विक नेतृत्व को रेखांकित किया।

इस अवसर पर, केंद्रीय मंत्री ने राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन (एनजीएचएम) का आधिकारिक लोगो लॉन्च किया और बायोमास तथा अपशिष्ट पदार्थों से हरित हाइड्रोजन उत्पादन के लिए नवीन तकनीकों के विकास के साथ पायलट परियोजनाओं के लिए ₹100 करोड़ के प्रस्ताव आमंत्रण की घोषणा भी की। उन्होंने यह भी कहा कि देश भर से प्राप्त 2,500 से अधिक प्रविष्टियों में से चुना गया नया एनजीएचएम लोगो, भारत की हरित यात्रा में जनभागीदारी और मिशन को आगे बढ़ाने वाली सामूहिक भावना एवं रचनात्मकता का प्रतिनिधित्व करता है।

राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन: एक वैश्विक समाधान

मंत्री ने कहा कि 2023 में ₹19,744 करोड़ के परिव्यय के साथ शुरू किया गया एनजीएचएम न केवल एक राष्ट्रीय कार्यक्रम है, बल्कि कार्बन-मुक्त क्षेत्रों के लिए एक वैश्विक समाधान भी है। उन्होंने कहा कि एनजीएचएम की शुरुआत भारत की स्वच्छ ऊर्जा क्रांति के एक नए चरण का प्रतीक है, जहां हरित हाइड्रोजन को एक नई सभ्यता के ईंधन और दीर्घकालिक ऊर्जा स्वतंत्रता की कुंजी के रूप में स्थापित किया गया है।

हरित हाइड्रोजन परिवर्तन (SIGHT) कार्यक्रम के लिए रणनीतिक हस्तक्षेपों के तहत तीव्र प्रगति पर प्रकाश डालते हुए, मंत्री महोदय ने बताया कि घरेलू इलेक्ट्रोलाइज़र निर्माण के लिए 3,000 मेगावाट प्रति वर्ष और हरित हाइड्रोजन उत्पादन के लिए 8.62 लाख मीट्रिक टन प्रति वर्ष प्रोत्साहन प्रदान किए गए हैं। भारत अब 7.24 लाख मीट्रिक टन प्रति वर्ष उत्पादन के लिए 49.75 प्रति किलोग्राम के साथ दुनिया में सबसे कम हरित अमोनिया मूल्य दर्ज कर रहा है।

इसके अलावा, ग्रीन स्टील के लिए पांच पायलट परियोजनाओं में 132 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है, 37 हाइड्रोजन-ईंधन वाले वाहनों और नौ ईंधन भरने वाले स्टेशनों के लिए 208 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं, और वी.. चिदंबरनार बंदरगाह पर देश की पहली हाइड्रोजन बंकरिंग और ईंधन भरने की सुविधा के लिए 35 करोड़ रुपये प्रदान किए गए हैं।

बायोमास आधारित हाइड्रोजन पायलट परियोजनाओं के लिए 100 करोड़

केंद्रीय मंत्री श्री जोशी ने नई पहल की घोषणा करते हुए कहा कि मंत्रालय हरित हाइड्रोजन उत्पादन के लिए बायोमास और अपशिष्ट पदार्थों का उपयोग करने वाली पायलट परियोजनाओं के लिए प्रस्ताव आमंत्रित करेगा। इन पायलट परियोजनाओं के लिए कुल 100 करोड़ आवंटित किए गए हैं, इसके अतिरिक्त मिशन के तहत स्टार्टअप्स के लिए पहले से ही स्वीकृत 100 करोड़ भी शामिल हैं। उद्योगों, स्टार्टअप्स और अनुसंधान संस्थानों की भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए इस योजना को जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (BIRAC) के माध्यम से क्रियान्वित किया जाएगा। मंत्री ने कहा कि यह पहल नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करेगी और भारत के हाइड्रोजन परिवर्तन को गति देने में सक्षम नई, लागत प्रभावी तकनीकों का प्रदर्शन करेगी।

कौशल, मानकों और वैश्विक प्रतिस्पर्धा को मज़बूत करना

मंत्री ने इस बात पर ज़ोर दिया कि भारत अपने संपूर्ण हरित हाइड्रोजन उत्पादन को नवीकरणीय ऊर्जा के माध्यम से संचालित करने के लिए काम कर रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि हाइड्रोजन से संबंधित 43 कौशल योग्यताएं स्वीकृत की जा चुकी हैं, 6,300 से ज़्यादा प्रशिक्षुओं को प्रमाणित किया जा चुका है, और 128 तकनीकी मानकों के साथ-साथ हरित हाइड्रोजन मानक (2023) और प्रमाणन योजना (2025) जैसे मज़बूत ढांचे लागू हैं।

मंत्री महोदय ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं द्वारा कार्बन-सीमा समायोजन अपनाने के साथ, हरित हाइड्रोजन एक विकल्प के बजाय एक आर्थिक आवश्यकता बन गया है। उन्होंने कहा कि भारत यह सुनिश्चित करके कि उसका विकास प्रतिस्पर्धी और जलवायु-लचीला बना रहे, स्वच्छ मूल्य श्रृंखलाओं में अग्रणी बनने की स्थिति में है।

श्री जोशी ने कहा कि हरित हाइड्रोजन पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन वैज्ञानिकों, उद्योग जगत के नेताओं, नवप्रवर्तकों और नीति निर्माताओं के एक वैश्विक समागम का प्रतिनिधित्व करता है, जो एक ही लक्ष्य - एक स्वच्छ, उज्जवल और अधिक टिकाऊ भविष्य के निर्माण  से एकजुट हैं। उन्होंने कहा, "आईसीजीएच-2025 एक सम्मेलन से कहीं अधिक है, यह वैश्विक सहयोग और सामूहिक कार्रवाई का एक मंच है। जैसे-जैसे हम राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के लक्ष्यों को साकार करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं, भारत एक लचीले और समावेशी हरित हाइड्रोजन पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण हेतु अंतर्राष्ट्रीय भागीदारों के साथ काम करने के लिए तैयार है जो सभी के लिए सतत विकास को शक्ति प्रदान करे।"

भारत हरित हाइड्रोजन उत्पादन और निर्यात में वैश्विक अग्रणी बनने की ओर अग्रसर

भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार, प्रो. अजय के. सूद ने इस अवसर पर बोलते हुए कहा कि हरित हाइड्रोजन पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन हमारे समय के सबसे महत्वपूर्ण ऊर्जा परिवर्तनों में से एक के प्रति देश की वैज्ञानिक दिशा और नीतिगत दृष्टिकोण को संरेखित करने का एक महत्वपूर्ण मंच बन गया है। उन्होंने कहा कि हरित ऊर्जा की वैश्विक मांग आर्थिक प्रतिस्पर्धा और तकनीकी नेतृत्व से प्रेरित हो रही है, और हरित हाइड्रोजन इन दोनों शक्तियों के संगम पर स्थित है।

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image001BM6U.jpg

प्रो. सूद ने इस बात पर प्रकाश डाला कि राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन (एनजीएचएम) सभी चार प्रमुख स्तंभों-नीति, मांग सृजन, अनुसंधान एवं विकास, और सक्षम बुनियादी ढांचे पर लगातार प्रगति कर रहा है। उन्होंने आगे कहा कि भारत को कई अन्य देशों की तुलना में हरित हाइड्रोजन के उत्पादन में कम लागत का एक विशिष्ट लाभ प्राप्त है, जिससे वह यूरोपीय संघ, जापान और दक्षिण कोरिया जैसे बाजारों में एक प्रमुख निर्यातक बन सकेगा।

नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा सचिव ने व्यापक स्वच्छ ऊर्जा प्रगति पर प्रकाश डाला

नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा सचिव श्री संतोष कुमार सारंगी ने सत्र को संबोधित करते हुए,कहा कि आईसीजीएच नीतिगत संवाद और नवाचार के लिए एक प्रमुख वैश्विक मंच के रूप में विकसित हुआ है। उन्होंने बताया कि भारत की गैर-जीवाश्म स्थापित क्षमता अब 250 गीगावाट से अधिक है, जिसमें लगभग 130 गीगावाट सौर ऊर्जा, 50 गीगावाट से अधिक पवन ऊर्जा, और 17 गीगावाट जैव-ऊर्जा एवं लघु जल विद्युत ऊर्जा शामिल हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के "एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य" के दृष्टिकोण से प्रेरित होकर, भारत 2030 तक 500 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता प्राप्त करने की ओर अग्रसर है।

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image002Y203.jpg 

सचिव ने कहा कि इस मिशन से 8 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश आने, छह लाख रोज़गार सृजित होने और जीवाश्म ईंधन के आयात में सालाना 1 लाख करोड़ रुपये की बचत होने की उम्मीद है। उन्होंने परिवहन, इस्पात और नौवहन क्षेत्र में चल रहे प्रायोगिक कार्यों, हरित हाइड्रोजन प्रमाणन योजना के शुभारंभ और क्षेत्रीय अनुसंधान एवं विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देने के लिए जोधपुर, पुणे, भुवनेश्वर और केरल में चार हाइड्रोजन वैली इनोवेशन क्लस्टरों की स्थापना पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे भारत हरित हाइड्रोजन मिशन के इस नए चरण में प्रवेश कर रहा है, हमारा ध्यान गहन औद्योगिक डीकार्बोनाइजेशन, प्रौद्योगिकी साझेदारी और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला एकीकरण पर केंद्रित होगा।

हाइड्रोजन यूरोप के सीईओ जोर्गो चैटजीमार्काकिस और एसईसीआई के प्रबंध निदेशक श्री आकाश त्रिपाठी भी इस कार्यक्रम में उपस्थित थे।

एनजीएचएम लोगो के बारे में

राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन (एनजीएचएम) का लोगो सतत और स्वच्छ ऊर्जा के प्रति भारत की प्रतिबद्धता का प्रतीक है। इस डिज़ाइन में एक पत्ती और पानी की बूंद को शामिल किया गया है, जो प्रकृति, शुद्धता और हाइड्रोजन ऊर्जा के पर्यावरण-अनुकूल सार का प्रतिनिधित्व करती है।

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image003BUP4.jpg 

उगता हुआ सूरज, सौर ऊर्जा जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का प्रतीक है, जो हाइड्रोजन उत्पादन में एक प्रमुख प्रेरक है, जबकि अर्धवृत्ताकार वलय एक इलेक्ट्रॉन के साथ हाइड्रोजन की कक्षा का प्रतिनिधित्व करता है। हरा क्षेत्र विकास, सद्भाव और भारत के कृषि-पर्यावरण संतुलन का प्रतीक है, और केंद्र में हाइड्रोजन इलेक्ट्रॉन वैज्ञानिक नवाचार और स्वच्छ ऊर्जा क्रांति का प्रतीक है। समग्र रचना प्रौद्योगिकी-संचालित स्थिरता और नवीकरणीय-हाइड्रोजन ऊर्जा के माध्यम से एक हरित भविष्य के भारत के दृष्टिकोण को दर्शाती है।

हरित हाइड्रोजन 2025 पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के बारे में

नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई), भारत सरकार, 11-12 नवंबर, 2025 को भारत मंडपम, नई दिल्ली में हरित हाइड्रोजन पर तीसरे अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन (आईसीजीएच-2025) का आयोजन कर रहा है। इस दो दिवसीय कार्यक्रम में वैश्विक नीति निर्माता, वैज्ञानिक, उद्योग जगत के अग्रणी और नवप्रवर्तक हरित हाइड्रोजन मूल्य श्रृंखला में अत्याधुनिक अनुसंधान, नीतिगत ढांचों और उभरती प्रौद्योगिकियों पर चर्चा करने के लिए एक साथ आएंगे।

उद्घाटन सत्र के बाद, दो पूर्ण सत्र चर्चाओं ने हरित हाइड्रोजन परिदृश्य को आगे बढ़ाने पर उच्च-स्तरीय विचार-विमर्श के लिए मंच तैयार किया। सम्मेलन में हरित हाइड्रोजन मूल्य श्रृंखला में संवाद, नवाचार और सहयोग को बढ़ावा देने के लिए डिज़ाइन किए गए पूर्ण सत्र और ब्रेकआउट सत्रों की एक श्रृंखला शामिल होगी। पूर्ण सत्र वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों, वैश्विक उद्योग जगत के अग्रणी और विशेषज्ञों को हरित हाइड्रोजन के भविष्य को आकार देने वाली नीतिगत ढांचों, तकनीकी प्रगति और अंतरराष्ट्रीय साझेदारियों पर चर्चा करने के लिए एक साथ लाएंगे। इनके पूरक के रूप में ब्रेकआउट सत्र होंगे जो प्रमुख विषयों पर केंद्रित चर्चाएं प्रदान करेंगे और प्रतिभागियों को भारत के हरित हाइड्रोजन संक्रमण में तेजी लाने के लिए समाधान और रणनीतियों का पता लगाने का अवसर प्रदान करेंगे।

***

पीके/केसी/एनएम/एसएस 


(Release ID: 2188953) Visitor Counter : 94
Read this release in: English , Urdu , Kannada