सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय
“वंदे मातरम्” के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय गौरव की भावना पूरे भारत में गूँज उठी, जब दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग ने राष्ट्रव्यापी उत्सव का नेतृत्व किया
Posted On:
07 NOV 2025 7:37PM by PIB Delhi
भारत के शाश्वत राष्ट्रीय गीत के प्रति एक शानदार श्रद्धांजलि के रूप में, भारत सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग (डीईपीडब्ल्यूडी) ने देश भर में अपने संस्थानों में आयोजित स्मारक कार्यक्रमों की एक श्रृंखला के माध्यम से "वंदे मातरम" की 150वीं वर्षगांठ मनाने में राष्ट्र का नेतृत्व किया। केंद्रीय समारोह का आयोजन डॉ. अंबेडकर अंतर्राष्ट्रीय केंद्र, नई दिल्ली में किया गया, जहां केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार ने मुख्य अतिथि के रूप में इस अवसर की शोभा बढ़ाई। इस कार्यक्रम में दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के सचिव श्री अमित यादव, वरिष्ठ अधिकारियों और कर्मचारियों ने भाग लिया, जिससे मंत्रालय की समावेशी राष्ट्रीय भागीदारी के प्रति प्रतिबद्धता परिलक्षित हुई।

समारोह का एक विशेष आकर्षण माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ के अवसर पर राष्ट्र के नाम दिए गए प्रेरणादायक संदेश का सीधा प्रसारण था। अपने संदेश में, प्रधानमंत्री ने इस बात पर ज़ोर दिया कि बंकिम बाबू (बंकिम चंद्र चटर्जी) द्वारा वंदे मातरम में व्यक्त प्रत्येक शब्द और भावना का गहरा अर्थ है, जो इसे सभी पीढ़ियों और युगों के लिए सदैव प्रासंगिक बनाता है।
उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए, डॉ. वीरेंद्र कुमार ने वंदे मातरम को “केवल दो शब्द नहीं, बल्कि राष्ट्रीय जागृति और स्वतंत्रता का एक सशक्त प्रतीक” बताया। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि आज के स्वतंत्र भारत में, प्रत्येक नागरिक की यह ज़िम्मेदारी है कि वह मातृभूमि के प्रति समर्पण के इस गीत की भावना को आत्मसात करे और इसके मूल्यों को आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाए।
देशभक्ति का उत्साह दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग के अंतर्गत आने वाले सभी संस्थानों में दिखाई दिया, क्योंकि राष्ट्रीय संस्थानों (एनआई) और समग्र क्षेत्रीय केंद्रों (सीआरसी) ने देश भर में एकता, उत्साह और सांस्कृतिक गौरव से ओतप्रोत विशेष कार्यक्रम आयोजित एसवीएनआईआरटीएआर, ओडिशा; एनआईईपीवीडी, देहरादून; एनआईएमएचआर, सीहोर; पीडीयूएनआईपीपीडी, नई दिल्ली; और एएलआईएमसीओ, कानपुर सहित राष्ट्रीय संस्थानों में प्रधानमंत्री के संबोधन का सीधा प्रसारण किया गया, जिसके बाद वंदे मातरम का सामूहिक गायन और जीवंत सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए। छात्रों, अधिकारियों, कर्मचारियों और दिव्यांगजनों ने सक्रिय रूप से भाग लिया और राष्ट्रीय एकता तथा भारत की सांस्कृतिक विरासत पर गर्व की भावना को अभिव्यक्त किया।
इसके साथ ही, रांची, जयपुर, गोरखपुर, नागपुर, लखनऊ, बलांगीर, राजनांदगांव, शिलांग और अन्य क्षेत्रों में समग्र क्षेत्रीय केंद्रों ने समूह गायन, रंगोली बनाना, चित्रकला, भाषण और सांस्कृतिक प्रतियोगिताओं सहित भावपूर्ण कार्यक्रम आयोजित किए। इन गतिविधियों में न केवल देशभक्ति का उत्साह झलकता था, बल्कि भारत के सामाजिक ताने-बाने का समावेशी सार भी झलकता था - जिसमें विकलांग और गैर-विकलांग व्यक्तियों को राष्ट्र के प्रति समर्पण की एक सामूहिक अभिव्यक्ति में एकजुट किया जाता था।
इस राष्ट्रव्यापी समारोह के माध्यम से, दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग ने राष्ट्रीय गौरव और एकता की गहरी भावना को पोषित करते हुए समावेशिता और समानता को बढ़ावा देने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की। इस प्रकार “वंदे मातरम्” की 150वीं वर्षगांठ के उत्सव विभाग की उस दृष्टि का सजीव प्रतीक बन गई, जिसके तहत प्रत्येक नागरिक, दिव्यांगजन सहित, को राष्ट्र की गरिमा, प्रगति और देशभक्ति की यात्रा में समान रूप से सहभागी बनाने का संकल्प लिया गया है।
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