उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय
उपभोक्ता कार्य विभाग ने उपभोक्ता शिकायत निवारण तंत्र की समीक्षा करने और उपभोक्ता न्याय को मजबूत बनाने के लिए एक कार्य योजना तैयार करने के उद्देश्य से “उपभोक्ता संरक्षण कानून, 2019 में संशोधन” पर चिंतन शिविर आयोजित किया
Posted On:
07 NOV 2025 4:54PM by PIB Delhi
उपभोक्ता कार्य विभाग, उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय, भारत सरकार ने आज मानक भवन, नई दिल्ली में "उपभोक्ता संरक्षण कानून, 2019 में संशोधन पर चिंतन शिविर" आयोजित किया। विधायी और प्रक्रियात्मक सुधारों पर विचार-विमर्श उपभोक्ता संरक्षण ढांचे को मजबूत करने और उपभोक्ता शिकायतों का त्वरित और प्रभावी निवारण सुनिश्चित करने पर केंद्रित था।
इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) के अध्यक्ष माननीय न्यायमूर्ति अमरेश्वर प्रताप साही; उपभोक्ता कार्य विभाग की सचिव श्रीमती निधि खरे; अपर सचिव श्री भरत खेड़ा; और संयुक्त सचिव श्री अनुपम मिश्रा उपस्थित थे। अपने संबोधन में, उन्होंने उपभोक्ता शिकायत निवारण तंत्र को सरल बनाने और उपभोक्ता न्याय के लिए संस्थागत ढांचे को मजबूत करने के लिए सरकार की अटूट प्रतिबद्धता को रेखांकित किया।
उपभोक्ता कार्य विभाग की सचिव श्रीमती निधि खरे ने अपने उद्घाटन भाषण में इस बात पर प्रकाश डाला कि उपभोक्ता संरक्षण कानून, 2019 में मामले के निपटारे के लिए स्पष्ट समय-सीमा निर्धारित की गई है - नियमित मामलों के लिए तीन महीने और परीक्षण या विश्लेषण की आवश्यकता वाले मामलों के लिए पांच महीने और आग्रह किया कि कोई भी मामला छह महीने से अधिक लंबित नहीं रहना चाहिए, जो समय पर उपभोक्ता न्याय पर सरकार के फोकस को दर्शाता है।
सचिव ने प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण, ई-फाइलिंग और डिजिटल शिकायत निवारण जैसी पहलों के साथ-साथ ई-जागृति पहल के माध्यम से उपभोक्ता संरक्षण में प्रौद्योगिकी के बढ़ते उपयोग पर जोर दिया, जिससे डिजिटल दक्षता और पारदर्शिता में सुधार हुआ है। उन्होंने राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन (1915) के माध्यम से मुकदमे-पूर्व निवारण को मजबूत करने के लिए अंकटाड द्वारा भारत को दी गई वैश्विक मान्यता पर भी प्रकाश डाला, जो सालाना 12 लाख से अधिक शिकायतों का समाधान करती है, जिनमें से कई का समाधान 21 दिनों या उससे कम समय में होता है। इसमें 1,150 से अधिक कंपनियां भागीदार के रूप में शामिल हैं और एआई-आधारित प्रणालियां तेजी से शिकायत समाधान सुनिश्चित करती हैं। इस प्रकार, 1986 के उपभोक्ता संरक्षण कानून के विकास को और अधिक प्रगतिशील और प्रौद्योगिकी-आधारित उपभोक्ता संरक्षण कानून 2019 में उजागर किया गया है, जो तकनीकी प्रगति की गति के साथ संरेखित त्वरित, परेशानी मुक्त और लागत प्रभावी न्याय सुनिश्चित करता है।
राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) के अध्यक्ष, माननीय न्यायमूर्ति अमरेश्वर प्रताप साही ने एक संरचित और नियमित निष्पादन लेखा परीक्षा की आवश्यकता पर बल दिया, जो न केवल प्रक्रियात्मक अनुपालन की जाँच करे बल्कि उपभोक्ताओं को न्याय प्रदान करने में कानून के वास्तविक प्रभाव को भी मापे। उन्होंने एनआईसी के माध्यम से उपभोक्ता मंचों पर मजबूत संस्थागत और तकनीकी सहायता का आह्वान किया, और चैटजीपीटी जैसे एआई उपकरणों सहित प्रौद्योगिकी की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि ऐसे उपकरण दक्षता बढ़ा सकते हैं, लेकिन मानवीय निर्णय, सहानुभूति और समझ न्याय प्रदान करने के मूल में बने रहना चाहिए, प्रौद्योगिकी केवल एक सहायक उपकरण के रूप में काम कर सकती है।
अपर सचिव, श्री भरत खेड़ा ने उपभोक्ता संरक्षण कानून, 2019 के महत्वपूर्ण प्रावधानों पर प्रकाश डाला और इसे उपभोक्ता अधिकारों की रक्षा और निष्पक्ष व्यापार कार्य प्रणालियों को बढ़ावा देने में एक ऐतिहासिक कदम बताया। इस कानून का उद्देश्य अधिक पारदर्शिता, जवाबदेही और न्याय तक पहुँच के माध्यम से उपभोक्ताओं को सशक्त बनाना है। प्रस्तावित संशोधनों के तहत उपभोक्ता शिकायतों का त्वरित, किफायती और प्रौद्योगिकी-संचालित निवारण, वास्तविक समय केस ट्रैकिंग, आभासी सुनवाई, डिजिटल प्रस्तुतियाँ और एकीकृत ई-फाइलिंग और ई-रिकॉर्ड प्रबंधन प्रणालियों के माध्यम से कागज रहित कार्यवाही की सहायता से सुनिश्चित किया गया है।
उपभोक्ता कार्य विभाग के संयुक्त सचिव, श्री अनुपम मिश्रा ने डिजिटल फाइलिंग और वर्चुअल सुनवाई के लिए ई-जागृति, केस प्रबंधन और पूर्वानुमान विश्लेषण के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और मशीन लर्निंग (एमएल) आधारित टूल, और प्रणाली को और अधिक कुशल और समावेशी बनाने के लिए भाषिणी-सक्षम बहुभाषी पहुँच जैसी पहलों पर प्रकाश डाला। उन्होंने उपभोक्ता न्याय के समय पर और प्रभावी वितरण को सुनिश्चित करने के लिए जिला आयोगों को युक्तिसंगत बनाने, रिक्तियों को भरने और बुनियादी ढाँचे को मजबूत करने की आवश्यकता पर भी बल दिया।
चिंतन शिविर में उपभोक्ता संरक्षण कानून, 2019 में प्रस्तावित संशोधनों पर चर्चा की गई ताकि तेजी से मामलों का निपटारा सुनिश्चित किया जा सके और लंबित मामलों को कम किया जा सके। प्रमुख क्षेत्रों में सख्त समय सीमा, ई-जागृति के माध्यम से डिजिटल परिवर्तन और कुशल प्रारूपण और केस प्रबंधन के लिए एआई और एमएल का उपयोग शामिल थे। सत्रों में जिला उपभोक्ता आयोगों को मजबूत करने, रिक्तियों को भरने और बुनियादी ढाँचे में सुधार पर भी जोर दिया गया। चर्चाओं ने नागरिक-केंद्रित, प्रौद्योगिकी-चालित और समयबद्ध शिकायत निवारण प्रणाली के प्रति विभाग की प्रतिबद्धता की पुष्टि की, जो सरकार के जीवन को आसान बनाने और डिजिटल शासन की कल्पना के अनुरूप है।
चिंतन शिविर में राज्य सरकारों के प्रतिनिधियों, राज्य एवं जिला उपभोक्ता आयोगों के अध्यक्षों एवं सदस्यों, नागरिक उपभोक्ता एवं नागरिक कार्रवाई समूह (सीएजी) और मुंबई ग्राहक पंचायत जैसे स्वैच्छिक उपभोक्ता संगठनों (वीसीओ), दिल्ली, रांची, पुदुचेरी और पटियाला के राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालयों, और फिक्की, सीआईआई, आरएआई और एसोचैम जैसे प्रमुख उद्योग संघों सहित विभिन्न हितधारकों की सक्रिय भागीदारी देखी गई। दुआ एसोसिएट्स, इकिगाई लॉ, जेटली एंड बख्शी और निशीथ देसाई एसोसिएट्स जैसी प्रमुख विधि फर्मों के प्रतिनिधियों ने भी चर्चा में भाग लिया और कानूनी, शैक्षणिक और उद्योग संबंधी उपयोगी जानकारी प्रदान की।
*****
पीके/केसी/केपी/एसएस
(Release ID: 2187536)
Visitor Counter : 25