विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय
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डॉ. जितेंद्र सिंह ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा ऐतिहासिक ₹1 लाख करोड़ की अनुसंधान, विकास और नवाचार (आरडीआई) निधि योजना के शुभारंभ की सराहना की और इसे भारत की वैज्ञानिक यात्रा में एक परिवर्तनकारी मील का पत्थर बताया


प्रथम ईएसटीआईसी 2025 में समापन सत्र को संबोधित करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस तीन दिवसीय आयोजन की सफलता पर गर्व और आशा व्यक्त की

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि युवा शोधकर्ता और डीप-टेक स्टार्ट-अप नए भारत के नवाचार की भावना को मूर्त रूप देते हैं

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा इस सम्मेलन ने 'संपूर्ण सरकार, संपूर्ण राष्ट्र' के दृष्टिकोण का उदाहरण प्रस्तुत किया

भारत मिशन 2047 तक वैज्ञानिक प्रतिभा, प्रौद्योगिकी निर्माण और नवाचार-आधारित विकास का वैश्विक केंद्र बनने की राह पर है: डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा

आरडीआई योजना और एएनआरएफ जैसी पहल दीर्घकालिक अनुसंधान विकास के लिए शिक्षा-उद्योग-सरकार सहयोग को बढ़ावा देंगी: डॉ. जितेंद्र सिंह

Posted On: 05 NOV 2025 8:33PM by PIB Delhi

केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ऐतिहासिक1 लाख करोड़ की अनुसंधान, विकास और नवाचार (आरडीआई) निधि योजना के शुभारंभ की सराहना की और इसे भारत की वैज्ञानिक यात्रा में एक परिवर्तनकारी मील का पत्थर बताया।

भारत मंडपम में उभरते हुए पहले विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार सम्मेलन (ईएसटीआईसी 2025) में  समापन भाषण देते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस तीन दिवसीय सम्मेलन की सफलता पर गर्व और आशा व्यक्त की। उन्होंने कहा किे इसने भारत मंडपम को नवाचार के एक सच्चे मंदिर में बदल दिया है, जहां विचारों का प्रेरणा से, अनुसंधान का प्रासंगिकता से और खोज का दृढ़ संकल्प से मिलन हुआ है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत मिशन 2047 के अंतर्गत वैज्ञानिक प्रतिभा, प्रौद्योगिकी सृजन और नवाचार आधारित विकास का वैश्विक केंद्र बनने की राह पर है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने व्यस्त कार्यक्रम के बावजूद इस कार्यक्रम को पूरा समय दिया और विज्ञान एवं नवाचार के प्रति सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता को रेखांकित किया। उनके संबोधन में जैव-प्रबलित फसलों और पोषण सुरक्षा से लेकर व्यक्तिगत चिकित्सा, स्वच्छ ऊर्जा और जैव-उर्वरकों तक, सभी महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा हुई।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस सम्मेलन की संकल्पना और समन्वय के लिए प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार कार्यालय की सराहना की जो उभरते अनुसंधान और नवाचार क्षेत्रों में राष्ट्रीय प्राथमिकताओं को संरेखित करने के लिए 13 मंत्रालयों और विभागों को एक साथ लाया। उन्होंने नोबेल पुरस्कार से सम्मानित सर आंद्रे गेम और कई प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों, विचारकों और उद्योग जगत की प्रतिष्ठित हस्तियां की भागीदारी की भी सराहना की जिनके 11 विषयगत क्षेत्रों में विचार-विमर्श अगले दशक के लिए एक रणनीतिक कार्यक्रम तैयार करेगा।

युवा शोधकर्ताओं और डीप-टेक स्टार्ट-अप्स की भागीदारी का उल्लेख करते हुए डॉ. सिंह ने कहा कि उनकी ऊर्जा, सरलता और प्रतिबद्धता "नए भारत के नवाचार की भावना" को दर्शाती है। उन्होंने कहा कि पोस्टर और स्टार्ट-अप सत्र  सहयोग और निवेश चाहने वाले युवा नवप्रवर्तकों के लिए एक मूल्यवान नेटवर्किंग मंच के रूप में कार्य करते हैं।

उन्होंने कहा कि हमारे कई युवा प्रतिभागी शैक्षणिक प्रस्तुतियों की दुनिया में नए प्रवेश कर रहे हैं। हमें उन्हें अपने शोध को प्रभावी ढंग से संप्रेषित करने और भविष्य के विज्ञान नेताओं के रूप में विकसित होने के लिए मार्गदर्शन करना चाहिए।

डॉ. सिंह ने प्रस्तुति की गुणवत्ता में सुधार और सीखने के परिणामों को बेहतर बनाने के लिए पोस्टर प्रस्तुतकर्ताओं के लिए वर्चुअल कार्यशालाओं के आयोजन का प्रस्ताव रखा। डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह भी सुझाव दिया कि ईएसटीआईसी के भावी संस्करण स्टार्ट-अप्स और निवेशकों के बीच संरचित संवाद को संस्थागत बना सकते हैं जिससे होनहार नवप्रवर्तकों को संभावित भागीदारों से जोड़ने में मदद मिलेगी।

उन्होंने आगे कहा कि ऐसे आयोजनों में आने वाले निवेशक सिर्फ़ देखने के लिए नहीं आते बल्कि वे सहयोग चाहते हैं। अगर हम पहले से ही स्टार्ट-अप के सुझाव और कार्यरूप के  उपयुक्त निवेशकों से मिलान कर सकें तो हम इसे बढ़ावा दे सकते हैं।"

उन्होंने सिफारिश की कि भविष्य के सम्मेलनों में विषयगत चर्चाओं का सारांश प्रस्तुत करने के लिए एकल प्रतिवेदक प्रणाली अपनाई जाए, जिससे संक्षिप्त और प्रभावी रिपोर्टिंग सुनिश्चित हो सके और पूर्ण सत्र के दौरान समय की बचत हो सके।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह सम्मेलन मंत्रालयों, शिक्षा जगत और उद्योग जगत को एक मंच पर लाने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा परिकल्पित 'संपूर्ण सरकार, संपूर्ण राष्ट्र' दृष्टिकोण का उदाहरण प्रस्तुत करता है। उन्होंने कहा कि यह विचार-विमर्श अनुसंधान राष्ट्रीय अनुसंधान प्रतिष्ठान (एएनआरएफ) के दीर्घकालिक लक्ष्यों में योगदान देगा, जो शिक्षा जगत, उद्योग जगत और सरकार के बीच समन्वय का संस्थागत आधार है।

उन्होंने ईएसटीआईसी2025 के साथ आयोजित वैभव फेलोशिप सत्रों की भी प्रशंसा की, जिन्होंने दुनिया भर के भारतीय मूल के वैज्ञानिकों के अपनी मातृभूमि के लिए सार्थक योगदान देने के जुनून को प्रदर्शित किया। उन्होंने कहा कि वैभव फेलो का उत्साह शैक्षणिक सहयोग से कहीं आगे तक गया है। यह राष्ट्र के प्रति भावनात्मक और बौद्धिक प्रतिबद्धता को दर्शाता है। हमें उन्हें और अधिक जोड़ने के लिए सुव्यवस्थित तरीके खोजने होंगे।

अपने संबोधन के समापन पर, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि ईएसटीआईसी2025 भारत के वैज्ञानिक विकास में एक नए अध्याय की शुरुआत है। उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन से प्राप्त विचारों और सहयोगों को विकसित भारत 2047 के अनुरूप क्रियान्वित नीतियों और कार्यक्रमों में परिवर्तित किया जाएगा।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि हमारा लक्ष्य स्पष्ट है, भारत को विज्ञान, नवाचार और प्रौद्योगिकी का एक वैश्विक केंद्र बनाना। उन्होंने कहा कि आपके विचार, आपके सहयोग और आपके प्रयोग एक आत्मनिर्भर और भविष्य के लिए तैयार राष्ट्र की आधारशिला हैं। डॉ. जितेंद्र सिंह ने ईएसटीआईसी 2025 को सफल बनाने के लिए सभी मंत्रालयों, वैज्ञानिक संस्थानों और उद्योगों की सराहना की।

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पीके/केसी/एनकेएस


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