रक्षा मंत्रालय
भारतीय नौसेना, भारतीय सेना और भारतीय वायु सेना के साथ मिलकर त्रि-सेवा अभ्यास करेगी
Posted On:
02 NOV 2025 4:00PM by PIB Delhi
भारतीय नौसेना द्वारा प्रमुख सेवा के रूप में भारतीय थलसेना और भारतीय वायुसेना के साथ संयुक्त रूप से आयोजित किए जा रहे त्रि-सेवा सैन्य अभ्यास (टीएसई -2025) “त्रिशूल” का नवम्बर 2025 की शुरुआत में प्रारंभ होगा।
पश्चिमी नौसेना कमान का मुख्यालय तीनों सेनाओं के साथ मिलकर इस अभ्यास का संचालन करेगा। इस अभ्यास में राजस्थान और गुजरात के क्रीक और रेगिस्तानी इलाकों में बड़े पैमाने के अभियानों के साथ ही साथ ही उत्तरी अरब सागर में उभरचर अभियानों (ऐम्फिबीअस ऑपरेशन) सहित व्यापक समुद्री अभियान शामिल होंगे।
गुजरात के तट और उत्तरी अरब सागर को कवर करते हुए - सेना की दक्षिणी कमान, पश्चिमी नौसेना कमान, और दक्षिण पश्चिमी वायु कमान इस अभ्यास में प्रमुख रूप से भाग ले रही हैं । इनके अतिरिक्त भारतीय तटरक्षक, सीमा सुरक्षा बल, और अन्य केंद्रीय एजेंसियां भी बड़ी संख्या में भाग ले रही हैं, जिससे अंतर-एजेंसी समन्वय और एकीकृत संचालन को और मज़बूती प्रदान की जा रही है।
इस अभ्यास का उद्देश्य तीनों सेनाओं की परिचालन संबंधी प्रक्रियाओं का प्रमाणीकरण और समन्वयन हासिल करना है, जिससे बहु-क्षेत्रीय वातावरण में संयुक्त प्रभाव –आधारित अभियान संचालित किए जा सकें। मुख्य उद्देश्यों में प्लेटफॉर्मों और अवसंरचना की इंटरऑपरेबिलिटी बढ़ाना, सेनाओं में नेटवर्क एकीकरण को मज़बूत करना, और विविध क्षेत्रों में संयुक्त अभियानों को आगे बढ़ाना शामिल है।
इस अभ्यास का एक मुख्य उद्देश्य सभी सेनाओं के बीच तालमेल बढ़ाना तथा बड़े और जटिल संचालन वातावरण में बहु-क्षेत्रीय एकीकृत अभियानों को प्रमाणित करना भी है। इनमें भारतीय नौसेना के युद्धपोतों, भारतीय वायु सेना के लड़ाकू और सहयोगी विमानों की बड़े पैमाने पर तैनाती शामिल है। इसके साथ-साथ भारतीय सेना और भारतीय नौ सेना के उभरचर या एम्फीबियस घटकों लैंडिंग प्लेटफॉर्म डॉक आईएनएस जलाश्व और लैंडिंग क्राफ्ट यूटिलिटी वेसल (एलसीयू), के साथ एम्फीबियस ऑपरेशंस भी शामिल हैं।
इस अभ्यास से संयुक्त खुफिया, निगरानी और टोही ( यानी जॉइंट इंटेलिजेंस, सर्विलांस एंड रिकॉनिसेंस) (आईएसआर), इलेक्ट्रॉनिक युद्ध (ईडब्ल्यू) और साइबर युद्ध से संबंधित योजनाओं का भी प्रमाणीकरण किया जाएगा। इस अभ्यास में भारतीय नौ सेना के विमानवाहक पोत से संचालित अभियान शामिल होंगे, जो भारतीय वायु सेना स्थलीय परिसंपत्तियों के साथ मिलकर किए जाएंगे।
यह अभ्यास स्वदेशी प्रणालियों के प्रभावशाली उपयोग को रेखांकित करेगा और 'आत्मनिर्भर भारत' के सिद्धांतों के आत्मसात को प्रदर्शित करेगा।
इसके अलावा, यह उभरते खतरों तथा वर्तमान और भविष्य के युद्ध के बदलते स्वरूप से निपटने के लिए संचालन प्रक्रियाओं और तकनीकों को बेहतर बनाने पर भी ध्यान केंद्रित करेगा।
टीएसई -2025 “त्रिशूल” भारतीय सशस्त्र बलों के पूर्णतया एकीकृत तरीके से काम करने के सामूहिक संकल्प को रेखांकित करता है, जिससे संयुक्त संचालन तत्परता और राष्ट्रीय सुरक्षा की तैयारी बेहतर होती है।
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