उप राष्ट्रपति सचिवालय
उपराष्ट्रपति श्री सी.पी. राधाकृष्णन ने “पुस्तकालय समुदायों को सशक्त बनाते हैं - वैश्विक परिप्रेक्ष्य” विषय पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन को वर्चुअली संबोधित किया
उपराष्ट्रपति ने पुस्तकालयों को शिक्षा और सशक्तिकरण का मंदिर कहा
पुस्तकालय भारत के शिक्षा और ज्ञान के शाश्वत सभ्यतागत लोकाचार को प्रतिबिंबित करते हैं : उपराष्ट्रपति
डिजिटल युग में, गलत सूचनाओं के बीच पुस्तकालय विश्वसनीय मार्गदर्शक हैं: उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति ने डिजिटल साक्षरता और महत्वपूर्ण सोच को बढ़ावा देने में पुस्तकालयों की भूमिका पर जोर दिया
भारत अनादि काल से ज्ञान की भूमि रही है: उपराष्ट्रपति
केरल के 80 वर्षीय पुस्तकालय आंदोलन और पी.एन. पणिक्कर फाउंडेशन के दृष्टिकोण की प्रशंसा की
Posted On:
02 NOV 2025 1:28PM by PIB Delhi
भारत के उपराष्ट्रपति श्री सी.पी. राधाकृष्णन ने आज एक वीडियो संदेश के माध्यम से तिरुवनंतपुरम के कनकक्कुन्नु पैलेस में पी.एन. पणिक्कर फाउंडेशन द्वारा आयोजित “पुस्तकालय समुदायों को सशक्त बनाते हैं - वैश्विक परिप्रेक्ष्य” विषय पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित किया।
यह आयोजन केरल में संगठित पुस्तकालय आंदोलन के 80वें वर्ष का प्रतीक है, जो भारत के पुस्तकालय और साक्षरता आंदोलन के अग्रदूत माने जाने वाले श्री पी.एन. पणिक्कर के विजन से प्रेरित है।
उपराष्ट्रपति ने अपने संदेश में ज्ञान प्रसार के माध्यम से पठन संस्कृति, डिजिटल साक्षरता और सामुदायिक सशक्तिकरण को बढ़ावा देने में निरंतर योगदान के लिए पी.एन. पणिक्कर फाउंडेशन की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि फाउंडेशन का आदर्श वाक्य – ‘‘वैचु वलारुका’’ (पढ़ो और बढ़ो) - समाज को ज्ञान और समावेश की दिशा में लगातार मार्गदर्शन करता रहता है।
श्री सी.पी.राधाकृष्णन ने पुस्तकालयों को शिक्षा के मंदिर के रूप में सराहा और उन्हें ऐसे स्थान के रूप में वर्णित किया जो महत्वपूर्ण सोच का पोषण करते हैं और व्यक्तियों और समुदायों को सशक्त बनाते हैं।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि श्री आदि शंकराचार्य ने आध्यात्मिक चेतना जागृत करने और विविध विचारों को एकीकृत करने के लिए पूरे भारत का भ्रमण किया। उन्होंने कहा कि अनगिनत अन्य ऋषियों और विचारकों ने अपने ज्ञान, करुणा और दूरदर्शिता से हमारी सभ्यता को समृद्ध किया है।
भारत की प्राचीन सभ्यतागत प्रकृति पर विचार करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि देश की शिक्षा की परंपरा - महाकाव्यों से लेकर आधुनिक पुस्तकालयों तक - राष्ट्र को ज्ञान और सामाजिक प्रगति की खोज के लिए अग्रसर करती है।
श्री सी.पी.राधाकृष्णन ने इस बात पर भी जोर दिया कि आज के डिजिटल युग में, पुस्तकालय ज्ञान के केंद्र के रूप में कार्य करते हैं जो लोगों को प्रामाणिक जानकारी प्राप्त करने और गलत सूचनाओं का विरोध करने में सक्षम बनाते हैं। उन्होंने कहा कि जहां तकनीक सूचना तक आसान पहुंच प्रदान करती है, वहीं पुस्तकालय समाज में गहराई, चिंतन और सार्थक संवाद को बढ़ावा देते हैं।
उपराष्ट्रपति ने शिक्षा और साक्षरता के क्षेत्र में केरल की असाधारण विरासत की प्रशंसा की। उन्होंने श्री पी.एन. पणिक्कर को श्रद्धांजलि अर्पित की, जिनकी दूरदर्शिता ने पुस्तकालयों को जीवंत सामुदायिक केंद्रों में बदल दिया, जिससे पुस्तकें और शिक्षा प्रत्येक नागरिक के करीब पहुंची।
उपराष्ट्रपति ने अपने समापन संदेश में कहा, कि पुस्तकालय सीखने, समावेशन और नवाचार के गतिशील स्थान हैं। उन्होंने ज्ञान की शक्ति के माध्यम से लोगों को मजबूत बनाकर देश भर में सार्वजनिक और सामुदायिक पुस्तकालयों के नेटवर्क को मज़बूत करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
सम्मेलन के बारे में
पी.एन. पणिक्कर फाउंडेशन द्वारा 2 से 3 नवंबर 2025 तक कनकक्कुन्नु पैलेस, तिरुवनंतपुरम में आयोजित ‘‘पुस्तकालय समुदायों को सशक्त बनाते हैं - वैश्विक परिप्रेक्ष्य’’ विषय पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन, ज्ञान समाज में पुस्तकालयों की उभरती भूमिका पर विचार-विमर्श करने के लिए विशेषज्ञों, नीति निर्माताओं, पुस्तकालय पेशेवरों, शिक्षाविदों और डिजिटल नवप्रवर्तकों को एक साथ लाता है।
यह सम्मेलन केरल के पुस्तकालय आंदोलन की स्थायी विरासत का जश्न मनाता है और सामुदायिक भागीदारी, डिजिटल पहुंच और स्थायी ज्ञान इकोसिस्टम को बढ़ाने के लिए रणनीतियों की खोज करता है।
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