रक्षा मंत्रालय
समुद्री सूचना साझाकरण कार्यशाला 2025
हिंद महासागर क्षेत्र में वास्तविक समय समन्वय और सूचना साझाकरण को बढ़ाना
Posted On:
01 NOV 2025 5:42PM by PIB Delhi
भारत का सूचना संलयन केंद्र – हिंद महासागर क्षेत्र (आईएफसी-आईओआर) 03 से 05 नवंबर, 2025 तक अपने प्रमुख कार्यक्रम “समुद्री सूचना साझाकरण कार्यशाला (एमआईएसडब्ल्यू-2025)” के तीसरे संस्करण की मेजबानी गुरुग्राम में करने जा रहा है। “हिंद महासागर क्षेत्र में वास्तविक समय समन्वय और सूचना साझाकरण को बढ़ाना” विषय पर आधारित यह कार्यक्रम एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय मंच के रूप में उभरेगा, जो दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों की सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु आवश्यक सहयोगात्मक तंत्र को और अधिक सुदृढ़ बनाने के लिए समर्पित है।
एमआईएसडब्ल्यू के माध्यम से क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देना
भारत के ‘क्षेत्रों में सुरक्षा एवं विकास के लिए पारस्परिक और समग्र उन्नति’ दृष्टिकोण के अनुरूप, सूचना संलयन केंद्र – हिंद महासागर क्षेत्र (आईएफसी-आईओआर) विभिन्न कार्यशालाओं व प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन करता है, जिनमें सबसे प्रमुख है समुद्री सूचना साझाकरण कार्यशाला (एमआईएसडब्ल्यू)। एमआईएसडब्ल्यू का पहला संस्करण 2019 में आयोजित किया गया था और अपनी स्थापना के बाद से यह एक प्रमुख परिचालन मंच के रूप में विकसित हुआ है। यह मंच दुनिया भर के कार्य-स्तर के पेशेवरों को एक साथ लाकर सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों के आदान-प्रदान, अंतर-संचालन को सुदृढ़ करने और विश्वास-आधारित सूचना साझाकरण को बढ़ावा देने में सहायक रहा है। एमआईएसडब्ल्यू केवल संवाद का मंच नहीं है, यह अंतरराष्ट्रीय समुद्री खतरों — जैसे समुद्री डकैती और सशस्त्र लूटपाट, मादक पदार्थों की तस्करी, अनियमित मानव प्रवासन, और वैश्विक समुद्री व्यापार को प्रभावित करने वाली अन्य चुनौतियों — के प्रति सामूहिक व समन्वित प्रतिक्रियाओं को उत्प्रेरित करता है। इस प्रकार एमआईएसडब्ल्यू न केवल समुद्री सुरक्षा सहयोग को सुदृढ़ करता है, बल्कि एक सुरक्षित, स्थिर और समावेशी समुद्री वातावरण के निर्माण की दिशा में भी ठोस योगदान देता है।
बातचीत से कार्रवाई तक: एमआईएसडब्ल्यू 2025 एक नया रास्ता दिखाता है
एमआईएसडब्ल्यू-25 अब 03 से 05 नवंबर 2025 तक आयोजित होने वाला साझेदार देशों और क्षेत्रीय संगठनों के साथ सामरिक सहयोग और सहभागिता को सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस वर्ष की कार्यशाला का विषय “हिंद महासागर क्षेत्र में वास्तविक समय समन्वय और सूचना साझाकरण को बढ़ाना” भागीदार देशों के साझा दृष्टिकोण और सामूहिक प्रतिबद्धता को अभिव्यक्त करता है। एमआईएसडब्ल्यू-25 केवल संवाद का माध्यम भर नहीं है; यह उभरते गैर-पारंपरिक समुद्री खतरों का मुकाबला करने में सूचना और प्रौद्योगिकी के परिचालन उपयोग पर केंद्रित एक व्यावहारिक मंच के रूप में विकसित हुआ है। इस संस्करण में क्षेत्रीय संगठनों के लिए विशेष सत्र तथा आईएफसी-आईओआर में एक समापन टेबल-टॉप अभ्यास आयोजित किया जाएगा, जो भारत की महासागरीय सुरक्षा के प्रति अटूट प्रतिबद्धता और सुरक्षित, लचीले एवं सहयोगात्मक समुद्री भविष्य की दिशा में उसके निरंतर प्रयासों को रेखांकित करता है। कार्यशाला का उद्घाटन नौसेना उप प्रमुख (डीसीएनएस) वाइस एडमिरल तरुण सोबती करेंगे, जबकि शिपिंग महानिदेशक के अतिरिक्त महानिदेशक श्री सुशील मानसिंह खोपड़े, आईपीएस मुख्य भाषण देंगे। इस अंतरराष्ट्रीय आयोजन में 30 देशों के समुद्री सुरक्षा विशेषज्ञ भाग लेंगे, जिनमें हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (आईओआरए), जिबूती आचार संहिता/जेद्दा संशोधन (डीसीओसी/जेए) तथा बहु-क्षेत्रीय तकनीकी एवं आर्थिक सहयोग के लिए बंगाल की खाड़ी पहल (बिम्सटेक) से जुड़े प्रतिनिधि शामिल होंगे।
रास्ता तय करना: बातचीत, नवाचार और कार्रवाई
एमआईएसडब्ल्यू-25 में बिम्सटेक, आईओआरए और डीसीओसी/जेए के प्रतिभागियों के लिए विशेष रूप से तैयार किए गए विषयगत सत्रशामिल होंगे, जिनमें यूएनओडीसी, रीसीएएपी आईएससी, आरएमआईएफसी, आईएफसी सिंगापुर, आरसीओसी, तथा अग्रणी वैश्विक शिपिंग कंपनियों का महत्वपूर्ण योगदान रहेगा। इन सत्रों के दौरान पैनल चर्चाओं में एक लचीले और एकीकृत समुद्री सूचना पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण के लिए रोडमैप तैयार किया जाएगा। इसके साथ ही, राष्ट्रीय समुद्री सूचना साझाकरण केंद्र की स्थापना में भारत की अग्रणी भूमिका पर भी प्रकाश डाला जाएगा। कार्यशाला का समापन एक उच्च-निष्ठा टेबल-टॉप अभ्यास के साथ होगा, जिसमें वास्तविक दुनिया के समुद्री खतरों का अनुकरण किया जाएगा और सिंडिकेट-आधारित आकस्मिक योजना को प्रोत्साहित किया जाएगा। इस दौरान प्रतिभागी सहयोगात्मक प्रतिक्रिया ढांचों में सक्रिय रूप से शामिल होंगे, जिससे साझा परिस्थितिजन्य जागरूकता और समन्वित कार्रवाई के महत्व को और अधिक सुदृढ़ किया जाएगा।
हिंद महासागर: एक वैश्विक आर्थिक जीवनरेखा
हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) वैश्विक वाणिज्य की धुरी है — दुनिया के अधिकांश तेल और कंटेनर यातायात का प्रवाह इसी क्षेत्र से होता है। इसका महत्व केवल भौगोलिक सीमाओं तक सीमित नहीं है; यह वैश्विक आर्थिक गतिविधियों का केंद्र, महाद्वीपों के बीच एक रणनीतिक सेतु, और भू-राजनीतिक गतिशीलता का एक प्रमुख मंच है। समुद्री सुरक्षा न केवल आर्थिक स्थिरता के लिए, बल्कि भू-राजनीतिक संतुलन और वैश्विक शांति के लिए भी अत्यंत आवश्यक है। इसी आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए, 22 दिसंबर 2018 को सूचना संलयन केंद्र – हिंद महासागर क्षेत्र (आईएफसी-आईओआर) की स्थापना की गई, जिसका उद्देश्य क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा और संरक्षा को सुदृढ़ करना है।
वर्तमान में कैप्टन सचिन कुमार सिंह के नेतृत्व में संचालित आईएफसी-आईओआर एक अद्वितीय बहुपक्षीय सहयोग केंद्र है, जो 15 देशों के इंटरनेशनल लायज़न ऑफिसर्स (आईएलओ) की मेजबानी करता है और 57 समुद्री सुरक्षा संगठनों तथा 25 साझेदार देशों के साथ सक्रिय रूप से समन्वय स्थापित करता है। यह केंद्र एक शांतिपूर्ण, स्थिर और समृद्ध हिंद महासागर क्षेत्र सुनिश्चित करने की दिशा में भारत की दूरदर्शी प्रतिबद्धता और सहयोगात्मक नेतृत्व का उत्कृष्ट उदाहरण है।
एमआईएसडब्ल्यू 2025 एक सुसंगत, पारदर्शी और लचीले समुद्री सूचना पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण के प्रति आईएफसी-आईओआर की दृढ़ प्रतिबद्धता का प्रतीक है। इस कार्यशाला के निष्कर्ष न केवल हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री सूचना पारिस्थितिकी तंत्र को सुदृढ़ करने में सहायक होंगे, बल्कि एक सुरक्षित, शांतिपूर्ण और समृद्ध वैश्विक महासागर के निर्माण के लिए भविष्य की रणनीतिक दिशा तय करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
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