उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय
सीसीपीए ने गुमराह करने वाले विज्ञापनों और अनुचित व्यापार कार्य प्रणालियों के लिए दीक्षांत आईएएस और अभिमनु आईएएस कोचिंग सेंटरों पर आठ-आठ लाख रुपये का जुर्माना लगाया
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01 NOV 2025 12:58PM by PIB Delhi
केन्द्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) ने उपभोक्ता संरक्षण कानून, 2019 के अंतर्गत गुमराह करने वाले विज्ञापनों, अनुचित व्यापार कार्य प्रणालियों और उपभोक्ता अधिकारों के उल्लंघन में लिप्त होने के लिए आईएएस दीक्षांत और आईएएस अभिमनु के खिलाफ अंतिम आदेश पारित किया है। प्रत्येक पर आठ-आठ लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है।
यह निर्णय उपभोक्ताओं को कानूनी संरक्षण प्रदान करने के लिए उनके अधिकारों की रक्षा और उन्हें बढ़ावा देने के लिए और यह सुनिश्चित करने के लिए लिया गया था कि किसी भी वस्तु या सेवा का कोई गलत या भ्रामक विज्ञापन बनाया जाए जो उपभोक्ता संरक्षण कानून, 2019 के प्रावधानों का उल्लंघन करता हो।
दोनों मामलों में, केन्द्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) ने सफल यूपीएससी उम्मीदवारों से प्राप्त अभ्यावेदन पर संज्ञान लिया, जिनके नाम और तस्वीरों का उपयोग उनकी सहमति के बिना उनके परिणामों का श्रेय लेने वाले विज्ञापनों में किया गया था। उपभोक्ता संरक्षण कानून, 2019 के उल्लंघन के मद्देनजर, मुख्य आयुक्त श्रीमती निधि खरे और आयुक्त श्री अनुपम मिश्रा की अध्यक्षता वाली सीसीपीए ने आईएएस दीक्षांत और आईएएस अभिमनु के खिलाफ आदेश जारी किए हैं।
दीक्षांत आईएएस का मामला: सीसीपीए को सुश्री मिनी शुक्ला (एआईआर 96, यूपीएससी सीएसई 2021) का एक अभ्यावेदन प्राप्त हुआ, जिन्होंने बताया कि संस्थान की प्रचार सामग्री में उनकी सहमति के बिना उनके नाम और तस्वीर का इस्तेमाल किया गया था। उन्होंने स्पष्ट किया कि वह दीक्षांत आईएएस से कभी जुड़ी नहीं थीं और उन्होंने केवल चहल अकादमी में एक मॉक इंटरव्यू में भाग लिया था, जिसके बारे में उन्हें बाद में पता चला कि यह दीक्षांत आईएएस के साथ संयुक्त रूप से आयोजित किया गया था।
सीसीपीए ने पाया कि दीक्षांत आईएएस ने "यूपीएससी सीएसई 2021 में 200+ परिणाम" का दावा करते हुए विज्ञापन प्रकाशित किए थे, जिनमें सफल उम्मीदवारों की तस्वीरें और नाम दिखाए गए थे, लेकिन उनके द्वारा लिए गए विशिष्ट पाठ्यक्रमों का खुलासा नहीं किया गया था। संस्थान कई अवसरों के बावजूद विश्वसनीय प्रमाणों के साथ इस दावे की पुष्टि करने में असमर्थ रहा।
दीक्षांत आईएएस ने दावा किया कि छात्रों ने उसके साक्षात्कार मार्गदर्शन कार्यक्रम (आईजीपी) में भाग लिया था और यह कार्यक्रम चहल अकादमी के साथ संयुक्त रूप से संचालित किया गया था। हालाँकि, प्राधिकरण ने पाया कि दीक्षांत आईएएस "200+ परिणाम" के अपने दावे के स्थान पर केवल 116 नामांकन पत्र ही प्रस्तुत कर सका। वह चहल अकादमी के साथ कोई समझौता या ऐसा कोई प्रमाण प्रस्तुत करने में भी विफल रहा जिससे यह पता चले कि छात्रों को कार्यक्रम की संयुक्त प्रकृति के बारे में सूचित किया गया था। वर्तमान मामले में, यह पाया गया है कि वह परीक्षा के सभी चरणों के लिए "यूपीएससी सीएसई 2021 में 200+ परिणाम" का पूरा श्रेय ले रहा था, क्योंकि उसने जानबूझकर संभावित उम्मीदवारों से सफल उम्मीदवारों द्वारा लिए गए विशिष्ट पाठ्यक्रम के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी छिपाई थी।
उपभोक्ता संरक्षण कानून, 2019 उपभोक्ताओं को सूचित किए जाने का अधिकार प्रदान करता है, जिसमें सत्य और सटीक जानकारी प्राप्त करने का अधिकार भी शामिल है जो उन्हें तर्कसंगत विकल्प चुनने में सक्षम बनाता है। भ्रामक विज्ञापन इस अधिकार को कमजोर करते हैं और उपभोक्ता हितों पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं, खासकर शिक्षा के क्षेत्र में जहाँ इच्छुक व्यक्ति अपना महत्वपूर्ण समय, प्रयास और वित्तीय संसाधन लगाता है। वर्तमान मामले के तथ्य यह स्थापित करते हैं कि विपक्षी पक्ष ने भ्रामक विज्ञापन जारी करके और सफल अभ्यर्थियों द्वारा चुने गए पाठ्यक्रम और मॉक इंटरव्यू सत्र की संयुक्त प्रकृति के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी छिपाकर कानून की धारा 2(28) और 2(47) का उल्लंघन किया है।
जाँच से पता चला कि विज्ञापनों में जानबूझकर सफल उम्मीदवारों द्वारा किए गए पाठ्यक्रमों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी छिपाई गई थी। इस चूक से यह गलत धारणा बनी कि दीक्षांत आईएएस ने उनकी समग्र यूपीएससी तैयारी में योगदान दिया था, जबकि उनका जुड़ाव केवल साक्षात्कार चरण तक ही सीमित था। इस तरह के भ्रामक दावे उन लाखों उम्मीदवारों को गलत तरीके से प्रभावित कर सकते हैं जो अपनी तैयारी में महत्वपूर्ण समय, प्रयास और पैसा लगाते हैं।
अभिमनु आईएएस का मामला: सुश्री नताशा गोयल (एआईआर 175, यूपीएससी सीएसई 2022) के एक अभ्यावेदन से पता चला कि संस्थान ने उन्हें अपना छात्र बताने का झूठा दावा किया था और बिना अनुमति के उनके नाम और तस्वीर का इस्तेमाल किया था।
साक्ष्य से पता चला कि संस्थान ने उनके विस्तृत आवेदन पत्र (डीएएफ) के आधार पर उनके साथ एक मॉक इंटरव्यू के लिए एक प्रश्न बैंक साझा किया था, जो कभी आयोजित ही नहीं हुआ था। इसके बावजूद, संस्थान ने उनकी सहमति के बिना उनके नाम और तस्वीर का इस्तेमाल किया, जिसे सीसीपीए ने भ्रामक और अनुचित माना, जो उपभोक्ता संरक्षण कानून, 2019 के तहत एक अनुचित संविदात्मक शर्त के समान है।
जांच करने पर, सीसीपीए ने पाया कि अभिमन्यु आईएएस ने "स्थापना के बाद से 2200+ चयन", "आईएएस टॉप 10 में 10+ चयन" और "एचसीएस/पीसीएस/एचएएस में प्रथम रैंक" जैसे भ्रामक दावे भी प्रकाशित किए थे। विज्ञापनों में 2023 में विभिन्न परीक्षाओं के सफल उम्मीदवारों की तस्वीरें और नाम प्रमुखता से दिखाए गए थे, जिनमें यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, हरियाणा सिविल सेवा (एचसीएस), आरबीआई ग्रेड-बी और नाबार्ड ग्रेड-ए शामिल हैं।
चयनित उम्मीदवारों का विवरण प्रस्तुत किया था, जिनमें से 88 छात्रों ने अभिमनु आईएएस की किसी भी सहायता के बिना प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा उत्तीर्ण की थी। संस्थान ने उन्हें केवल मॉक इंटरव्यू कार्यक्रम या व्यक्तिगत प्रश्न बैंक प्रदान किए थे। ऐसी महत्वपूर्ण जानकारी को छिपाना भ्रामक और धोखे में डालने वाला पाया गया, जिससे छात्रों को सूचित निर्णय लेने के उनके अधिकार से वंचित किया गया और इस प्रकार एक अनुचित व्यापार कार्य प्रणाली का गठन हुआ।
"आईएएस टॉप 10 में 10 से अधिक चयन" के भ्रामक दावे के संबंध में, सीसीपीए ने पाया कि इनमें से अधिकांश चयन 2001-2012 के बीच के थे, 2018 में केवल दो ही हुए थे, और ये छात्र केवल साक्षात्कार मार्गदर्शन कार्यक्रमों में शामिल हुए थे। "1999 से" वाक्यांश को शामिल नहीं करना एक महत्वपूर्ण चूक माना गया जिसने उपभोक्ताओं को यह विश्वास दिलाने में गुमराह किया कि संस्थान के हाल ही में और लगातार टॉप-10 परिणाम रहे हैं। प्राधिकरण ने पाया कि इस तरह की गलत बयानी छात्रों के निर्णयों को गलत तरीके से प्रभावित करती है और उपभोक्ता संरक्षण कानून, 2019 की धारा 2(9) के तहत सूचित किए जाने के उनके अधिकार का उल्लंघन करती है।
"स्थापना से अब तक 2200 से अधिक चयन" का दावा भी निराधार पाया गया, क्योंकि संस्थान इसे प्रमाणित करने के लिए कोई प्रमाण प्रस्तुत करने में विफल रहा। विज्ञापनों में यह स्पष्ट नहीं किया गया था कि ये चयन यूपीएससी, एचसीएस, आरबीआई ग्रेड-बी, या नाबार्ड ग्रेड-ए जैसी किन परीक्षाओं से संबंधित थे, जिससे यह गलत धारणा बनी कि सभी चयन यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा (सीएसई) से हुए थे। इस व्यापक और निराधार दावे ने संस्थान की विश्वसनीयता को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया और उम्मीदवारों को गुमराह किया। इसी प्रकार, "एचसीएस/पीसीएस/एचएएस में प्रथम रैंक" देने का दावा भी निराधार रहा, क्योंकि कई अवसरों के बावजूद कोई दस्तावेजी प्रमाण प्रस्तुत नहीं किया गया।
उपभोक्ता संरक्षण कानून, 2019 उपभोक्ताओं के सूचित निर्णय लेने के अधिकार का समर्थन करता है। विज्ञापनों में तथ्यों का गलत प्रस्तुतीकरण इस अधिकार में हस्तक्षेप करता है, क्योंकि उपभोक्ता (जैसा कि इस मामले में, छात्र) बढ़ा-चढ़ाकर बताई गई और झूठी सफलता दर के आधार पर अपना समय, पैसा और प्रयास लगा सकते हैं। असत्य, अपूर्ण और भ्रामक दावा प्रस्तुत करना अनुचित व्यापार व्यवहार में संलग्न होना है, जिसके लिए सुधारात्मक उपाय आवश्यक हैं।
सीसीपीए ने प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल अभ्यर्थियों से आग्रह किया है कि वे किसी भी ऐसे मामले की तुरंत रिपोर्ट करें जहाँ कोई कोचिंग संस्थान विज्ञापनों में या प्रचार उद्देश्यों के लिए उनके नाम या तस्वीर का गलत उपयोग करता है।
सीसीपीए ने अब तक भ्रामक विज्ञापनों और अनुचित व्यापार कार्य प्रणालियों के लिए विभिन्न कोचिंग संस्थानों को 57 नोटिस जारी किए हैं। 27 कोचिंग संस्थानों पर ₹98.6 लाख से अधिक का जुर्माना लगाया गया है, साथ ही ऐसे भ्रामक दावे बंद करने के निर्देश भी दिए गए हैं।
(अंतिम आदेश केन्द्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण की वेबसाइट पर उपलब्ध है) https://doca.gov.in/ccpa/orders-advisories.php?page_no=1 )
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