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सीमेंट से हथकरघा तक: जीएसटी ने छत्तीसगढ़ में समावेशी विकास को बढ़ावा दिया
Posted On:
17 OCT 2025 1:55PM by PIB Delhi
मुख्य बिंदु
- छत्तीसगढ़ में हथकरघा, हस्तशिल्प, डेयरी और सीमेंट उद्योग में 5-18 प्रतिशत तक जीएसटी में कटौती मांग को बढ़ावा दे रही है, कारीगरों की सहायता कर रही है, औद्योगिक और डेयरी रोजगार पैदा कर रही है और समावेशी आर्थिक विकास को प्रेरित कर रही है।
- सीमेंट उद्योग: जीएसटी में 18 प्रतिशत की कमी से निर्माण लागत कम हुई है, आवास की मांग बढ़ी है और 20,000-30,000 रोजगारों को प्रोत्साहन प्राप्त हुआ है।
- जनजातीय और वन शिल्प: जीएसटी में 5 प्रतिशत की कटौती से मांग में 10-15 प्रतिशत की वृद्धि होगी, जिससे 2026 तक 5,000 नए रोजगार सृजित होंगें और महिला केंद्रित स्वयं सहायता समूहों को सशक्त बनाया जा सकेगा।
- डेयरी विस्तार: पैकेज्ड डेयरी उत्पादों पर कम जीएसटी खपत को प्रोत्साहित करेगा, 15,000-20,000 रोजगारों को सहायता प्राप्त होगी और एनडीडीबी को 2028 तक प्रसंस्करण को 6 गुना से अधिक बढ़ाने में मददगार होगा।
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17 अक्टूबर, 2025
प्रस्तावना
मध्य भारत में स्थित छत्तीसगढ़ का गठन 2000 में मध्य प्रदेश से अलग होने के बाद किया गया था। यह देश का 9वां सबसे बड़ा राज्य है और यहां 25 मिलियन से अधिक लोग रहते हैं। वनों और प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध, यह राज्य अपनी जनजातीय विरासत, सांस्कृतिक जीवंतता और औद्योगिक शक्ति के लिए विख्यात है। इसकी कला और शिल्प परंपराएं- बस्तर के बेल मेटल वर्क और रायगढ़ की बांस कला से लेकर हाथ से बुने हुए कोसा रेशमी कपड़ों तक-कौशल और स्थिरता की एक जीवंत विरासत को दर्शाती हैं।
हाल ही में किए गए जीएसटी सुधारों ने छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था को एक नई गति दी है। आवश्यक वस्तुओं और पारंपरिक क्षेत्रों पर कर की दरों को कम करके, ये सुधार इनपुट लागत को कम करते हैं, उपभोक्ता मांग को प्रोत्साहित करते हैं और स्थानीय उत्पादों को राष्ट्रीय और वैश्विक बाजारों में अधिक प्रतिस्पर्धी बनाते हैं। हथकरघा, हस्तशिल्प और डेयरी जैसे प्रमुख क्षेत्रों पर 5 प्रतिशत जीएसटी दर न केवल छोटे उत्पादकों पर बोझ को कम करती है, बल्कि राज्य की विकासात्मक प्राथमिकताओं और समावेशी विकास विजन के साथ तालमेल बिठाते हुए औपचारीकरण और ग्रामीण उद्यमिता को भी प्रोत्साहित करती है।

सीमेंट उद्योग
छत्तीसगढ़ में, कोरबा, रायगढ़, बिलासपुर, रायपुर और नया रायपुर क्षेत्रों में सीमेंट और निर्माण सामग्री उद्योग की मजबूत उपस्थिति है- जहां तेजी से विकास और शहरीकरण हो रहा है। यह उद्योग राज्य की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, कर राजस्व के माध्यम से योगदान देता है और सहायक उद्योगों का समर्थन करता है। यह छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े नियोक्ताओं में भी शुमार है-
- रोजगार में संगठित संयंत्रों (इंजीनियरों, तकनीशियनों, पर्यवेक्षकों) में स्थायी कर्मचारी और खनन, लोडिंग, भट्ठा संचालन, पैकिंग और परिवहन में लगे बड़ी संख्या में संविदात्मक या अकुशल श्रमिक शामिल हैं।
- अधिकांश श्रमिक सीमित औपचारिक शिक्षा के साथ ग्रामीण या अर्ध-शहरी पृष्ठभूमि से आते हैं और एक महत्वपूर्ण हिस्सा ओडिशा, झारखंड और उत्तर प्रदेश के प्रवासी मजदूर हैं।
- औसत मजदूरी मामूली है - स्थायी कर्मचारी मासिक रूप से 18,000 रुपये - 35,000 रुपये कमाते हैं, जबकि अनुबंध श्रमिक आमतौर पर 8,000 रुपये -15,000 रुपये कमाते हैं।
- महिलाओं की भागीदारी अपेक्षाकृत कम बनी हुई है, जो ज्यादातर पैकेजिंग, लोडिंग और संबद्ध सेवाओं तक सीमित है।
- संगठित सीमेंट सेक्टर 20,000-30,000 प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार प्रदान करता है।
- इसमें 10,000-15,000 की संख्या में अनुबंध मजदूर, ट्रांसपोर्टर और खनिक जैसे अप्रत्यक्ष रोजगार के साथ प्रमुख संयंत्रों में 10,000-15,000 प्रत्यक्ष कर्मचारी शामिल हैं।
- सीमेंट क्षेत्र की वृद्धि बुनियादी ढांचा परियोजनाओं से प्रेरित है, जिसमें क्षमता विस्तार के कारण रोजगार में वार्षिक रुप से 5-10 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
सीमेंट पर जीएसटी को 28 प्रतिशत से घटाकर 18 प्रतिशत करने से सीमेंट अधिक किफायती हो गया है, निर्माण लागत कम हुई है, आवास की मांग को प्रोत्साहन प्राप्त हुआ है और बुनियादी ढांचा क्षेत्र में अतिरिक्त रोजगार के अवसर सृजित हुए हैं।
हथकरघा और पावरलूम क्षेत्र
हथकरघा उद्योग छत्तीसगढ़ के सबसे प्रमुख कुटीर उद्योगों में से एक है, जो अपने सांस्कृतिक और आर्थिक ताने-बाने में गहराई से जुड़ा हुआ है। इसके साथ ही, राज्य का एमएसएमई और पावरलूम कार्यबल भारत के बड़े वस्त्र इकोसिस्टम की सहायता करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह देश के सबसे बड़े औद्योगिक योगदानकर्ताओं में से एक है और राष्ट्रीय कपड़ा उत्पादन का एक प्रमुख स्रोत है।
हथकरघा बुने वस्त्र
छत्तीसगढ़ में, जांजगीर-चांपा, रायगढ़, रायपुर, महासमुंद, बस्तर और सरगुजा जैसे जिले राज्य के हथकरघा नेटवर्क के गढ़ हैं। हथकरघा बुने हुए कपड़ों में टेरी टॉवलिंग और इसी तरह के बुने हुए टेरी कपड़े शामिल हैं। जांजगीर-चांपा और रायगढ़ के टसर और कोसा रेशम के साथ-साथ रायपुर, दुर्ग, महासमुंद और बस्तर के सूती हथकरघा समूह इस क्षेत्र की कारीगरी उत्कृष्टता को प्रदर्शित करते हैं।
- हथकरघा क्षेत्र लगभग 1.5 लाख बुनकरों के लिए एक महत्वपूर्ण आजीविका प्रदान करता है। इनमें से कई महिलाएं हैं, जो विकेंद्रीकृत ग्रामीण उत्पादन में लगी हुई हैं।
- प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) के तहत, पिछले आठ वर्षों (2023 तक) में हथकरघा और संबद्ध ग्रामीण उद्योगों में लगभग 8,500 रोजगार सृजित हुए।
- इसके अतिरिक्त, 2023 में, केंद्रीय वस्त्र मंत्रालय ने आर्थिक रूप से निर्बल कारीगरों के लिए कौशल प्रशिक्षण और समूह गठन को सुदृढ़ करने के लिए राष्ट्रीय हथकरघा विकास कार्यक्रम (एनएचडीपी) के तहत 51 हथकरघा परियोजनाओं को मंजूरी दी।
जीएसटी में 5 प्रतिशत की कमी से इस क्षेत्र को और अधिक ऊर्जा प्राप्त हुई है, जिससे हाथ से बुनी साड़ियां और कोसा/टसर सिल्क के कपड़े अधिक किफायती और विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी हो गए हैं। इससे निर्यात बाजारों में भारतीय हथकरघा उत्पादों को महत्वपूर्ण बढ़ावा मिला है। इस कदम ने न केवल उपभोक्ता मांग को प्रोत्साहित किया है और बिक्री को बढ़ावा दिया है, बल्कि बुनकरों को सशक्त भी बनाया है। इससे उन्हें छत्तीसगढ़ की बुनाई परंपराओं को बनाए रखते हुए सस्ते, मशीन से बने वस्त्रों के खिलाफ प्रभावी ढंग से प्रतिस्पर्धा करने में मदद मिली है और विशेष रूप से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त कोसा/टसर रेशम को लाभ प्राप्त हुआ है।

पावरलूम/मिल आधारित कपड़ा उत्पादन
छत्तीसगढ़ में पावरलूम बुनाई एक अर्ध-संगठित औद्योगिक गतिविधि है, जो रायगढ़, बिलासपुर और जांजगीर-चांपा के आसपास के समूहों में केंद्रित है, जिसमें बलौदाबाजार, महासमुंद , रायपुर, बस्तर और सरगुजा में प्रमुख केंद्र हैं।
· उत्पादन में व्यापक स्तर पर छोटी, परिवार द्वारा संचालित या अनुबंध-आधारित इकाइयों का प्रभुत्व है, जो अक्सर पुराने करघों का उपयोग करते हैं।
· पुरुष आमतौर पर मशीनों का संचालन करते हैं, जबकि महिलाएं वाइंडिंग, फिनिशिंग और पैकेजिंग का काम संभालती हैं।
· कार्यबल महत्वपूर्ण है, जिसमें एमएसएमई और अर्ध-कुशल ग्रामीण मजदूर शामिल हैं। इनमें सीमित औपचारिक शिक्षा वाले जनजातीय और ग्रामीण समुदायों के कई प्रवासी शामिल हैं।
हाल ही में जीएसटी सुधार, दरों को 12 प्रतिशत/18 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत करने से इस क्षेत्र को पर्याप्त बढ़ावा मिला है। चूंकि कपड़ा उद्योग भारत का दूसरा सबसे बड़ा नियोक्ता है, इसलिए अनुकूल कर नीतियां रोजगार को बनाए रखने और सृजित करने, इनपुट लागत को कम करने, मार्जिन में सुधार करने और भारतीय वस्त्रों की वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाने में मदद करती हैं, जिससे निर्यात को बढ़ावा मिलता है। विशेष रूप से, ये सुधार एमएसएमई के लिए एक बड़ी राहत हैं क्योंकि वे इनपुट टैक्स के बोझ को कम करते हैं, इनवर्टेड़ शुल्कों में सुधार लाते हैं, कार्यशील पूंजी का समर्थन करते हैं और औपचारिकता को प्रोत्साहित करते हैं।
हस्तशिल्प और पारंपरिक कला क्षेत्र
अपनी जनजातीय विरासत से परे, छत्तीसगढ़ अपनी विविध कला और शिल्प परंपराओं के लिए प्रसिद्ध है। राज्य में धातु, मिट्टी और लकड़ी की कला के विभिन्न रूप स्थित हैं, जिनमें से प्रत्येक गहरी सांस्कृतिक अभिव्यक्ति और शिल्प कौशल को दर्शाता है। ढोकरा मेटल कास्टिंग और बस्तर की लकड़ी की नक्काशी से लेकर बेल मेटल की कलाकृतियों तक, छत्तीसगढ़ के कारीगर कौशल और रचनात्मकता का प्रदर्शन करते हैं। राज्य के आभूषण, वस्त्र और टेराकोटा शिल्प में पारंपरिक सौंदर्यशास्त्र के साथ-साथ समकालीन आकर्षण का संगम है।
जनजातीय और वन शिल्प
बस्तर क्षेत्र- बस्तर, कोंडागांव और जगदलपुर सहित छत्तीसगढ़ के अन्य जनजातीय क्षेत्रों के साथ-साथ अपने जनजातीय और वन शिल्प के लिए प्रसिद्ध है। राज्य के कारीगर लकड़ी की कलाकृतियों, ढोकरा धातु के काम, गढ़ा लोहा, बांस, टेराकोटा और बेल मेटल शिल्प जैसे उत्पादों की एक विस्तृत विविधता का सृजन करते हैं, जो क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत और प्राकृतिक संपदा को दर्शाते हैं।
· पूरे छत्तीसगढ़ में 50,000-60,000 कारीगर हस्तशिल्प से जुड़े हुए हैं, जिसमें जनजातीय और वन-आधारित शिल्प लगभग 70-80 प्रतिशत (35,000-48,000 कारीगर) हैं।
· कार्यबल में पूर्णकालिक, अंशकालिक और मौसमी श्रमिक शामिल हैं, जो मुख्य रूप से बस्तर क्षेत्र की गोंड, हलबा, भतरा और मारिया जैसी अनुसूचित जनजातियां (एसटी) हैं।
· यह क्षेत्र ग्रामीण और जनजातीय परिवारों को स्वरोजगार और पूरक आय प्रदान करता है, जो वन क्षेत्रों में निर्धनता कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
· इन शिल्पों से अमेरिका और यूरोप को निर्यात के साथ वार्षिक रुप से 500–800 करोड़ रुपये (2024) की आय प्राप्त होती है और लगभग 20-30 प्रतिशत रोजगारों को सहायता मिलती है।
· 2022 से 2024 तक, पहचान कार्ड योजना के तहत कारीगरों के पंजीकरण में 5-10 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो बढ़ते ई-कॉमर्स और निर्यात चैनलों (उदाहरण के लिए, शबरी एम्पोरिया के माध्यम से) से प्रेरित होकर लगभग 40,000 तक पहुंच गई है। हालांकि, वनों पर जलवायु संबंधी दबावों से विस्तार निरंतर सीमित ही रहा है।
· राष्ट्रीय हस्तशिल्प विकास कार्यक्रम (एनएचडीपी) और व्यापक हस्तशिल्प क्लस्टर विकास योजना (सीएचसीडीएस) के तहत, वस्त्र मंत्रालय ने कौशल प्रशिक्षण और क्लस्टर बुनियादी ढांचे (विशेष रूप से ढोकरा और लकड़ी के शिल्प के लिए बस्तर में 2023-24 परियोजनाएं) के माध्यम से 5,000-7,000 नए रोजगार सृजित किए हैं।
· पीएम विश्वकर्मा योजना (2023 में शुरू की गई) ने छत्तीसगढ़ में 10,000 से अधिक कारीगरों को पंजीकृत किया है, जो जनजातीय शिल्प पर ध्यान देने के साथ उपकरण, ऋण और बाजार संपर्क प्रदान करते हैं। विशेष रूप से, दिसंबर 2023 तक, 1,000-2,000 को वन शिल्प क्षेत्रों में प्रत्यक्ष रुप से लाभ प्राप्त हुआ है।
जीएसटी दर में कटौती (12 प्रतिशत/18 प्रतिशत से 5 प्रतिशत) से मांग में 10-15 प्रतिशत तक वृद्धि हुई है और संभावित रूप से 2026 तक 5,000 नए रोजगार सृजित होंगे। इसके अतिरिक्त, यह सुधार मार्जिन में वृद्धि करता है, बिक्री को बढ़ाता है और विशेष रूप से स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) में संगठित लोगों के लिए कारीगरों की आजीविका को सुदृढ़ करता है। तेंदूपत्ता जैसे कच्चे मालों पर निम्न कर इन पारंपरिक शिल्पों में लगे जनजातीय समुदायों की आय स्थिरता में सहायता करता है।

पारंपरिक कला सेक्टर- धातु हस्तशिल्प /घंटी धातु /गढ़ा लोहा /लौह शिल्प
बस्तर, रायपुर और छत्तीसगढ़ के अन्य जनजातीय क्षेत्रों में धातु हस्तशिल्प और बेल मेटल/गढ़ा लोहा/लौह शिल्प का व्यापक रूप से अभ्यास किया जाता है, जो राज्य की कारीगर अर्थव्यवस्था का एक अभिन्न अंग है। बस्तर आयरन क्राफ्ट (ढोकरा कला) में भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग है, जो इसके सांस्कृतिक महत्व और पारंपरिक उत्पादन तकनीकों को उजागर करता है। यह क्षेत्र विशेष रूप से बस्तर-कोंडागांव समूहों के भीतर हजारों आजीविका को बनाए रखता है, और इसे एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) पहल के तहत सक्रिय रूप से बढ़ावा दिया जाता है।
· छत्तीसगढ़ में अनुमानित 15,000-30,000 कारीगर धातु शिल्प के विभिन्न रूपों में लगे हुए हैं, जिनमें बेल मेटल, गढ़ा लोहा और पारंपरिक लोहे का काम शामिल है।
· कोंडागांव ओडीओपी पेज पर बेल मेटल शिल्प कौशल में विशेषज्ञता वाले 150 से अधिक स्थानीय कारीगरों को रिकॉर्ड किया गया है।
· अगरिया जनजाति पर शोध से पता चलता है कि लगभग 67,000 की आबादी वाले पारंपरिक लोहे के कारीगर अभी भी लौह-शिल्प से जुड़े हैं।
· बस्तर और कोंडागांव में शैक्षणिक/क्षेत्र के अध्ययन से पता चलता है कि हजारों परिवार अपनी आय के लिए धातु हस्तशिल्प पर निर्भर हैं।
जीएसटी को 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत करने से उत्पादन लागत में कमी आई है, बिक्री में सुधार हुआ है और निर्यात में सहायता के जरिए इस सेक्टर को एक बड़ा प्रोत्साहन प्राप्त हुआ है। यह सुधार जनजातीय कारीगरों को वित्तीय राहत प्रदान करेगा, जिससे उनके शिल्प को फिर से आर्थिक रूप से व्यवहार्य बनाने में मदद मिलेगी। इससे उनका पारंपरिक कौशल भी संरक्षित रहेगा जो पहले उच्च कर स्लैब से दबाव में था।
पैकेज्ड डेयरी उत्पाद
छत्तीसगढ़ में, विशेष रूप से रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग/भिलाई और जनजातीय सहकारी क्षेत्रों में, डेयरी फार्मिंग खासकर ग्रामीण और जनजातीय समुदायों की महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण आजीविका है। राज्य में 1,068 से अधिक डेयरी सहकारी समितियां हैं, जिनमें से एक महत्वपूर्ण संख्या महिला-केंद्रित है।
- रायपुर जिले में महिला समूहों के एक अध्ययन से पता चलता है कि लगभग 70 प्रतिशत सदस्यों के पास सीमांत भूमि (<2.5 एकड़) है और 60 प्रतिशत मध्यम वार्षिक पारिवारिक आय की रिपोर्ट करते हैं। इसके बावजूद, 68 प्रतिशत सदस्यों ने औपचारिक प्रशिक्षण प्राप्त नहीं किया है, जो क्षमता-निर्माण के अवसरों में अंतर को उजागर करता है।
- पैकेज्ड डेयरी सेगमेंट खाद्य प्रसंस्करण (डेयरी उत्पादों के लिए एनआईसी 105) के अंतर्गत आता है, जो छत्तीसगढ़ में सबसे बड़े संगठित विनिर्माण नियोक्ताओं में से एक है, जो कुल पंजीकृत विनिर्माण रोजगारों का 12.91 प्रतिशत (15,000-20,000 पोजिशन राज्यव्यापी) है।
- अनौपचारिक या प्रक्षेत्र-स्तर भूमिकाओं को छोड़कर, संगठित इकाइयों में अनुमानित 1,500-3,000 प्रत्यक्ष रोजगारों के साथ, डेयरी प्रसंस्करण विशेष रूप से महत्वपूर्ण योगदान देता है।
- राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) की साझेदारी ने 2028 तक प्रसंस्करण क्षमता को 79,000 किग्रा/दिन से बढ़ाकर 500,000 किग्रा/दिन करने की योजना बनाई है, जिससे प्रसंस्करण, कोल्ड चेन और निर्यात में 2,000-5,000 नए रोजगार सृजित होंगे।

- 2023 के बाद से डेयरी क्लस्टर में 500-1,000 रोजगार जोड़े गए हैं, जिसमें महिलाओं पर ध्यान केंद्रित किया गया है (जो छत्तीसगढ़ में समान रुझानों के साथ, राष्ट्रीय स्तर पर डेयरी कार्यबल का 71 प्रतिशत हिस्सा है)।
- रोजगार की रिक्तियां मांग को दर्शाती हैं, नौकरी (2025) जैसे प्लेटफार्मों पर जहां 1,100 डेयरी-संबंधित ओपनिंग सूचीबद्ध हैं, ज्यादातर बिक्री, गुणवत्ता नियंत्रण और संचालन से संबंधित हैं।
पनीर, दही, योगर्ट और छाछ जैसे पैकेज्ड डेयरी उत्पादों पर जीएसटी 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है। इस कमी से उपभोक्ता मांग को प्रोत्साहन प्राप्त होने की उम्मीद है, जिससे परिवहन और भंडारण के लिए मजबूत कोल्ड चेन बुनियादी ढांचे की आवश्यकता होगी। यह नीति न केवल नए व्यावसायिक अवसर सृजित करती है और संगठित डेयरी उत्पादन में सहायता करती है, बल्कि महिलाओं के नेतृत्व वाले ग्रामीण उद्यमों को भी सुदृढ़ बनाती है, जिससे इन क्षेत्रों में डेयरी किसानों के लिए आर्थिक संभावनाएं बढ़ती हैं।
निष्कर्ष
हथकरघा, हस्तशिल्प, धातु और वन-आधारित कलाओं, पैकेज्ड डेयरी और सीमेंट में दरों को कम करने से संबंधित छत्तीसगढ़ में हाल ही में किए गए जीएसटी सुधारों से उत्पादन लागत कम होगी, उपभोक्ता मांग को बढ़ावा मिलेगा और प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी। ये उपाय महिला-केंद्रित ग्रामीण उद्यमों को सशक्त बनाएंगे, हजारों कारीगरों को निरंतर प्रोत्साहित करेंगे और निर्यात और औपचारिकता को बढ़ावा देते हुए संगठित औद्योगिक रोजगार सृजन में सहायता करेंगे। आजीविका को सुदृढ़ करने, पारंपरिक कौशल को संरक्षित करने और नए व्यावसायिक अवसरों को सृजित करने के जरिए जीएसटी सुधार समावेशी विकास को बढ़ावा दे रहे हैं और छत्तीसगढ़ को सतत सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए तैयार कर रहे हैं।
संदर्भ
cgstate.gov.in
https://cgstate.gov.in/en
incredibleindia.gov.in
https://www.incredibleindia.gov.in/en/chhattisgarh
cgapexhandloom.org.in
https://www.cgapexhandloom.org.in/portal/about-us
आईबीईएफ
https://ibef.org/exports/powerloom-industry-in-india
tourism.cgstate.gov.in
https://tourism.cgstate.gov.in/themes/Ethnic-Tribal
repository.tribal.gov.in
https://repository.tribal.gov.in/handle/123456789/74989?viewItem=browse
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