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इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में भारत की उन्‍नति


दशक भर में छह गुना वृद्धि के साथ वर्ष 2024–25 में उत्पादन बढ़कर 11.3 लाख करोड़ रुपये हुआ

Posted On: 11 OCT 2025 2:23PM by PIB Delhi

मुख्य बिंदु

  • इलेक्ट्रॉनिक्स का उत्पादन वर्ष 2014-15 के 1.9 लाख करोड़ रुपये से लगभग छह गुना बढ़कर वर्ष 2024-25 में 11.3 लाख करोड़ रुपये हो गया।
  • मोबाइल फ़ोन निर्यात वर्ष 2014-15 के 1,500 करोड़ रुपये से 127 गुना बढ़कर वर्ष 2024-25 में 2 लाख करोड़ रुपये हो गया
  • भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल फ़ोन निर्माता है
  • इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण के क्षेत्र ने पिछले 10 वर्षों में 25 लाख नौकरियों का सृजन किया

 

परिचय

अर्थव्यवस्थाओं को शक्ति प्रदान करते हुए और तकनीकी परिदृश्य को नए सिरे से परिभाषित करते हुए इलेक्ट्रॉनिक्स नवाचार और विकास का इंजन बन गया है। दुनिया भर में, यह क्षेत्र संचार, स्वचालन और कनेक्टिविटी की दिशा में प्रगति को गति देते हुए समाजों के रहने, काम करने और परस्पर संपर्क के तरीके को आकार दे रहा है।

भारत तेज़ी से एक प्रमुख इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण केंद्र के रूप में विकसित हुआ है, जिसने पिछले एक दशक में उत्पादन में लगभग छह गुना वृद्धि दर्ज की है। इस क्षेत्र ने केवल अपने औद्योगिक आधार का ही विस्तार नहीं किया, बल्कि पिछले 10 वर्षों में 25 लाख नौकरियों को भी सृजित किया है, जो रोज़गार और आर्थिक विकास के एक प्रमुख चालक के रूप में इसकी भूमिका को रेखांकित करता है। महत्‍वपूर्ण सरकारी पहलों और मज़बूत नीतिगत समर्थन ने स्थानीय विनिर्माण को और बढ़ावा दिया है, निर्यात का विस्तार किया है और महत्वपूर्ण वैश्विक निवेश आकर्षित किया है।

वर्ष 2030-31 तक 500 बिलियन डॉलर का घरेलू इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण इकोसिस्‍टम निर्मित करने के महत्वाकांक्षी विजन के साथ, भारत घरेलू स्तर पर व्यापक अवसरों का सृजन करने के साथ ही साथ विश्व के लिए नवाचार करते हुए प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में वैश्विक स्‍तर पर अग्रणी के तौर पर उभरने को तैयार है।

इलेक्ट्रॉनिक्स के उत्पादन और निर्यात का परिदृश्य

मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत  जैसी पहलों, मज़बूत नीतिगत समर्थन, तकनीकी प्रगति और कुशल कार्यबल की बदौलत भारत तेज़ी से इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण का वैश्विक केंद्र बन गया है और इसने उत्पादन और निर्यात दोनों को अभूतपूर्व स्तरों पर पहुँचाया है।

प्रमुख उपलब्धियाँ:

  • इलेक्ट्रॉनिक्स का उत्पादन वर्ष 2014-15 के 1.9 लाख करोड़ रुपये से लगभग छह गुना बढ़कर वर्ष 2024-25 में 11.3 लाख करोड़ रुपये हो गया
  • इसी अवधि के दौरान निर्यात 38,000 करोड़ रुपये से आठ गुना बढ़कर 3.27 लाख करोड़ रुपये हो गया
  • पिछले 10 वर्षों में, भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण ने 25 लाख नौकरियों का सृजन किया1
  • वित्त वर्ष 2020-21 से भारत ने इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण के क्षेत्र में 4 बिलियन डॉलर से अधिक का एफडीआई आकर्षित किया है   
  • वित्त वर्ष 2024-25 में भारतीय इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं के लिए शीर्ष 5 निर्यात गंतव्य अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात, नीदरलैंड, ब्रिटेन और इटली हैं

उत्पादन-से संबद्ध प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना और कारोबार करने में सुगमता में सुधार जैसे सहायक उपायों ने विनिर्माण और निर्यात को उल्लेखनीय रूप से बढ़ावा दिया है। इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन में त्‍वरित वृद्धि ने देश भर में रोज़गार के पर्याप्त अवसरों का सृजन किया है, जबकि भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाते और विदेशी निवेश आकर्षित करते हुए वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में गहराई से एकीकृत हो गया है।

मोबाइल विनिर्माण और निर्यात

भारत की मोबाइल फ़ोन क्रांति जीवन और आजीविका को नए आकार में ढाल रही है। 85 प्रतिशत से ज़्यादा भारतीय परिवारों के पास कम से कम एक स्मार्टफ़ोन है, इसके कारण, यह उपकरण आज बैंकिंग, शिक्षा, मनोरंजन और सरकारी सेवाओं तक पहुँच कायम करने के एक साधन के रूप में कार्य करता है। मोबाइल कनेक्टिविटी वित्तीय समावेशन और डिजिटल सशक्तिकरण का एक शक्तिशाली वाहक बन गई है, जिससे भारत दुनिया के सबसे अधिक परस्‍पर संबद्ध समाजों में शुमार हो गया है।

 

प्रमुख उपलब्धियाँ:

  • मोबाइल फ़ोन का उत्पादन वर्ष 2014-15 में 18,000 करोड़ रुपये से 28 गुना बढ़कर वर्ष 2024-25 में 5.45 लाख करोड़ रुपये हो गया है
  • भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल फ़ोन निर्माता बन गया है।
  • भारत का मोबाइल विनिर्माण उद्योग तेज़ी से बढ़ा है - वर्ष 2014 में केवल 2 इकाइयों से बढ़कर आज 300 से ज़्यादा इकाइयों तक पहुँच गया है।
  • सालाना लगभग 330 मिलियन मोबाइल फ़ोन का उत्पादन होता है, और देश भर में लगभग बिलियन उपकरण सक्रिय रूप से उपयोग में लाए जा रहे हैं।
  • वर्ष 2014-15 में निर्यात 1,500 करोड़ रुपये से 127 गुना बढ़कर वर्ष 2024-25 में 2 लाख करोड़ रुपये हो गया।
  • वर्ष 2024 में, भारत से होने वाला एपल का निर्यात रिकॉर्ड 1,10,989 करोड़ रुपये (12.8 बिलियन डॉलर) तक पहुँच गया, जो 42 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि के साथ 1 लाख करोड़ रुपये के आँकड़े को पार कर गया।
  • वित्त वर्ष 2025-26 के मात्र पहले पाँच महीनों में ही, स्मार्टफ़ोन निर्यात 1 लाख करोड़ रुपये तक पहुँच गया, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 55% वृद्धि है।
  • वर्ष 2014-15 में अपनी ज़रूरतों का 78% आयात करने से लेकर आज लगभग सभी उपकरणों का घरेलू स्तर पर निर्माण करने तक भारत ने  मोबाइल उत्पादन में लगभग आत्मनिर्भरता प्राप्त कर ली है ।
  • वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी तिमाही में, भारत चीन को पछाड़कर अमेरिका को शीर्ष स्मार्टफ़ोन निर्यातक बन गया।

 

इंडिया मोबाइल कांग्रेस 2025


इंडिया मोबाइल कांग्रेस का 9वां संस्करण यशोभूमि, नई दिल्ली में आयोजित किया जा रहा है। इसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी करेंगे। यह आयोजन इलेक्ट्रॉनिक्स और मोबाइल उत्पादन, निर्यात और तकनीकी नवाचार में भारत की बढ़ती ताकत को रेखांकित करता है।

 

इसमें 150 देशों के 1.5 लाख से ज़्यादा आगंतुक, 7,000 वैश्विक प्रतिनिधि और 400 कंपनियाँ भाग ले रही हैं। मोबाइल प्रौद्योगिकी, 5G, 6G, एआई, स्मार्ट मोबिलिटी, साइबर सुरक्षा, क्वांटम कंप्यूटिंग और हरित प्रौद्योगिकी के 1,600 से ज़्यादा उपयोग-मामलों को 800 वक्ताओं के साथ 100 सत्रों में प्रदर्शित किया जाएगा।

इस आयोजन में भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स और मोबाइल क्षेत्र को आकार देने वाली प्रौद्योगिकियों को रेखांकित करने वाले छह प्रमुख वैश्विक शिखर सम्मेलन शामिल हैं:

  • 6G अनुसंधान में भारत के नेतृत्व को प्रदर्शित करती अंतर्राष्ट्रीय भारत 6G संगोष्ठी
  • नेटवर्क और मोबाइल सेवाओं में एआई अनुप्रयोगों पर केंद्रित अंतर्राष्ट्रीय एआई शिखर सम्मेलन
  • 1.2 बिलियन से ज़्यादा उपयोगकर्ताओं के लिए सुरक्षित दूरसंचार पर ज़ोर देता साइबर सुरक्षा शिखर सम्मेलन,
  • उपग्रह-आधारित संचार समाधान तलाशता सैटकॉम शिखर सम्मेलन
  • स्टार्टअप्स को वैश्विक निवेशकों से जोड़ता आईएमसी एस्पायर कार्यक्रम
  • अंतर्राष्ट्रीय वित्तपोषण के अवसर प्रदान करता - ग्लोबल स्टार्टअप वर्ल्ड कप - भारत संस्करण

 

आईएमसी 2025 उत्पादन, निर्यात और अगली पीढ़ी की प्रौद्योगिकी अपनाने में सहायता करते हुए  इलेक्ट्रॉनिक्स और मोबाइल नवाचार के वैश्विक केंद्र के रूप में भारत की स्थिति को दर्शाता है।

 

 

आधुनिक उद्योगों की रीढ़ के रूप में इलेक्ट्रॉनिक्स 3

     इलेक्ट्रॉनिक्स आधुनिक अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। घरों से लेकर अस्पतालों तक, और कारखानों से लेकर वाहनों तक, ये दक्षता, आराम और नवाचार को संभव बनाते हैं। आज हर प्रमुख क्षेत्र प्रदर्शन में सुधार, सुरक्षा बढ़ाने और बेहतर सेवाएँ प्रदान करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स पर निर्भर है। जैसे-जैसे प्रौद्योगिकी विकसित हो रही है, उद्योगों में प्रगति को आगे बढ़ाने में इलेक्ट्रॉनिक्स का महत्व बढ़ता जा रहा है।

कुछ ऐसे क्षेत्र जहाँ इलेक्ट्रॉनिक्स महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, निम्‍नलिखित हैं:

उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स

उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स दैनिक जीवन का अभिन्न अंग बन गए हैं। अब हर घर टेलीविज़न, रेफ्रिजरेटर, एयर कंडीशनर और वाशिंग मशीन जैसे उपकरणों पर निर्भर है। ये उत्पाद घरों में सुविधा, मनोरंजन और दक्षता लाते हैं। उपभोक्ता उपकरणों का बढ़ता सामर्थ्‍य और विविधता, लाखों लोगों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने में इलेक्ट्रॉनिक्स की बढ़ती भूमिका को दर्शाते हैं।

इलेक्ट्रॉनिक घटक

इलेक्ट्रॉनिक घटक संपूर्ण इलेक्ट्रॉनिइक्स इकोसिस्‍टम  की नींव हैं। ये साधारण घरेलू उपकरणों से लेकर जटिल औद्योगिक प्रणालियों तक, हर उपकरण को शक्ति प्रदान करते हैं। इन आवश्यक पुर्जों के बिना कोई भी निर्माता उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स, रक्षा प्रणालियाँ या चिकित्सा उपकरण नहीं बना सकता। इस उप-क्षेत्र की ताकत इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग की समग्र दृढ़ता और प्रतिस्पर्धात्मकता निर्धारित करती है।

 

ऑटोमोटिव इलेक्ट्रॉनिक्स

प्रदर्शन, सुरक्षा और कनेक्टिविटी के लिए आधुनिक वाहनों की इलेक्ट्रॉनिक्स पर निर्भरता तेज़ी से बढ़ रही है। जैसे-जैसे दुनिया इलेक्ट्रिक और स्मार्ट मोबिलिटी का रुख कर रही है, ऑटोमोटिव इलेक्ट्रॉनिक्स की मांग तेज़ी से बढ़ रही है। शहरीकरण और स्वच्छ परिवहन की बढ़ती ज़रूरत इस बदलाव को और तेज़ कर रही है। सेंसर से लेकर इंफोटेनमेंट सिस्टम तक, इलेक्ट्रॉनिक्स वाहनों के संचालन और उपयोगकर्ताओं के साथ उनके संपर्क के तरीके को बदल रहे हैं।

चिकित्सा इलेक्ट्रॉनिक्स

जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों में वृद्धि और स्वास्थ्य सेवाओं की बढ़ती माँग ने चिकित्सा इलेक्ट्रॉनिक्स के बाज़ार का विस्तार किया है। ऑक्सीमीटर, ग्लूकोमीटर और डिजिटल मॉनिटर जैसे उपकरण अब घरों और अस्पतालों दोनों में सामान्‍य हो गए हैं। चिकित्सा प्रौद्योगिकी में नवाचार निदान, उपचार और रोगी देखभाल में सुधार ला रहे हैं। इलेक्ट्रॉनिक्स ने स्वास्थ्य सेवा को बदलती दुनिया की ज़रूरतों के हिसाब से ज़्यादा सुलभ, सटीक और संवेदनशील बना दिया है।

 

 इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण की दिशा में प्रमुख सरकारी पहल

भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग मज़बूत नीतिगत समर्थन और लक्षित सरकारी पहलों के आधार पर विकसित हुआ है। इन कार्यक्रमों का उद्देश्य वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी विनिर्माण इकोसिस्‍टम का निर्माण करना, निवेश आकर्षित करना और बड़े पैमाने पर रोज़गार सृजन करते हुए वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में भारत की भूमिका मज़बूत करना है।

उत्पादन-से संबद्ध प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना 4

1.97 लाख करोड़ रुपये के परिव्यय वाली उत्पादन-से संबद्ध प्रोत्साहन योजना इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी हार्डवेयर सहित 14 प्रमुख क्षेत्रों को कवर करती है। यह कंपनियों को उत्पादन बढ़ाने, नई तकनीकों को अपनाने और निर्यात का विस्तार करने के लिए प्रोत्साहित करती है।

 

बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण और आईटी हार्डवेयर के लिए पीएलआई योजना

  • 13,107 करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित किया गया

· उत्पादन किया गया : 8.56 लाख करोड़ रुपये

· निर्यात हासिल किया गया : 4.65 लाख करोड़ रुपये

  • 1.35 लाख से ज़्यादा प्रत्यक्ष नौकरियों का सृजन

*जून 2025 तक के आँकड़े

 

जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है, वित्त वर्ष 2020-21 से भारत ने इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण के क्षेत्र में 4 बिलियन डॉलर से अधिक का एफडीआई आकर्षित किया है। इस एफडीआई के लगभग 70% का योगदान पीएलआई योजना के लाभार्थियों द्वारा किया गया है।

इलेक्ट्रॉनिक घटकों और सेमीकंडक्‍टरों के विनिर्माण को बढ़ावा देने की योजना (एसपीईसीएस)5

एसपीईसीएस योजना प्रमुख इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं के उत्पादन हेतु पूंजीगत व्यय पर 25 प्रतिशत वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान करती है। यह योजना महत्वपूर्ण आपूर्ति श्रृंखला की खामियों को दूर करने, स्थानीय उत्पादन को प्रोत्साहित करने और भारत द्वारा अलग-अलग घटकों को जोड़ने या असेंबल करने पर आधारित विनिर्माण से उच्च-मूल्य वाले घटक विनिर्माण की ओर रुख किए जाने में सहायक है।

 

इलेक्ट्रॉनिक्स घटक विनिर्माण योजना (ईसीएमएस)6

मंत्रिमंडल द्वारा 1 मई 2025 को 22,919 करोड़ रुपये के वित्तीय परिव्यय के साथ अनुमोदित ईसीएमएस को 249 आवेदन प्राप्त हुए हैं, जो उद्योग जगत की गहरी रुचि को इंगित करते हैं। 1,15,351 करोड़ रुपये की अनुमानित निवेश प्रतिबद्धता 59,350 करोड़ रुपये के मूल लक्ष्य से लगभग दोगुना है।

 इस योजना से अगले छह वर्षों में 10,34,700 करोड़ रुपये मूल्य का उत्पादन होने की अपेक्षा है, जो 4,56,000 करोड़ रुपये के प्रारंभिक लक्ष्य का 2.2 गुना है। इससे 1,42,000 प्रत्यक्ष रोजगार सृजित होने का अनुमान है,

जो 91,600 के लक्ष्य से कहीं अधिक है, साथ ही कई गुना संख्या में अप्रत्यक्ष रोजगार भी सृजित होंगे। यह रोजगार और आर्थिक विकास को बड़े पैमाने पर गति देने की इस योजना की क्षमता को प्रदर्शित करता है।

इस योजना को मिली जबरदस्त प्रतिक्रिया वैश्विक मंच पर भारत के बढ़ते कद और एमएसएमई सहित घरेलू इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग में बढ़ते विश्वास को दर्शाती है। 1 मई 2025 से शुरू होने वाली तीन महीने की प्रारंभिक आवेदन अवधि को 30 सितंबर 2025 तक बढ़ा दिया गया था। ईसीएमएस से वर्ष 2030-31 तक 500 बिलियन डॉलर के घरेलू इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण इकोसिस्‍टम के प्रधानमंत्री के विजन की दिशा में भारत की यात्रा में तेजी आने की उम्मीद है।

राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स नीति (एनपीई) 2019

राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स नीति का उद्देश्य भारत को इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम डिज़ाइन एंड मैन्‍युफैक्‍चरिंग (ईएसडीएम) के लिए एक वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करना है। इसका लक्ष्य वर्ष 2025 तक ईएसडीएम से 400 बिलियन डॉलर का राजस्व प्राप्त करना है। यह नीति नवाचार को बढ़ावा देती है, डिज़ाइन-आधारित विनिर्माण को प्रोत्साहित करती है, और उद्योग का दीर्घकालिक विकास सुनिश्चित करने के लिए अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देती है।

निष्‍कर्ष

भारत की इलेक्ट्रॉनिक्स और मोबाइल विनिर्माण यात्रा महत्वाकांक्षा, नवाचार और वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता को दर्शाती है। उत्पादन-से संबद्ध प्रोत्साहन  (पीएलआई) योजना, इलेक्ट्रॉनिक्स घटक विनिर्माण योजना (ईसीएमएस), और इलेक्ट्रॉनिक घटकों और सेमीकंडक्‍टरों के विनिर्माण को बढ़ावा देने की योजना (एसपीईसीएस)  जैसी योजनाओं ने घरेलू उत्पादन को बढ़ावा दिया है, आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत किया है और निर्यात को बढ़ावा दिया है। राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स नीति और मेक इन इंडिया के तहत पहलों के साथ, इन उपायों ने रोजगार सृजन किया है, निवेश आकर्षित किया है और भारत की तकनीकी आत्मनिर्भरता को बढ़ाया है। निरंतर नवाचार और नीतिगत समर्थन के साथ, देश वर्ष 2030-31 तक 500 बिलियन डॉलर का घरेलू इलेक्ट्रॉनिक्स इकोसिस्‍टम हासिल करने और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं मोबाइल प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में वैश्विक स्‍तर पर अग्रणी के रूप में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए तैयार है।  

 

संदर्भ:

पीआईबी बैकग्राउंडर्स:

इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय:

संचार मंत्रालय :

सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय :

वाणिज्‍य एवं उद्योग मंत्रालय :

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पीके/केसी/आरके


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