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जीएसटी सुधारों से झारखंड में आर्थिक संभावनाओं के द्वार खुले

Posted On: 11 OCT 2025 11:38AM by PIB Delhi

मुख्‍य विशेषताएं

  1. झारखंड भारत के 20-25 प्रतिशत स्टील का उत्पादन करता है, वाहनों और ऑटो कंपोनेंट पर जीएसटी में कटौती से लागत में 7.8-11 प्रतिशत की कमी आएगी।
  2. राज्य में भारत के लौह अयस्क भंडार का 26 प्रतिशत हिस्सा है; जीएसटी में 12 प्रतिशत से 5 प्रतिशत तक की कटौती से सभी उत्पादों में लागत में~6.25 प्रतिशत की कमी आ जाएगी
  3. कृषि (जीएसडीपी का 18.2 प्रतिशत, कार्यबल का 50.4 प्रतिशत) और वन-आधारित आजीविका (~ 20 लाख लोग) को जीएसटी में कटौती से लाभ होगा और इनपुट तथा उत्पाद लागत में 3-11 प्रतिशत की कमी आएगी।
  4. 7,500 रूपये की दर वाले होटल के कमरों पर जीएसटी कटौती से ~6.25 प्रतिशत तक लागत में कमी आएगी, जिससे मांग बढ़ेगी और छोटे ऑपरेटरों को सहायता प्राप्‍त होगी।

 

प्रस्‍तावना

2000 में स्थापित, झारखंड पूर्वी भारत का एक राज्य है जहां प्रचुर प्राकृतिक संसाधन, मजबूत इस्पात और भारी इंजीनियरिंग उद्योग तथा विशाल लौह अयस्‍क भंडार स्थित है। राज्य के 29 प्रतिशत से अधिक हिस्से पर वन और वुडलैंड हैं जो भारत में सबसे अधिक है। एक जनजातीय बहुल राज्य, झारखंड की अर्थव्यवस्था कृषि और संबद्ध क्षेत्रों से भी महत्वपूर्ण शक्ति प्राप्त करती है, जिससे इसकी आबादी के एक बड़े हिस्से की सहायता करती है।

हाल ही में किए गए जीएसटी सुधारों ने प्रमुख उद्योगों में दरों में पर्याप्त कटौती की है और झारखंड के आर्थिक परिदृश्य पर परिवर्तनकारी प्रभाव डाला है। लागत कम करके और सामर्थ्य में सुधार करके, ये सुधार न केवल घरेलू खपत को प्रोत्साहित करते हैं बल्कि झारखंड के औद्योगिक और खनिज निर्यात की वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता को भी बढ़ाएंगे। इसके अतिरिक्त, ये सुधार कृषि, विनिर्माण और सेवाओं की मूल्य श्रृंखलाओं के साथ रोजगार के अवसरों को उत्प्रेरित करते हैं।

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इस्पात और भारी इंजीनियरिंग उत्पाद

इस्पात और भारी इंजीनियरिंग झारखंड के औद्योगिक विकास की रीढ़ हैं, जो भारत के कुल इस्पात उत्पादन में लगभग 20-25 प्रतिशत का योगदान देते हैं। राज्य में जमशेदपुर (टाटा स्टील) और बोकारो (सेल-बोकारो स्टील प्लांट) जैसे प्रमुख औद्योगिक केंद्र हैं, साथ ही सिंहभूम और बोकारो जिलों में धातु विज्ञान आधारित आपूर्ति श्रृंखलाओं का एक व्यापक नेटवर्क है। यह इकोसिस्‍टम एक बड़े औपचारिक कार्यबल - एक लाख से अधिक लोग (सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के अनुसार 2022-23 तक 1,04,309) को बनाए रखता है और फैब्रिकेशन तथा सेवाओं में लगे विशाल वेंडर और एमएसएमई आधार की सहायता करता है।

झारखंड के इस्पात और भारी इंजीनियरिंग उत्पादों के प्राथमिक उपभोक्ताओं में घरेलू निर्माण, बुनियादी ढांचा, मोटर वाहन और पूंजीगत सामान उद्योग शामिल हैं। यह राज्य अमरीका, चीन, जापान, नेपाल, बांग्लादेश और यूरोप जैसे प्रमुख अंतरराष्ट्रीय बाजारों में मूल्य वर्धित इस्पात उत्पादों का निर्यात भी करता है, जिससे घरेलू और वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में एक महत्वपूर्ण देश के रूप में भारत की स्थिति मजबूत होती है।

हाल ही में किए गए जीएसटी सुधारों ने राज्य की औद्योगिक गति को और सुदृढ़ किया है। झारखंड के इस्पात की खपत करने वाले क्षेत्रों को जीएसटी दरों में कमी का लाभ मिलेगा। दोपहिया वाहनों (350 सीसी तक की बाइक) और छोटी कारों पर टैक्स 28 प्रतिशत से घटाकर 18 प्रतिशत कर दिया गया है, जबकि 1800 सीसी से कम सीसी वाले ट्रैक्टरों पर अब 12 प्रतिशत के बजाय 5 प्रतिशत टैक्स लगता है। इसी तरह, ट्रैक्टर के पुर्जों में 18 प्रतिशत/12 प्रतिशत से 5 प्रतिशत और वाणिज्यिक माल वाहनों में 28 प्रतिशत से 18 प्रतिशत तक की कमी देखी गई है। ऑटो कंपोनेंट के लिए जीएसटी दरों को 28 प्रतिशत से घटाकर 18 प्रतिशत कर दिया गया है।

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विशेष रूप से, दरों में कटौती ऑटो और मशीनरी मूल्य श्रृंखला में लागत को 7.8 प्रतिशत से 11.0 प्रतिशत तक कम करती हैं, जिससे वाहन और उपकरण किफायती हो जाते हैं और मांग बढ़ जाती है। उत्पादन, लॉजिस्टिक्स और फैब्रिकेशन में परिणामी वृद्धि से झारखंड के इस्पात और भारी इंजीनियरिंग क्षेत्र में उच्च क्षमता उपयोग को बढ़ावा मिलता है, व्यापक रोजगार पैदा होता है, एमएसएमई ऑर्डर में वृद्धि होती है और राज्य के विनिर्माण इकोसिस्‍टम में लिंकेज मजबूत होते हैं।

लोहा

झारखंड में प्रचुर मात्रा में खनिज अवयव पाए जाते हैं, जो भारत के कुल लौह अयस्क भंडार का 26 प्रतिशत है। राज्य के लौह उद्योग मिट्टी के तेल और लकड़ी से जलने वाले स्टोव, बरतन, दूध के डिब्बे और कारीगरी वाले बर्तनों सहित विभिन्न प्रकार के सामानों का उत्पादन करते हैं, जो मुख्य रूप से पश्चिम सिंहभूम (नोआमुंडी और गुआ), सिंहभूम बेल्ट और कोल्हान क्षेत्र में केंद्रित हैं। यह सेक्‍टर व्‍यापक स्‍तर पर खनन उद्यमों सार्वजनिक और निजी दोनों - तथा लघु समुदाय आधारित इकाइयों के मिश्रण के माध्यम से संचालित होता है, जहां कई जनजातीय और वन-सीमांत समुदाय भाग लेते हैं और साथ ही पूरक आय के लिए मौसमी कृषि पर भी निर्भर रहते हैं।

झारखंड के लौह उद्योग में लगभग एक लाख लोग कार्यरत हैं, जो पड़ोसी राज्‍य ओडिशा सहित घरेलू इस्पात मिलों के साथ-साथ स्थानीय इस्पात संयंत्रों को कैप्टिव खपत के लिए आपूर्ति करते हैं। इसके अतिरिक्त, चुनिंदा अयस्कों और खनिजों का निर्यात चीन, जापान, यूरोप और दक्षिण पूर्व एशिया जैसे प्रमुख वैश्विक बाजारों में किया जाता है, जो अंतरराष्ट्रीय आपूर्ति श्रृंखला में झारखंड की भूमिका को सुदृढ़ करता है।

हाल के जीएसटी सुधारों के तहत, लोहे पर कर की दर को 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है, जिससे विभिन्न उत्पाद श्रेणियों में लागत में लगभग 6.25 प्रतिशत की अनुमानित कमी आई है। यह कदम मूल्य प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाता है, उत्पादकों और निर्यातकों के लिए लाभ मार्जिन में सुधार करता है और झारखंड के लौह-आधारित उद्योगों के विकास को बढ़ावा देता है तथा रोजगार को प्रोत्साहित करता है।

कृषि एवं खाद्यान्न

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झारखंड में कृषि मुख्य रूप से सीमांत और छोटे किसानों द्वारा संचालित होती है, जिनमें से कई जनजातीय समुदायों से संबंधित हैं और निर्वाह खेती और गैर-लकड़ी वन उपज (एनटीएफपी) आधारित आजीविका के मिश्रण पर निर्भर हैं। एनसीएईआर और नीति आयोग की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस क्षेत्र ने 2021-22 में झारखंड के सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) में 18.2 प्रतिशत का योगदान दिया। राज्य की लगभग 50.4 प्रतिशत कामकाजी आबादी कृषि और संबद्ध गतिविधियों में लगी हुई है।

पठारी और घाटी के जिले- विशेष रूप से रांची, हजारीबाग, पलामू और लातेहार, कृषि कार्यकलापों के केंद्र हैं। कृषि उपज के प्रमुख खरीदारों में घरेलू मंडियां, प्रसंस्करण उद्योग, राज्य खरीद एजेंसियां और एनटीएफपी एग्रीगेटर शामिल हैं। जहां झारखंड के समग्र निर्यात में खनिजों और औद्योगिक वस्तुओं का वर्चस्व है, वहीं कृषि निर्यात परिमाण सीमित ही बना हुआ है।

हाल ही में जीएसटी सुधारों ने प्रसंस्कृत खाद्यान्न पर दरों को 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया है, जो किसानों को सीधा लाभ है। यह उपाय इनपुट लागत को 3-8 प्रतिशत तक कम कर देता है, जिससे कृषि लाभप्रदता में सुधार होता है, मूल्यवर्धन और प्रसंस्करण को प्रोत्साहित किया जाता है, और राज्य भर में ग्रामीण आय स्थिरता में वृद्धि होती है

वनों के उत्‍पाद

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झारखंड' की पहचान प्राचीन समय से ही इसके जंगलों के साथ गहरे रूप से जुड़ी हुई है- झारखंड का अर्थ ही "वनों की भूमि" है।" भावना और वास्तविकता दोनों में, राज्य वन और जैव विविधता संरक्षण की एक समृद्ध विरासत का प्रतीक है, जो इसके सांस्कृतिक और पारिस्थितिक लोकाचार का एक अभिन्न अंग बना हुआ है।

हजारीबाग, लातेहार और पश्चिमी सिंहभूम जिलों में व्यापक वन क्षेत्र है, जो एक बड़ी जनजातीय आबादी की सहायता करते हैं जो लोग जीविका और मौसमी आय के लिए एनटीएफपी पर बहुत अधिक निर्भर है। यहां के प्रमुख उत्पादों में लाख, तेंदू पत्ते और शहद शामिल हैं, जिसमें लाख क्षेत्रीय रूप से महत्वपूर्ण आजीविका स्रोत के रूप में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।

झारखंड में वन आधारित उद्योग लगभग 20 लाख निर्धन और जनजातीय श्रमिकों का भरण-पोषण  करता है, जिनकी आजीविका संबंधित कार्यकलापों से निकटता से जुड़ी हुई है। प्रमुख घरेलू खरीदारों में झारखंड राज्य वन विकास निगम, स्थानीय कृषि-प्रसंस्करणकर्ता और निर्माण उद्योग शामिल हैं। निर्यात के मोर्चे पर, झारखंड की वन उपज बांग्लादेश, अमरीका, यूरोपीय संघ, दक्षिण पूर्व एशियाई देशों और मध्य पूर्व के बाजारों तक पहुंचती है।

हाल ही में किए गए जीएसटी सुधारों ने इस क्षेत्र की आर्थिक व्यवहार्यता को और सुदृढ़ किया है। तेंदूपत्तों पर जीएसटी की दर 18 प्रतिशत  से घटाकर 5 प्रतिशत  और बांस पर जीएसटी की दर घटाकर 12 प्रतिशत से 5 प्रतिशत कर दी गई है, इससे लागत में 6.25 प्रतिशत से 11.01 प्रतिशत की अनुमानित कमी आएगी। इन कटौतियों से मूल्य प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ती है, उत्पादक मार्जिन बढ़ता है और पूरे झारखंड में वन-निर्भर समुदायों के लिए आय सुरक्षा बढ़ती है।

पर्यटन

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अपनी पहाड़ियों, घने जंगलों और झरनों के साथ, झारखंड पर्यटकों को प्रकृति के अनछुए और अछूते रूप का अनुभव करने का अवसर प्रदान करता है। अपनी प्राकृतिक सुंदरता के अतिरिक्‍त, राज्य में संग्रहालय, मंदिर और वन्यजीव अभयारण्य भी हैं, जो इसकी सांस्कृतिक और पारिस्थितिक विविधता को दर्शाते हैं। दो दशक पहले बिहार से अलग होकर बनने के बाद से, झारखंड लगातार एक विकासशील लेकिन आशाजनक पर्यटन स्थल के रूप में अपनी पहचान बना रहा है और अपने औद्योगिक स्वरूप को पारिस्थितिक और सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ावा देने के प्रयासों के साथ संतुलित कर रहा है। यहां के प्रमुख गंतव्‍य स्‍थलों में देवघर (बैद्यनाथ धाम), पारसनाथ (जैन तीर्थस्थल), रजरप्पा (रजरप्पा मंदिर), जगन्नाथ मंदिर (रांची क्षेत्र) शामिल हैं।

झारखंड की पर्यटन अर्थव्यवस्था छोटे होटलों और होमस्टे मालिकों, लॉज और गेस्टहाउस कर्मचारियों, स्थानीय गाइडों, प्रकृतिवादियों, परिवहन संचालकों (टैक्सी और टेम्पो चालकों), खाद्य सेवा कर्मियों, हस्तशिल्प कारीगरों, स्थानीय व्यापारियों और जनजातीय गांवों में अनुभवात्मक पर्यटन प्रदान करने वाले सामुदायिक मेज़बानों के एक व्यापक नेटवर्क द्वारा समर्थित है।

हाल में किए गए जीएसटी सुधारों से झारखंड के पर्यटन और आतिथ्य क्षेत्र को लाभ होगा। प्रति रात 7,500 रूपये या उससे कम कीमत वाले होटल के कमरों पर कर की दर 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दी गई है, जिससे ठहरना लगभग 6.25 प्रतिशत सस्ता हो गया है। दरों में यह कटौती खाद्य और पेय सेवाओं की लागत को कम करती है। इससे राज्य के छोटे और मध्यम स्तर के पर्यटन ऑपरेटरों को कुछ राहत मिली है और आगंतुकों के लिए यात्रा और आवास अधिक किफायती हो गया है।

निष्‍कर्ष

समृद्ध खनिज अवयवों, वनों और प्राकृतिक संपदा से संपन्न झारखंड के लिए जीएसटी सुधार एक बड़ा प्रोत्‍साहन है, जिससे इस्पात, लोहा, कृषि, वन उत्पादों और पर्यटन सेक्‍टरों की दरों में कमी आई हैं। दरों में यह कटौती राज्य के औद्योगिक और खनिज आधार को सुदृढ़ करती है, कृषि और वन आय को बढ़ाती है और पर्यटन तथा आतिथ्य को अधिक किफायती बनाती है। सामूहिक रूप से जीएसटी सुधार औद्योगिक विकास को गति देते हैं, ग्रामीण उद्यमों को पुनर्जीवित करते हैं और समावेशी रोजगार के अवसर सृजित करते हैं, जिससे झारखंड को अधिक प्रतिस्पर्धी और निवेश के लिए तैयार अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित करने में मदद मिलेगी

संदर्भ

jharkhand.gov.in

https://www.jharkhand.gov.in/

knowindia.india.gov.in

https://knowindia.india.gov.in/states-uts/jharkhand.php

incredibleindia.gov.in

https://www.incredibleindia.gov.in/en/jharkhand

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