नीति आयोग
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नीति आयोग द्वारा 'रोडमैप फॉर जॉब क्रिएशन इन एआई इकॉनमी' अर्थात एआई आधारित अर्थव्यवस्था में नौकरियां पैदा करने की योजना जारी की गई

प्रविष्टि तिथि: 10 OCT 2025 5:45PM by PIB Delhi

नीति आयोग ने आज एआई आधारित अर्थव्यवस्था में नौकरियां पैदा करने के लिए योजना का खाका जारी किया। योजना के दस्तावेज का विमोचन नीति आयोग के सीईओ अर्थात मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री बी.वी.आर. सुब्रह्मण्यम ने किया। इस अवसर पर विद्यालयी शिक्षा एवं साक्षरता विभा्र के सचिव श्री संजय कुमार, उच्च शिक्षा विभाग के सचिव श्री विनीत जोशी, नीति आयोग की डिस्टिंग्विश्ड फैलो सुश्री देबजानी घोष, एवं अन्य गणमान्य मेहमान एवं विशिष्टजन भी उपस्थित रहे।

योजना के अंतर्गत यह पड़ताल की गई है कि आर्टिफिशियल इंटैलिजेंस अर्थात कृत्रिम मेधा किस प्रकार कार्य, कर्मी, एवं कार्यबल की दृष्टि से टेक सेवा उद्योग को बदल रही है। इसमें यह तथ्य स्वीकार किया गया है कि साल 2031 तक जहां भारत के टेक सेवा उद्योग को नौकरियों में भारी उलटफेर की चुनौती पेश आएगी वहीं अगले पांच साल के दौरान इस क्षेत्र में 40 लाख नई नौकरियां पैदा होने की गुंजाइश भी दिख रही है। उलटफेर को अवसर में बदलने के लिए नीति आयोग ने नेशनल एआई टैलेंट मिशन बनाने की सिफारिश की है। उसके अनुसार यह मिशन उन्मुक्त, राष्ट्रीय स्तर पर समन्वित प्रयास होगा जिससे भारत का विश्व की एआई कार्यबल राजधानी में कायाकल्य किया जा सकेगा। रिपोर्ट में इस बात पर जोर है कि एआई के उलटफेर ने भारत के 245 अरब डॉलर मूल्य के प्रौद्योगिकी एवं सीएक्स सेक्टरों में नौकरियां का स्वभाव पहले से ही बदल दिया है। इसलिए तत्काल कार्रवाई के बिना क्यूए इंजीनियरों एवं एल1 सपोर्ट एजंटों जैसी आम भूमिकाओं की जरूरत तेजी से खत्म होने की आशंका है। इसके बावजूद समुचित कौशल वर्धन, पुनर्कुशलन एवं नवोन्मेष के बूते नैतिक एआई विशेषज्ञों एवं एआई प्रशिक्षकों से लेकर सेंटीमेंट अनैलिस्ट एवं एआई डेवआॅप्स इंजीनियरों तक भारत, एआई फर्स्ट रोल्स का वैश्विक केंद्र बन सकता है।

नीति आयोग के अनुसार भारत की शक्ति इसके लोगों में निहित है। देश में 90 लाख से अधिक प्रौद्योगिकी एवं उपभोक्ता अनुभव प्रफेशनलों एवं युवा डिजिटल प्रतिभाओं के विश्व में सबसे बड़े समूह के अूते हमारे पास संख्या एवं महत्वाकांक्षा दोनों ही प्रचुर मात्रा में हैं। नीति आयोग के सीईओ श्री बी.वी.आर. सुब्रह्मण्यम ने कहा कि 'हमें अब त्वरित उपाय, दृष्टि एवं समन्वय विकसित करने की आवश्यकता है'। 

'नौकरियां छूटने एवं नौकरी पैदा होने के बीच अंतर सरासर इस बात पर निर्भर है कि हम अभी क्या निर्णय करते हैं। इस योजना में ऐसे स्पष्ट एवं लागू करने योग्य उपायों को रेखांकित किया गया है जिनसे साल 2035 तक भारत एआई प्रतिभा का वैश्विक स्रोत बन सकता है'देबजानी घोष ने यह बात कही। सुश्री घोष, नीति आयोग में डिस्टिंग्विंश्ड फैलो हैं।

इस योजना में ऐसा मिशन मोड रूख अपनाया गया है जो तीन पायों पर टिका है। ये पाये हैं— समूची शिक्षा प्रणाली में एआई की पढ़ाई का प्रसार जिससे विद्यालयों, विश्वविद्यालयों एवं कौशल कार्यक्रमों में एआई की पढ़ाई बुनियादी कौशल के रूप में विद्यार्थी ग्रहण कर पाएंगे। दूसरा पाया है— पुनर्कुशलन व्यवस्था की स्थापना जो लाखों प्रौद्योगिकी एवं सीएक्स प्रफैशनलों का उच्च प्रौद्योगिकीय गुरों में कौशल संवर्धन एवं पुनर्कुशलन करके उन्हें एआई संवर्धित बहुमूल्य भूमिकाओं के लिए तैयार किया जा सके। तीसरा पाया है— भारत को वैश्विक एआई प्रतिभा चुम्बक के रूप में स्थापित करना। इसके लिए घरेलू प्रतिभा को थाम कर रखना, अंतरराष्ट्रीय विषेषज्ञों को आकर्षित करना और देश को प्रमुख एआई कौशल प्रशिक्षण केंद्र के रूप में स्थापित करना।

योजना के दस्तावेज में प्रस्तावित ​इंडिया एआई टेलेंट मिशन तथा पहले से चालू इंडिया एआई मिशन के बीच गहन सहयोग पर भी जोर दिया गया है। इसके साथ ही शिक्षा जगत, सरकार एवं उद्योग जगत के मध्य भी भागीदारी का सुझाव है जिससे कंप्यूटर बुनियादी ढांचे एवं डेटा की उपलब्धता का सहयोगात्मक वातावरण बन सके जिनमें प्रशिक्षित प्रतिभाओं को भविष्य के आविष्कारकों एवं शोधार्थियों को ढाला जा सके।

दस्तावेज के अनुसार, एआई अर्थव्यवस्था में भारत का भविष्य निर्णायक कार्रवाई पर निर्भर करता है। इसके लिए सरकार, उद्योग एवं शिक्षा जगत के मध्य समन्वित नेतृत्व की आवश्यकता है। इन उपायों से भारत में वर्तमान कार्यबल का रोजगार तो बचेगा ही साथ ही एआई का वैश्विक स्वरूप तय करने में भी हमारी नेतृत्वकारी भूमिका स्थापित होगी।

'रोडमैप फॉर जॉब क्रिएशन इन द एआई इकॉनमी' को नीति आयोग के फ्रंटियर टेक हब नैसकॉम एवं बीसीजी ने विकसित किया है। इसके लिए आईबीएम, इन्फोसिस, टेक महेंद्रा, एलटीआईमाइंडट्री, टेलीपरफॉरमेंस आदि  अगुआ उद्योगों की विशेषज्ञ परिषद का मार्गदर्शन भी लिया गया है। यह दस्तावेज साल 2035 तक भारत के भरोसेमंद वैश्विक एआई कार्यबल एवं नवोन्मेष भागीदार बनने का मार्ग प्रशस्त करेगा।

योजना दस्तावेज के विमोचन में उद्योग के सदस्यों एवं विकास भागीदारों ने गंभीरता से हिस्सा लिया जिससे जिससे भारत के एआई पर सवार भविष्य निर्माण के लिए सामूहिक प्रतिबद्धता परिलक्षित होती है।

रोडमैप/योजना दस्तावेज यहां पर उपलब्ध है: https://niti.gov.in/sites/default/files/2025-10/Roadmap_for_Job_Creation_in_the_AI_Economy.pdf

 

नीति फ्रंटियर टेक हब का परिचय:

 

नीति फ्रंटियर टेक हब को विकसित भारत संबंधी योजनाओं के नियोजन— कार्रवाई आदि का वैचारिक एवं कार्रवाई संबंधी कार्यबल है। सरकार, उद्योग एवं शिक्षा जगत के 100 से अधिक विशेषज्ञों के सहयोग से यह कार्यबल 20 से अधिक सेक्टरों के लिए योजना बना रहा है। इस नियोजन में  फ्रंटियर प्रौद्योगिकियों के प्रयोग से परिवर्तनकारी वृ​द्धि एवं सामाजिक विकास करने के उपाय तय करना शामिल है। देशव्यापी स्तर पर सभी भागीदारों एवं सामूहिक कार्रवाई सुनिश्चित करके यह हब/केंद्र काल करे सो आज कर की भावना से काम कर रहा है जिससे साल 2047 तक समृद्ध, सशक्त एवं प्रौद्योगिकीय रूप में आधुनिक भारत की नींव पड़ सके।

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पीके/केसी/एएम

 


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