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जीएसटी सुधार 2025: महाराष्ट्र की अर्थव्यवस्था को कैसे विभिन्न क्षेत्रों में होगा लाभ

Posted On: 05 OCT 2025 1:26PM by PIB Delhi

मुख्य बिंदु

  • प्रसंस्कृत चीनी और खाद्य पदार्थ पर जीएसटी में कटौती से लागत में 6-7 प्रतिशत की कमी आयेगी - जिससे करीब 50 लाख किसानों और दो लाख कामगारों को लाभ होगा।
  • प्रसंस्कृत & संरक्षित मछली 5 प्रतिशत जीएसटी की वजह से सस्ती हो जायेगी- इससे दो लाख मछुआरों को लाभ होगा।
  • वस्त्र, चमड़ा, पैठणी और वरली कला पर जीएसटी कम होने से 11 लाख कामगारों और कारीगरों की आजीविका बेहतर होगी।
  • ऑटो, रक्षा और सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में जीएसटी में कटौती से इसके केन्द्रों को बढ़ावा मिलेगा जिसमें लाखों लोगों को रोजगार मिला हुआ है।
  • दवाओं पर जीएसटी कटौती और बीमा पर जीएसटी छूट से स्वास्थ्य सेवा और बीमा प्रीमियम सस्ते हो जाएँगे।

 

परिचय

महाराष्ट्र में कृषि, उद्योग और सेवा क्षेत्र मजबूत स्थिति में है और हाल के जीएसटी सुधारों से इस राज्य को काफी लाभ होने वाला है। राज्य की अर्थव्यवस्था में पश्चिमी क्षेत्र में चीनी उत्पादन,नागपुर,नासिक,जलगाँव और कोंकण में फल और सब्ज़ियों का प्रसंस्करण,और तटीय ज़िलों में मत्स्य पालन का योगदान है। यह इचलकरंजी और सोलापुर जैसे हथकरघा केंद्रों के साथ कोल्हापुरी चप्पल,वरली पेंटिंग और पैठणी साड़ियों जैसे प्रसिद्ध शिल्पों के साथ-साथ ऑटोमोबाइल,रक्षा और फार्मास्यूटिकल्स के औद्योगिक केन्द्रों के लिए भी समान रूप से जाना जाता है।

 

जीएसटी सुधारों से सभी क्षेत्रों में करों में कटौती हुई है जिससे दाम कम हुए हैं और उपभोक्ताओं को राहत मिली है। लागत में कटौती और प्रतिस्पर्धा बढ़ने से ये बदलाव सीधे तौर पर किसानों,कारीगरों,श्रमिकों और पेशेवरों लिए फायदेमंद सिद्ध हुए हैं। नय ढांच से उपभोक्ताओं की खरीद क्षमता बढ़ी है जिससे महाराष्ट्र की अर्थव्यवस्था मजबूत हुई है।

 

 

कृषि & कृषि-प्रसंस्करण

 

चीनी उद्योग

 

महाराष्ट्र चीनी क्षेत्र पश्चिमी जिलों कोल्हापुर, सांगली,सतारा, पुणे, सोलापुर और अहमदनगर में फैला हुआ है। यह भारत का सबसे बड़ा चीनी उत्पादक क्षेत्र है और देश के कुल उत्पादन का लगभग 35-40% हिस्सा यहीं तैयार होता है। यह उद्योग 200 से अधिक चीनी मिलों में 2,00,000 से अधिक श्रमिकों को प्रत्यक्ष रोजगार प्रदान करता है और अनुमानित तौर पर 50 लाख गन्ना किसानों की आजीविका का आधार है।

परिष्कृत चीनी पर जीएसटी दर 12 प्रतिशत से घटाकर से 5 प्रतिशत किये जाने से थोक स्तर पर चीनी लगभग 6-7 प्रतिशत सस्ती हो गयी है इससे विशाल खाद्य प्रसंस्करण उद्योग (कन्फेक्शनरी,पेय पदार्थ) की कच्चे माल की लागत कम होगी और घरेलू किराना खर्चे कम होंगे।

प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ (फल और सब्जियां)

महाराष्ट्र में प्रसंस्कृत फल उत्पादों पर जीएसटी में कमी से खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को बढ़ावा मिला है। फलों के रस,जैम,जेली और सॉस पर जीएसटी दर 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दी गई है। इस बदलाव से महाराष्ट्र के बागवानी क्षेत्रों को सीधा लाभ होगा इसमें संतरे के लिए नागपुर,अंगूर,प्याज और टमाटर के लिए नासिक,केले के लिए जलगाँव और आम के लिए कोंकण क्षेत्र आते हैं। इस उद्योग में 2,728 पंजीकृत खाद्य प्रसंस्करण इकाइया (एफपीयू)हैं और इनसे लगभग दो लाख लोगों को रोजगार मिलता है,जो खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में भारत के कुल कार्यबल का 13 प्रतिशत हिस्सा है। व्यापार के संदर्भ में देखें तो 2022-23 के दौरान भारत के कृषि और खाद्य उत्पाद निर्यात में राज्य का योगदान भारत के कुल निर्यात का 17.64 प्रतिशत था।

जीएसटी की दर में कटौती से प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों की लागत में 6-7 प्रतिशत की कमी आयेगी। इससे खपत बढ़ने, मूल्य वर्द्धन को बढ़ावा मिलने और राज्य की बागवानी पट्टियों से किसानों के उत्पादों की खरीद बढ़ने की संभावना है।

मत्स्य पालन & समुद्री प्रसंस्करण

महाराष्ट्र की लंबी तटरेखा इसे देश का एक प्रमुख समुद्री मछली उत्पादक राज्य बनाती है। मत्स्य पालन एवं समुद्री प्रसंस्करण क्षेत्र, कोंकण तट पर फैला एक महत्वपूर्ण पारंपरिक उद्योग है जिसका विस्तार मुंबई,रायगढ़,रत्नागिरी और सिंधुदुर्ग जिलों तक पहुंच गया है। यह लंबे समय से कोली समुदाय और अन्य तटीय समुदायों की आजीविका का मुख्य साधन रहा है इससे 2,00,000 से अधिक सक्रिय मछुआरों को रोजगार मिला हुआ है और प्रसंस्करण,परिवहन एवं खुदरा बिक्री जैसी संबद्ध सेवाओं में इससे लाखों लोग जुड़े हुए हैं।

घरेलू मांग को पूरा करने के अलावा,यह उद्योग वैश्विक समुद्री खाद्य-पदार्थ के व्यापार में भी योगदान देता है। महाराष्ट्र से प्रसंस्कृत मछली और झींगा का निर्यात अंतर्राष्ट्रीय बाजारों,विशेष रूप से यूरोपीय संघ,जापान और दक्षिण पूर्व एशिया में किया जाता है।

तैयार और संरक्षित मछली उत्पादों पर जीएसटी को 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत करने से तटीय क्षेत्र में समुद्री खाद्य-पदार्थ प्रसंस्करण से जुड़े सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) को बढ़ावा मिलेगा। इससे उत्पाद घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय दोनों बाजारों में अधिक प्रतिस्पर्धी बनेंगे।

 

हथकरघा & हस्तशिल्प

 

कपास & वस्त्र उद्योग

 

महाराष्ट्र में कपास एवं वस्त्र उद्योग महाराष्ट्र का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है जिसकी कई इलाकों में मज़बूत उपस्थिति है। प्रमुख वस्त्र केंद्रों में इचलकरंजी,जिसे अक्सर "महाराष्ट्र का मैनचेस्टर" कहा जाता है और सोलापुर है जो अपने तौलियों और चादरों के लिए जाना जाता है साथ ही मालेगांव एवं भिवंडी दोनों ही महत्वपूर्ण बुनाई और प्रसंस्करण केंद्र हैं। इसके अलावा विदर्भ के कपास उत्पादक क्षेत्र,विशेषकर यवतमाल और अमरावती और मराठवाड़ा के कुछ हिस्से भी इस क्षेत्र के प्रमुख केंद्र हैं।

कपड़ा क्षेत्र महाराष्ट्र में दूसरा सबसे बड़ा नियोक्ता है, जो कताई,बुनाई और परिधान उद्योग में 11 लाख से ज़्यादा लोगों को आजीविका प्रदान करता है। यह विदर्भ के कपास किसानों से लेकर बिजली करघा श्रमिकों और वस्त्र विनिर्माण से जुड़े लोगों के साथ लघु-स्तरीय स्त्र निर्माताओं  तक लाखों लोगों का भरण-पोषण करता है। महाराष्ट्र भारत के अग्रणी वस्त्र उत्पादक राज्यों में से एक है और सूत एवं कपड़ा उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अकेले सोलापुर में ही वस्त्र से जुड़े बाज़ार में अनुमानित कारोबार 15,000 करोड़ ुपये से ज़्यादा है।

धागे और कपड़ों पर जीएसटी दर 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत करने से परिधान और घरेलू वस्त्र निर्माताओं की कच्चे माल की लागत में लगभग 6-7 प्रतिशत की कमी आने की संभावना है। इससे महाराष्ट्र के पावरलूम क्षेत्र की प्रतिस्पर्धा सीधे तौर पर बढ़ेगी।

कोल्हापुरी चप्पलें & चमड़े के सामान

कोल्हापुरी चप्पल और चमड़े के सामान से जुड़े उद्योग कोल्हापुर, सांगली के कुछ हिस्सों और मुंबई के धारावी स्थित चमड़ा प्रसंस्करण केंद्र में स्थि हैं। कोल्हापुरी चप्पल का जीआई-टैग शिल्प मुख्य रूप से हाशिए पर रहने वाले समुदायों के कारीगर परिवारों की पारंपरिक आजीविका का साधन है,जो पीढ़ियों से इन अनूठी चप्पलों को हाथ से बनाते रहे हैं। यह क्षेत्र कोल्हापुर क्षेत्र के 30,000 से अधिक कारीगरों को प्रत्यक्ष रोजगार प्रदान करता है। इसके अलावा धारावी चमड़ा उद्योग में 15,000 से अधिक लोगों को रोजगार मिला हुआ है।

हाथ से बने ये उत्पाद पूरे भारत में बड़े पैमाने पर  बेचे जाते हैं और अमेरिका,ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन जैसे देशों को निर्यात भी किए जाते हैं। 2,500 ुपये प्रति जोड़ी या उससे कम कीमत वाले जूत-चप्पल और चमड़े पर संशोधित 5 प्रतिशत की जीएसटी दर से इस उद्योग को सीधे लाभ होने की उम्मीद है। उदाहरण के लिए,कोल्हापुरी चप्पलों की एक जोड़ी,जिसकी कीमत आमतौर पर 800ुपये से 2,000ुपये के बीच होती है वह अब लगभग 6-7 प्रतिशत सस्ती हो जाएगी इस कटौती से यह उत्पाद बाज़ार में अधिक किफायती और प्रतिस्पर्धी हो जाएगा,जिससे कारीगरों की बिक्री को बढ़ावा मिलेगा।

वरली चित्रकला और लोक कला

वरली चित्रकला और लोक कला पालघर जिले और सह्याद्रि पर्वतमाला के आसपास के आदिवासी क्षेत्रों में केन्द्रित है। यह पारंपरिक कला सैकड़ों कारीगर परिवारों विशेष रूप से वरली समुदाय के लोगों के लिए आजीविका का स्रोत है। अपन साधारण और मनमोहक शैली के लिए जानी जाने वाली यह कला कैनवस,परिधान और घरेलू सजावट की वस्तुओं पर बेची जाती है। इसकी व्यापक लोकप्रियता ने इस क्षेत्र के कारीगरों द्वारा बनाई गई प्रामाणिक, हाथ से चित्रित कृतियों की मांग को बनाए रखने में मदद की है।

हाथ से बनाई गई पेंटिंग्स पर जीएसटी को 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत करने से व्यापक प्रभाव पड़ेगा। प्रामाणिक वरली पेंटिंग्स लगभग 6-7 प्रतिशत सस्ती होने की उम्मीद है। इस बदलाव से कारीगरों को बड़े पैमाने पर उत्पादित प्रिंटों के साथ अधिक प्रभावी ढंग से प्रतिस्पर्धा करने का अवसर मिलेगा और साथ ही उन्हें अपने पारंपरिक शिल्प से बेहतर आजीविका कमाने में भी मदद मिलेगी।

पैठणी साड़ियाँ

पैठणी साड़ियाँ महाराष्ट्र के सबसे शानदार हाथ से बुने वस्त्रों में से एक हैं। इन साड़ियों की बुनाई एक अत्यंत कुशल,पारंपरिक प्रथा है जो बुनकर परिवारों में पीढ़ियों से चली रही है। पैठण और येओला के बुनाई केन्द्र कई हज़ार बुनकर परिवारों को रोज़गार प्रदान करते हैं।

एक प्रीमियम और उच्च-मूल्य वाले उत्पाद के रूप में यह बाज़ार में एक विशिष्ट स्थान रखती है,जहां एक पैठणी साड़ी की कीमत 15,000 ुपये से लेकर 5 लाख ुपये से अधिक तक होती है। अपन गहर सांस्कृतिक पहचान के कारण ये साड़िया महाराष्ट्रियन शादियों के लिए एक आवश्यक परिधान मानी जाती हैं।


रेशमी/ज़री धागे जैसे प्रमुख कच्चे माल पर जीएसटी 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत करने से बुनकरों की उत्पादन लागत कम हो जाएगी। इससे उन्हें बेहतर मुनाफा या अपन उत्पादों की कीमत अधिक प्रतिस्पर्धी रूप से तय करने की सुविधा मिलेगी

 

ऑटोमोटिव & ऑटो सहायक उपकरण केन्द्र

 

महाराष्ट्र में ऑटोमोटिव और ऑटो सहायक उपकरण क्षेत्र का पुणे-चाकन-तलेगांव बेल्ट,औरंगाबाद और नासिक में एक मज़बूत आधार है। यह एक उच्च-कौशल वाला क्षेत्र है जिसमें इंजीनियर,आईटीआई प्रशिक्षित कर्मी और बड़ी संख्या में असेंबली लाइन वाले कर्मचारी कार्यरत हैं। पुणे ऑटोमोटिव क्लस्टर भारत के सबसे बड़े क्लस्टरों में से एक है जो 5,00,000 से ज़्यादा लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोज़गार प्रदान करता है।

यह क्षेत्र केवल भारत के ऑटोमोबाइल और ऑटो उपकरण विनिर्माण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है,बल्कि इसने महाराष्ट्र में शहरीकरण और आर्थिक विकास को भी बढ़ावा दिया है। यह एक प्रमुख निर्यात केंद्र भी है,जो भारत के कुल ऑटो निर्यात में 25 प्रतिशत से अधिक का योगदान देता है।

हाल ही में जीएसटी दर को 28 प्रतिशत से घटाकर 18 प्रतिशत करने से छोटी कारों, 350 सीसी से कम क्षमता वाले मोटरसाइकिलों और ऑटो पार्ट्स पर करों में कटौती हो गयी है। बड़ी कारों के लिए,कंपनसेशन सेस हटा दिया गया है,जिससे इस श्रेणी की कारों की कीमतों पर और असर पड़ा है। संशोधित दरों से वाहनों और स्पेयर पार्ट्स की लागत में उल्लेखनीय कमी आने की उम्मीद है। उदाहरण के लिए,10 लाख ुपये की कीमत वाली कार 90,000 ुपये से एक लाख ुपये तक सस्ती हो सकती है इसके अलावा सर्विसिंग के लिए पुर्जों की लागत भी कम हो जाएगी। इससे पूरे क्षेत्र में मांग बढ़ेगी।

 

नई अर्थव्यवस्था & रणनीतिक उद्योग

 

रक्षा विनिर्माण

महाराष्ट्र में रक्षा विनिर्माण एक महत्वपूर्ण क्षेत्र के रूप में उभरा है जिसक प्रमुख केंद्र नागपुर है यह रक्षा गलियारे का हिस्सा है जिसके केन्द्र पुणे और अहमदनगर में लड़ाकू वाहन अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान (सीवीआरडीई) और नासिक में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) हैं

ये केंद्र मिलकर रणनीतिक, उच्च-प्रौद्योगिकी क्षेत्र के एक बढ़ते नेटवर्क का प्रतिनिधित्व करते हैं जो कुशल इंजीनियरों, शोधकर्ताओं और तकनीशियनों को रोजगार प्रदान करते हैं,जिससे घरेलू रक्षा औद्योगिक आधार को बढ़ावा मिलता है। महाराष्ट्र एक समर्पित रक्षा औद्योगिक गलियारे के सा भारतीय सशस्त्र बलों के लिए गोला-बारूद, वाहन और एयरोस्पेस घटकों के निर्माण का एक प्रमुख केंद्र बनने के लिए तैयार है। राज्य में आयुध कारखानों,एलएंडटी डिफेंस और भारत फोर्ज जैसी प्रमुख सार्वजनिक और निजी कंपनियों द्वारा उद्यमों की स्थापना कारण रोजगार में लगातार वृद्धि हो रही है।

बख्तरबंद वाहनों पर संशोधित 5 प्रतिशत जीएसटी और महत्वपूर्ण पुर्जों पर आईजीएसटी छूट से रक्षा मंत्रालय की खरीद लागत कम होगी। इन उपायों से "मेक इन इंडिया" पहल के तहत स्वदेशी विनिर्माण को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।

नवीकरणीय ऊर्जा उपकरण

नवीकरणीय ऊर्जा उपकरण महाराष्ट्र में एक बढ़ता हुआ क्षेत्र है जहां विदर्भ और मराठवाड़ा जैसे इलाके मुख्य केन्द्र हैं जहां सौर विकिरण अधिक होता है। महाराष्ट्र भारत में नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता के मामले में अग्रणी राज्यों में से एक है और सौर पंपों के लिए पीएम-कुसुम योजना जैसी नीतियों ने ग्रामीण क्षेत्रों के किसानों के बीच काफी लोकप्रियता हासिल की है। किसानों और परिवारों के बीच यह स्वच्छ ऊर्जा समाधानों को बढ़ावा देता है और ऊर्जा सुरक्षा और पर्यावरणीय लक्ष्यों में योगदान देता है।

जीएसटी में 5 प्रतिशत की कमी से सौर पैनल,सौर वॉटर हीटर और अन्य नवीकरणीय उपकरण लगभग 6-7% सस्ते हो जायेंगे। इस लागत लाभ से इनके उपयोग में तेज़ी आने,सरकारी हरित ऊर्जा लक्ष्यों को समर्थन मिलने और पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों पर निर्भरता कम होने की उम्मीद है।

दवा उद्योग

 

महाराष्ट्र में दवा उद्योग मुंबई,पुणे,औरंगाबाद और तारापुर जैसे प्रमुख केंद्रों में फैला हुआ है। यह दवा क्षेत्र में एक अग्रणी राज्य है, जहा फार्मासिस्ट,वैज्ञानिक और कुशल कामगारों सहित 2 लाख से अधिक लोग कार्यरत हैं। महाराष्ट्र भारत में दवा उत्पादन में एक प्रमुख योगदानकर्ता होने के साथ-साथ एक प्रमुख निर्यात केंद्र भी है।

दवाओं पर हाल ही में जीएसटी दर में 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत करने से उपभोक्ताओं पर सीधा प्रभाव पड़ने की उम्मीद है अब दवाइयाँ लगभग 6-7 प्रतिशत सस्ती होंगी। इससे स्वास्थ्य सेवा खर्च कम होगा और परिवारों को,खासकर उन पुरानी बीमारियों से जूझ रहे परिवारों को राहत मिलेगी जिन्हें लंबे समय तक दवा की आवश्यकता होती है।

वित्तीय सेवाएं और बीमा

 

वित्तीय सेवाए और बीमा क्षेत्र एक उच्च-मूल्य वाला सेवा उद्योग है जो वित्त पेशेवरों,बीमा एजेंटों और तकनीकी विशेषज्ञों को रोजगार देता है। इस क्षेत्र में रोजगार महत्वपूर्ण है और बीएफएसआई उद्योग मुंबई और पुणे में सबसे बड़े सफेदपोश नियोक्ताओं में से एक है।

नए जीएसटी सुधार बीमा क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव लेकर आए हैं। व्यक्तिगत स्वास्थ्य और जीवन बीमा पॉलिसियों पर जीएसटी छूट से उपभोक्ताओं के लिए प्रीमियम की लागत में उल्लेखनीय कमी आई है। उदाहरण के लिए 20,000 ुपये का स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम 3,600 ुपये सस्ता गया है। इस छूट से बीमा अधिक किफायती हो गयी है, नागरिकों के बीच इसकी पहु बढ़ गयी है और सामाजिक सुरक्षा में वृद्धि हो गयी है

आतिथ्य & पर्यटन क्षेत्र

पर्यटक आगमन के मामले में महाराष्ट्र देश के शीर्ष राज्यों में से एक है जहां घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय दोनों तरह के पर्यटक आते हैं। इसका आतिथ्य एवं पर्यटन क्षेत्र मुंबई,पुणे,औरंगाबाद (अजंता-एलोरा गुफाओं सहित), नासिक और अलीबाग,रत्नागिरी और सिंधुदुर्ग जैसे कोंकण तटीय क्षेत्र में फैला हुआ है। यह क्षेत्र एक विशाल सेवा उद्योग के रूप में कार्य करता है जो होटल प्रबंधन पेशेवरों से लेकर हाउसकीपिंग और रेस्टोरेंट कर्मचारियों तक सभी स्तरों पर लोगों को रोजगार देकर लाखों लोगों की आजीविका जुटाता है।

नई जीएसटी दरों से सेवा का लाभ लेने की क्षमता पर सीधा प्रभाव पड़ता है। प्रति रात्रि 7,500 रुपये या उससे कम किराये वाले होटल के कमरों पर कर की दर 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दी गई है। उदाहरण के लिए,6,000 ुपये प्रति रात्रि वाले कमरे पर कर का हिस्सा 720 रुपये से घटकर 300 रुपये हो जाएगा,जिससे प्रति रात्रि 420 रुपये की बचत होगी। इससे पर्यटकों और व्यावसायिक यात्रियों के लिए ठहरना सस्ता हो जाएगा।

फिल्म & मनोरंजन उद्योग

मुंबई भारतीय फिल्म उद्योग का निर्विवाद केंद्र है। बॉलीवुड का गढ़,यह क्षेत्र अभिनेताओं और निर्देशकों से लेकर हज़ारों तकनीशियनों,क्रू सदस्यों और दिहाड़ी मजदूरों तक,विविध प्रकार के पेशेवरों को रोजगार प्रदान करता है। इस उद्योग में बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार मिला हुआ है। मुंबई में 8.5 लाख से ज़्यादा लोग अपनी आजीविका के लिए इस पर निर्भर हैं।

भारत में दुनिया में सबसे ज़्यादा सिनेमाघर हैं,और फ़िल्मों तक किफ़ायती पहु इस मा को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाती है। हाल ही में हुए जीएसटी बदलाव के साथ 100 ुपये या उससे कम कीमत वाले सिनेमा प्रवेश टिकटों पर कर 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है। यह उपाय आम दर्शकों को ध्यान में रखकर किया गया है जो मुख्य रूप से सिंगल-स्क्रीन थिएटर और छोटे मल्टीप्लेक्स में आते हैं। टिकट की कीमतों में कटौती से आम आदमी के लिए खर्च कम होने की उम्मीद है जिससे सिनेमा देखना ज़्यादा सुलभ हो जाएगा। दर्शकों की संख्या में संभावित वृद्धि से प्रदर्शनी क्षेत्र को भी बढ़ावा मिलेगा, जिसका मुख्य लाभ क्षेत्रीय और कम बजट वाली फ़िल्मों को मिलेगा।

 

आईटी & आईटीईएस निर्यात सेवाएं

 

महाराष्ट्र में आईटी और आईटीईएस केंद्र पुणे के हिंजवडी और मगरपट्टा,मुंबई के ठाणे-बेलापुर और नवी मुंबई बेल्ट,और नागपुर के आसपास स्थित हैं। यह क्षेत्र एक प्रमुख सफेदपोश नियोक्ता है,जो आईटी पेशेवरों,इंजीनियरों और स्नातकों को रोजगार प्रदान करता है,और इन शहरों की सेवा अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में केंद्रीय भूमिका निभाता है। महाराष्ट्र का आईटी क्षेत्र 12 लाख से अधिक पेशेवरों को रोजगार देता है और भारत के कुल सॉफ्टवेयर निर्यात का 20 प्रतिशत से अधिक का योगदान करता  है।

"मध्यस्थ सेवाओं" के लिए आपूर्ति नियमों के स्थान से संबंधित हालिया संशोधन एक ऐतिहासिक बदलाव का प्रतीक है इससे महाराष्ट्र में हजारों आईटी/आईटीईएस कंपनियां अपनी सेवाओं को निर्यात के रूप में वर्गीकृत कर सकेंगी और जीएसटी रिफंड का दावा कर सकेंगी,जिससे उनके नकदी प्रवाह और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।

 

निष्कर्ष

 

नए जीएसटी सुधार महाराष्ट्र की कृषि,उद्योग और सेवा क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को ला पहुंचायेंगे ये सुधार कर के बोझ को कम करक उपभोक्ताओं के लिए लागत कम करेंगे और उत्पादकों के लिए ुनाफा बढ़ायेंगे। इससे सामान और सेवाएं सस्ती होंगी और उपभोक्ताओं के लिए खरीद-क्षमता और प्रतिस्पर्धा के बीच संतुलन बनेगा

महाराष्ट्र में जहां विविध क्षेत्र विकास और रोजगार में योगदान कर रहे हैं और इन सुधारों से आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगी और अवसरों की संख्या ज्यादा होगी।

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पीके/केसी/एमएस


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