रक्षा मंत्रालय
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रक्षा मंत्री ने सैनिकों से नई तकनीकें अपनाने, प्रशिक्षण को प्राथमिकता देने और हर चुनौती के लिए तैयार रहने का आह्वान किया


श्री राजनाथ सिंह ने विजयादशमी की पूर्व संध्या पर भुज में सैनिकों के साथ ‘सामूहिक भोज’ (बड़ाखाना) में भाग लिया

रक्षा मंत्री ने कहा "आज दुनिया में, वह बल अजेय रहता है जो निरंतर सीखता है और नई चुनौतियों के अनुकूल ढलता है"

"हमारे सैनिकों के हित से कोई समझौता नहीं हो सकता"- रक्षा मंत्री

"सशस्त्र बलों की प्रतिबद्धता से भारतीय सेना जल्द ही दुनिया की सबसे बेहतरीन सेनाओं में से एक होगी"

Posted On: 01 OCT 2025 9:59PM by PIB Delhi

रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह, आज विजयादशमी की पूर्व संध्या पर गुजरात के भुज में सशस्त्र बलों के जवानों के साथ पारंपरिक सामूहिक भोज- बड़ाखाना में शामिल हुए। इस अवसर पर उन्होंने विश्व के तेज़ी से बदलते स्वरूप और उभरती जटिल चुनौतियों का उल्‍लेख किया।  रक्षा मंत्री ने कहा कि तेज़ी से बदलते इस युग में, तकनीक का स्वरूप लगातार विकसित हो रहा है। कुछ समय पहले जो आधुनिक तकनीक मानी जाती थी, वह अब जल्‍द ही पुरानी होती जा रही है।

उन्होंने कहा कि पारंपरिक ख़तरे के साथ ही आतंकवाद, साइबर हमले, ड्रोन युद्ध और सूचना युद्ध जैसी नई चुनौतियों ने बहुआयामी जोखिम बढ़ा दिए हैं। रक्षा मंत्री ने ज़ोर देकर कहा, "इनका मुक़ाबला सिर्फ़ हथियारों से ही नहीं किया जा सकता बल्कि मानसिक शक्ति, नवीनतम जानकारी और स्थिति अनुरूप त्वरित अनुकूलन भी आवश्‍यक है।

विजयादशमी की शुभकामनाएं देते हुए, रक्षा मंत्री ने इसे बुराई पर अच्छाई, असत्य पर सत्य और अन्याय पर धर्म की विजय का प्रतीक बताया। साहस और सुदृढता के लिए विख्‍यात भुज में सैनिकों के बीच इस त्‍यौहार को मनाने को उन्‍होंने अपना सौभाग्य बताया।

रक्षा मंत्री ने सैनिकों से निरंतर प्रशिक्षण, नई तकनीकें अपनाने और हर परिस्थिति के लिए तैयार रहने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, "युद्ध केवल हथियारों से नहीं, बल्कि अनुशासन, मनोबल और निरंतर तत्परता से जीते जाते हैं। उन्‍होंने सैनिकों से कहा कि वे नई तकनीकें अपनाएं, प्रशिक्षण को अपनी दिनचर्या का अभिन्न अंग बनाएं और प्रत्‍येक स्थिति के लिए स्‍वयं को तैयार रखें। रक्षा मंत्री ने कहा कि आज अजेय सेना वही है जो निरंतर सीखती है और नई चुनौतियों के लिए खुद को तैयार रखती है।"

श्री राजनाथ सिंह ने सैनिकों को भरोसा दिलाया कि सरकार उनके कल्याण, सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण, पूर्व सैनिकों के सम्मान और सैनिकों के परिवारों की सुरक्षा के लिए पूर्णतया प्रतिबद्ध है। उन्होंने जोर देकर कहा कि हमारे सैनिकों का हित सर्वोपरि है।

रक्षा मंत्री ने कहा कि, "एक सुदृढ, आत्मनिर्भर और विकसित भारत का स्‍वप्‍न हमारे सैनिकों के सबल कंधों पर टिका है। उन्‍होंने कहा कि सैनिकों के समर्पण और बलिदान से  हर दिन यह सपना पूरा हो रहा है।"

21वीं सदी को भारत का युग बताते हुए, श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश रक्षा क्षेत्र में तेज़ी से आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि सशस्त्र बलों की प्रतिबद्धता से भारतीय सेना जल्द ही दुनिया की सर्वश्रेष्ठ सेनाओं में से एक होगी।

श्री राजनाथ सिंह ने भुज और कच्छ की धरती को श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा कि यह केवल एक भौगोलिक स्थल नहीं, बल्कि इससे भावना और साहस की गाथा जुड़ी है। 1971 के युद्ध और 1999 के कारगिल संघर्ष के दौरान सैनिकों द्वारा प्रदर्शित वीरता और 2001 के भूकंप के बाद स्थिति को दृढता से फिर से संभालने का स्‍मरण करते हुए, उन्होंने कहा कि भुज राख से उठ खड़े होने वाले पौराणिक फीनिक्स पक्षी की भावना का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि कच्छ की धरती अपने लोगों और सैनिकों की वीरता और अदम्य साहस से भरी है।

कार्यक्रम में सेना अध्‍यक्ष जनरल उपेन्द्र द्विवेदी, दक्षिणी सेना कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ लेफ्टिनेंट जनरल धीरज सेठ और 12वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल आदित्य विक्रम सिंह राठी मौजूद थे।

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पीके/केसी/एकेवी/एमबी


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