वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय
भारत-ईएफटीए टीईपीए 100 अरब अमेरिकी डॉलर के निवेश और 10 लाख प्रत्यक्ष रोजगार के लक्ष्य साथ लागू हुआ
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने समृद्धि शिखर सम्मेलन में भारत-ईएफटीए टीईपीए के सफल समझौते की सराहना की
टीईपीए संतुलन और निष्पक्षता सुनिश्चित करने वाली दृढ़ निवेश प्रतिबद्धता वाला पहला व्यापार समझौता बना: गोयल
टीईपीए जीवन विज्ञान, स्वच्छ ऊर्जा, एआई, शिक्षा और पर्यटन के क्षेत्र में व्यापक अवसरों के द्वार खोलेगा
स्विस विदेश मंत्री ने टीईपीए को भारत और स्विट्जरलैंड दोनों के लिए एक लाभकारी साझेदारी बताया
Posted On:
01 OCT 2025 10:16PM by PIB Delhi
नई दिल्ली में आयोजित समृद्धि शिखर सम्मेलन (प्रॉस्परिटी समिट) में भारत-ईएफटीए व्यापार और आर्थिक साझेदारी समझौते (टीईपीए) का औपचारिक रूप से आगाज हो गया। इस समझौते में 15 वर्षों में 100 अरब अमेरिकी डॉलर का निवेश और भारत में 10 लाख प्रत्यक्ष रोजगारों के सृजन के साथ-साथ स्विट्जरलैंड, नॉर्वे, आइसलैंड और लिकटेंस्टीन में वस्तुओं और सेवाओं की व्यापक पहुंच प्रदान करना भी शामिल है। दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में भारत का विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर आर्थिक प्रगति, समृद्धि के लिए एक मजबूत आधार तैयार करेगी।
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल ने भारत-ईएफटीए व्यापार एवं आर्थिक भागीदारी समझौते (टीईपीए) की सराहना करते हुए इसकी शुरुआत की। उन्होंने इस समझौते को यूरोप के साथ भारत के आर्थिक जुड़ाव में एक निर्णायक क्षण बताया और कहा कि यह पारस्परिक सम्मान और संवेदनशीलता पर आधारित "दोस्तों के बीच एक विश्वसनीय साझेदारी" का प्रतिनिधित्व करता है।
केंद्रीय मंत्री ने टीईपीए के स्वरूप पर प्रकाश डाला और बताया कि यह पहला ऐसा व्यापार समझौता है जिसमें दृढ़ निवेश प्रतिबद्धता को शामिल किया गया है, जिससे भागीदारों के बीच हितों का संतुलन बना है और निष्पक्षता सुनिश्चित हुई है। उन्होंने जोर देकर कहा कि चारों ईएफटीए देशों की कुल जनसंख्या अकेले मुंबई शहर से भी कम है, फिर भी यह साझेदारी ईएफटीए क्षेत्र के "उदार हृदय और अपार क्षमता" से प्रेरित है।
श्री गोयल ने समझौते के शुभ समय पर जोर दिया और कहा कि विजयादशमी के साथ नवमी को इसका प्रारंभ होना समृद्धि, स्पष्टता और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। उन्होंने टीईपीए को वैश्विक व्यापार अस्थिरता, अस्पष्टता और व्यवधान के बीच स्थिरता और निश्चितता का प्रतीक बताया। केंद्रीय मंत्री ने विभिन्न क्षेत्रों में समझौते से खुले व्यापक अवसरों को रेखांकित किया, जिनमें शामिल हैं: जीवन विज्ञान, स्वच्छ ऊर्जा, प्रिसिसन इंजीनियरिंग और खाद्य प्रसंस्करण, प्रौद्योगिकी, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, लेखा और नर्सिंग, शिक्षा, ऑडियो-विजुअल सेवाएं, संस्कृति, पर्यटन और मनोरंजन, भूतापीय ऊर्जा। भूतापीय ऊर्जा के क्षेत्र में भारत आइसलैंड के साथ, नॉर्वे के साथ साझेदारी में जहाज निर्माण, मरम्मत, कंटेनर निर्माण और समुद्री सेवाएं, स्विस और लिकटेंस्टीन कंपनियों के सहयोग से नवाचार, अनुसंधान एवं विकास और उन्नत विनिर्माण आदि काम करने के लिए तत्पर है।
श्री गोयल ने भारतीय पैमाने, आकांक्षाओं और प्रतिभा तथा ईएफटीए के नवाचार और वित्तीय मजबूती के बीच पूरकताओं के बारे में बात की। उन्होंने भारत की प्रतिस्पर्धी लागत ढांचे की भूमिका पर प्रकाश डाला और बताया कि भारत में डेटा लागत अमेरिका की तुलना में केवल 3% और वैश्विक औसत के 10% से भी कम है। उन्होंने भारत में लगभग 2,500 वैश्विक क्षमता केंद्रों के उद्भव पर प्रकाश डाला जो दुनिया भर में फॉर्च्यून 500 कंपनियों को सहायता प्रदान करते हैं। केंद्रीय मंत्री ने भारत में एबीबी और नेस्ले जैसी स्विस कंपनियों की विरासत को याद किया और बताया कि कैसे भारत ने न केवल एक मजबूत बाजार आधार प्रदान किया है, बल्कि वह वैश्विक विस्तार का केंद्र भी बन गया है। उन्होंने बताया कि नेस्ले इंडिया और एबीबी इंडिया जैसी कंपनियों का ऊंचा मूल्य-आय (पीई) अनुपात भारत के भविष्य के विकास में बाजारों की अपार क्षमता और विश्वास को दर्शाता है।
ईएफटीए देशों की कंपनियों को आमंत्रित करते हुए, श्री गोयल ने उन्हें भारत के खुले, पारदर्शी और निवेशक-अनुकूल वातावरण का आश्वासन दिया, जहां लगभग सभी क्षेत्रों में 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति है। उन्होंने भारत के अवसरों का लाभ उठाने के लिए विभिन्न प्रकार की साझेदारियों-इक्विटी, तकनीकी सहयोग या सहकारी ढांचों-को प्रोत्साहित किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत सरकार निवेशकों के लिए सुगम, तेज और अधिक कुशल मार्ग सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
श्री गोयल ने इस बात पर जोर दिया कि टीईपीए का उद्देश्य केवल टैरिफ में कमी या निवेश प्रतिबद्धता को बढ़ाना है, बल्कि एक स्थिर, पूर्वानुमानित और विश्वसनीय ढांचा स्थापित करना है जिससे निवेशकों का विश्वास बढ़े, अनिश्चितता की लागत कम हो और दुनिया को यह संकेत दे कि भारत और ईएफटीए सतत विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं।
उन्होंने इस समझौते को भारत के अंत्योदय (एकात्म मानववाद) के दर्शन से जोड़ते हुए इस बात पर जोर दिया कि समृद्धि समाज के सबसे निचले पायदान पर खड़े व्यक्ति तक पहुंचनी चाहिए। उन्होंने कहा कि ईएफटीए देशों के साथ भारत की साझेदारी जीवन की बेहतर गुणवत्ता, समावेशी विकास, स्थिरता और एक मजबूत वैश्विक आर्थिक व्यवस्था में योगदान देगी।
श्री गोयल ने समझौते को संपन्न कराने में योगदान देने वाले नेताओं, वार्ताकारों, उद्योग प्रतिनिधियों और अधिकारियों के प्रति आभार व्यक्त किया, जिनमें चारों ईएफटीए देशों - आइसलैंड, लिकटेंस्टीन, नॉर्वे और स्विट्ज़रलैंड के प्रतिनिधि शामिल थे। उन्होंने उद्योग जगत का समर्थन जुटाने और समझौते में विश्वास पैदा करने में बहुमूल्य योगदान के लिए वार्ता दल, सीआईआई, फिक्की और एसोचैम जैसे उद्योग मंडलों और इन्वेस्ट इंडिया के अथक परिश्रम की सराहना की। अपने संबोधन के समापन पर, श्री गोयल ने टीईपीए को एक "अंतहीन साझेदारी" बताया जो एक लंबी, समृद्ध यात्रा की शुरुआत मात्र है। उन्होंने कहा कि यह आने वाली पीढ़ियों तक जारी रहेगी और यूरोप के साथ भारत के गहरे जुड़ाव की नींव रखेगी।
स्विट्जरलैंड की आर्थिक मामलों की सचिव सुश्री हेलेन बुडलिगर आर्टिएडा ने कहा कि यह समझौता एक कानूनी दस्तावेज से कहीं बढ़कर है। उन्होंने कहा, "यह हमारे देशों के लिए एक लाभकारी साझेदारी है। आज के समृद्धि शिखर सम्मेलन में स्विट्जरलैंड और अन्य ईएफटीए देशों की कंपनियों की मजबूत उपस्थिति अपने आप में एक मिसाल है। ये कंपनियां यहां इसलिए हैं क्योंकि उन्हें भारत पर विश्वास है और वे व्यापार एवं आर्थिक साझेदारी समझौते का लाभ उठाने के लिए तैयार हैं। वे इसमें संभावनाएं देखती हैं, निवेश करना चाहती हैं और भारत की विकास गाथा का हिस्सा बनने के लिए तैयार हैं। स्विट्जरलैंड और भारत की अर्थव्यवस्थाएं एक-दूसरे की पूरक हैं। टीईपीए इन पूरकताओं को एक साथ लाकर स्विट्जरलैंड और भारत दोनों के लिए लाभकारी होगा।"
इस अवसर पर, वाणिज्य सचिव श्री राजेश अग्रवाल ने कहा कि भारत-ईएफटीए व्यापार एवं आर्थिक भागीदारी समझौते (टीईपीए) का क्रियान्वयन सामूहिक बुद्धिमत्ता और मुक्त एवं निष्पक्ष व्यापार को मजबूत करने की इच्छाशक्ति का एक सशक्त संकेत है। उन्होंने कहा कि यह समझौता न केवल एक व्यापार व्यवस्था का प्रतीक है, बल्कि साझा विकास, नवाचार और समृद्धि के एक नए युग की शुरुआत है। भारत के दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में उभरने और तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर होने पर जोर देते हुए, उन्होंने कहा कि टीईपीए के तहत निवेश प्रतिबद्धताएं भारत की प्रगति में वैश्विक विश्वास को दर्शाती हैं।
इस कार्यक्रम में स्विट्जरलैंड की विदेश सचिव महामहिम सुश्री हेलेन बुडलिगर आर्टीडा; नॉर्वे की राजदूत, महामहिम सुश्री मे-एलिन स्टेनर; लिकटेंस्टाइन के विदेश मंत्रालय की उप निदेशक महामहिम सुश्री क्रिस्टीन लिंग; और आइसलैंड के विदेश मंत्रालय के महानिदेशक महामहिम श्री राग्नार क्रिस्टेंसन की उपस्थिति ने कार्यक्रम की गरिमा बढ़ाई। नॉर्वे की विदेश मंत्री सुश्री सेसिली मायर्सेथ ने एक विशेष वीडियो संदेश के माध्यम से शुभकामनाएं भेजीं।
टीईपीए का कार्यान्वयन इंजीनियरिंग, फार्मा एवं मेड-टेक, खाद्य प्रसंस्करण, वस्त्र/परिधान और समुद्री क्षेत्रों में क्षेत्रीय रोडमैप तैयार करने और निर्यात को बढ़ावा देने के माध्यम से किया जाएगा। ठोस परिणामों के लिए गुणवत्ता, पैकेजिंग और स्थिरता पर मेल-मिलाप और कौशल मॉड्यूल के साथ एमएसएमई को शामिल करने के लिए संपर्क (आउटरीच) के प्रयास किए जाएंगे। बंदरगाह पर रुकने और पारगमन समय को कम करने के लिए लॉजिस्टिक को सुविधाजनक बनाने पर जोर दिया जाएगा। दोनों पक्ष एफटीए के उपयोग, निवेश विस्तार और सेवा के परिणामों की निगरानी करेंगे।
टीईपीए "पांच की शक्ति (पंच)" का उपयोग करता है, जो भूमिकाओं और पूरकताओं को स्पष्ट करता है। भारत व्यापकता, मांग और कुशल प्रतिभा लाता है। स्विट्जरलैंड परिशुद्ध (प्रिसिसन) विनिर्माण, वित्त और पूंजीगत सामान लाता है। नॉर्वे समुद्री क्षमता और स्वच्छ ऊर्जा की गहराई लाता है। आइसलैंड विशिष्ट स्वच्छ तकनीक और डिजिटल सरलता लाता है। लिकटेंस्टीन ऊंचे मूल्य वाला विनिर्माण और विशिष्ट इंजीनियरिंग लाता है। यह साझेदारी अगले दो से तीन दशकों में व्यापार, निवेश और प्रौद्योगिकी के प्रवाह को बढ़ाने का प्रयास करेगी।
बाज़ार पहुंच और गतिशीलता में सुधार से भारतीय किसानों, एमएसएमई और उद्यमियों के लिए ईएफटीए देशों के द्वार खुलेंगे। किसानों और कृषि-समुद्री निर्यातकों को विशिष्ट कॉफी, समुद्री उत्पादों और चुनिंदा ताजा व प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों में टैरिफ लाभ और प्रीमियम-बाजार स्थिति प्राप्त होगी। एमएसएमई को मानक सहयोग और प्रयोगशाला-ऑनबोर्डिंग से लाभ होने की उम्मीद है जिससे दोहराव वाले परीक्षण और अनुपालन लागत में कमी आएगी, साथ ही क्रेता-आपूर्तिकर्ता के मिलान और कौशल विकास सहायता भी मिलेगी। सेवा निर्यातकों को डिजिटल वितरण (मोड 1), व्यावसायिक उपस्थिति (मोड 3) और पूर्वानुमानित व्यावसायिक गतिशीलता (मोड 4) के लिए स्पष्ट चैनल मिलने के साथ-साथ पेशेवरों के लिए पारस्परिक मान्यता समझौतों के मार्ग भी खुलेंगे।
समृद्धि शिखर सम्मेलन में व्यावसायिक भागीदारी के परिणामस्वरूप ईएफटीए देशों की कंपनियों द्वारा कई निवेश घोषणाएं की गईं। इनमें शामिल हैं:
समृद्धि शिखर सम्मेलन ने टीईपीए को एक निष्पक्ष, पारस्परिक रूप से लाभकारी और संतुलित ढांचे के रूप में सराहा जो भारत की विकास गति को यूरोपीय बाजारों से जोड़ता है। यह स्पष्ट सिद्धांतों, परिभाषित भूमिकाओं और कार्यान्वयन पथ द्वारा समर्थित एक परिणाम-प्रथम एजेंडा निर्धारित करता है, जिसका उद्देश्य उच्च गुणवत्ता वाले रोजगारों के सृजन के लिए बाजार पहुंच और निवेश का रास्ता साफ करना है।
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