संघ लोक सेवा आयोग
संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष डॉ. अजय कुमार ने शताब्दी वर्ष के लिए दृष्टिकोण निर्धारित करते हुए समावेशिता और डिजिटल परिवर्तन का आह्वान किया
लोक सेवा में अधिकारियों की यात्रा को दर्शाने के लिए 'माई यूपीएससी इंटरव्यू' पोर्टल का शुभारंभ किया गया
संघ लोक सेवा आयोग ने 100 वर्षों की विरासत के उपलक्ष्य में नए प्रतीक चिह्न और शताब्दी चिह्न का अनावरण किया
Posted On:
01 OCT 2025 5:27PM by PIB Delhi
संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष डॉ. अजय कुमार ने आज नई दिल्ली में आयोग के शताब्दी वर्ष की शुरुआत के अवसर पर राष्ट्र निर्माण में इसकी भूमिका के लिए एक दूरदर्शी दृष्टिकोण प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि शताब्दी वर्ष न केवल आयोग की विरासत का उत्सव मनाने का अवसर है, बल्कि नवीनीकरण और प्रसार का एक आधार भी है। डॉ. अजय कुमार ने इस बात पर बल दिया कि यूपीएससी, "माई यूपीएससी इंटरव्यू" जैसे आख्यान पोर्टल और यूपीएससी तथा शताब्दी प्रतीक चिन्ह के रूप में नई दृश्य पहचानों के अनावरण जैसी पहलों के माध्यम से उम्मीदवारों के साथ अपने जुड़ाव को और मज़बूत करेगा। उन्होंने कहा कि हमारा ध्यान आधुनिकीकरण पर - परीक्षा प्रणालियों से आगे बढ़कर युवाओं के साथ मज़बूत संबंध बनाने पर है, यह सुनिश्चित करते हुए कि योग्यता, पारदर्शिता और सेवा के मूल्य भविष्य के लिए स्थायी प्रतिबद्धताएँ बनी रहें।
डॉ. कुमार ने कहा कि शताब्दी वर्ष संस्थागत सुधारों को गति देने का भी एक अवसर है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि यूपीएससी राज्य लोक सेवा आयोगों के साथ मिलकर काम करेगा, सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करेगा और अपनी चयन प्रक्रियाओं को अधिक समावेशी तथा उत्तरदायी बनाने के लिए प्रतिक्रिया व्यवस्था को मज़बूत करेगा। उन्होंने समावेशिता, डिजिटल परिवर्तन और नई पीढ़ी के उम्मीदवारों के साथ जुड़ाव को प्राथमिकता वाले क्षेत्रों के रूप में रेखांकित किया और बताया कि अब उम्मीदवारों का एक बड़ा हिस्सा टियर-2 और टियर-3 शहरों से आता है। उन्होंने कहा कि डिजिटल उपकरणों और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के बढ़ते उपयोग के साथ, आयोग निष्पक्षता, पारदर्शिता और सत्यनिष्ठा के अपने आधारभूत मूल्यों को बनाए रखते हुए, युवाओं और भावी उम्मीदवारों की अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए स्वयं को तैयार कर रहा है।
शताब्दी वर्ष की गतिविधियों के एक भाग के रूप में, आयोग ने "माई यूपीएससी इंटरव्यू: स्वप्न से वास्तविकता तक" शीर्षक से एक समर्पित उपाख्यान पोर्टल (https://innovateindia.mygov.in/upsc/) का शुभारंभ किया। यह पहल सेवारत और सेवानिवृत्त दोनों सिविल सेवकों को यूपीएससी साक्षात्कार बोर्ड के समक्ष उपस्थित होने के अपने अनुभव साझा करने के लिए आमंत्रित करती है। 31 दिसंबर, 2025 तक प्रस्तुत किए जाने वाले सबमिशन में उम्मीदवारों की सार्वजनिक सेवा में यात्रा के निर्णायक क्षणों को शामिल किया जाएगा। चयनित प्रविष्टियों का संकलन 2026 में शताब्दी वर्ष के दौरान प्रकाशित किया जाएगा।
समारोह में नए यूपीएससी प्रतीक चिन्ह का अनावरण भी हुआ, जो विश्वास और निरंतरता के संरक्षक के रूप में आयोग की भूमिका को दर्शाता है। इसके मूल में राष्ट्रीय प्रतीक है, जो राष्ट्र के प्रति अधिकार और सेवा का प्रतिनिधित्व करता है
इसके पूरक के रूप में शताब्दी प्रतीक चिन्ह है, जिसे निरंतरता और परिवर्तन का प्रतिनिधित्व करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसकी लहर जैसी आकृति आयोग की एक शताब्दी से अधिक की यात्रा को दर्शाती है—प्रगतिशील, स्थायी और अनुकूलनशील—जिसका समापन '100' के अंतिम '0' पर होता है, जहाँ यूपीएससी प्रतीक चिन्ह स्थित है, जो भारत के प्रशासनिक विकास में प्रत्येक प्रमुख उपलब्धि में इसकी केंद्रीयता को रेखांकित करता है।
इससे पहले, कार्यक्रम में, 99वें स्थापना दिवस पर गणमान्य व्यक्तियों, अधिकारियों, कर्मचारियों और अतिथियों का स्वागत करते हुए, यूपीएससी सचिव, श्री शशि रंजन कुमार ने कहा कि आयोग की लगभग एक शताब्दी की यात्रा संवैधानिक मूल्यों के प्रति उसके पालन और सार्वजनिक सेवा के लिए सक्षम और ईमानदार व्यक्तियों का चयन करने की उसकी जिम्मेदारी से परिभाषित हुई है। उन्होंने कहा कि यूपीएससी अपने 100वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है, यह अवसर न केवल एक विशिष्ट अतीत का स्मरण करने का अवसर प्रदान करता है, बल्कि भविष्य की तैयारी के लिए सामूहिक रूप से प्रतिबद्ध होने का भी अवसर प्रदान करता है।
भारत सरकार अधिनियम, 1919 के प्रावधानों और स्वीकार की गई आयोग की सिफारिशों के अंतर्गत 1 अक्टूबर, 1926 को स्थापित, यूपीएससी लगभग एक शताब्दी तक भारत की योग्यता-आधारित सिविल सेवाओं का आधार रहा है। वर्तमान में चल रहे शताब्दी समारोह के साथ, आयोग ने भविष्य के लिए नई चुनौतियों और अवसरों को अपनाते हुए अपनी विरासत को पुनः स्थापित करने का प्रयास किया है।
यूपीएससी प्रतीक चिन्ह:

शताब्दी प्रतीक चिन्ह:





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