मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय
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केंद्रीय मंत्री श्री राजीव रंजन सिंह ने रोम में एफएओ वैश्विक सम्मेलन में भारत के डेयरी और पशुधन नेतृत्व पर प्रकाश डाला


केंद्रीय मंत्री ने भारत के किसान-केंद्रित पशुधन मॉडल की वकालत की, नीतिगत क्षेत्र एवं वैश्विक सहयोग का आह्वान किया

Posted On: 29 SEP 2025 8:19PM by PIB Delhi

केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री श्री राजीव रंजन सिंह ने रोम में खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) में सतत पशुधन परिवर्तन पर दूसरे वैश्विक सम्मेलन को संबोधित किया। उच्च स्तरीय मंत्रिस्तरीय सत्र में, श्री सिंह ने भारत की किसान-केंद्रित पहलों, नवाचारों और परिवर्तनों पर प्रकाश डाला जो देश में पशुधन और डेयरी क्षेत्र में समावेशी विकास को गति दे रहे हैं।

भारत को अपने अनुभव और सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने के लिए आमंत्रित करने के लिए एफएओ और इसके महानिदेशक डॉ. क्यूयू डोंग्यू के प्रति भारत की गहरी सराहना व्यक्त करते हुए, उन्होंने एफएओ के तहत स्थापित पशुधन उप-समिति के प्रथम उपाध्यक्ष के रूप में भारत की भूमिका पर गर्व व्यक्त किया। श्री सिंह ने कहा, "प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में, भारत ने खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने, पोषण संबंधी परिणामों में सुधार, आजीविका को मजबूत करने और गरीबी उन्मूलन के लिए कई परिवर्तनकारी और समावेशी पहल की हैं।" श्री राजीव रंजन सिंह ने कहा कि कोविड-19 के बाद से, भारत के कल्याणकारी उपायों ने 269 मिलियन लोगों को अत्यधिक गरीबी से बाहर निकाला है, जिसे विश्व बैंक की 2025 की रिपोर्ट के अनुसार 27.1% से घटाकर 5.3% कर दिया गया है। उन्होंने लगभग दो-तिहाई ग्रामीण परिवारों और लाखों छोटे और सीमांत किसानों, जिनमें से कई महिलाएं हैं, को स्थायी आजीविका प्रदान करने में पशुधन क्षेत्र की केंद्रीय भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि पशुधन क्षेत्र ने हाल के वर्षों में 12.77% की प्रभावशाली सीएजीआर दर्ज की है, जो कृषि सकल मूल्य वर्धन (जीवीए) में 31% और राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में 5.5% का योगदान देता है । श्री सिंह ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत आज दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक है, जिसका वार्षिक उत्पादन 239 मिलियन टन है और वैश्विक उत्पादन में लगभग 25% योगदान है। भारत अंडों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक और भैंस के मांस का एक प्रमुख निर्यातक भी है।

सभा को संबोधित करते हुए, श्री राजीव रंजन सिंह ने भारत की पशुधन प्रगति का श्रेय जन-केंद्रित नीतियों, वैश्विक सहयोग और छोटे किसानों की दृढ़ता को दिया। उन्होंने एफएओ के साथ भारत की 80 वर्षों की साझेदारी और वैश्विक दक्षिण के साथ व्यापक नवाचारों को साझा करने की प्रतिबद्धता की पुष्टि की। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि सतत पशुधन परिवर्तन के लिए वैश्विक कार्य योजना एक मार्गदर्शक ढाँचा बनी रहनी चाहिए, न कि एक निर्देशात्मक मॉडल। उन्होंने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि इसमें विकासशील देशों की राष्ट्रीय प्राथमिकताओं, क्षमताओं और परिस्थितियों के लिए जगह होनी चाहिए। उन्होंने चरणबद्ध परिवर्तन के समर्थन के लिए वित्त, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और क्षमता निर्माण का आह्वान किया। भारत के दृष्टिकोण की पुष्टि करते हुए, केंद्रीय मंत्री ने इस क्षेत्र को और अधिक टिकाऊ, समावेशी तथा लचीला बनाने का संकल्प लिया।

एफएओ, रोम में श्री राजीव रंजन सिंह द्वारा रेखांकित पशुधन क्षेत्र में भारत द्वारा की गई प्रमुख पहल:

  • राष्ट्रीय गोकुल मिशन के माध्यम से, भारत देशी मवेशियों की नस्लों का संरक्षण और आनुवंशिक विविधता में सुधार कर रहा है। 92 मिलियन से अधिक पशुओं को लाभ हुआ है, जिससे 56 मिलियन से अधिक किसानों को सहायता मिली है।
  • भारत दुनिया का सबसे बड़ा पशुधन टीकाकरण कार्यक्रम चलाता है, जिसमें प्रमुख बीमारियों से निपटने के लिए सालाना 1.2 अरब से ज़्यादा खुराकें दी जाती हैं। भारत उच्च गुणवत्ता वाले टीकों के उत्पादन और निर्यात का एक वैश्विक केंद्र भी है।
  • राष्ट्रीय डिजिटल पशुधन मिशन - भारत पशुधन के माध्यम से , भारत ने एक डिजिटल पहचान प्रणाली विकसित की है जिससे पशुओं का पता लगाना, रोग का शीघ्र पता लगाना और पशु उत्पादों की सुरक्षा सुनिश्चित करना संभव हो गया है। अब तक, 353 मिलियन से अधिक पशुओं और 94 मिलियन पशुपालकों का पंजीकरण हो चुका है।
  • भारत का 3.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर का पशुपालन अवसंरचना विकास कोष डेयरी, प्रजनन, चारा संयंत्रों और मांस प्रसंस्करण में निवेश का समर्थन करता है।
  • जमीनी स्तर पर, भारत ने मैत्री कार्यक्रम के माध्यम से स्थानीय संसाधन व्यक्तियों को प्रशिक्षित किया है ताकि वे दूरदराज के इलाकों में भी प्रजनन सेवाएँ प्रदान कर सकें। ए-हेल्प के माध्यम से, भारत ग्रामीण महिलाओं को पशु स्वास्थ्य सेवा में सार्थक योगदान देने के लिए सशक्त बना रहा है, जिससे पशुधन विकास में महिलाओं की भूमिका और भी मज़बूत हो रही है।
  • भारत मानव, पशु और पर्यावरणीय स्वास्थ्य के अंतर्संबंध को मान्यता देते हुए, वन हेल्थ दृष्टिकोण का पुरज़ोर समर्थन करता है। भारत, एफएओ के नियमित बजट सहित, सीमा पार पशु रोग कार्यक्रमों के लिए पूर्वानुमानित और स्थिर वित्तपोषण का आह्वान करता है।
  • भारत ने कृषि खाद्य प्रणालियों में रोगाणुरोधी प्रतिरोध (एएमआर) पर प्रस्ताव का समर्थन किया है तथा वैश्विक कार्य योजना के अनुरूप राष्ट्रीय कार्य योजना का क्रियान्वयन कर रहा है।
  • महामारी की तैयारियों को मज़बूत करने के लिए, भारत ने पशु स्वास्थ्य सुरक्षा प्रणालियों को मज़बूत करने हेतु जी-20 महामारी कोष से 25 मिलियन अमेरिकी डॉलर का अनुदान प्राप्त किया है। इस प्रयास को एफएओ, एडीबी और विश्व बैंक के साथ साझेदारी द्वारा समर्थित किया गया है।
  • भारत महिलाओं के नेतृत्व में विकास के लिए भी पूरी तरह प्रतिबद्ध है। भारत के डेयरी क्षेत्र में 70% से ज़्यादा कर्मचारी महिलाएँ हैं। उन्होंने कहा कि "श्वेत क्रांति" उनके नेतृत्व का प्रमाण है, जो सहकारी मॉडलों द्वारा संभव हुआ है और जिसने ग्रामीण आजीविका में बदलाव लाया है।
  • भारत और आयरलैंड ने संयुक्त रूप से अंतर्राष्ट्रीय दुग्ध दिवस के लिए प्रस्ताव को सह-प्रायोजित किया, जिसे 44वें एफएओ सम्मेलन द्वारा अनुमोदित किया गया तथा संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा इस पर विचार किए जाने की आशा है ।

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पीके/केसी/एसजी


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