संस्कृति मंत्रालय
सेवा पर्व 2025: विकसित भारत के रंग, कला के संग
Posted On:
22 SEP 2025 8:30PM by PIB Delhi
भारत सरकार का संस्कृति मंत्रालय 17 सितंबर से 2 अक्टूबर 2025 तक सेवा, रचनात्मकता और सांस्कृतिक गौरव के राष्ट्रव्यापी उत्सव के रूप में सेवा पर्व 2025 मना रहा है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के 2047 तक विकसित भारत के निर्माण के दृष्टिकोण से प्रेरित सेवा पर्व का उद्देश्य विभिन्न समुदायों, संस्थाओं और व्यक्तियों को सेवा, रचनात्मकता और सांस्कृतिक गौरव के सामूहिक आंदोलन में एक साथ लाना है।
इस समारोह के एक भाग के रूप में 22 सितंबर, 2025 को राजस्थान और तमिलनाडु के प्रमुख विरासत स्थलों और सांस्कृतिक संस्थानों में “विकसित भारत के रंग, कला के संग” विषय के अंतर्गत आकर्षक कला कार्यशालाओं और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।
22 सितंबर, 2025 को संस्कृति मंत्रालय से जुड़े विभिन्न स्थलों और संस्थानों में आयोजित कला कार्यशालाओं के मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं-
- चित्तौड़गढ़, राजस्थान - फतेह प्रकाश महल, चित्तौड़गढ़ किला (पश्चिम क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्र - डब्ल्यूजेडसीसी, उदयपुर की ओर से आयोजित कार्यक्रम):
ऐतिहासिक चित्तौड़गढ़ किले में "विकसित भारत के रंग, कला के संग" विषय पर कला कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें स्कूली छात्रों, कॉलेज के छात्रों और पेशेवर कलाकारों सहित लगभग 700 प्रतिभागियों ने भरपूर उत्साह के साथ भाग लिया और सेवा पर्व में अपना योगदान दिया। इस कार्यक्रम में चित्तौड़गढ़ के माननीय सांसद श्री सी.पी. जोशी के साथ-साथ श्री श्रवण राव (उपाध्यक्ष), श्री हर्षवर्धन सिंह (युवा अध्यक्ष), श्री गौरव त्यागी, श्री सागर सोनी, श्री अर्जुन बेरवाल, श्री विवेक जोशी और श्री हिमांशु सिंह जैसे स्थानीय नेताओं ने भी भाग लिया। उन्होंने कार्यक्रम में युवाओं की भागीदारी और रचनात्मकता को प्रोत्साहित किया।




- कुंभकोणम, तमिलनाडु – श्रीनिवासन रामानुजम केंद्र, शास्त्र विश्वविद्यालय (दक्षिण क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्र – एसजेडसीसी, तंजावुर की ओर से आयोजित कार्यक्रम):
कुंभकोणम स्थित शास्त्र विश्वविद्यालय में आयोजित चित्रकला कार्यशाला में लगभग 200 प्रतिभागी एकत्र हुए। इस कार्यक्रम में कुंभकोणम की उप-समाहर्ता श्रीमती हृदया, आईएएस, श्री डी. मथियालगन (आयकर अधिकारी, वार्ड-1, कुंभकोणम) और डॉ. बी. शांति (डीन, श्रीनिवासन रामानुजम केंद्र, शास्त्र विश्वविद्यालय) उपस्थित थे। उन्होंने प्रतिभागियों को रचनात्मकता को नागरिक उत्तरदायित्व से जोड़ने के लिए प्रेरित किया।


- तिरुपति, आंध्र प्रदेश – केन्द्रीय विद्यालय-1 (इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र – आईजीएनसीए, क्षेत्रीय केंद्र, तिरुपति की ओर से आयोजित कार्यक्रम):
केंद्रीय विद्यालय-1 में, लगभग 400 प्रतिभागियों ने आकर्षक कला कार्यशाला और सांस्कृतिक कार्यक्रम में भाग लिया। इन सत्रों ने युवा छात्रों को यह सोचने के लिए प्रोत्साहित किया कि कला और रचनात्मकता विकसित भारत के निर्माण में किस प्रकार से योगदान दे सकती हैं। इस दौरान, आईजीएनसीए के क्षेत्रीय केंद्र ने परंपरा, भाषा और कला को एक साथ जोड़ने के विषय पर आधारित संवाद सत्रों का आयोजन किया।
- तिरुपति, आंध्र प्रदेश – राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय (आईजीएनसीए, क्षेत्रीय केंद्र, तिरुपति की ओर से आयोजित कार्यक्रम)
राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय में कॉलेज के 200 से अधिक छात्रों ने कला कार्यशाला में भाग लिया। उसमें विकसित भारत की कल्पना में संस्कृत की धरोहर और दृश्य कला की भूमिका पर प्रकाश डाला गया।
दोनों स्थानों पर हुए कार्यक्रमों में राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, तिरुपति के कुलपति प्रोफ़ेसर जीएसआर कृष्ण मूर्ति, श्री वेंकट नारायण राव (रजिस्ट्रार, राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, तिरुपति), श्री वेंकटेश्वर राव यदलापल्ली (पद्म श्री से सम्मानित, अध्यक्ष, रायतु नेस्थम फाउंडेशन), श्रीमती पुल्लिवर्थी सुधा रेड्डी (सोशल डेमोक्रेट, चंद्रगिरि), प्रोफ़ेसर रजनीकांत शुक्ला (शैक्षणिक मामलों के डीन, राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, तिरुपति), श्रीमती सागरिका बनर्जी (संस्थापक, ब्लूमिंग टैनमैन), डॉ. केटीवी राघवन (क्षेत्रीय निदेशक, आईजीएनसीए क्षेत्रीय केंद्र, तिरुपति) और डॉ. भारत भूषण रथ (एसोसिएट प्रोफेसर, राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, तिरुपति) सहित कई प्रतिष्ठित गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। प्रतिभागियों के साथ उनकी उपस्थिति और बातचीत के दौरान पारंपरिक ज्ञान प्रणालियों, संस्कृत की विद्वत्ता और कलात्मक अभिव्यक्ति को राष्ट्र निर्माण के व्यापक दृष्टिकोण से जोड़ने का महत्व उजागर हुआ।



डिजिटल भागीदारी
मंत्रालय ने इन कार्यक्रमों में व्यापक सहभागिता सुनिश्चित करने के लिए सेवा पर्व पोर्टल के माध्यम से डिजिटल भागीदारी की व्यवस्था की है:
- संस्थागत अपलोड : संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत सभी संस्थान और विभिन्न राज्य और केंद्र शासित प्रदेश अपने कार्यक्रमों का अभिलेखीकरण कर रहे हैं और सेवा पर्व पोर्टल https://amritkaal.nic.in/sewa-parv.htm पर अपलोड कर रहे हैं ।
- नागरिक योगदान : सभी व्यक्ति अपनी कलाकृतियां, तस्वीरें और रचनात्मक अभिव्यक्तियां सीधे पोर्टल पर अपलोड कर सकते हैं, और #SewaParv का उपयोग करके उन्हें सोशल मीडिया पर साझा कर सकते हैं ।
- ब्रांडिंग और प्रचार सामग्री यहां डाउनलोड के लिए उपलब्ध हैं: गूगल ड्राइव लिंक ।
कैसे हिस्सा लें?
- व्यक्तिगत भागीदारी
कोई भी व्यक्ति अपनी पसंद के किसी भी माध्यम या सामग्री में "विकसित भारत के रंग, कला के संग" विषय पर कलाकृति बनाकर योगदान दे सकता है। प्रतिभागी अपनी कलाकृति की तस्वीरें यहां अपलोड कर सकते हैं: https://amritkaal.nic.in/sewa-parv-individual-participants
- 75 स्थानों में से किसी एक जगह पर पेंटिंग कार्यशाला में शामिल हो सकते हैं
प्रतिभागी दिए गए स्थानों पर संस्कृति मंत्रालय के संबंधित संस्थानों से संपर्क कर सकते हैं। 75 स्थानों की सूची के लिए: यहां क्लिक करें
22 सितंबर, 2025 को हुई गतिविधियों में तीन महत्वपूर्ण केंद्रों—तमिलनाडु में कुंभकोणम, आंध्र प्रदेश में तिरुपति और राजस्थान में ऐतिहासिक चित्तौड़गढ़ किले— की सांस्कृतिक और शैक्षिक जीवंतता की झलक देखने को मिली। कुंभकोणम स्थित शास्त्र विश्वविद्यालय के शैक्षणिक और रचनात्मक वातावरण से लेकर तिरुपति स्थित केंद्रीय विद्यालय-1 और राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय में कला और सांस्कृतिक कार्यक्रम तथा चित्तौड़गढ़ किले की शाश्वत भव्यता तक, प्रत्येक स्थल ऐसा मंच बन गया जहां छात्र, कलाकार और स्थानीय समुदायों के लोग विकसित भारत के निर्माण की अपनी आकांक्षाओं को व्यक्त करने के लिए एक साथ आए।
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