कोयला मंत्रालय
कोयला क्षेत्र में जीएसटी सुधार - कोयला क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक परिवर्तनकारी कदम
Posted On:
22 SEP 2025 11:45AM by PIB Delhi
कोयला मंत्रालय ने जीएसटी परिषद की नई दिल्ली में हुई 56वीं बैठक में लिए गए उन ऐतिहासिक निर्णयों का स्वागत किया है जिनसे कोयला क्षेत्र के कराधान ढांचे में महत्वपूर्ण बदलाव आए हैं। ये सुधार कोयला क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक परिवर्तनकारी कदम हैं जिससे कोयला उत्पादकों के साथ-साथ उपभोक्ताओं को भी लाभ होगा।
जीएसटी परिषद की 56वीं बैठक में लिए गए प्रमुख निर्णय
- जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर को हटाया गया: परिषद ने कोयले पर पहले लगाए गए 400 रुपए प्रति टन क्षतिपूर्ति उपकर को समाप्त कर दिया है।
- कोयले पर जीएसटी दर में वृद्धि: कोयले पर जीएसटी दर 5 प्रतिशत से बढ़ाकर 18 प्रतिशत कर दी गई है।
कोयला मूल्य निर्धारण और बिजली क्षेत्र पर नए सुधार के कारण कुल कर भार में उल्लेखनीय कमी आई है क्योंकि जी6 से जी17 श्रेणी के कोयला मूल्य में 13.40 रुपए प्रति टन से लेकर 329.61 रुपए प्रति टन तक की कमी देखी गई है। बिजली क्षेत्र के लिए औसत कमी लगभग 260 रुपए प्रति टन है जो उत्पादन लागत में 17-18 पैसे प्रति किलोवाट घंटा की कमी दर्शाती है।
सभी कोयला श्रेणियों में कर भार को युक्तिसंगत बनाने से न्यायसंगत व्यवहार सुनिश्चित होगा। यह पहले लागू 400 रुपए प्रति टन क्षतिपूर्ति उपकर को समाप्त करेगा जो निम्न-गुणवत्ता और कम कीमत वाले कोयले पर असमान रूप से प्रभाव डालता था। उदाहरण के लिए, कोल इंडिया लिमिटेड द्वारा सबसे अधिक मात्रा में उत्पादित जी-11 नॉन-कोकिंग कोयले पर कर भार 65.85 प्रतिशत था जबकि जी2 कोयले पर यह 35.64 प्रतिशत था। उपकर हटा दिए जाने के बाद अब सभी श्रेणियों पर कर भार एक समान रूप से 39.81 प्रतिशत हो गया है।
भारत की आत्मनिर्भरता मजबूत हुई है और आयात पर अंकुश भी लगा है क्योंकि उपकर हटाने से प्रतिस्पर्धा का स्तर समान हो गया है और पहले की वह स्थिति अब नहीं है जहां 400 रुपए प्रति टन की जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर की एकसमान दर के परिणामस्वरूप उच्च सकल कैलोरी मान वाले आयातित कोयले की लैंडिंग लागत भारतीय निम्न-श्रेणी के कोयले की तुलना में कम थी। यह सुधार भारत की आत्मनिर्भरता को मजबूत करता है और अनावश्यक कोयला आयात पर अंकुश लगाता है।
इन सुधारों ने कोयले पर जीएसटी की दर बढ़ाकर 18 प्रतिशत कर दी है जिससे उलटा शुल्क विसंगति भी दूर हो गई है। पहले, कोयले पर 5 प्रतिशत जीएसटी लगता था जबकि कोयला कंपनियों द्वारा उपयोग की जाने वाली इनपुट सेवाओं पर उच्च जीएसटी दर, सामान्यतः 18 प्रतिशत लागू होती थी। इस असमानता के कारण, कोयला कंपनियों की कम उत्पादन जीएसटी देयता के कारण, उनके खातों में अप्रयुक्त कर क्रेडिट जमा होता था।
रिफंड का कोई प्रावधान न होने के कारण, यह राशि बढ़ती रही और धनराशि अवरुद्ध होती रही। आने वाले वर्षों में अप्रयुक्त राशि का उपयोग जीएसटी कर देयता का भुगतान करने के लिए किया जा सकता है जिससे तरलता पर लगी रोक हटेगी और कोयला कंपनियों को अप्रयुक्त जीएसटी क्रेडिट के जमा होने के कारण होने वाले नुकसान को कम करने में मदद मिलेगी तथा वित्तीय स्थिरता बढ़ेगी।
जीएसटी दरों में 5 प्रतिशत से 18 प्रतिशत तक की वृद्धि के बावजूद, सुधारों का समग्र प्रभाव यह है कि अंतिम उपभोक्ताओं के लिए कर भार कम होगा, साथ ही उल्टे शुल्क ढांचे में सुधार होगा, जिससे तरलता बढ़ेगी, विकृतियां दूर होंगी तथा कोयला उत्पादकों के लिए घाटे को रोका जा सकेगा।
जीएसटी परिषद के निर्णयों से भारत की आत्मनिर्भरता को मजबूत करने, उत्पादकों को समर्थन देने, उपभोक्ताओं को लाभान्वित करने और आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप कोयला क्षेत्र पर सकारात्मक प्रभाव पड़ने की उम्मीद है जिससे वास्तव में यह एक संतुलित सुधार बन जाएगा।
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पीके/केसी/बीयू/एसएस
(Release ID: 2169532)