विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय
विज्ञान में महिलाओं का सशक्तिकरण: सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर विज्ञान शिखर सम्मेलन 2025 में अग्रणी भूमिका निभाएगा
विज्ञान में महिलाओं के लिए कार्य व्यवस्था अनुकूल होनी चाहिए
समान अवसर के लिए लैंगिक-संवेदनशील नीतियां तैयार की जा रही हैं
Posted On:
18 SEP 2025 6:24PM by PIB Delhi
सीएसआईआर-राष्ट्रीय विज्ञान संचार एवं नीति अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर) ने 80वें संयुक्त राष्ट्र महासभा (एसएसयूएनजीए80) में विज्ञान शिखर सम्मेलन 2025 में भाग लिया। इसमें "विज्ञान में महिलाएं और लड़कियां: लैंगिक-समावेशी नवाचार को प्रोत्साहन देना, लैंगिक समानता और बाधाओं को तोड़ना" विषय पर ध्यान केंद्रित किया गया, जिसमें सीएसआईआर एक विषय अध्ययन के रूप में कार्य कर रहा था।

शिखर सम्मेलन में सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) जैसे एसडीजी 5 (लैंगिक समानता), एसडीजी 8 (सभ्य कार्य और आर्थिक विकास), और एसडीजी 10 (असमानता में कमी) पर चर्चा की गई। सम्मेलन सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर की निदेशक डॉ. गीता वाणी रायसम के स्वागत भाषण से शुरू हुआ। इसमें उन्होंने विज्ञान में लैंगिक समानता के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, "विज्ञान में महिलाओं के लिए एक अनुकूल कार्य व्यवस्था आवश्यक है। हमें महिलाओं की असमानता को दूर करने और विशिष्ट नीतियों के साथ बाधाओं को तोड़ने के लिए समाधान प्रदान करने की आवश्यकता है।"
सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. नरेश कुमार ने सत्र का अवलोकन प्रस्तुत किया। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि महिलाएं विज्ञान में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं। उन्होंने कहा, "वैश्विक स्तर पर, 35 प्रतिशत एसटीईएम पेशेवर महिलाएं हैं।"
सीएसआईआर की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. रंजना अग्रवाल ने लैंगिक-समावेशी नवाचार पर सत्र की अध्यक्षता करते हुए कहा, "पिछले तीन विज्ञान शिखर सम्मेलनों में, सीएसआईआर ने लैंगिक समावेशन को केंद्र में रखते हुए विविधता के लिए ठोस प्रयास किए हैं। यह महिलाओं द्वारा सामना की जाने वाली असमानता का एक वैश्विक मुद्दा है। व्यवस्था में जिम्मेदार शासन के लिए एक लैंगिक-विविध टीम महत्वपूर्ण है।"
पूर्व प्रोफेसर और भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग में वरिष्ठ सलाहकार डॉ. संजय मिश्रा ने अनुसंधान और नवाचार में समान अवसरों को बढ़ावा देने के लिए लैंगिक-संवेदनशील नीतियों और लैंगिक समानता योजनाओं का समर्थन किया। डॉ. मिश्रा ने इस बात पर बल दिया, "लैंगिक-संवेदनशील नीतियों को डिज़ाइन और कार्यान्वित करने से सभी के लिए समान अवसर तैयार हो सकते हैं। हमें वैश्विक सतत विकास में महिलाओं के योगदान को महत्व देना चाहिए।" उन्होंने भारत की पहलों पर भी प्रकाश डालते हुए कहा, "भारत सरकार ने विज्ञान में महिलाओं को बढ़ावा देने के लिए अनुसंधान संस्थानों के लिए जीएटीआई और स्कूलों के लिए विज्ञान ज्योति जैसे कार्यक्रम शुरू किए हैं।"
भारत के अमृता विश्व विद्यापीठम में यूनेस्को की लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण अध्यक्ष डॉ. भवानी राव आर ने चर्चा की कि कैसे महिला वैज्ञानिक प्रेरणा से आकांक्षा की ओर बढ़ते हुए भविष्य को आकार दे रही हैं। उन्होंने बताया, "नैतिक एआई नीतियों और लक्षित कार्यक्रमों के कार्यान्वयन से एआई तकनीक लैंगिक पूर्वाग्रहों से मुक्त होनी चाहिए।" उन्होंने कहा, “महिलाओं को नेतृत्वकर्ता बनने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु हमें बुनियादी स्तर पर करुणा-आधारित अनुसंधान और क्षमता निर्माण की आवश्यकता है।"
सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर, भारत की वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक श्रीमती संध्या वाकडिकर ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी (एसटीईएम) में लैंगिक समानता को मुख्यधारा में लाने पर एक अध्ययन के निष्कर्ष साझा किया। उन्होंने कहा, "संगठनों और व्यक्तियों पर किए गए हमारे सर्वेक्षण से पता चला है कि सीएसआईआर के कुल कर्मियों में महिलाओं की संख्या 16.1 प्रतिशत है। संस्थानों में तनाव प्रबंधन कार्यक्रम अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।"
शिखर सम्मेलन के दूसरे सत्र में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के पूर्व वरिष्ठ सलाहकार डॉ. अखिलेश गुप्ता की अध्यक्षता में "बदलती दुनिया के लिए एसटीईएम" पर एक पैनल चर्चा हुई। उन्होंने धन और संसाधनों तक पहुँच में असमानता पर ध्यान दिया और इस बात पर बल दिया, "पुरुषों के पास अधिक अवसर हैं, लेकिन महिलाओं के पास कम अवसर हैं। व्यवस्था में समानता लाना भी पुरुषों का काम है।”
पैनल में शामिल लेफ्टिनेंट कमांडर (सेवानिवृत्त) सुश्री वर्तिका जोशी, क्लाइमवर्क्स मैमथ, आइसलैंड; डॉ. नादिया अशुलोवा, निदेशक, एस.आई. वाविलोव इंस्टीट्यूट फॉर द हिस्ट्री ऑफ एस एंड टी, रूसी विज्ञान अकादमी, रूसी संघ; डॉ. श्रीदेवी अन्नपूर्णा सिंह, पूर्व निदेशक, सीएसआईआर-सीएफटीआरआई, भारत; डॉ. दिशा आहूजा, प्रबंध निदेशक, आहूजा इंजीनियरिंग सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड, भारत; ने एसटीईएम क्षेत्रों में विविधता को अपनाने के लिए लैंगिक-समावेश पर विचार-विमर्श किया।
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पीके/केसी/एमकेएस
(Release ID: 2168249)