खान मंत्रालय
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खान मंत्रालय ने भारत के महत्वपूर्ण खनिज मिशन को आगे बढ़ाया - हैदराबाद में आत्मनिर्भरता और नवाचार पर संगोष्ठी


केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी ने राष्ट्रीय संगोष्ठी में खनिज के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और नवाचार का मार्ग प्रशस्त किया

Posted On: 16 SEP 2025 6:10PM by PIB Delhi

केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी ने हैदराबाद में राष्ट्रीय महत्वपूर्ण खनिज मिशन के अंतर्गत उत्कृष्टता केंद्र पर आयोजित संगोष्ठी की अध्यक्षता की। श्री जी. किशन रेड्डी ने खनिज क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने, निवेश आकर्षित करने और इस क्षेत्र में तकनीकी क्षमताओं को उन्नत करने के लिए सरकार के दृष्टिकोण से अवगत कराया। उन्होंने अन्वेषण में तेजी लाने, आयात पर निर्भरता कम करने और रक्षा, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं अक्षय ऊर्जा क्षेत्रों के लिए महत्वपूर्ण खनिजों के लिए एक सुदृढ़ इको-सिस्टम बनाने हेतु उठाए गए कदमों पर प्रकाश डाला। उन्होंने खनिज क्षेत्र में सतत विकास सुनिश्चित करने के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी और सरकार के समग्र दृष्टिकोण के महत्व पर बल दिया।

संगोष्ठी के एक भाग के रूप में, राष्ट्रीय महत्वपूर्ण खनिज मिशन (एनसीएमएम) के अंतर्गत मान्यताप्राप्त उत्कृष्टता केंद्रों (सीओई) और उनसे संबद्ध उद्योग, शैक्षणिक और अनुसंधान एवं विकास के भागीदारों के माध्यम से महत्वपूर्ण खनिजों में अनुसंधान और विकास को सुदृढ़ करने पर विस्तृत विचार-विमर्श किया गया। सात उत्कृष्टता केंद्रों यानी आईआईटी बॉम्बे, आईआईटी हैदराबाद, आईआईटी रुड़की, आईआईटी (आईएसएम) धनबाद, सीएसआईआर-आईएमएमटी भुवनेश्वर, सीएसआईआर-एनएमएल जमशेदपुर और एनएफटीडीसी हैदराबाद के प्रमुखों ने महत्वपूर्ण कच्चे माल के क्षेत्र में अपने मौजूदा अनुसंधान, नवाचारों और रूपांतरण संबंधी प्रयासों को प्रस्तुत किया, जबकि उद्योगजगत के प्रतिनिधियों ने गहन अनुसंधान एवं विकास को लेकर जुड़ाव के लिए अपनी प्राथमिकताओं, संभावित समर्थन प्रणालियों और रूपरेखाओं को साझा किया।

सेमिनार में चार तकनीकी सत्र आयोजित किए गए, जिनमें महत्वपूर्ण खनिजों के कुशल प्रसंस्करण और शोधन में स्वदेशी प्रौद्योगिकियों को आगे बढ़ाने के लिए एक सुपरिभाषित अनुसंधान एवं विकास के रोडमैप की रूपरेखा प्रस्तुत की गई। सत्रों में शासन और हब-एंड-स्पोक समन्वय के माध्यम से सीओई को संस्थागत बनाने, उद्योगजगत की प्राथमिकताओं की पहचान करने और अनुसंधान एवं विकास की परियोजनाओं में भागीदारी बढ़ाने, टीआरएल 7/8 पायलट संयंत्रों और पूर्व-व्यावसायिक प्रदर्शनों तक नवाचारों को बढ़ाने के लिए बड़े पैमाने पर रूपांतरण से जुड़े अनुसंधान एवं विकास की पहलों को आगे बढ़ाने और भारत के रणनीतिक क्षेत्रों की आवश्यकताओं के साथ सीओई के अनुसंधान एवं विकास एजेंडे के बीच तालमेल बिठाने पर ध्यान केंद्रित किया गया।

विचार-विमर्श में सरकार के समग्र दृष्टिकोण, उत्कृष्टता केंद्रों और उनके प्रवक्ताओं के बीच घनिष्ठ सहयोग, और उद्योगजगत की सक्रिय भागीदारी के महत्व पर जोर दिया गया ताकि नवाचार में तेजी लाई जा सके, आयात पर निर्भरता कम की जा सके और महत्वपूर्ण खनिजों में घरेलू क्षमता का निर्माण किया जा सके। संगोष्ठी के परिणामों ने एनसीएमएम के तहत सहयोगात्मक कार्रवाई के लिए एक मजबूत आधार तैयार किया है और यह भारत को महत्वपूर्ण खनिजों के अनुसंधान, प्रसंस्करण और प्रौद्योगिकी नवाचार में एक वैश्विक अग्रणी के रूप में स्थापित करने के लिए एक रोडमैप के रूप में काम करेगा।

कार्यक्रम के दौरान, श्री रेड्डी ने सीईईडब्ल्यू की रिपोर्ट "भारत की महत्वपूर्ण खनिज प्रसंस्करण केंद्र के रूप में स्थापना" और घरेलू प्रसंस्करण क्षमताओं को बढ़ाने हेतु एक रोडमैप पुस्तिका का विमोचन किया। खान मंत्रालय के आर्थिक सलाहकार श्री शकील आलम और आईआईटी हैदराबाद के निदेशक प्रो. बीएस मूर्ति ने अकादमिक-उद्योग सहयोग पर आधारित जानकारी दी। अनुसंधान और क्षमता निर्माण में योगदान के लिए उत्कृष्टता केंद्रों को पुरस्कार प्रदान किए गए। श्री रेड्डी ने घोषणा करते हुए कहा कि कल से, मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले सभी केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों (सीपीएसयू) में एक समान कल्याणकारी ढांचा लागू किया जाएगा, जिसमें सभी नियमित खनन कर्मचारियों को सुरक्षा, सम्मान और सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक करोड़ रुपये की बीमा योजना के अंतर्गत लाया जाएगा।

कोयला एवं खान मंत्री ने 13 राज्यों में 23 ब्लॉकों यानी 19 कम्पोजिट लाइसेंस (सीएल) और 4 खनन पट्टा (एमएल) ब्लॉकों की नीलामी के छठे चरण का भी शुभारंभ किया। आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, कर्नाटक, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, तेलंगाना, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में फैले इन ब्लॉकों में स्वच्छ ऊर्जा, उन्नत विनिर्माण और रणनीतिक क्षेत्रों के लिए महत्वपूर्ण खनिज मौजूद हैं। प्रमुख खनिजों में दुर्लभ मृदा तत्व (आरईई), नियोबियम, टैंटलम, सीज़ियम, टंगस्टन, लिथियम, टिन, ग्रेफाइट, वैनेडियम, कोबाल्ट, टाइटेनियम, गैलियम, ज़िरकोनियम, रॉक फॉस्फेट, पोटाश और अन्य दुर्लभ धातुएं शामिल हैं। निविदा दस्तावेजों की बिक्री 23 सितंबर 2025 से शुरू होकर 24 नवंबर 2025 (भारतीय समयानुसार शाम 5:00 बजे तक) तक चलेगी, जबकि बोलियां जमा करने की अंतिम तिथि 1 दिसंबर 2025 (भारतीय समयानुसार शाम 5:00 बजे तक) है। अधिक जानकारी https://www.mstcecommerce.com/auctionhome/mlcln/ पर उपलब्ध है। खान मंत्रालय ने 55 ब्लॉकों की पांच चरणों में नीलामी पूरी कर ली है, जिनमें से अब तक 34 की सफलतापूर्वक नीलामी हो चुकी है। इन नीलामियों से प्राप्त राजस्व संबंधित राज्य सरकारों को दिया जाएगा।

श्री जी. किशन रेड्डी ने अन्वेषण लाइसेंस (ईएल) ब्लॉकों के पहले चरण के लिए पसंदीदा बोलीदाताओं की भी घोषणा की और हितधारकों के साथ बातचीत को सुगम बनाया। इस कार्यक्रम में लिथियम, तांबा, सोना और दुर्लभ मृदा तत्वों जैसे गहरे खनिजों के लिए ईएल ब्लॉकों की भारत की पहली नीलामी सफलतापूर्वक संपन्न हुई। बोली के लिए जारी किए गए 13 ब्लॉकों में से 7 दूसरे दौर में पहुंच गए, जिनमें आंध्र प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान जैसे राज्य शामिल हैं। यह पहल अन्वेषण में निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करती है, हरित प्रौद्योगिकियों, ऊर्जा परिवर्तन और उच्च तकनीक उद्योगों को समर्थन प्रदान करती है और साथ ही नीलामी से प्राप्त धनराशि को साझा करती है।

मंत्रालय ने एक पारदर्शी, निवेशक-अनुकूल वातावरण बनाने, अनुसंधान-संचालित नवाचार को बढ़ावा देने और भारत के रणनीतिक लक्ष्यों के अनुरूप एक आत्मनिर्भर खनिज इको-सिस्टम के निर्माण के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। मंत्रालय ने सभी हितधारकों के प्रति उनकी भागीदारी के लिए आभार व्यक्त किया और भारत के महत्वपूर्ण खनिज क्षेत्र को आगे बढ़ाने में निरंतर सहयोग की आशा व्यक्त की।

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पीके/केसी/एसकेएस/केके


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