संस्‍कृति मंत्रालय
azadi ka amrit mahotsav

“ज्ञान भारतम” भारत की पांडुलिपि धरोहर को एक जीवंत विरासत के रूप में पुनर्जीवित करेगा और एक सांस्कृतिक पुनर्जागरण का सूत्रपात करेगा: श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत


दिल्ली घोषणा पत्र स्मारकीय सामूहिक संकल्प का प्रतीक है

Posted On: 13 SEP 2025 8:47PM by PIB Delhi

संस्कृति मंत्रालय ने ‘ज्ञान भारतम’ नामक एक ऐतिहासिक राष्ट्रीय पहल शुरू की है, जो भारत की पांडुलिपि धरोहर के संरक्षण, डिजिटलीकरण और प्रसार के लिए समर्पित है। इस अवसर मंत्रालय की ओर से नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में 11 से 13 सितंबर 2025 तक ‘पांडुलिपि विरासत के माध्यम से भारत की ज्ञान विरासत को पुनः प्राप्त करने’ पर पहला ‘ज्ञान भारतम’ अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया। भारत और विदेश के विद्वानों, विशेषज्ञों, संस्थानों और सांस्कृतिक कार्यकर्ताओं सहित 1,100 से अधिक प्रतिभागियों को एक साथ लाकर, इस सम्मेलन ने चर्चा, विचार-विमर्श और भारत की पांडुलिपि संपदा के संरक्षण, डिजिटलीकरण और इसे दुनिया के साथ साझा करने की दिशा के लिए मार्ग प्रशस्त करने में सहयोगी मंच तैयार किया।

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image0014GSE.jpg

13 सितंबर को भारत के संस्कृति मंत्री की अध्यक्षता में गहन मंत्रणा के साथ समापन सत्र पूरा हुआ। तीन दिनों तक चले इस सम्मेलन में 12 सितंबर को प्रधानमंत्री ने भी भाग लिया। उन्होंने कार्य समूहों की प्रस्तुतियों में भाग लिया और उपस्थित लोगों को संबोधित किया।

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image002WNGV.jpg

समापन सत्र में संस्कृति मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। इस अवसर पर संस्कृति मंत्रालय के सचिव श्री विवेक अग्रवाल, संस्कृति मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव श्रीमती अमिता प्रसाद सरभाई, संस्कृति मंत्रालय में संयुक्त सचिव श्री समर नंदा, संस्कृति मंत्रालय के निदेशक श्री इंद्रजीत सिंह, आईजीएनसीए के सदस्य सचिव और ज्ञान भारतम सम्मेलन के सह-संयोजक डॉ. सच्चिदानंद जोशी, फील्ड्स मेडल विजेता और प्रिंसटन विश्वविद्यालय में प्रोफेसर प्रो. मंजुल भार्गव, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के महानिदेशक यदुवीर सिंह रावत, आईजीएनसीए के डीन (प्रशासन) व कलानिधि प्रभाग के प्रमुख और कार्यक्रम समन्वयक प्रो. रमेश चंद्र गौड़ और ज्ञान भारतम के परियोजना निदेशक एवं राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन के निदेशक प्रो. (डॉ.) अनिर्बान दाश सहित कई प्रतिष्ठित गणमान्य व्यक्ति शामिल हुए।

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image003TCLV.jpg

संस्कृति मंत्रालय के सचिव श्री विवेक अग्रवाल ने सम्मेलन की समापन रिपोर्ट प्रस्तुत की। इसके बाद श्रीमती अमिता प्रसाद सरभाई ने दिल्ली घोषणा पत्र की औपचारिक रूप से व्याख्या की। प्रो. रमेश सी. गौड़ ने 'ज्ञान सेतु' चुनौती पर विस्तार से चर्चा की। इसके बाद विजेताओं की घोषणा की गई, जिन्हें संस्कृति मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने सम्मानित किया।

‘ज्ञान सेतु’ प्रतियोगिता के विजेताओं को निम्नलिखित क्रम में सम्मानित किया गया। तीसरा स्थान मां-बेटे की जोड़ी वेंकट रवि तेजा विला और चेतन अरोड़ा के साथ डॉ. अर्जुन घोष को संयुक्त रूप से दिया गया। प्रो. रवि किरण ने दूसरा स्थान हासिल किया और इनवर्स एआई के सीईओ आर. रामकृष्णन को प्रथम स्थान दिया गया। इस अवसर पर ज्ञान भारतम लोगो का अनावरण किया गया। साथ ही डॉ. जया तिवारी द्वारा स्थापित मेरी जिंदगी बैंड ने ज्ञान भारतम गीत पर अपनी प्रस्तुति दी।

मुख्य अतिथि के रूप में सभा को संबोधित करते हुए केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि प्रधानमंत्री से प्रेरित और निर्देशित यह पहल भारत की समृद्ध ज्ञान परंपरा में नई जान डालने का एक प्रयास है। उन्होंने कहा कि ‘श्रुति’ और ‘स्मृति’ के बाद लिखित रूप में संरक्षित ज्ञान को अब भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय द्वारा ‘ज्ञान भारतम मिशन’ के माध्यम से पुनर्जीवित किया जा रहा है। सम्मेलन के तीन दिनों में निरंतर भागीदारी और विचार-विमर्श की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि विविध दृष्टिकोण के बावजूद हर कोई आपसी सम्मान और ऊर्जा के साथ जुड़ा हुआ है, जिससे सम्मेलन एक साझा निष्कर्ष की ओर बढ़ रहा है।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस प्रक्रिया को महज एक अकादमिक अभ्यास के रूप में नहीं बल्कि सांस्कृतिक पुनर्जागरण के रूप में देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि पांडुलिपियों का संरक्षण, प्रकाशन और उपयोग तभी सार्थक होगा जब वे आम लोगों से जुड़ेंगे। उन्होंने इसे एक जन आंदोलन बनाने के लिए विद्वानों और विशेषज्ञों के प्रयासों को सामाजिक सरोकारों से जोड़ने की आवश्यकता पर बल दिया। मंत्री ने दिल्ली घोषणा को केवल एक दस्तावेज ही नहीं बल्कि सभी प्रतिभागियों का सामूहिक संकल्प बताया। उन्होंने कहा कि इसकी शुरुआत बहुत महत्वपूर्ण रही है तथा भविष्य में यह और भी अधिक महत्वपूर्ण होगी तथा यह हमारे लिए एक संकल्प के समान है।

अपने भाषण का समापन करते हुए उन्होंने कहा कि हमारा उद्देश्य स्पष्ट है। आधुनिक तकनीक और सोशल मीडिया के माध्यम से पांडुलिपियों को संरक्षित करना, प्रकाशित करना और सुलभ बनाना है ताकि प्रत्येक भारतीय अपने पूर्वजों की इस बौद्धिक संपदा पर गर्व कर सके। जब तक यह ज्ञान आम लोगों की व्यावहारिक उपयोगिता से नहीं जुड़ेगा, तब तक यह अभियान अधूरा रहेगा। इसलिए हम सब मिलकर यह सुनिश्चित करें कि यह विरासत भावी पीढ़ियों तक पहुंचे और पांडुलिपि परंपरा में भारत के वैश्विक नेतृत्व को आगे बढ़ाए।

11 से 13 सितंबर 2025 तक आयोजित तीन दिवसीय ज्ञान भारतम अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के समापन सत्र में संस्कृति मंत्रालय के सचिव श्री विवेक अग्रवाल ने सम्मेलन की रिपोर्ट प्रस्तुत की। उन्होंने कहा कि सभी आठ कार्य समूहों ने विस्तृत विचार-विमर्श किया और अपनी प्रस्तुतियां दीं, जिन्हें प्रधानमंत्री ने स्वीकार किया और विचारपूर्वक मार्गदर्शन दिया। श्री अग्रवाल ने कहा कि भारत की पांडुलिपियों में मानवता की संपूर्ण विकास यात्रा के पदचिह्न समाहित हैं। वे केवल राजवंशों के अभिलेख नहीं हैं, बल्कि उन विचारों, आदर्शों और मूल्यों के भंडार हैं जिन्होंने सभ्यता को आकार दिया है। ज्ञान भारतम मिशन भारत की संस्कृति, साहित्य और चेतना की आवाज बनने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा अपने संबोधन के दौरान कहे गए ये प्रेरणादायक शब्द आगे की यात्रा के लिए दिशा निर्धारित करते हैं। पांडुलिपियों को अवशेष के रूप में नहीं, बल्कि एक जीवित विरासत के रूप में देखना, यह सुनिश्चित करना कि इस मिशन के माध्यम से भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और बौद्धिक विरासत संस्कृति, साहित्य और चेतना की वैश्विक आवाज के रूप में प्रतिध्वनित हो।

डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने कहा कि ज्ञान भारतम अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन ने न केवल विद्वतापूर्ण विचार-विमर्श के लिए मंच के रूप में कार्य किया बल्कि यह भारत की पांडुलिपि धरोहर को संरक्षित करने और देश की ज्ञान परंपरा को भावी पीढ़ियों तक पहुंचाने की दिशा में एक प्रेरणादायक कदम के रूप में भी उभरा है। विशेष रूप से उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि सभी प्रतिभागियों ने बिना किसी प्रायोजन या निमंत्रण के स्वयं की प्रेरणा से इसमें भाग लिया, जो उनकी पूर्ण प्रतिबद्धता और उत्साह को दर्शाता है। अधिकांश प्रतिभागी प्रमाण-पत्र प्राप्त करने के लिए नहीं बल्कि सम्मेलन की विषय-वस्तु और चर्चाओं में शामिल होने के लिए उपस्थित थे। उन्होंने यह भी बताया कि 70 प्रतिशत से अधिक प्रतिभागी युवा थे, जिससे इस पहल की भविष्य की दिशा और मजबूत हुई। सभी उपस्थित लोगों की ऊर्जा, समर्पण और सार्थक भागीदारी ने इस आयोजन को एक सम्मेलन से कहीं अधिक बना दिया जो यह एक जन आंदोलन बन गया। आठ विषयगत थीम पर व्यापक विचार-विमर्श ने ज्ञान भारतम मिशन के दायरे और दृष्टिकोण को स्पष्ट और व्यवस्थित रूप से रेखांकित किया।

अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन की संयोजक अमिता पी. सरभाई ने 13 सितंबर 2025 को औपचारिक दिल्ली घोषणा पत्र (ज्ञान भारतम संकल्प पत्र) पढ़ी, जिसे समापन सत्र में अपनाया गया। घोषणापत्र में भारत को विश्व की सबसे समृद्ध पांडुलिपि परंपराओं की भूमि बताया गया तथा विकसित भारत 2047 के दृष्टिकोण में इस विशाल खजाने को संरक्षित करने, डिजिटल बनाने और प्रसारित करने का संकल्प लिया गया। इसने विकसित भारत 2047 की सांस्कृतिक और बौद्धिक आधारशिला के रूप में अमूल्य पांडुलिपि विरासत की रक्षा और संरक्षण करने, भारत को पांडुलिपियों के सबसे प्रमुख केंद्र के रूप में स्थापित करके वैश्विक नेतृत्व प्राप्त करने, ज्ञान भारतम को 'जन आंदोलन' में परिवर्तित करके एक जन आंदोलन को जागृत करने, एकता और विविधता के प्रतीक के रूप में हर लिपि और भाषा का पोषण करने, नागरिकों, विद्वानों, छात्रों, महिलाओं, युवाओं और बुजुर्गों की भागीदारी के माध्यम से समाज को एक साथ लाने और संरक्षण, सूचीकरण, डिजिटलीकरण और प्रसार के लिए कौशल और प्रौद्योगिकी का उपयोग करने का संकल्प लिया। इसके अलावा इसमें संरक्षकों और संस्थाओं को मान्यता देने और उनका सम्मान करने, पांडुलिपियों पर शोध करने और उनकी पुनर्व्याख्या करने, मूल प्रतियों को प्राप्त करने और उन्हें वापस भेजने या डिजिटल प्रतियां सुरक्षित रखने, शिक्षा और नवाचार के लिए प्राचीन ज्ञान का संचार करने, जन जागरूकता की वकालत करने और भावी पीढ़ियों का मार्गदर्शन करने का संकल्प लिया गया। इन संकल्पों के प्रथम अक्षर सामूहिक रूप से ज्ञान भारतम शब्द बनाते हैं। सभी प्रतिनिधियों, वक्ताओं, विद्वानों और प्रतिभागियों ने सर्वसम्मति से दिल्ली घोषणा पत्र को स्वीकार किया। अंत में ज्ञान भारतम के परियोजना निदेशक ने औपचारिक धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया।

13 सितंबर 2025 को ज्ञान भारतम संकल्प पत्र- दिल्ली घोषणा देखने के लिए यहां क्लिक करें

****

पीके/केसी/आरकेजे


(Release ID: 2166450) Visitor Counter : 2
Read this release in: English , Malayalam