लोकसभा सचिवालय
लोकतंत्र में सार्थक संवाद और स्वस्थ बहस जनता का विश्वास मजबूत करते हैं: लोक सभा अध्यक्ष
लोक सभा अध्यक्ष ने संविधान सभा की स्वस्थ बहस की भावना को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता पर बल दिया
विचारों में असहमति हो सकती है, लेकिन हमें राष्ट्र, राज्यों और जनता के लिए सामूहिक रूप से बेहतर नीतियाँ बनानी चाहिए: लोक सभा अध्यक्ष
जनता की आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए विधानमंडलों में अधिक बैठकें और लंबी चर्चाएं सुनिश्चित की जानी चाहिए: लोक सभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला
सदनों में गतिरोध और हंगामे लोकतंत्र को आहत करते हैं, सभी दलों को आत्ममंथन करना चाहिए: लोक सभा अध्यक्ष
सदन में चर्चा और संवाद की गरिमा बनाए रखना सभी जनप्रतिनिधियों की जिम्मेदारी है: लोक सभा अध्यक्ष
भारत में बहस विभाजन नहीं, बल्कि लोकतंत्र की जीवंतता है। बहस से विश्वास बनता है और विश्वास से जनता की आकांक्षाएँ पूरी होती हैं: लोक सभा अध्यक्ष
लोक सभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला ने बेंगलुरू, कर्नाटक में आयोजित हो रहे 11वें राष्ट्रमंडल संसदीय संघ सम्मेलन का उद्घाटन किया
Posted On:
11 SEP 2025 9:51PM by PIB Delhi
बेंगलुरु के विधान सौध की ऐतिहासिक सीढ़ियों पर आयोजित 11वें राष्ट्रमंडल संसदीय संघ / कॉमनवेल्थ पार्लियामेंट्री एसोसिएशन (CPA) भारत क्षेत्र सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए लोक सभा अध्यक्ष, श्री ओम बिरला ने इस बात पर ज़ोर दिया कि लोकतंत्र में जनता का विश्वास तभी मज़बूत होगा जब संसद और विधानसभाओं में सार्थक संवाद और स्वस्थ बहस की परंपरा को प्रोत्साहित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में संवाद की संस्कृति हजारों वर्षों से हमारी परंपरा का हिस्सा रही है, जिसे हमारे संविधान ने और अधिक मज़बूती प्रदान की। उन्होंने संविधान सभा की बहसों का उल्लेख करते हुए कहा कि जब हर शब्द और अनुच्छेद पर गहन चर्चा हुई थी, उसी कारण हमारा संविधान समावेशी और दूरदर्शी बन सका। उन्होंने कहा कि दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र भारत और सबसे जीवंत संविधान; “भारत का संविधान” है। हमारे संविधान निर्माताओं के प्रयासों से भारत अनेक विविधताओं के बावजूद एकजुट है।
लोक सभा अध्यक्ष ने सभी जनप्रतिनिधियों से आह्वान किया कि वे सदन में अपने आचरण से गरिमा और मर्यादा बनाए रखें। हंगामे, गतिरोध और बार-बार स्थगन से लोकतंत्र को केवल आघात पहुँचता है और जनता का नुकसान होता है। उन्होंने कहा कि सभी दलों को इस पर आत्ममंथन करना चाहिए कि बहस और संवाद से ही समाधान निकलता है।
विधानमंडलों में सत्रों की घटती संख्या, चर्चा का सीमित समय और लगातार व्यवधान पर चिंता व्यक्त करते हुए लोक सभा अध्यक्ष ने कहा कि हमें अपनी बहस की संस्कृति को और सशक्त बनाना होगा। उन्होंने कहा कि भारत की जनता हमसे शोर नहीं, समाधान चाहती है। यदि हमारी बहस रचनात्मक होगी तो हमारे कानून बेहतर होंगे, हमारे कानून बेहतर होंगे तो शासन सशक्त होगा, और यदि शासन सशक्त होगा तो जनता का विश्वास अटूट रहेगा।
श्री बिरला ने तकनीकी नवाचारों की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए डिजिटल संसद ऐप, NeVA (National e-Vidhan Application) और संसद-भाषिणी जैसे प्रयोगों का उल्लेख किया, जिनसे बहुभाषी समाज में लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की पहुँच बढ़ी है। उन्होंने बताया कि भारत की संसद की कार्यवाही अब हिंदी और अंग्रेज़ी के साथ-साथ तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम, मराठी और असमिया सहित 22 भाषाओं में उपलब्ध कराई जा रही है, जिससे यह अधिक समावेशी बन रही है।
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रमंडल संसदीय संघ (सीपीए) लगभग 180 राष्ट्रमंडल सांसदों/विधान मंडलों का एक अंतर्राष्ट्रीय मंच है। लोक सभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला सीपीए भारत क्षेत्र की कार्यकारी समिति के पदेन अध्यक्ष हैं। भारत सीपीए का 9वां क्षेत्र है, तथा देश के सभी 31 राज्य/संघ राज्य क्षेत्र शाखाएं भारत क्षेत्र के अंतर्गत शामिल हैं। कर्नाटक, बेंगलुरू में आयोजित हो रहे इस तीन दिवसीय 11वें राष्ट्रमंडल संसदीय संघ (सीपीए) भारत क्षेत्र सम्मेलन का मुख्य विषय “विधायी संस्थाओं में संवाद और चर्चा – जन विश्वास का आधार, जन आकांक्षाओं की पूर्ति का माध्यम” रखा गया है।
इस अवसर पर कर्नाटक विधान सभा के अध्यक्ष ने स्वागत भाषण दिया। कर्नाटक के मुख्यमंत्री श्री सिद्धरामैय्या; कर्नाटक विधान परिषद के अध्यक्ष; राज्य सभा के उपसभापति श्री हरिवंश; कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री श्री डी. के. शिवकुमार ने सभा को संबोधित किया। सीपीए कर्नाटक शाखा के सचिव ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया।
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