जनजातीय कार्य मंत्रालय
जन जातीय कार्य मंत्रालय द्वारा आदि वाणी का बीटा संस्करण शुरु किया गया; जनजातीय भाषाओं के लिए वृहद भाषा मॉडल की ओर अग्रसर; भारत का पहला एआई- संचालित अनुवादक
जनजातीय भाषाओं में शिक्षा, शासन और उद्यमिता तक पहुंच बढ़ाने के लिए "आदि वाणी"
शब्दों का अनुवाद और दुनिया को बदलना
प्रविष्टि तिथि:
01 SEP 2025 7:15PM by PIB Delhi
जनजातीय कार्य मंत्रालय ने समावेशी जन जातीय सशक्तिकरण और भाषाई संरक्षण की दिशा में ऐतिहासिक पहल करते हुए, आज जनजातीय भाषाओं के लिए भारत के पहले एआई- संचालित अनुवाद मंच, आदि वाणी के बीटा संस्करण का शुभारंभ किया। यह कार्यक्रम जनजातीय गौरव वर्ष (जेजेजीवी) समारोह के एक भाग के रूप में डॉ. अंबेडकर अंतर्राष्ट्रीय केंद्र, नई दिल्ली के समरसता हॉल में आयोजित किया गया था।
माननीय जनजातीय कार्य राज्य मंत्री, श्री दुर्गादास उइके ने दीप प्रज्वलन के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस अवसर पर जनजातीय कार्य मंत्रालय में सचिव श्री विभु नायर, आईआईटी दिल्ली के निदेशक श्री रंजन बनर्जी, जनजातीय कार्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव श्री अनंत प्रकाश पांडे, जनजातीय कार्य मंत्रालय में निदेशक सुश्री दीपाली मासिरकर, आईआईटी दिल्ली के बीबीएमसी सेल के प्रोफेसर विवेक कुमार, आईआईटी दिल्ली के एसोसिएट प्रोफेसर संदीप कुमार भी उपस्थित थे। सहयोग की सामूहिक भावना के अनुरूप इस कार्यक्रम में सभी राज्य जनजातीय अनुसंधान संस्थान (टीआरआई) और जनजातीय भाषाओं के प्रमुख विशेषज्ञ शामिल हुए।

इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री श्री उइके ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भाषा सांस्कृतिक पहचान का आधार है और समुदायों को जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि आदि वाणी दूर- दराज के इलाकों में रहने वाले आदिवासी समुदायों के लिए संचार की खाई को पाटने, आदिवासी युवाओं को डिजिटल रूप से सशक्त बनाने और आदि कर्मयोगी ढांचे के तहत अंतिम छोर तक सेवाओं की आपूर्ति में मदद करेगी।

जनजातीय कार्य मंत्रालय के सचिव श्री विभु नायर ने आदि वाणी को एक किफायती नवाचार बताया, जिसे व्यावसायिक मंचों की लागत के लगभग दसवें हिस्से पर विकसित किया गया है। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि यह परियोजना अत्याधुनिक तकनीक को राज्य जनजातीय अनुसंधान संस्थानों (टीआरआई) द्वारा एकत्रित प्रामाणिक भाषाई आंकड़ों के साथ एकीकृत करती है और सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से निरंतर सुधार को बढ़ावा देने के लिए एक फीडबैक प्रणाली के साथ डिज़ाइन की गई है।
आईआईटी दिल्ली के निदेशक प्रो. रंजन बनर्जी ने कहा कि आदि वाणी दर्शाती है कि कैसे कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग भाषाओं, संस्कृतियों और परंपराओं के संरक्षण के लिए प्रभावी ढंग से किया जा सकता है और साथ ही लोगों के जीवन पर सार्थक प्रभाव डाला जा सकता है।
संयुक्त सचिव श्री अनंत प्रकाश पांडे ने इस बात पर ज़ोर दिया कि भाषा के ह्रास से संस्कृति और विरासत का क्षरण होता है। उन्होंने आगे कहा कि आदि वाणी केंद्र सरकार, टीआरआई के माध्यम से राज्य सरकारों और प्रमुख तकनीकी संस्थानों के बीच सहयोगात्मक प्रयासों का परिणाम है, जो इसे जनजातीय भाषाओं के संरक्षण और संवर्धन के लिए एक कम लागत वाला, उच्च प्रभाव वाला समाधान बनाता है।

आदि वाणी के बारे में
आदि वाणी केवल कृत्रिम बुद्धि (एआई) आधारित अनुवाद उपकरण ही नहीं है, बल्कि समुदायों को जोड़ने और सांस्कृतिक पहचान को संरक्षित करने का एक मंच भी है। यह पहल लुप्त प्राय भाषाओं के डिजिटलीकरण में सहायता करेगी, मूल भाषाओं में शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और शासन तक पहुँच में सुधार करेगी, जनजातीय उद्यमिता को बढ़ावा देगी और शोधकर्ताओं के लिए ज्ञान के स्रोत के रूप में कार्य करेगी।
आदि वाणी को आईआईटी दिल्ली के नेतृत्व वाले एक राष्ट्रीय संघ द्वारा बिट्स पिलानी, आईआईआईटी हैदराबाद, आईआईआईटी नवा रायपुर और झारखंड, ओडिशा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और मेघालय के जनजातीय अनुसंधान संस्थानों के सहयोग से विकसित किया गया है। आदि वाणी - एआई उपकरण वेब पोर्टल (https://adivaani.tribal.gov.in) पर उपलब्ध है और ऐप का बीटा संस्करण जल्द ही प्ले स्टोर और आईओएस पर उपलब्ध होगा। बीटा लॉन्च चरण में, यह संथाली (ओडिशा), भीली (मध्य प्रदेश), मुंडारी (झारखंड) और गोंडी (छत्तीसगढ़) को सपोर्ट करता है, जबकि कुई और गारो भाषाओं पर विकास कार्य चल रहा है।
इस प्लेटफ़ॉर्म का एक लाइव प्रदर्शन आयोजित किया गया, जिसमें भीली और गोंडी में वास्तविक समय में अनुवाद प्रदर्शित किए गए। सहयोगी टीआरआई के विशेषज्ञों ने अनुवादों का सत्यापन किया, जिसके बाद प्रतिभागियों और हितधारकों के साथ एक संवादात्मक सत्र आयोजित किया गया।
प्रमुख विशेषताओं में शामिल हैं :
- हिंदी, अंग्रेजी और जनजातीय भाषाओं के बीच रीयल- टाइम पाठ और वाक् अनुवाद
- छात्रों और शुरुआती शिक्षार्थियों के लिए इंटरैक्टिव भाषा शिक्षण मॉड्यूल
- लोक कथाओं, मौखिक परंपराओं और सांस्कृतिक विरासत का डिजिटलीकरण
- जन जातीय भाषाओं में स्वास्थ्य संबंधी जानकारी और प्रधानमंत्री के भाषणों सहित उप शीर्षक युक्त सलाह और सरकारी संदेश
- मूल भाषाओं में शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और शासन तक समावेशी पहुँच
विकसित भारत 2047 दृष्टिकोण की ओर अग्रसर
भारत की आदिवासी भाषाई विरासत का डिजिटलीकरण और संरक्षण करके, आदि वाणी डिजिटल इंडिया, एक भारत श्रेष्ठ भारत, पीएम जनमन, आदि कर्मयोगी अभियान और धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान के दृष्टिकोण के साथ संरेखित है। यह मंच कम संसाधन वाली भाषा संरक्षण के लिए एक अग्रणी वैश्विक मॉडल स्थापित करता है और 2047 तक एक समावेशी, ज्ञान-संचालित विकसित भारत के निर्माण में 20 लाख से अधिक
आदिवासी परिवर्तन नेतृत्वकर्ताओं को सशक्त बनाने की उम्मीद है।





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पीके/ केसी/ जेएस
(रिलीज़ आईडी: 2162950)
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