पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय
संसद प्रश्न: मौसम पूर्वानुमान में एआई
Posted On:
20 AUG 2025 4:41PM by PIB Delhi
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी तथा पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस) की अन्य संस्थाएँ एआई-आधारित उपकरणों का उपयोग प्रायोगिक मौसम और जलवायु पूर्वानुमान के लिए कर रही हैं। इनमें चक्रवात की तीव्रता का अनुमान लगाने के लिए प्रयुक्त उन्नत ड्वोरक तकनीक (एआईडीटी), एआई/एमएल आधारित मॉडल, मौसम पूर्वानुमान के लिए हाइब्रिड (एआई+डायनामिकल) मॉडल आदि शामिल हैं।
मौसम पूर्वानुमान से संबंधित एआई/एमएल में किए गए शोध कार्य निम्नलिखित हैं।
- लघु-अवधि वैश्विक पूर्वानुमान
- वर्षा संबंधी आंकड़ों का डाउनस्केलिंग
- आग के स्थान का पूर्वानुमान
- कोहरे का पूर्वानुमान
- बिजली/तूफान का पूर्वानुमान
- संख्यात्मक मौसम पूर्वानुमान प्रणाली में बेहतर वैश्विक वर्षा के लिए गहन शिक्षण
उपरोक्त शोध कार्य के अतिरिक्त, मौसमजीपीटी (मौसम जनरेटिव प्री-ट्रेन्ड ट्रांसफॉर्मर) का भी विकास किया जा रहा है, जो एक एआई-आधारित चैटबॉट है, जिसे किसानों और हितधारकों के लिए जलवायु सेवा सलाहकार के रूप में प्रशिक्षित किया गया है।
आईएमडी अपने हितधारकों, जैसे किसानों, मछुआरों, आदि को पूर्व चेतावनी सेवाएं प्रदान करने के लिए नवीनतम तकनीकों का उपयोग कर रहा है। पिछले साल, आईएमडी ने पंचायती राज मंत्रालय (एमओपीआर) के सहयोग से, कई संख्यात्मक मौसम पूर्वानुमान मॉडल के आधार पर अत्याधुनिक मल्टी-मॉडल एन्सेम्बल पूर्वानुमान का उपयोग करके भारत भर में लगभग सभी ग्राम पंचायतों को कवर करते हुए ग्राम पंचायत स्तरीय मौसम पूर्वानुमान (जीपीएलडब्ल्यूएफ) शुरू किया था। ये पूर्वानुमान ई-ग्रामस्वराज (https://egramswaraj.gov.in/), मेरी पंचायत ऐप, एमओपीआर के ई-मंचित्रा और आईएमडी के मौसमग्राम (https://mausamgram.imd.gov.in/) जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध हैं। जीपीएलडब्ल्यूएफ का मुख्य लक्ष्य और उद्देश्य ग्राम पंचायत स्तर तक मौसम पूर्वानुमान प्रदान करना है, जिसमें तापमान, वर्षा, आर्द्रता, हवा और बादल की स्थिति जैसे महत्वपूर्ण पैरामीटर शामिल हैं - आवश्यक डेटा जो किसानों को बुवाई, कटाई और सिंचाई के संबंध में सूचित निर्णय लेने के लिए आवश्यक है। यह प्लेटफॉर्म देश भर में पंचायत स्तर पर किसी भी समय और कहीं भी मौसम पूर्वानुमान की जानकारी उपलब्ध कराता है। यह मौसम संबंधी जानकारी कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय तथा ग्रामीण विकास मंत्रालय के अंतर्गत पशु सखियों और कृषि सखियों के साथ-साथ अन्य स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) के माध्यम से बड़ी संख्या में लोगों तक पहुंचती है। जीपीएलडब्ल्यूएफ किसानों को 36 घंटे की अवधि तक हर घंटे, 36 घंटे से अगले पाँच दिनों तक हर तीन घंटे और अगले पाँच दिनों से 10 दिनों तक हर छह घंटे में स्थानीय मौसम संबंधी जानकारी उपलब्ध कराने में मदद करता है।
27 मई 2025 को, सरकार ने स्वदेश निर्मित भारत पूर्वानुमान प्रणाली (भारतएफएस) का शुभारम्भ किया, जो उच्च-रिज़ॉल्यूशन पूर्वानुमान तैयार करने के लिए एक अत्याधुनिक संख्यात्मक मौसम पूर्वानुमान मॉडल है। यह पंचायत/पंचायत समूहों के स्तर तक बेहतर और सटीक वर्षा पूर्वानुमान का वादा करता है। भारतएफएस का स्थानिक रिज़ॉल्यूशन 6 किमी है, जबकि वैश्विक पूर्वानुमान प्रणाली (जीएफएस) का स्थानिक रिज़ॉल्यूशन 12 किमी था। इसमें लघु एवं मध्यम अवधि तक 10 दिनों तक की वर्षा का पूर्वानुमान देने की क्षमता भी है। इस प्रकार, यह जनता, किसानों, आपदा प्रबंधकों और अन्य हितधारकों के लिए पंचायत/पंचायत समूहों के स्तर पर पूर्वानुमान प्रदान करने में मदद करेगा। जलवायु पूर्वानुमान प्रणाली संस्करण 2 (सीएफएसवी2) युग्मित मॉडल का उपयोग मौसम विज्ञान उप-प्रभाग स्तर पर विस्तारित अवधि मौसम पूर्वानुमान (4 सप्ताह तक) उत्पन्न करने के लिए किया जाता है। विभिन्न राज्य कृषि विश्वविद्यालयों, आईआईटी, आईसीएआर के संस्थानों आदि में स्थित 127 कृषि-जलवायु क्षेत्रों को कवर करने वाली कृषि-मौसम क्षेत्र इकाइयाँ (एएमएफयू) प्रेक्षित और पूर्वानुमानित मौसम के आधार पर, सप्ताह में दो बार (प्रत्येक मंगलवार और शुक्रवार को) अंग्रेजी के साथ-साथ अपने-अपने जिलों के लिए क्षेत्रीय भाषाओं में कृषि-मौसम परामर्श तैयार करती हैं, ताकि कृषक समुदाय को दिन-प्रतिदिन के कृषि कार्यों पर उचित निर्णय लेने में मदद मिल सके।
एएएस बुलेटिनों के साथ-साथ, क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केंद्रों (आरएमसी) और आईएमडी के मौसम विज्ञान केंद्रों (एमसी) द्वारा दैनिक मौसम पूर्वानुमान और वर्तमान जानकारी भी जारी की जाती है। राष्ट्रीय मौसम पूर्वानुमान केंद्र (एनडब्ल्यूएफसी), नई दिल्ली और आईएमडी के आरएमसी और एमसी द्वारा देश भर के विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के विभिन्न जिलों के लिए जारी गंभीर मौसम चेतावनियों के आधार पर एएमएफयू द्वारा कृषि के लिए प्रभाव-आधारित पूर्वानुमान (आईबीएफ) और उपयुक्त सलाह भी तैयार की जा रही है।
तकनीकी प्रगति ने पहुंच को और बढ़ा दिया है, जिससे किसान ‘मेघदूत’, ‘मौसम’ जैसे मोबाइल ऐप और व्हाट्सएप, फेसबुक आदि जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के माध्यम से स्थान-विशिष्ट पूर्वानुमान और सलाह प्राप्त करने में सक्षम हो गए हैं। इसके अतिरिक्त, आईएमडी ने अपनी सेवाओं को 18 राज्य सरकारों के आईटी प्लेटफार्मों के साथ एकीकृत किया है, जिससे किसानों को अंग्रेजी और क्षेत्रीय दोनों भाषाओं में जानकारी प्राप्त करने की सुविधा मिल सकेगी।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने हाल ही में उच्च शक्ति कंप्यूटिंग प्रणाली (एचपीसीएस) को ~22 पेटाफ्लॉप्स की कुल कंप्यूटिंग क्षमता के साथ संवर्धित किया है, जिसमें नए एचपीसी सिस्टम की कुल क्षमता का लगभग 10% ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट (जीपीयू) (ए100) है। इसके अलावा, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के पास मौसम पूर्वानुमान में एआई/एमएल अनुसंधान के लिए समर्पित एक अलग जीपीयू (एनवीआईडीआईए एच100) है। आईएमडी भारतीय क्षेत्र और बंगाल की खाड़ी तथा अरब सागर सहित उत्तरी हिंद महासागर के समुद्री क्षेत्र में मौसम पूर्वानुमान कौशल को और बेहतर बनाने के लिए एनडब्ल्यूपी मॉडल के साथ-साथ एआई/एमएल आधारित डेटा संचालित मॉडल पर काम कर रहा है, ताकि विभिन्न स्थानिक-कालिक पैमानों पर मौसम की चेतावनियों को अधिक सटीक, समय पर और कार्रवाई योग्य बनाया जा सके, जिससे समुदायों को मौसम संबंधी खतरों के लिए बेहतर तैयारी करने और उनका जवाब देने में मदद मिल सके। विवरण अनुलग्नक-1 में दिया गया है।
अनुलग्नक-1
- आईआईटीएम, पुणे में वर्चुअल सेंटर की स्थापना पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा एआई/एमएल/डीएल आधारित अनुप्रयोग उपकरण विकसित करने के लिए की गई है।
- एआई/एमएल में अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों को मजबूत करने के लिए पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अंतर्गत आईएमडी में एक समर्पित कार्यात्मक समूह की स्थापना की गई है।
- आईएमडी ने एआई कंप्यूटिंग के लिए एक विशेष जीपीयू और सीपीयू-आधारित बुनियादी ढांचा स्थापित किया है।
- आईएमडी ने मौसम और जलवायु के लिए विभिन्न एआई/एमएल अनुप्रयोगों के पहलुओं का उपयोग करते हुए सहयोग और अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों के लिए आईआईटी, आईआईआईटी, एनआईटी, इसरो, डीआरडीओ, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) आदि जैसे विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों के साथ समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं।
- मौसम और जलवायु के संबंध में एआई/एमएल डोमेन में क्षमता निर्माण का कार्य प्रशिक्षण सत्रों और कार्यशालाओं में वैज्ञानिकों को नामित करके किया जा रहा है।
- आईएमडी हर साल मई में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग के मूल सिद्धांतों पर एक अल्पकालिक रिफ्रेशर कोर्स का आयोजन करता है।
एआई-आधारित निगरानी उपकरणों और पूर्वानुमान मॉडल का उपयोग इस प्रकार है:
- उष्णकटिबंधीय चक्रवात की तीव्रता का अनुमान लगाने के लिए, मौसम विज्ञान उपग्रह अध्ययन के लिए सहकारी संस्थान द्वारा दी गई उपग्रह-आधारित एआई-संवर्धित उन्नत ड्वोरक तकनीक (एआईडीटी) का उपयोग आईएमडी द्वारा अन्य उत्पादों के अलावा किया जाता है।
- आईएमडी उष्णकटिबंधीय चक्रवात की उत्पत्ति, ट्रैक और तीव्रता की भविष्यवाणी के लिए यूरोपीय मध्यम-अवधि मौसम पूर्वानुमान केंद्र (ईसीएमडब्ल्यूएफ) से एआई-आधारित मॉडल मार्गदर्शन का भी उपयोग करता है।
यह जानकारी आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन राज्य मंत्री, परमाणु ऊर्जा विभाग और अंतरिक्ष विभाग डॉ. जितेंद्र सिंह ने दी।
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पीके/केसी/जीके/डीके
(Release ID: 2158580)