इस्पात मंत्रालय
“द्वितीयक इस्पात उद्योगों के मुद्दे” पर विज्ञान भवन, नई दिल्ली में आज कार्यशाला का आयोजन
प्रविष्टि तिथि:
13 AUG 2025 8:03PM by PIB Delhi
इस्पात मंत्रालय ने द्वितीयक इस्पात क्षेत्र की प्रमुख चुनौतियों और अवसरों पर विचार-विमर्श हेतु आज विज्ञान भवन, नई दिल्ली में "द्वितीयक इस्पात उद्योगों के मुद्दे" पर एक व्यापक कार्यशाला का आयोजन किया। इस कार्यशाला में प्रमुख उद्योग संघों - मैटेरियल रिसाइक्लिंग एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एमआरएआई), स्पंज आयरन मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन (एसआईएमए), ऑल इंडिया इंडक्शन फर्नेस एसोसिएशन (एआईआईएफए), छत्तीसगढ़ स्पंज आयरन मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन (सीजीएसआईएमए), और पेलेट्स मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (पीएमएआई) के प्रतिनिधियों के साथ- साथ द्वितीयक इस्पात उद्योगों (एसएसआई) के इस्पात उत्पादक, नीति निर्माता, विशेषज्ञ और उद्योग भागीदार भी शामिल हुए।
कार्यशाला का उद्घाटन माननीय केंद्रीय इस्पात मंत्री, श्री एच.डी. कुमारस्वामी ने किया। उन्होंने इस क्षेत्र की औद्योगिक क्षेत्रीयकरण की रीढ़ के रूप में भूमिका पर ज़ोर दिया, जो रोज़गार और आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान देता है। उन्होंने 2047 तक 500 मिलियन टन इस्पात उत्पादन के राष्ट्रीय लक्ष्य को दोहराया और निम्न- कार्बन इस्पात में विश्व स्तर पर अग्रणी बनने की भारत की महत्वाकांक्षा पर प्रकाश डाला। भारतीय इस्पात अनुसंधान एवं प्रौद्योगिकी मिशन (एसआरटीएमआई) के अंतर्गत इस्पात सहयोग पोर्टल और हरित इस्पात वर्गीकरण जैसी प्रमुख पहलों पर भी प्रकाश डाला गया।
इस्पात मंत्रालय में सचिव, श्री संदीप पौंड्रिक ने वैश्विक गिरावट के बीच भारत में इस्पात उत्पादन में 12% से अधिक की मज़बूत वृद्धि पर प्रकाश डाला और बताया कि प्रति व्यक्ति खपत 100 किलोग्राम से अधिक हो गई। उन्होंने बताया कि 47% उत्पादन द्वितीयक क्षेत्र से आता है। उन्होंने अनुसंधान एवं विकास, कच्चे माल की सतत आपूर्ति और रसद सुविधा के लिए मंत्रालय के सहयोग का आश्वासन दिया। उन्होंने बताया कि अध्ययनों से पता चलता है कि अगले पाँच वर्षों में हाइड्रोजन की लागत घटकर 2.5 डॉलर प्रति किलोग्राम रह जाने की संभावना है, जिससे कम कार्बन उत्सर्जन को अपनाने का आग्रह किया जा सके।
राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय संघों द्वारा उद्योग जगत की प्रमुख चिंताओं जैसे- कच्चे माल की आपूर्ति, रसद संबंधी अड़चनें, अस्थिर मूल्य निर्धारण और बिजली शुल्क संबंधी मुद्दे पर चर्चा की गई। मंत्रालय द्वारा प्रस्तावित राष्ट्रीय सतत इस्पात मिशन (एनएमएसएस) पर एक सत्र भी आयोजित किया गया और उद्योगों के दृष्टिकोण पर चर्चा की गई।
अन्य सत्रों में राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के अंतर्गत इस्पात क्षेत्र में हरित हाइड्रोजन पायलट परियोजनाओं के लिए अभिरुचि की अभिव्यक्ति, द्वितीयक इस्पात उद्योग (एसएसआई) के आधारभूत कार्बन उत्सर्जन और एसएसआई के लिए अनुसंधान एवं विकास पहलों पर चर्चा की गई।
भारतीय इस्पात क्षेत्र में एक ऐतिहासिक क्षण के रूप में, तीन इस्पात कंपनियों को ग्रीन स्टील टैक्सोनॉमी के तहत कार्बन उत्सर्जन कम करने के उनके प्रयासों के लिए पहला ग्रीन स्टील प्रमाणपत्र प्रदान किया गया। मंत्रालय ने आगामी अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम "भारत स्टील" के लिए लोगो, ब्रोशर और वेबसाइट का भी अनावरण किया। कार्यशाला का समापन द्वितीयक इस्पात क्षेत्र में सतत, प्रतिस्पर्धी विकास के लिए सामूहिक प्रतिबद्धता के साथ हुआ।
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पीके/ केसी/ जेएस
(रिलीज़ आईडी: 2156210)
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