सामाजिक न्‍याय एवं अधिकारिता मंत्रालय
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बढ़ती बुजुर्ग आबादी के लिए बुनियादी ढांचा

Posted On: 06 AUG 2025 5:21PM by PIB Delhi

राष्ट्रीय जनसंख्या आयोग द्वारा गठित जनसंख्या अनुमानों पर तकनीकी समूह की रिपोर्ट के अनुसार, 2011 से 2036 के बीच, वृद्धों (60 वर्ष और उससे अधिक) की जनसंख्या का अनुपात 2011 में 10 करोड़ से बढ़कर 2036 में 23 करोड़ हो जाने का अनुमान है - कुल जनसंख्या में उनकी हिस्सेदारी 8.4 प्रतिशत से बढ़कर 14.9 प्रतिशत हो जाएगी।

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने वृद्धजनों की बढ़ती ज़रूरतों को समझते हुए और उनके सामने आने वाली कठिनाइयों को कम करने के लिए, देश भर के वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण हेतु 1 अप्रैल2021 से अटल वयो अभ्युदय योजना (अव्यय) व्यापक रूप से लागू की है। अव्यय के वरिष्ठ नागरिकों के लिए एकीकृत कार्यक्रम (आईपीएसआरसी) के अंतर्गत, गैर-सरकारी/ स्वैच्छिक संगठनों को वरिष्ठ नागरिक गृहों (वृद्धाश्रमों), सतत देखभाल गृहों आदि के संचालन और रखरखाव के लिए अनुदान सहायता प्रदान की जाती है। निर्धन वरिष्ठ नागरिकों को आश्रय, पोषण, चिकित्सा और मनोरंजन जैसी सुविधाएँ निःशुल्क प्रदान की जाती हैं।

आईपीएसआरसी के अंतर्गत, रिक्त जिलों और वृद्धाश्रमों की अपर्याप्त क्षमता वाले जिलों में स्थित नए वृद्धाश्रमों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए प्रस्ताव आमंत्रित किए जाते हैं। वर्तमान में, इस योजना के अंतर्गत देश भर में 29 राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों को शामिल करते हुए 696 वरिष्ठ नागरिक गृह कार्यरत हैं, जिनमें से योजना के दिशा निर्देशों के अनुसार चालू वित्त वर्ष अर्थात 2025- 26 के दौरान 84 नए वरिष्ठ नागरिक गृहों का चयन किया गया है।

'भूमि' और 'उपनिवेशीकरण' भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची की सूची-II (राज्य सूची) की प्रविष्टि 18 के अंतर्गत आते हैं और इस प्रकार ये राज्य सरकारों के विधायी अधिकार क्षेत्र के विषय हैं। हालाँकि, एक समान ढाँचा प्रदान करने और राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों की सुविधा के लिए, केंद्र सरकार द्वारा वृद्धाश्रमों के विकास और विनियमन हेतु आदर्श दिशा निर्देश तैयार और प्रसारित किए गए थे। इन दिशा निर्देशों का उद्देश्य राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों के लिए एक मार्गदर्शक दस्तावेज़ के रूप में कार्य करना है ताकि वे वृद्धाश्रमों में रहने वाले वरिष्ठ नागरिकों और सेवानिवृत्त लोगों के अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए अपने- अपने कानूनों और विनियमों में उपयुक्त प्रावधानों को शामिल कर सकें।

इसके अलावा, संसद द्वारा पारित रियल एस्टेट (विनियमन एवं विकास) अधिनियम, 2016 (रेरा) का उद्देश्य रियल एस्टेट क्षेत्र में पारदर्शिता, जवाबदेही और दक्षता को बढ़ावा देना है। रेरा के प्रावधान रिटायरमेंट होम्स पर पूरी तरह लागू होते हैं और उन्हें अन्य रियल एस्टेट परियोजनाओं के समान माना जाता है। यह वरिष्ठ नागरिकों और अन्य कमजोर निवासियों सहित घर खरीदारों के हितों की डेवलपर्स द्वारा किसी भी उल्लंघन या कदाचार से सुरक्षा सुनिश्चित करता है। इसके अलावा, रेरा ऐसी परियोजनाओं के क्रियान्वयन के दौरान रियल एस्टेट डेवलपर्स द्वारा लागू मानदंडों और स्थानीय कानूनों का कड़ाई से पालन अनिवार्य करता है।

यह जानकारी केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री श्री बी.एल. वर्मा ने आज राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।

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पीके/केसी/जेएस/एसएस


(Release ID: 2153344)
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