रेल मंत्रालय
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अश्विनी वैष्णव ने कहा- उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक सबसे कठिन परियोजनाओं में से एक होने के बावजूद, न केवल पर्याप्त वैश्विक सुरक्षा प्रावधान प्रदान करता है, बल्कि यह हिमालयी पारिस्थितिकी को भी संरक्षित करता है


परियोजना के दौरान 215 किलोमीटर से अधिक सड़कों के निर्माण से स्थानीय आबादी के लिए संपर्क में सुधार के साथ रोजगार सृजन भी हुआ

परियोजना के क्रियान्वयन में विश्व के सर्वश्रेष्ठ संस्थानों को शामिल किया गया; नीरी के दिशानिर्देशों के अनुसार ढलान स्थिरीकरण योजनाएं लागू की गईं

विस्तृत डिजाइन सलाहकारों के मार्गदर्शन में मृदा अपरदन और प्राकृतिक भूभागों को होने वाले नुकसान की रोकथाम की गई; प्राकृतिक स्रोत के अभाव वाले गांवों को वैकल्पिक जल स्रोत प्रदान किए गए

Posted On: 06 AUG 2025 6:58PM by PIB Delhi

कुल 272 किलोमीटर लंबाई वाली उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक (यूएसबीआरएल) परियोजना हाल ही में चालू की गई है। यूएसबीआरएल परियोजना जम्मू-कश्मीर के उधमपुर, रियासी, रामबन, श्रीनगर, अनंतनाग, पुलवामा, बडगाम और बारामूला जिलों के लिए है।

यूएसबीआरएल परियोजना, आजादी के बाद देश में शुरू की गई सबसे कठिन नई रेल लाइन परियोजनाओं में से एक है। यह भूभाग युवा हिमालय से होकर गुजरता है, जो भूवैज्ञानिक विविधताओं और असंख्य समस्याओं से भरा है। इस परियोजना में रेलवे ने जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में चिनाब नदी पर दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पुल बनाया है। प्रतिष्ठित चिनाब पुल 1315 मीटर लंबा है, इसका आर्च स्पान 467 मीटर है और नदी तल से इसकी ऊंचाई 359 मीटर है। इस परियोजना में अंजी खड्ड पर भारतीय रेलवे का पहला केबल-स्टेड पुल बनाया गया है। इसका ब्रिज डेक नदी तल से 331 मीटर ऊंचा है और इसके मुख्य तोरण की ऊंचाई 193 मीटर है।

यूएसबीआरएल परियोजना ने इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण सामाजिक-आर्थिक योगदान दिया है, इसमें रोज़गार सृजन भी एक महत्वपूर्ण पहलू रहा है। इस परियोजना ने 5 करोड़ से ज़्यादा मानव-दिवस रोजगार सृजित किया है। यूएसबीआरएल परियोजना के सामाजिक-आर्थिक विकास प्रयासों का एक और महत्वपूर्ण पहलू 215 किलोमीटर से ज़्यादा लंबी सड़कों का निर्माण रहा है, इसमें एक सुरंग और 320 छोटे पुलों का निर्माण शामिल है। इस सड़क नेटवर्क ने स्थानीय लोगों को अन्य क्षेत्रों से संपर्क बढ़ाने और सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार लाने में मदद की है।

अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों के अनुरूप, यूएसबीआरएल परियोजना में पर्याप्त सुरक्षा प्रावधान किए गए हैं। 2 किलोमीटर से अधिक लंबी सभी सुरंगों में वायु की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए यांत्रिक वेंटिलेशन सिस्टम लगाए गए हैं। सभी सुरंगों में संभावित आग की घटनाओं से तुरंत निपटने और उन्हें नियंत्रित करने के लिए अग्नि हाइड्रेंट और अग्निशामक यंत्रों सहित अग्निशमन प्रणालियां उपलब्ध कराई गई हैं। इसके अलावा, यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए, 3 किलोमीटर से अधिक लंबी सुरंग में निकास सुरंगें भी बनाई गई हैं। इस परियोजना में कुल 66 किलोमीटर की निकास सुरंगें बनाई गई हैं।

हिमालयी पारिस्थितिकी में न्यूनतम व्यवधान सुनिश्चित करने के लिए, ढलान स्थिरीकरण पर उचित ध्यान दिया गया है और इस परियोजना के क्रियान्वयन हेतु विश्व के सर्वश्रेष्ठ संस्थानों को शामिल किया गया है। प्राकृतिक भू-भागों के क्षरण और क्षति को रोकने के लिए, नीरी के दिशानिर्देशों और विस्तृत डिज़ाइन सलाहकारों के सुझावों के अनुसार ढलान स्थिरीकरण हेतु व्यापक योजनाएं लागू की गई हैं।

चिनाब पुल पर ढलान स्थिरता का डिज़ाइन भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगलोर और आईआईटी/दिल्ली द्वारा तैयार किया गया था। चिनाब पुल पर ढलान स्थिरता की स्वतंत्र जांच के लिए ऐसे कार्यों का अनुभव रखने वाली अन्य वैश्विक फर्मों को जिम्मेदारी दी गई थी। अंजी पुल पर ढलान स्थिरता का डिज़ाइन और प्रमाण-जांच का काम भी अनुभवी वैश्विक फर्मों द्वारा किया गया।

इसके अलावा, चिनाब और अंजी खड्ड पुलों सहित कटरा-काजीगुंड नई रेल लाइन के निर्माण से होने वाले पर्यावरणीय प्रभाव का आकलन भी राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (नीरी), नागपुर द्वारा किया गया है। नीरी द्वारा तैयार पर्यावरण प्रबंधन योजना (ईएमपी) के आधार पर व्यापक सुरक्षा उपाय और शमन उपाय लागू किए गए हैं।

सुरंग से निकली सामग्री के प्रबंधन हेतु, प्राकृतिक नालों में पानी छोड़ने से पहले, सुरंग के निकास द्वारों पर अवसादन टैंक बनाए गए हैं। जिन गांवों में रिवर्स पंपिंग के कारण प्राकृतिक जल स्रोत बाधित हो गए थे, वहां वैकल्पिक जल स्रोत उपलब्ध कराए गए। सतही जल का सुचारू प्रवाह सुनिश्चित करने और मलबा यार्डों में कटाव को रोकने के लिए आवश्यक स्थानों पर उचित पंक्तिबद्ध नालियां और सीढ़ीदार ढलान बनाए गए।

सुरंग निर्माण के दौरान कंपन और पर्यावरणीय क्षति को न्यूनतम रखने के लिए नियंत्रित विस्फोट की उन्नत तकनीकों का उपयोग किया गया। कटरा-बनिहाल खंड की सभी सुरंगों में परिचालन चरण के दौरान भी वायु गुणवत्ता की निगरानी के लिए सेंसर लगाए गए हैं। पूरी रेल परियोजना सुरंगों और खुले खंडों में ओवरहेड कंडक्टर प्रणाली के उपयोग से विद्युतीकृत की गई है। रेल परिवहन सबसे पर्यावरण-अनुकूल परिवहन साधन है, जो डीजल की तुलना में कार्बन उत्सर्जन को काफी कम करता है।

यद्यपि जैव विविधता संरक्षण के विशिष्ट उपायों को ईएमपी में रेखांकित किया गया है, समग्र पर्यावरणीय शमन प्रयास स्थानीय पारिस्थितिकी की रक्षा में योगदान करते हैं। डंपिंग स्थलों पर वृक्षारोपण गतिविधि के लिए स्थल तैयारी दिशानिर्देशों में स्थानीय प्रजातियों के पौधे लगाना और पारिस्थितिकी-पुनर्स्थापन के लिए घास लगाना शामिल है। घाटी वाले हिस्से की शेष भारतीय रेल नेटवर्क के साथ सभी मौसमों के अनुकूल, विश्वसनीय और आरामदायक रेल कनेक्टिविटी के साथ, पर्यटन को काफी बढ़ावा मिलेगा।

यूएसबीआरएल परियोजना (272 किलोमीटर) पूरी तरह से केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में निर्मित की गई है। भूमि अधिग्रहण प्रचलित 'जम्मू-कश्मीर राज्य भूमि अधिग्रहण अधिनियम 1990' के अनुसार किया गया। भूमि अधिग्रहण जिला प्रशासन द्वारा नियुक्त कलेक्टर भूमि अधिग्रहण के माध्यम से किया गया। भूमि स्वामित्व, संरचनाओं का मूल्यांकन, लाभार्थियों की पहचान, भूमि और संरचनाओं, वृक्षों आदि के लिए मुआवजे की गणना की गई। इस सम्बंध में पुरस्कार दिए गए और मुआवजे की राशि वितरित की गई।

यूएसबीआरएल परियोजना के लिए अधिग्रहित कुल भूमि में 1559.48 हेक्टेयर निजी भूमि और 276.71 हेक्टेयर सरकारी भूमि शामिल है। इस भूमि अधिग्रहण की पूरी राशि, यानी 816.21 करोड़ रुपये, सम्बंधित कलेक्टर भूमि अधिग्रहण के पास पहले ही जमा कर दी गई है। भूमि अधिग्रहण से सम्बंधित लंबित दावों के समाधान की व्यवस्था जम्मू-कश्मीर राज्य भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 1990 की धारा 18 में पहले से ही शामिल है।

रेलवे सम्बंधित राज्य/जिला प्राधिकरणों के माध्यम से भूमि अधिग्रहण करता है। भूमि अधिग्रहण से सम्बंधित सभी गतिविधियां, जैसे भूमि खोने वालों को मुआवजे की राशि का आकलन आदि, राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में हैं। राज्य सरकार का राजस्व विभाग, रेलवे से मांग करने के बाद, भूमि मालिकों को भूमि अधिग्रहण का मुआवजा देता है।

केंद्रीय रेल, सूचना एवं प्रसारण तथा इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।

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पीके/केसी/वीके/एचबी


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