विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय
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काले बिच्छू के डंक का रहस्य खुला

प्रविष्टि तिथि: 05 AUG 2025 3:18PM by PIB Delhi

पूर्वी और दक्षिणी भारत के जंगल-झाड़ियों में पाए जाने वाले चमकदार काले बिच्छू के खतरनाक डंक के रहस्य का पता चल गया है।

बिच्छू के डंक से शरीर में विष के प्रवेश से विशेष रूप से उष्णकटिबंधीय (ट्रॉपिकल) और उपोष्णकटिबंधीय (सबट्रॉपिकल) क्षेत्रों में, मृत्यु दर और रुग्णता के उच्च स्तर को देखते हुए, दुनिया भर में यह स्वास्थ्य चिंता का गंभीर विषय बना हुआ है। इसकी सर्वव्यापकता और मानव शरीर पर इसके विष के गंभीर दुष्‍प्रभाव के बावजूद, इस पर बहुत कम वैज्ञानिक खोज हुई है, जिससे इसके विष की संरचना, विषाक्तता तंत्र और समग्र जैविक महत्व की समझ अभी कम है।

काले बिच्‍छू के विषाक्तता तंत्र का पता लगाने के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के स्वायत्त संस्थान, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी उन्नत अध्ययन संस्थान (आईएएसएसटी), गुवाहाटी के वैज्ञानिकों ने हाल में किए अपने अध्ययन में पूर्वी और दक्षिणी भारत के अपेक्षाकृत अल्‍पज्ञात काले बिच्‍छू की स्वदेशी प्रजाति, हेटरोमेट्रस बंगालेंसिस (एचबी) के विष विवरण का पहला व्यापक विश्लेषण किया।

आईएएसएसटी के निदेशक प्रोफेसर आशीष के. मुखर्जी और शोधार्थी सुश्री सुस्मिता नाथ सहित अन्य शोधार्थियों के नेतृत्व में किए गए अध्ययन में पाया गया कि काले बिच्छू के डंक के खतरे की वजह उसके द्वारा शरीर में छोड़े गए विष में मौजूद आठ विभिन्न प्रोटीन परिवारों (क्रमिक रूप से संबंधित प्रोटीनों के समूह) के 25 अलग-अलग विषाक्त पदार्थ हैं।

चित्र: ग्राफिकल सार: हेटरोमेट्रस बंगालेंसिस विष के जैव-रासायनिक, प्रोटिओमिक और औषधीय लक्षण वर्णन के लिए इन विट्रो और इन विवो एकी‍कृत कार्यप्रवाह।

स्पेक्ट्रोमेट्री और जैव-रासायनिक विश्लेषणों से एचबीवी के 8 प्रोटीन परिवारों के 25 प्रमुख विषैले तत्वों की पहचान हुई। शोधकर्ताओं ने स्विस एल्बिनो चूहों (प्रयोगशाला शोध में व्यापक रूप से उपयोग किए जाने वाले सफेद चूहे) पर औषधीय प्रभाव का अध्‍ययन कर पाया कि ये रसायन प्रणालीगत विषाक्तता, यकृत एंजाइमों में वृद्धि, अंगों को नुकसान और पूर्व-सूजन की वजह बनते हैं।

इस विष के चूहों के शरीर में पहुंचते ही प्रणालीगत विषाक्‍तता शुरू हो गई जिससे लीवर एंजाइम का स्तर काफी ऊपर आ गया और यकृत (लीवर) को क्षति पहुंचने की स्थिति उत्‍पन्‍न हो गई। अंगों को क्षति पहुंचने के लक्षण दिखाने लगे। सबसे हैरत में डालने वाली बात यह रही कि प्रतिरक्षा प्रणाली अति सक्रिय हो गई और शरीर में व्‍यापक प्रतिक्रिया उत्पन्न होने से वास्तविक स्थिति में बिच्‍छू के डंक लगने पर संभावित आघात या गंभीर एलर्जी प्रतिक्रिया का का पता चला।

इंटरनेशनल जर्नल ऑफ बायोलॉजिकल मैक्रोमोलेक्यूल्स में प्रकाशित यह अध्ययन, कम ज्ञात प्रजाति की जांच संबंधी अपनी खोज से बिच्छूओं के विष के बारे में अल्‍पज्ञान को पूरा करता है। इससे बिच्‍छुओं के विष और उसे प्रबंधित करने के लिए भविष्य की खोज का आधार प्राप्‍त हुआ है।

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पीके/केसी/एकेवी/केके


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