संस्‍कृति मंत्रालय
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अनुसूचित जातियों के उत्थान के लिए योजनाएँ

Posted On: 04 AUG 2025 5:11PM by PIB Delhi

संस्कृति मंत्रालय कला संस्कृति विकास योजना (केएसवीवाई) का क्रियान्वयन कर रहा है। यह एक व्यापक योजना है जिसमें कई केंद्रीय क्षेत्र की योजनाएँ शामिल हैं। इसके अंतर्गत देश भर में अनुसूचित जातियों के कलाकारों सहित प्रदर्शन कला के क्षेत्र में कार्यरत पात्र सांस्कृतिक संगठनों/व्यक्तियों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। इन योजनाओं का संक्षिप्त विवरण अनुबंध-I में दिया गया है ।

केएसवीवाई एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है, इसमें राज्यवार धनराशि आवंटन का कोई प्रावधान नहीं है। हालाँकि, पिछले चार वर्षों के दौरान अनुसूचित जातियों के लिए विशेष घटक योजना सहित कला संस्कृति विकास योजना की सभी योजनाओं और उसके उप-घटकों के अंतर्गत आवंटित धनराशि का विवरण इस प्रकार है:

वित्तीय वर्ष

आवंटित धनराशि

(करोड़ रुपये में)

उपयोग की गई धनराशि

(रुपये करोड़ में)

2021-22

177.30

177.30

2022-23

214.32

214.32

2023-24

218.65

218.65

2024-25

207.24

207.24

 

कला संस्कृति विकास योजना (केएसवीवाई) के अंतर्गत अनुसूचित जाति के कलाकारों, रंगमंच समूहों, लोक परंपराओं सहित कलाकारों को प्रशिक्षण देने और सांस्कृतिक अवसर प्रदान करने के लिए अनुदान जारी किया गया है।

सामान्य वित्तीय नियम (जीएफआर) नियम-2017 के अनुसार चार्टर्ड एकाउंटेंट द्वारा विधिवत प्रमाणित उपयोगिता प्रमाण-पत्र, बिल वाउचर और अन्य साक्ष्य प्रमाण जैसे फोटो/वीडियो, पूर्णता प्रमाण-पत्र आदि प्रस्तुत करने के आधार पर निधियों के उपयोग की निगरानी की जाती है। इसके अलावा, निधियों की प्रगति और उचित उपयोग की निगरानी के लिए मंत्रालय के अधिकारियों द्वारा ऑन-साइट भौतिक निरीक्षण का भी प्रावधान है।

अनुलग्नक – I

कला संस्कृति विकास योजना (केएसवीवाई):

कला संस्कृति विकास योजना (केएसवीवाई) देश में कला और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत एक व्यापक योजना है। इसकी निम्न उप-योजनाएँ हैं जिनके अंतर्गत सांस्कृतिक संगठनों/व्यक्तियों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है:

  1. गुरु-शिष्य परंपरा को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय सहायता (रिपर्टरी अनुदान)
  2. कला और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय सहायता योजना।
  3. कला और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए छात्रवृत्ति और फैलोशिप योजना।
  4. टैगोर सांस्कृतिक परिसरों (टीसीसी) के निर्माण के लिए वित्तीय सहायता
  5. अनुभवी कलाकारों के लिए वित्तीय सहायता।
  6. सेवा भोज योजना
  7. राष्ट्रीय गांधी विरासत स्थल मिशन
  8. राष्ट्रीय पुरस्कार योजना

उप-योजनाओं और उनके घटकों का संक्षिप्त विवरण, जिनके अंतर्गत देश भर में नाटक/रंगमंच, संगीत, नृत्य और अन्य प्रदर्शन कलाओं के क्षेत्र में कार्यरत पात्र सांस्कृतिक संगठनों/व्यक्तियों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है, निम्नानुसार है:-

  1. गुरु-शिष्य परंपरा को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय सहायता (रिपरेटरी अनुदान)

इस योजना घटक का उद्देश्य नाट्य समूहों, रंगमंच समूहों, संगीत मंडलियों, बाल रंगमंच आदि जैसी सभी प्रदर्शन कला गतिविधियों के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना और गुरु-शिष्य परंपरा के अनुरूप कलाकारों को उनके संबंधित गुरुओं द्वारा नियमित रूप से प्रशिक्षण प्रदान करना है। इस योजना के अनुसार, रंगमंच के क्षेत्र में 1 गुरु और अधिकतम 18 शिष्यों को और संगीत एवं नृत्य के क्षेत्र में 1 गुरु और अधिकतम 10 शिष्यों को सहायता प्रदान की जाती है। गुरु के लिए सहायता राशि 15,000/- रुपये प्रति माह और शिष्य के लिए 2,000-10,000/- रुपये प्रति माह है, जो कलाकार की आयु पर निर्भर करता है।

  1. कला और संस्कृति के संवर्धन के लिए वित्तीय सहायता: इस योजना के निम्नलिखित उप-घटक हैं:

 

  1. राष्ट्रीय उपस्थिति वाले सांस्कृतिक संगठनों को वित्तीय सहायता

 

इस योजना घटक का उद्देश्य देश भर में कला और संस्कृति के प्रचार-प्रसार में संलग्न राष्ट्रीय स्तर पर उपस्थिति वाले सांस्कृतिक संगठनों को प्रोत्साहन और सहायता प्रदान करना है। यह अनुदान ऐसे संगठनों को दिया जाता है जिनका एक सुव्यवस्थित प्रबंध निकाय हो, जो भारत में पंजीकृत हों; जिनका स्वरूप अखिल भारतीय हो और जिनकी राष्ट्रीय स्तर पर उपस्थिति हो; पर्याप्त संख्या में कार्यरत हों; और जिन्होंने पिछले 5 वर्षों में से 3 वर्षों के दौरान सांस्कृतिक गतिविधियों पर 1 करोड़ या उससे अधिक राशि खर्च की हो। इस योजना के अंतर्गत अनुदान की राशि ₹1.00 करोड़ है, जिसे असाधारण मामलों में ₹5.00 करोड़ तक बढ़ाया जा सकता है।

 

  1. सांस्कृतिक समारोह और उत्पादन अनुदान (सीएफपीजी)

 

इस योजना घटक का उद्देश्य गैर सरकारी संगठनों/सोसायटियों/ट्रस्टों/विश्वविद्यालयों आदि को सेमिनार, सम्मेलन, अनुसंधान, कार्यशालाओं, महोत्सवों, प्रदर्शनियों, संगोष्ठियों, नृत्य, नाटक-रंगमंच, संगीत आदि के निर्माण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना है। इस योजना के तहत अनुदान की मात्रा एक संगठन के लिए 5 लाख रुपये है जिसे असाधारण मामलों में 20.00 लाख रुपये तक बढ़ाया जा सकता है।

 

  1. हिमालय की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और विकास के लिए वित्तीय सहायता

 

इस योजना घटक का उद्देश्य अनुसंधान, प्रशिक्षण और दृश्य-श्रव्य कार्यक्रमों के माध्यम से हिमालय की सांस्कृतिक विरासत का संवर्धन और संरक्षण करना है। यह वित्तीय सहायता हिमालयी क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले राज्यों, अर्थात् जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश, के संगठनों को प्रदान की जाती है। अनुदान की राशि प्रति संगठन 10.00 लाख रुपये प्रति वर्ष है, जिसे असाधारण मामलों में 30.00 लाख रुपये तक बढ़ाया जा सकता है।

 

  1. बौद्ध/तिब्बती संगठन के संरक्षण और विकास के लिए वित्तीय सहायता

 

इस योजना घटक के अंतर्गत, बौद्ध/तिब्बती संस्कृति और परंपराओं के प्रचार-प्रसार और वैज्ञानिक विकास तथा संबंधित क्षेत्रों में अनुसंधान में लगे मठों सहित स्वैच्छिक बौद्ध/तिब्बती संगठनों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। योजना घटक के अंतर्गत वित्त पोषण की राशि प्रति संगठन ₹30.00 लाख प्रति वर्ष है, जिसे असाधारण मामलों में ₹1.00 करोड़ तक बढ़ाया जा सकता है।

 

  1. स्टूडियो थिएटर सहित भवन अनुदान के लिए वित्तीय सहायता

 

इस योजना घटक का उद्देश्य गैर सरकारी संगठनों, ट्रस्टों, सोसायटियों, सरकार द्वारा प्रायोजित निकायों, विश्वविद्यालय, महाविद्यालय आदि को सांस्कृतिक अवसंरचना (अर्थात स्टूडियो थियेटर, ऑडिटोरियम, रिहर्सल हॉल, कक्षा आदि) के सृजन तथा विद्युत, वातानुकूलन, ध्वनिकी, प्रकाश एवं ध्वनि प्रणाली आदि जैसी सुविधाओं के प्रावधान के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना है। इस योजना घटक के अंतर्गत अनुदान की अधिकतम राशि मेट्रो शहरों में 50 लाख रुपये तक तथा गैर-मेट्रो शहरों में 25 लाख रुपये तक है।

 

  1. घरेलू त्यौहार और मेले

इस योजना का उद्देश्य संस्कृति मंत्रालय द्वारा आयोजित 'राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सवों' के आयोजन हेतु सहायता प्रदान करना है। राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव (आरएसएम) क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्रों (जेडसीसी) के माध्यम से आयोजित किए जाते हैं, जहाँ देश भर से बड़ी संख्या में कलाकार अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने के लिए आते हैं। नवंबर, 2015 से, संस्कृति मंत्रालय द्वारा देश भर में चौदह (14) राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव आयोजित किए जा चुके हैं।

 

3. टैगोर सांस्कृतिक परिसरों (टीसीसी) के निर्माण के लिए वित्तीय सहायता

 

इस योजना का उद्देश्य एनजीओ, ट्रस्ट, सोसायटी, सरकार द्वारा प्रायोजित निकायों, राज्य/संघ राज्य क्षेत्र सरकार के विश्वविद्यालयों, केंद्रीय/राज्य सरकार की एजेंसियों/निकायों, नगर निगमों, प्रतिष्ठित गैर-लाभकारी संगठनों आदि को नए बड़े सांस्कृतिक स्थलों जैसे कि मंच प्रदर्शनों (नृत्य, नाटक और संगीत), प्रदर्शनियों, सेमिनारों, साहित्यिक गतिविधियों, ग्रीन रूम आदि के लिए सुविधाओं और बुनियादी ढांचे के साथ ऑडिटोरियम के निर्माण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना है। योजना घटक मौजूदा सांस्कृतिक सुविधाओं (रवींद्र भवन, रंगशाला) आदि की बहाली, नवीनीकरण, विस्तार, परिवर्तन, उन्नयन, आधुनिकीकरण के लिए भी सहायता प्रदान करता है। इस योजना घटक के तहत, किसी भी परियोजना के लिए वित्तीय सहायता सामान्यतः अधिकतम 15.00 करोड़ रुपये तक होगी। केंद्रीय वित्तीय सहायता कुल अनुमोदित परियोजना लागत का 90% होगी और शेष 10% कुल अनुमोदित परियोजना लागत प्राप्तकर्ता राज्य सरकार/एनजीओ या एनईआर परियोजनाओं के लिए संबंधित संगठन द्वारा वहन की जाएगी और एनईआर को छोड़कर, केंद्रीय सहायता और राज्य हिस्सेदारी (मिलान शेयर) के लिए 60:40 अनुपात है।

 

4. कला और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए छात्रवृत्ति और फेलोशिप योजना: इस योजना में निम्नलिखित तीन घटक शामिल हैं:

 

  1. संस्कृति के क्षेत्र में उत्कृष्ट व्यक्तियों को फेलोशिप प्रदान करने की योजना

विभिन्न सांस्कृतिक क्षेत्रों में 25 से 40 वर्ष (जूनियर) और 40 वर्ष (सीनियर) से अधिक आयु वर्ग के उत्कृष्ट व्यक्तियों को सांस्कृतिक अनुसंधान हेतु 2 वर्ष की अवधि के लिए 10,000/- रुपये प्रति माह और 20,000/- रुपये प्रति माह की दर से एक बैच वर्ष में 400 तक फेलोशिप (200 जूनियर और 200 सीनियर) प्रदान की जाती हैं। यह फेलोशिप चार समान छह-मासिक किश्तों में प्रदान की जाती है।

 

  1. विभिन्न सांस्कृतिक क्षेत्रों में युवा कलाकारों के लिए छात्रवृत्ति योजना

 

एक बैच वर्ष में 400 तक छात्रवृत्तियाँ प्रदान की जाती हैं। इस योजना के अंतर्गत, 18-25 वर्ष की आयु वर्ग के प्रतिभाशाली युवा कलाकारों को भारतीय शास्त्रीय संगीत, भारतीय शास्त्रीय नृत्य, रंगमंच, मूकाभिनय, दृश्य कला, लोक, पारंपरिक एवं स्वदेशी कलाओं तथा सुगम शास्त्रीय संगीत आदि के क्षेत्र में भारत में उन्नत प्रशिक्षण के लिए 5,000 रुपये प्रति माह की दर से दो वर्षों के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। यह छात्रवृत्ति चार समान, छह-मासिक किश्तों में प्रदान की जाती है।

 

सांस्कृतिक अनुसंधान के लिए टैगोर राष्ट्रीय फैलोशिप

 

योजना घटक का उद्देश्य संस्कृति मंत्रालय (एमओसी) के अंतर्गत विभिन्न संस्थानों और देश में अन्य चिन्हित सांस्कृतिक संस्थानों को सशक्त और पुनर्जीवित करना है, ताकि विद्वानों/शिक्षाविदों को इन संस्थानों से संबद्ध होकर पारस्परिक हित की परियोजनाओं पर कार्य करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। अधिकतम 2 वर्षों की अवधि के लिए 15 फेलोशिप (रु. 80,000/- प्रति माह + आकस्मिक भत्ता) और 25 छात्रवृत्तियाँ (रु. 50,000/- प्रति माह + आकस्मिक भत्ता) प्रदान की जाती हैं। फेलोशिप चार समान अर्ध-मासिक किश्तों में जारी की जाती है।

 

  1. अनुभवी कलाकारों के लिए वित्तीय सहायता

 

इस योजना का उद्देश्य 60 वर्ष से अधिक आयु के वृद्ध कलाकारों और विद्वानों को अधिकतम 6,000 रुपये प्रतिमाह तक की वित्तीय सहायता प्रदान करना है, जिनकी वार्षिक आय 72,000 रुपये से अधिक नहीं है और जिन्होंने कला, साहित्य आदि के अपने विशिष्ट क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। लाभार्थी की मृत्यु की स्थिति में, वित्तीय सहायता उसके/उसकी जीवनसाथी को हस्तांतरित कर दी जाती है।

6. सेवा भोज योजना

'सेवा भोज योजना' के अंतर्गत, जनता को निःशुल्क भोजन वितरित करने हेतु धर्मार्थ/धार्मिक संस्थाओं द्वारा विशिष्ट कच्चे खाद्य पदार्थों की खरीद पर अदा किए गए केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (CGST) और एकीकृत वस्तु एवं सेवा कर (IGST) में केंद्र सरकार के हिस्से की प्रतिपूर्ति भारत सरकार द्वारा वित्तीय सहायता के रूप में की जाएगी। गुरुद्वारा, मंदिर, धार्मिक आश्रम, मस्जिद, दरगाह, चर्च, मठ, मठ आदि जैसी धर्मार्थ/धार्मिक संस्थाओं द्वारा दिया जाने वाला निःशुल्क 'प्रसाद' या निःशुल्क भोजन या निःशुल्क 'लंगर'/'भंडारा' (सामुदायिक रसोई) सेवा भोज योजना के अंतर्गत आते हैं।

यह जानकारी केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।

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पीके/ एके / केसी/ एनकेएस / डीए


(Release ID: 2152261)
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