विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय
निजी क्षेत्र में शोध और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए 1 लाख करोड़ रुपए का आरडीआई फंड: डॉ. जितेंद्र सिंह ने संप्रभु तकनीकी विकास के लिए सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई
भारत की मूक तकनीकी क्रांति: 50% भारतीय स्टार्टअप अब टियर-2 शहरों से, जिनमें से कई महिलाओं के नेतृत्व वाले स्टार्टअप
भारत का लक्ष्य सरकार और उद्योगों के बीच तालमेल और स्वदेशी डेटा रिपॉजिटरी के ज़रिए वैश्विक तकनीकी नेतृत्व हासिल करना है
Posted On:
01 AUG 2025 6:10PM by PIB Delhi
उभरती प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए सरकार की अटूट प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हुए, केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान, प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने दोहराया है कि 1 लाख करोड़ रुपए का कोष, भारत की संप्रभु प्रौद्योगिकी महत्वाकांक्षाओं को आगे बढ़ाने हेतु, निजी क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए समर्पित होगा।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने 'भारत@100' विषय पर आयोजित, "भारत के डिजिटल परिवर्तन के लिए संप्रभु तकनीक" विषय पर एसोचैम सम्मेलन को संबोधित करते हुए ये बातें कहीं।
भारत सरकार ने खासकर उभरते और रणनीतिक क्षेत्रों में, निजी क्षेत्र के अनुसंधान एवं विकास में बदलाव लाने के लिए महत्वाकांक्षी 1 लाख करोड़ रुपए की अनुसंधान, विकास और नवाचार (आरडीआई) योजना शुरू की है। यह योजना गहन प्रौद्योगिकी, अहम प्रौद्योगिकियों और परिवर्तनकारी परियोजनाओं को मदद करने के लिए दीर्घकालिक, कम ब्याज दर वाले ऋण और जोखिम पूंजी प्रदान करेगी।
नवाचार में निजी निवेश को बढ़ावा देने के लिए भी, एक समर्पित डीप-टेक फंड ऑफ फंड्स की स्थापना की जाएगी। इस योजना का संचालन अनुसंधान राष्ट्रीय अनुसंधान प्रतिष्ठान (एएनआरएफ) द्वारा किया जाएगा और इसका क्रियान्वयन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) द्वारा किया जाएगा।
एएनआरएफ के तहत एक विशेष प्रयोजन निधि के रूप में स्थापित किए जाने वाले इस आरडीआई फंड से, भारत के नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र को विशेष तौर पर बढ़ावा मिलने, उद्योग-आधारित अनुसंधान तथा विकास को प्रोत्साहन मिलने और संप्रभु प्रौद्योगिकी विकास के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाए जाने की उम्मीद है।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री ने निजी क्षेत्र के साथ गहन सहयोग की दिशा में सरकार के साहसिक नीतिगत बदलावों पर भी प्रकाश डाला। कभी गोपनीयता में चादर में छिपे रहने वाले, अंतरिक्ष और परमाणु क्षेत्रों की ऐतिहासिक शुरूआत को याद करते हुए, उन्होंने बताया कि कैसे इन सुधारों ने भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था को 8 अरब डॉलर तक पहुँचा दिया है, और आने वाले वर्षों में इसके 40 अरब डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, "हम उद्योग जगत से आगे आने और सरकार द्वारा खोले गए अवसरों का पूरा लाभ उठाने की अपील करते हैं। भारत का तकनीकी प्रभाव बढ़ रहा है और दुनिया इस बदलाव को देख रही है।"
दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में भारत के तेज़ी से बढ़ते क़द का ज़िक्र करते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने ज़ोर देकर कहा, कि एक दशक के मूलभूत सुधारों की बदौलत अब तीसरा स्थान पाना भी हमारी पहुँच में है। उन्होंने 'वैक्सीन मैत्री' की सफलता की कहानी का हवाला देते हुए कहा कि, जहाँ भारत ने महामारी के दौरान न केवल स्वदेशी टीके विकसित किए, बल्कि उन्हें वैश्विक स्तर पर साझा भी किया, जिससे भारत की एक तैयार और उत्तरदायी उद्योग व्यवस्था की ताकत का प्रदर्शन हुआ।
डॉ. सिंह ने भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला के एक अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष मिशन में भाग लेने का उदाहरण देते हुए, उन्नत क्षेत्रों में भारत की वैश्विक दृश्यता पर भी ज़ोर दिया, जो इस बात का सुबूत है कि भारत को वैश्विक मंच पर एक विश्वसनीय और समान प्रौद्योगिकी भागीदार के रूप में देखा जाता है।
संप्रभु प्रौद्योगिकी के मुद्दे पर मंत्री ने विदेशी डेटासेट पर निर्भर रहने के बजाय, स्वदेशी डेटा रिपॉजिटरी बनाने की तत्काल ज़रुरत पर ज़ोर दिया, क्योंकि अक्सर विदेशी डेटासेट में भारतीय ज़रूरतों की प्रासंगिक समझ का अभाव होता है। उन्होंने भारतीय जैविक डेटा केंद्र (आईबीडीसी) की स्थापना में जैव प्रौद्योगिकी विभाग की उपलब्धि को भी गर्व के साथ साझा किया, जो जीनोमिक डेटा के लिए भारत का राष्ट्रीय भंडार है, जिसमें जीनोम इंडिया परियोजना से 10,000 से अधिक संपूर्ण जीनोम सीक्वेंस शामिल हैं।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारत के केंद्र में उभरती स्टार्टअप क्रांति की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए बताया कि करीब 50% भारतीय स्टार्टअप अब टियर-2 शहरों से आ रहे हैं, जिनमें से एक बड़ी तादाद में नेतृत्व महिला उद्यमी कर रही हैं। उन्होंने कहा कि यह समावेशी विकास और प्रौद्योगिकी के लोकतंत्रीकरण की छवि को दर्शाता है।
उन्होंने आदिवासियों, महिलाओं और युवाओं के लिए उन विशेष सरकारी कार्यक्रमों और समर्पित योजनाओं का भी हवाला दिया, जिनका मकसद राष्ट्र के विकास में उनके योगदान को मुख्यधारा में लाना है।
कृत्रिम बुद्धिमत्ता के विषय पर, डॉ. जितेंद्र सिंह ने राष्ट्रीय एआई मिशन का ज़िक्र किया और एक ऐसे हाइब्रिड मॉडल की ज़रुरत पर बल दिया, जो कृत्रिम बुद्धिमत्ता को मानव बुद्धिमत्ता के साथ समन्वित करे, और इसके साथ ही ऑटोमेशन की ओर अंधाधुंध दौड़ के प्रति भी आगाह किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2047 तक विकसित भारत के विज़न पर प्रकाश डालते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि अंतरिक्ष, जैव प्रौद्योगिकी और ब्लू इकॉनॉमी ऐसे क्षेत्र हैं, जिनमें अपार अप्रयुक्त क्षमता है और जो भारत के विकास पथ में अभूतपूर्व योगदान देंगे।
सम्मेलन में प्रमुख राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय उद्योग जगत के दिग्गजों ने भाग लिया, जिनमें सैप में वैश्विक सरकारी मामलों के प्रमुख डॉ. वोल्फगैंग ड्रेइकर, योटा डेटा सर्विसेज के सह-संस्थापक और सीईओ श्री सुनील गुप्ता और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) में कॉर्पोरेट मामलों के वैश्विक प्रमुख श्री रंजीत गोस्वामी शामिल थे। उनकी मौजूदगी ने भारत के संप्रभु प्रौद्योगिकी परिदृश्य को आकार देने में सरकार और उद्योग के बीच बढ़ते तालमेल को भलीभांति दर्शाया।



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