वस्‍त्र मंत्रालय
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वस्त्र क्षेत्र की प्रतिस्पर्धात्मकता

Posted On: 01 AUG 2025 2:24PM by PIB Delhi

सरकार ने पीएम मित्र पार्कों की स्थापना के लिए 7 स्थलों को मंजूरी दी है।  इनमें गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश में एक-एक स्थान शामिल है।

विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा पार्क के द्वार तक बाह्य अवसंरचना प्रदान करने के लिए 1,197.33 करोड़ रुपये के अवसंरचना कार्य शुरू किए गए हैं और अब तक 291.61 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं। 399.26 करोड़ रुपये के कार्य स्वीकृति या अनुमोदन के विभिन्न चरणों में हैं। पीएम मित्र पार्क मध्य प्रदेश के लिए 2,063 करोड़ रुपये की विकास योजना को मंजूरी दी गई है।  तमिलनाडु के लिए 1894 करोड़ रुपये की इसी तरह की योजना को भी मंजूरी दी गई है। मध्य प्रदेश में, 1,894 करोड़ रुपये के इंजीनियरिंग, खरीद और निर्माण (ईपीसी) पैकेज को मंजूरी दी गई है। बुनियादी ढाँचे के विकास के लिए 773 करोड़ रुपये की निविदाएँ 30 जून, 2025 को आमंत्रित की गईं। तेलंगाना के पीएम मित्र पार्क में औद्योगिक शेड का निर्माण कार्य प्रगति पर है। महाराष्ट्र के पीएम मित्र पार्क में 118 करोड़ रुपये के कार्य प्रगति पर हैं।

सरकार देश भर में हथकरघा क्षेत्र के आधुनिकीकरण और सुदृढ़ीकरण तथा हथकरघा श्रमिकों के कल्याण के लिए निम्नलिखित योजनाएँ चला रही है:

  1. राष्ट्रीय हथकरघा विकास कार्यक्रम;
  2. कच्चा माल आपूर्ति योजना;

उपरोक्त योजनाओं के अंतर्गत पात्र हथकरघा एजेंसियों/श्रमिकों को कच्चे माल, उन्नत करघों एवं सहायक उपकरणों की खरीद, सौर प्रकाश इकाइयों, कार्यशालाओं के निर्माण, उत्पाद विविधीकरण एवं डिज़ाइन नवाचार, तकनीकी एवं साझा अवसंरचना, घरेलू/विदेशी बाज़ारों में हथकरघा उत्पादों के विपणन, बुनकरों की मुद्रा योजना के अंतर्गत रियायती ऋण और सामाजिक सुरक्षा आदि के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।

उपरोक्त के अतिरिक्त, सरकार देश भर में हस्तशिल्प क्षेत्र के समग्र विकास और संवर्धन हेतु राष्ट्रीय हस्तशिल्प विकास कार्यक्रम (एनएचडीपी) और व्यापक हस्तशिल्प क्लस्टर विकास योजना (सीएचसीडीएस) नामक दो योजनाओं का भी क्रियान्वयन करती है। इन योजनाओं के अंतर्गत, विपणन कार्यक्रमों, कौशल विकास, क्लस्टर विकास, उत्पादक कंपनियों के गठन, कारीगरों को प्रत्यक्ष लाभ, अवसंरचनात्मक एवं तकनीकी सहायता, अनुसंधान एवं विकास सहायता, डिजिटलीकरण, घरेलू एवं अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों में हस्तशिल्प उत्पादों की ब्रांडिंग और विपणन आदि के माध्यम से कारीगरों को सहायता हेतु आवश्यकता आधारित वित्तीय एवं तकनीकी सहायता प्रदान की जाती है। इससे पूरे देश में पारंपरिक शिल्प और कारीगरों को लाभ होता है।

सरकार संगठित वस्त्र और संबंधित क्षेत्रों में रोजगार सृजन में उद्योग के प्रयासों को पूरक बनाने के लिए मांग-आधारित, रोज़गार-उन्मुख कौशल कार्यक्रम प्रदान करने के उद्देश्य से समर्थ योजना (वस्त्र क्षेत्र में क्षमता निर्माण योजना) लागू कर रही है। इसमें संगठित क्षेत्र में कताई और बुनाई को छोड़कर वस्त्रों की संपूर्ण मूल्य श्रृंखला शामिल है। समर्थ को अखिल भारतीय स्तर पर लागू किया गया है। समर्थ योजना के अंतर्गत 24.07.2025 तक कुल 4,57,724 लाभार्थियों को प्रशिक्षित (उत्तीर्ण) किया गया है। इसमें पारंपरिक क्षेत्र जैसे हथकरघा और हस्तशिल्प आदि शामिल हैं। समर्थ योजना के अंतर्गत बुनकर सेवा केंद्र के माध्यम से तकनीकी क्षेत्रों जैसे बुनाई, रंगाई/छपाई और डिजाइनिंग आदि में हथकरघा श्रमिकों को कौशल उन्नयन प्रशिक्षण भी प्रदान किया जाता है।

-कॉमर्स लाभ प्रदान करने के लिए, एक -कॉमर्स पोर्टल (indiahandmade.com) विकसित किया गया है। जो बुनकरों और कारीगरों को बिना किसी बिचौलियों की भागीदारी के सीधे खरीदारों/उपभोक्ताओं को हथकरघा और हस्तशिल्प उत्पादों के ऑनलाइन विपणन की सुविधा प्रदान करता है।

यह जानकारी आज राज्य सभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में वस्त्र राज्य मंत्री श्री श्री पाबित्रा मार्गेरिटा द्वारा प्रदान की गई।

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पीके/ एके / केसी/ एसके

(Rajya Sabha US Q1594)


(Release ID: 2151397)
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