जल शक्ति मंत्रालय
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नदियों में प्रदूषण पर नियंत्रण

Posted On: 31 JUL 2025 4:23PM by PIB Delhi

राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों और स्थानीय निकायों की यह प्राथमिक ज़िम्मेदारी है कि वे सीवेज और औद्योगिक अपशिष्टों को जल निकायों या भूमि में छोड़ने से पहले, उनमें प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण हेतु आवश्यक उपचार सुनिश्चित करें। यह मंत्रालय गंगा नदी और उसकी सहायक नदियों के पुनरुद्धार, संरक्षण और प्रबंधन के लिए नमामि गंगे कार्यक्रम और देश की अन्य नदियों के संरक्षण के लिए राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना का कार्यान्वयन कर रहा है ताकि बाहरी स्नान के लिए निर्दिष्ट सर्वोत्तम जल गुणवत्ता प्राप्त की जा सके।

नमामि गंगे कार्यक्रम के अंतर्गत, कुल 212 सीवरेज अवसंरचना परियोजनाएँ शुरू की गई हैं, जिनमें 5220 किलोमीटर लंबा सीवर नेटवर्क बिछाया जाएगा और 6540 मिलियन लीटर प्रतिदिन (एमएलडी) सीवेज उपचार क्षमता विकसित की जाएगी। इनमें से 136 परियोजनाएँ पूरी हो चुकी हैं, जिसके परिणामस्वरूप 3781 एमएलडी सीवेज उपचार क्षमता का सृजन/पुनर्स्थापन हुआ है। नमामि गंगे कार्यक्रम के अंतर्गत अब तक लगभग 20,000 करोड़ रुपये के कुल व्यय में से, पिछले 5 वर्षों के दौरान विभिन्न परियोजनाओं के कार्यान्वयन पर लगभग 10,500 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं।

एनआरसीपी ने अब तक देश के 17 राज्यों की 57 नदियों को 8970 करोड़ रुपये की लागत से कवर किया है और चिन्हित शहरों में 2945 एमएलडी की कुल सीवेज उपचार क्षमता सृजित की गई है। इस योजना के अंतर्गत परियोजनाओं के कार्यान्वयन हेतु पिछले 5 वर्षों के दौरान 1677 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई है।

आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के तत्वावधान में कायाकल्प और शहरी परिवर्तन के लिए अटल मिशन (अमृत), स्मार्ट सिटी मिशन और स्वच्छ भारत मिशन - शहरी की योजनाएं भी कार्यान्वित की जा रही हैं, जिनका उद्देश्य चिन्हित कस्बों में सीवरेज अवसंरचना का सृजन और/या संवर्धन करना है और इस प्रकार उन कस्बों में नदियों और अन्य जल निकायों, स्वच्छता प्रणालियों और जल प्रबंधन की जल गुणवत्ता में सुधार करना है।

नदियों की सफाई/कायाकल्प एक सतत और गतिशील प्रक्रिया है। जल गुणवत्ता निगरानी परिणामों के आधार पर देश में नदियों के प्रदूषण आकलन पर सीपीसीबी की 2022 की अंतिम रिपोर्ट के अनुसार, देश में प्रदूषित नदी खंड 2018 में 351 की तुलना में घटकर 311 हो गए। साथ ही, 106 नदी खंड प्रदूषित नहीं पाए गए और 74 खंडों में नदी के पानी की गुणवत्ता में सुधार देखा गया। गंगा नदी के मामले में, सीपीसीबी रिपोर्ट के अनुसार गंगा नदी के विभिन्न खंडों में सुधार देखा गया है और घुलित ऑक्सीजन स्वीकार्य सीमा के भीतर पाई गई है और इसके पूरे खंड में नदी पारिस्थितिकी तंत्र का समर्थन करने के लिए संतोषजनक है। साथ ही, गंगा नदी में डॉल्फ़िन की आबादी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है और गंगा बेसिन के नए खंडों और नदियों में इसकी उपस्थिति देखी गई है

पर्यावरण (संरक्षण) नियम, 1986 के अंतर्गत निर्धारित अपशिष्ट जल निकासी मानकों के अनुसार, शहरों/कस्बों से निकलने वाले घरेलू अपशिष्ट जल को सतही जल, भूमि या सार्वजनिक सीवरेज प्रणाली में छोड़ने से पहले उसका उपचार करना आवश्यक है। राष्ट्रीय हरित अधिकरण के ओए संख्या 673/2018 के निर्देशों के अनुसार, राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों ने अपने अधिकार क्षेत्र में प्रदूषित नदी क्षेत्रों के जीर्णोद्धार हेतु चिन्हित शहरों/कस्बों में सीवेज प्रबंधन सहित कार्य योजनाएँ तैयार की हैं। इन कार्य योजनाओं के कार्यान्वयन की समय-समय पर राज्य स्तर और केंद्र स्तर पर समीक्षा की जाती है।

यह जानकारी आज लोक सभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में जल शक्ति राज्य मंत्री श्री राज भूषण चौधरी द्वारा दी गई।

 

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पीके/ एके / केसी/ एनकेएस / डीए


(Release ID: 2151088)
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