महिला एवं बाल विकास मंत्रालय
सरकार स्थानीय शासन और राजनीतिक नेतृत्व की भूमिकाओं में महिलाओं की अधिक भागीदारी को बढ़ावा दे रही है
Posted On:
30 JUL 2025 4:49PM by PIB Delhi
भारत सरकार ने समाज के सभी वर्गों की महिलाओं के समग्र सशक्तीकरण के उद्देश्य से जीवन-चक्र निरंतरता के आधार पर मुद्दों को हल करने के लिए “संपूर्ण सरकार” और “संपूर्ण समाज” दृष्टिकोण अपनाया है तथा इसमें महिलाओं का राजनीतिक सशक्तीकरण भी शामिल है। विभिन्न नीतियों के माध्यम से, भारत सरकार स्थानीय शासन एवं राजनीतिक नेतृत्व की भूमिकाओं में महिलाओं की अधिक भागीदारी को बढ़ावा दे रही है।
देश में आम चुनाव लड़ने वाली महिलाओं की कुल संख्या 1957 में 3% से बढ़कर 2024 में 10% हो गई है। निर्वाचित महिला सदस्यों की कुल संख्या, जो पहली लोकसभा में 22 और दूसरी लोकसभा में 27 थी, 17वीं लोकसभा में बढ़कर 78 और 18वीं लोकसभा में 75 हो गई है (जो कुल सदस्यों का लगभग 14% है)। राज्यसभा में भी, 1952 में महिला सदस्यों की कुल संख्या 15 थी, जो वर्तमान में 42 है। यह कुल सदस्यों का लगभग 17% है। इसके अलावा, देश में पंचायती राज संस्थाओं (पीआरआई) में लगभग 14.5 लाख निर्वाचित महिला प्रतिनिधि (ईडब्ल्यूआर) हैं, जो कुल निर्वाचित प्रतिनिधियों का लगभग 46% है, जो दुनिया में अद्वितीय है। देश में 21 राज्य हैं जहाँ पंचायती राज संस्थाएँ हैं, जिन्होंने महिलाओं के लिए न्यूनतम 33% आरक्षण के संवैधानिक आदेश की तुलना में पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं के लिए 50% आरक्षण का प्रावधान किया है।
वर्ष 2023 में, भारत की संसद ने संविधान (एक सौ छःवाँ संशोधन) अधिनियम, 2023, "नारी शक्ति वंदन अधिनियम" पारित किया, जो संघीय ढाँचे के सभी स्तरों पर सार्वजनिक जीवन में महिलाओं के समान प्रतिनिधित्व को बढ़ावा देने की राष्ट्रीय यात्रा में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर है। इस ऐतिहासिक कानून में संसद के निचले सदन, लोकसभा और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की विधानसभा सहित सभी राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए बारी-बारी से एक-तिहाई सीटें आरक्षित की गई हैं, इस प्रकार सार्वजनिक निर्णय लेने का संस्थागत उच्चतम स्तरों पर राजनीति में महिलाओं के प्रतिनिधित्व होता है।
सरकार ने देश भर में पंचायती राज संस्थाओं की निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से “सशक्त पंचायत-नेत्री अभियान” नामक एक व्यापक एवं लक्षित क्षमता निर्माण पहल शुरू की है। यह उनके नेतृत्व कौशल को प्रखर बनाने, उनकी निर्णय लेने की क्षमताओं को बढ़ाने और जमीनी स्तर पर शासन में उनकी भूमिका को मजबूत करने पर केंद्रित है। सरकार ने पंचायती राज संस्थाओं की निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों के क्षमता निर्माण के लिए विशेष रूप से तैयार किए गए विशिष्ट प्रशिक्षण मॉड्यूल तैयार किए हैं। महिला कर्त्तव्यधारियों और चुनाव लड़ने वाली महिला नेताओं को पेश आ रही जमीनी स्तर की चुनौतियों को देखते हुए, “पंचायत निर्वाचित प्रतिनिधियों के लिए लैंगिक आधारित हिंसा एवं हानिकारक कृत्यों से निपटने वाले कानून पर एक व्यापक प्राइमर” भी तैयार किया गया है।
हाल ही में, सरकार ने आदर्श महिला-अनुकूल ग्राम पंचायत पहल की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य देश के प्रत्येक जिले में कम से कम एक आदर्श ग्राम पंचायत स्थापित करना है जो महिलाओं एवं बालिकाओं दोनों के अनुकूल हो, जिससे लैंगिक समानता तथा सतत ग्रामीण विकास की प्रतिबद्धता को बल मिलेगा।
स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) को परिवर्तन के माध्यम के रूप में देखते हुए, आज 10 करोड़ महिलाएं 90 लाख से अधिक एसएचजी से जुड़ी हुई हैं, जो सरकार के समर्थन से ग्रामीण परिदृश्य को आर्थिक रूप से बदल रही हैं, और जमीनी स्तर पर बेहतर नेतृत्व हासिल कर रही हैं।
यह जानकारी महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री श्रीमती सावित्री ठाकुर ने आज राज्यसभा में एक प्रश्न के उत्तर में दी।
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