राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग
एनएचआरसी ने हैदराबाद में अपनी दो दिवसीय खुली सुनवाई और शिविर का समापन किया : इस दौरान 109 मामलों की सुनवाई हुई
9 मामलों में आयोग की ओर से अनुशंसित 49.65 लाख रुपये में से तेलंगाना सरकार ने 22.50 लाख रुपये का भुगतान किया और बाकी 27.15 लाख रुपये का भुगतान करने का आश्वासन दिया
तेलंगाना राज्य के मुख्य सचिव, डीजीपी और वरिष्ठ अधिकारियों को महिलाओं, बच्चों और अन्य कमजोर लोगों के खिलाफ अपराध से संबंधित मुद्दों पर संवेदनशील बनने को लेकर जागरूक किया गया
Posted On:
29 JUL 2025 8:40PM by PIB Delhi
आयोग ने भागेदारी को मजबूत करने के लिए सिविल सोसायटी, गैर सरकारी संगठनों और मानवाधिकार रक्षकों के प्रतिनिधियों के साथ भी संवाद किया।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने आज तेलंगाना में मानवाधिकार उल्लंघन के 109 मामलों की सुनवाई के बाद हैदराबाद में अपनी दो दिवसीय ‘खुली सुनवाई और शिविर बैठक’ का समापन किया। एनएचआरसी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति श्री वी. रामसुब्रमण्यन, सदस्य न्यायमूर्ति (डॉ.) विद्युत रंजन सारंगी और श्रीमती विजया भारती सयानी ने पीड़ितों, शिकायतकर्ताओं और अधिकारियों की उपस्थिति में मामलों की सुनवाई की। इस अवसर पर महासचिव श्री भरत लाल, महानिदेशक (जांच) श्री आर.पी. मीणा, रजिस्ट्रार (विधि) श्री जोगिंदर सिंह और आयोग के अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

आयोग की दोनों पीठों ने खुली सुनवाई के दौरान 90 मामलों की सुनवाई की। ये मामले आग लगने से अस्पतालों में बच्चों की मौत, आवासीय क्षेत्रों में आवारा कुत्तों का बढ़ता आतंक, आग लगने की घटनाओं में मौत, बाघ के हमले, आदिवासी महिलाओं की तस्करी, आदिवासी परिवारों को जबरन बेदखल करने, बुनियादी मानवीय सुविधाओं से वंचित करने, दुष्कर्म सहित महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराध, बच्चों के खिलाफ हो अपराध, पुलिस अत्याचार, आत्महत्या से होने वाली मौत, दलित बंधु योजना का दुरुपयोग आदि से संबंधित थे। इसके अलावा फंड (निधि), पारिवारिक पेंशन, प्राथमिक विद्यालयों की कमी, गुरुकुल विद्यालयों में खाद्य विषाक्तता, कुपोषण के मामले, पुलिस द्वारा एफआईआर दर्ज न करने आदि मामलों की भी सुनवाई की गई।

आयोग ने मामले पर गुण-दोष के आधार पर विचार करने के बाद उचित निर्देश पारित किए।
इस दौरान कई महत्वपूर्ण राहत दी गईं, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं :
- खम्मम जिले में जाति-आधारित उत्पीड़न और सामाजिक बहिष्कार के एक मामले में एनएचआरसी के हस्तक्षेप के बाद पुलिस ने कार्रवाई की। साथ ही यह सुनिश्चित किया गया कि लोग जाति-आधारित भेदभाव या परिवार के खिलाफ सामाजिक बहिष्कार करने से दूर रहें।
- तेलंगाना के गुरुकुल स्कूलों में लगभग 48 छात्रों की मौत और फूड पॉइजनिंग (भोजन विषाक्तता) की 886 घटनाओं से जुड़े मामले में आयोग ने सभी पांच गुरुकुल स्कूलों के सचिवों को चार सप्ताह के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।
- पुलिस द्वारा गलत गिरफ्तारी और लाठीचार्ज के एक अन्य मामले में एनएचआरसी ने राज्य सरकार को संयंत्र स्थापित करने के लिए पर्यावरण मंजूरी और सहमति सहित सभी प्रासंगिक दस्तावेज प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।
- डीआरडीओ से जुड़ी रॉकेट प्रणोदक इकाई में हुए विस्फोट में चार लोगों की मौत की घटना में चार में से तीन परिवारों को राहत के रूप में कुल 50 लाख रुपये की राशि का भुगतान किया गया। आयोग ने शेष पीड़ित परिवार को भी राहत राशि का भुगतान करने का आदेश दिया।
- 5वीं कक्षा के एक छात्र ने बढ़ते आवारा कुत्तों के खतरे से संबंधित एक मामला प्रस्तुत किया, इस पर आयोग ने संबंधित अधिकारियों को इस खतरे से निपटने के लिए एक एसओपी तैयार करने का निर्देश दिया।
- आदिवासी महिलाओं की तस्करी से संबंधित एक मामले में दोषी कॉन्स्टेबल को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया और तस्करी की शिकार कई जनजातीय महिलाओं को बचाया गया।

बाद में आयोग की पूर्ण पीठ ने 19 लंबित मामलों की सुनवाई की। इनमें से 9 मामलों में आयोग ने पीड़ितों को 49.65 लाख रुपये की आर्थिक राहत देने की सिफारिश की। इसमें से 22.50 लाख रुपये तेलंगाना सरकार द्वारा पहले ही दिए जा चुके हैं। शेष 27.15 लाख रुपये का भुगतान करने पर राज्य सरकार सहमत हो गई।

आयोग ने दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद 29 मामलों को गुण-दोष के आधार पर बंद कर दिया। भुगतान के प्रमाण सहित अनुपालन रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद दो मामले बंद कर दिए गए।
28 जुलाई, 2025 को मामलों की सुनवाई के बाद आयोग ने 29 जुलाई, 2025 को मानवाधिकारों के विभिन्न पहलुओं पर तेलंगाना सरकार के मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की। उन्हें सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों के कार्यान्वयन के बारे में इस तरह से जागरूक किया गया कि कोई भी इससे वंचित न रह जाए। मानवाधिकारों का उल्लंघन न हो, इसके लिए निवारक और सिस्टमैटिक तरीके से कदम उठाने पर जोर दिया गया। इस बात पर बल दिया गया कि पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन और व्यापार से प्रभावित मानवाधिकार संबंधी चिंताओं का समाधान किया जाना आवश्यक है। इस दौरान महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराध, बच्चों के खिलाफ हो रहे अपराध, तेलंगाना के कई जिलों में मानव-पशु संघर्ष के कारण होने वाली मौत, बड़ी संख्या में कुपोषण से पीड़ित बच्चे, एससी निगम के सामने आने वाली समस्याएं, सरकारी प्राथमिक विद्यालयों की कमी, मछली के बीज के उत्पादन में लगे किसान समेत अन्य किसानों की दुर्दशा, एलजीबीटीक्यूआई समुदाय के अधिकार आदि जैसे मुद्दों पर चर्चा की गई।

आयोग ने राज्य के पदाधिकारियों द्वारा अपने निर्देशों के अनुपालन की सराहना की। अधिकारियों ने आयोग के समक्ष अपनी कार्यप्रणाली प्रस्तुत की। अधिकारियों से आयोग को समय पर रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा गया ताकि मानवाधिकार पीड़ितों को न्याय सुनिश्चित किया जा सके। मानसिक स्वास्थ्य, बंधुआ मजदूरी, भोजन एवं सुरक्षा के अधिकार जैसे आयोग के विभिन्न परामर्शों पर की गई कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने पर बल दिया गया। राज्य के मुख्य सचिव ने आयोग की सिफारिशों का पूर्ण रूप से अनुपालन करने का आश्वासन दिया।
बाद में आयोग ने सिविल सोसायटी, गैर सरकारी संगठनों और मानवाधिकार रक्षकों (एचआरडी) के प्रतिनिधियों के साथ भी बातचीत की। आयोग ने दोहराया कि वह मानव अधिकारों के संरक्षण और संवर्धन के लिए राज्य मानवाधिकार आयोग और समाज के प्रतिनिधियों के साथ मिलकर काम करने में विश्वास रखता है। एनजीओ प्रतिनिधियों और मानव संसाधन विकास विभाग ने बुजुर्गों, दिव्यांग व्यक्तियों, बिस्तर पर पड़े मरीजों आदि की समस्याओं जैसे विभिन्न मुद्दों पर प्रकाश डाला। उन्होंने गंभीर रूप से दिव्यांग व्यक्तियों की देखभाल के लिए वित्तीय सहायता की भी मांग की। गरीब बच्चों को पहचान संबंधी कागजात न मिलने की समस्या पर भी प्रकाश डाला गया। आयोग ने राज्य में उनके द्वारा किए जा रहे कार्यों की सराहना की तथा उन्हें बिना किसी भय या पक्षपात के ऐसा करते रहने के लिए प्रोत्साहित किया।

एनएचआरसी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति वी. रामसुब्रमण्यन ने कहा कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के साथ गैर सरकारी संगठनों और मानव संसाधन विकास मंत्रालयों की निरंतर साझेदारी देश में मानवाधिकारों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। उन्हें यह भी बताया गया कि वे मानव अधिकार उल्लंघन की शिकायत hrcnet.nic.in के माध्यम से ऑनलाइन दर्ज करा सकते हैं। इन्हीं टिप्पणी के साथ बातचीत का समापन हुआ।
इस मौके पर तेलंगाना राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष डॉ. न्यायमूर्ति शमीम अख्तर भी उपस्थित रहे।
इसके बाद हैदराबाद में आयोग ने खुली सुनवाई और बैठक के परिणामों के बारे में मीडिया को जानकारी दी।
***
पीके/एके/केसी/आरकेजे
(Release ID: 2150018)