कोयला मंत्रालय
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कोयला उत्पादन में वृद्धि

Posted On: 28 JUL 2025 12:48PM by PIB Delhi

वित्त वर्ष 2024-25 में देश में कोयला उत्पादन 1 बिलियन टन पार कर चुका है। कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) ने 2026-27 तक 1 बिलियन टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य तैयार किया है। 2029-30 तक सीआईएल के कोयला उत्पादन/अनुमान का विवरण नीचे दिया गया है: -

कंपनी/वर्ष

अनुमान योजना

2024-25

 

वास्तविक (अनंतिम)

2025-26

वार्षिक योजना लक्ष्य

2026-27

2027-28

2028-29

2029-30

सीआईएल

781.07

875.00

1004.00

1043.00

1082.00

1131.00

देश में कोयले की अधिकांश आवश्यकता देश में ही कोयला उत्पादन से पूरी होती है। कोयले के आयात में मुख्य रूप से कोकिंग कोल और उच्च श्रेणी के गैर-कोकिंग कोल जैसे आवश्यक आयात शामिल हैं क्योंकि इनका घरेलू उत्पादन, या तो दुर्लभ भंडार या अनुपलब्धता के कारण सीमित है। भविष्य में कोयले की मांग को स्वदेशी स्रोतों से पूरा करने और कोयले के अनावश्यक आयात को कम करने के लिए, अगले कुछ वर्षों में घरेलू कोयला उत्पादन में सालाना 6-7 प्रतिशत की वृद्धि होने और 2029-30 तक लगभग 1.5 बिलियन टन तक पहुंचने की उम्मीद है।

वर्ष 2024-2025 में देशभर में घरेलू कोयला उत्पादन 1047.67 मिलियन टन (अनंतिम) रहा जबकि वर्ष 2023-2024 में यह 997.83 मिलियन टन था। यानी लगभग 4.99 प्रतिशत की वृद्धि हुई। वर्ष 2024-25 के दौरान, कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) ने 0.94 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 773.81 मिलियन टन की तुलना में 781.07 मिलियन टन (अनंतिम) कोयला उत्पादन किया।

सरकार ने घरेलू कोयला उत्पादन को बढ़ावा देने और देश में कोयले के अनावश्यक आयात को समाप्त करने के लिए कई कदम उठाए हैं। कुछ प्रमुख पहलों में एकल खिड़की मंजूरी, खान एवं खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम-1957 में संशोधन, जिससे कैप्टिव खदानों को अंतिम उपयोगकर्ता संयंत्रों की आवश्यकताओं को पूरा करने के बाद अपने वार्षिक उत्पादन का 50 प्रतिशत तक बेचने की अनुमति मिल सके, एमडीओ मोड के माध्यम से उत्पादन, बड़े पैमाने पर उत्पादन तकनीकों का उपयोग बढ़ाना, नई परियोजनाएं और मौजूदा परियोजनाओं का विस्तार और वाणिज्यिक खनन के लिए निजी कंपनियों/सार्वजनिक उपक्रमों को कोयला ब्लॉकों की नीलामी शामिल है। वाणिज्यिक खनन के लिए सौ प्रतिशत (100 प्रतिशत) प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की भी अनुमति दी गई है।

(I) कोयला आयात के विकल्प के रूप में सरकार द्वारा निम्नलिखित उपाय किए गए हैं:

  1. वार्षिक अनुबंधित मात्रा (एसीक्यू) मानक आवश्यकता के 100 प्रतिशत तक बढ़ाई गई है, खासकर उन मामलों में जहां एसीक्यू को गैर-तटीय विद्युत संयंत्रों के लिए मानक आवश्यकता के 90 प्रतिशत तक घटाया गया था या जहां एसीक्यू को तटीय विद्युत संयंत्रों के लिए मानक आवश्यकता के 70 प्रतिशत तक घटाया गया था। एसीक्यू बढ़ने से घरेलू कोयले की आपूर्ति बढ़ेगी, जिससे आयात पर निर्भरता कम होगी।
  2. वर्ष 2020 में आरंभ की गई गैर-विनियमित क्षेत्र (एनआरएस) लिंकेज नीलामी नीति में बदलाव द्वारा, एनआरएस लिंकेज नीलामी में कोकिंग कोल लिंकेज की अवधि को 30 वर्ष तक के लिए संशोधित किया गया है। एनआरएस लिंकेज नीलामी में कोकिंग कोल लिंकेज की अवधि को 30 वर्ष तक बढ़ाने से कोयला आयात में कमी लाने पर सकारात्मक प्रभाव की उम्मीद है।
  3. सरकार ने 2022 में निर्णय लिया कि विद्युत क्षेत्र के सभी मौजूदा लिंकेज धारकों की पूर्ण विद्युत क्रय समझौते (पीपीए) आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कोयला कंपनियों द्वारा ट्रिगर स्तर और एसीक्यू स्तरों पर ध्यान दिए बिना कोयला उपलब्ध कराया जाएगा। विद्युत क्षेत्र के लिंकेज धारकों की पूर्ण पीपीए आवश्यकताओं को पूरा करने के सरकार के इस निर्णय से आयात पर निर्भरता कम होगी।
  4. कोयला आयात में निर्भरता कम करने के उद्देश्य से 29.05.2020 को कोयला मंत्रालय में एक अंतर-मंत्रालयी समिति (आईएमसी) का गठन किया गया। समिति के निर्देश पर कोयला मंत्रालय ने आयात डेटा प्रणाली विकसित की है ताकि मंत्रालय कोयले के आयात पर निगरानी रख सके। माल आयात नियंत्रित करने की विदेश व्यापार नीति के अनुसार कोयले का आयात बिना किसी प्रतिबंध के मुक्त रूप से किया जा सकता है। लेकिन दिसंबर 2020 से इसे मुक्त से संशोधित कर "कोयला आयात निगरानी प्रणाली (सीआईएमएस) पोर्टल में अनिवार्य पंजीकरण के अधीन" कर दिया गया है। कोयले की अधिक घरेलू आपूर्ति सुनिश्चित करने के निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। इस प्रकार, आयातित कोयले की संपूर्ण प्रतिस्थापन पूर्ति देश में घरेलू स्तर पर ही होने की उम्मीद है और अत्यंत आवश्यकता न होने पर आयात की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए। कोयला आयात प्रतिस्थापन पर एक रणनीतिक पत्र (योजना मसौदा) जारी किया गया है।
  5. एनआरएस लिंकेज नीलामी के तहत मार्च, 2024 में डब्ल्यूडीओ के माध्यम से कोकिंग कोल का उपयोग करने वाला स्टील का नया उपक्षेत्र स्थापित किया गया है, जिससे घरेलू कोकिंग कोल की खपत में बढ़ोतरी होगी और देश में धुले हुए कोकिंग कोल की उपलब्धता बढ़ेगी, जिससे कोकिंग कोल के आयात में कमी आएगी।
  6. कोकिंग कोल के आयात में कमी लाने और इस्पात क्षेत्र को कोकिंग कोल की आपूर्ति बढ़ाने के लिए कोकिंग कोल मिशन आरंभ किया गया है, जिसमें कोकिंग कोल उत्पादन बढ़ाने की पहल की गई है।
  7. संशोधित शक्ति नीति, 2025 के अंतर्गत आयातित कोयला आधारित (आईसीबी) संयंत्रों को उपलब्ध स्रोत से कोयला प्राप्त करने की अनुमति दी गई है, जिससे इन संयंत्रों की आयातित कोयले पर निर्भरता कम होने की उम्मीद है।
  1. संशोधित शक्ति नीति, 2025 के तहत मौजूदा ईंधन आपूर्ति समझौता (एफएसए) धारकों को एफएसए के तहत 100 प्रतिशत वार्षिक अनुबंधित मात्रा (एसीक्यू) कोयला खरीदने के बाद भी कोयला प्राप्त करने की अनुमति दी गई है। मौजूदा एफएसए धारकों को एसीक्यू से अधिक कोयला उपलब्ध होने से विद्युत उत्पादकों को विद्युत संयंत्रों की आवश्यकता पूरी करने में मदद मिलेगी।

(II) देश में कोयला उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम इस प्रकार हैं:

  1. कोयला खंडों को विकासित करने में तेजी लाने के लिए कोयला मंत्रालय द्वारा नियमित समीक्षा की जाती है।
  2. खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन अधिनियम, 2021 लागू किया गया है। केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित अतिरिक्त राशि के भुगतान पर कैप्टिव खान मालिकों (परमाणु खनिजों के अलावा) को खदान से जुड़े अंतिम उपयोग संयंत्र की आवश्यकता पूरी होने के बाद अपने वार्षिक खनिज (कोयला सहित) उत्पादन का 50 प्रतिशत तक खुले बाजार में बेचने की अनुमति दी गई है।
  3. कोयला खदानों के परिचालन में तेजी लाने के लिए कोयला क्षेत्र के लिए एकल खिड़की मंजूरी पोर्टल स्थापित किया गया है।
  4. कोयला खदानों के शीघ्र परिचालन हेतु विभिन्न अनुमोदन/मंजूरी प्राप्त करने के लिए कोयला खंड आवंटियों की सहायता हेतु परियोजना प्रबंधन इकाई (पीएमयू) स्थापित की गई है।
  5. राजस्व साझेदारी के आधार पर वाणिज्यिक खनन की नीलामी 2020 में आरंभ की गई। वाणिज्यिक खनन योजना के अंतर्गत उत्पादन की निर्धारित तिथि से पहले उत्पादित कोयले की मात्रा के लिए अंतिम प्रस्ताव पर 50 प्रतिशत की छूट दी गई है। इसके अलावा, कोयला गैसीकरण या द्रवीकरण पर प्रोत्साहन (अंतिम प्रस्ताव पर 50 प्रतिशत की छूट) प्रदान किया गया है।
  6. वाणिज्यिक कोयला खनन की शर्तें और नियम उदार बनाए गये हैं, जिनमें कोयले के उपयोग पर प्रतिबंध नहीं है। नई कंपनियों को बोली प्रक्रिया में भाग लेने की अनुमति दी गई है और इसके लिए कम अग्रिम राशि रखी गई है। इसमें अग्रिम राशि का समायोजन मासिक भुगतान की जगह किया गया है। कोयला खदानों के संचालन में स्थिति अनुरूप कदम उठाने के लिए लचीले दक्षता मानदंड बनाए गए हैं। पारदर्शी बोली प्रक्रिया अपनाई गई है तथा स्वचालित मार्ग द्वारा शत-प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेश निवेश (एफडीआई) तथा राष्ट्रीय कोयला सूचकांक पर आधारित राजस्व साझाकरण मॉडल लागू किया गया है।

(III) उपरोक्त के अतिरिक्त, कोयला कम्पनियों ने घरेलू कोयला उत्पादन बढ़ाने के लिए निम्नलिखित कदम भी उठाए हैं:

  1. कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) ने कोयला उत्पादन बढ़ाने के लिए कई उपाय अपनाए हैं। अपनी भूमिगत खदानों में, जहां भी संभव हो, मुख्यतः सतत खनिकों (सीएम) के साथ, बड़े पैमाने पर उत्पादन तकनीक (एमपीटी) अपनाई जा रही है। सीआईएल ने परित्यक्त/बंद खदानों की उपलब्धता को देखते हुए हाईवॉल (एचडब्ल्यू) खदानों की भी योजना बनाई है। बड़ी क्षमता वाली यूजी खदानों की भी योजना बनाई जा रही है। अपनी ओपनकास्ट (ओसी) खदानों में, सीआईएल के पास पहले से ही उच्च क्षमता वाले उत्खननकर्ताओं, डम्परों और सतही खनिकों में अत्याधुनिक तकनीक मौजूद है।
  2. नई परियोजनाओं की ग्राउंडिंग और मौजूदा परियोजनाओं के संचालन हेतु अनुमति और मंज़ूरी शीघ्र प्रदान करने के लिए सिंगरेनी कोलियरीज कंपनी लिमिटेड (एससीसीएल) द्वारा नियमित संपर्क किया जा रहा है। एससीसीएल ने कोयला निकासी के लिए कोल हैंडलिंग प्लांट (सीएचपी), क्रशर, मोबाइल क्रशर, प्री-वेट-बिन इत्यादि बुनियादी ढांचे के विकास का काम शुरू कर दिया है।

केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी ने आज राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।

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