संस्‍कृति मंत्रालय
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"हरियाली तीज पारिवारिक एकता और सांस्कृतिक निरंतरता का प्रतीक है": डॉ. सच्चिदानंद जोशी


"लैंगिक समानता सुनिश्चित करने में पुरुषों को समान भागीदार होना चाहिए": डेलिना खोंगडुप

आईजीएनसीए के जनपद सम्पदा ने सांस्कृतिक उत्साह के साथ स्थापना दिवस 'हरियाली तीज' मनाया

Posted On: 25 JUL 2025 8:51PM by PIB Delhi

भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के अधीन इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) के जनपद संपदा प्रभाग ने अपने नई दिल्ली परिसर में 'हरियाली तीज' उत्सव के अवसर पर अपना स्थापना दिवस मनाया। जीवंत परंपराओं और कलात्मक अभिव्यक्ति के साथ मानसून के आगमन को चिह्नित करते हुए, इस उत्सव में प्रदर्शनियों, लोक प्रदर्शनों और पंजाब की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाने वाले उत्सव बाजार सहित कई आकर्षक कार्यक्रम शामिल थे। उत्सव के एक भाग के रूप में एक विशेष तीज बाजार लगाया गया था, जिसमें हस्तशिल्प और पारंपरिक परिधानों की विविधतापूर्ण श्रृंखला उपलब्ध थी। स्टॉलों पर देश भर के स्वदेशी उत्पादों का प्रदर्शन किया गया। स्टॉलों में पंजाब से लेकर आंध्र प्रदेश तक विभिन्न राज्यों के स्थानीय व्यंजन, हस्तनिर्मित शिल्प और जैविक उत्पाद प्रदर्शित किए गए। उत्सव की भावना को और बढ़ाने के लिए आईजीएनसीए की महिला कर्मचारियों के लिए एक विशेष मेहंदी (हिना) स्टॉल की भी व्यवस्था की गई थी। 'फुलकारी: पंजाब के रंग' शीर्षक से प्रदर्शनी और 'पंजाब के लोक नृत्य' नामक सांस्कृतिक प्रस्तुति दिन के मुख्य आकर्षणों में से थे, जिनमें पंजाब के जीवंत सौंदर्य और प्रदर्शन परंपराओं की गहरी झलक देखने को मिली।

इस अवसर पर राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य सुश्री डेलिना खोंगडुप मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहीं। दिल्ली विश्वविद्यालय के मानव विज्ञान विभाग की पूर्व प्रोफेसर प्रो. सुभद्रा मित्रा चन्ना विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहीं, जबकि प्रख्यात शिक्षाविद्, कहानीकार और लेखिका श्रीमती मालविका जोशी विशिष्ट अतिथि थीं। सत्र की अध्यक्षता आईजीएनसीए के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने की। कार्यक्रम की शुरुआत आईजीएनसीए के जनपद संपदा प्रभाग के प्रमुख प्रो. के. अनिल कुमार के स्वागत भाषण से हुई। इसके बाद डॉ. रेम्बेमो ओड्युओ ने प्रभाग की वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें उन्होंने पिछले वर्ष के दौरान प्रभाग के कार्यों, पहलों और उपलब्धियों पर विस्तार से चर्चा की।

डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने अपने संबोधन में कहा कि 'हरियाली तीज' पारिवारिक एकता का प्रतीक है। इस त्योहार से जुड़ी पौराणिक कथा का स्मरण करते हुए, उन्होंने बताया कि देवी पार्वती ने भगवान शिव को अपने पति के रूप में प्राप्त करने के लिए 108 बार उपवास किया था, जो पारिवारिक जीवन में प्रतिबद्धता और एकजुटता के गहरे महत्व पर बल देता है। समकालीन समाज के संदर्भ में, जहाँ पारिवारिक बंधन और रिश्ते लगातार कमज़ोर और तनावपूर्ण होते जा रहे हैं, ऐसे त्योहार महत्वपूर्ण सांस्कृतिक आधार के रूप में कार्य करते हैं जो हमें भावनात्मक और सामाजिक रूप से जोड़े रखते हैं। डॉ. जोशी ने कहा कि परिवार और पर्यावरण आंतरिक रूप से जुड़े हुए हैं, और तीज जैसे त्योहार हमें इन संबंधों में निहित रहना सिखाते हैं, जिससे हमें निरंतर आगे बढ़ने में मदद मिलती है। उन्होंने आईजीएनसीए के शैक्षणिक दृष्टिकोण पर प्रकाश डालते हुए, कहा कि शैक्षणिक गतिविधियों के अंतर्गत भी, संस्थान का एक विभाग अक्सर उस पैमाने और गहराई से कार्य करता है जिसका प्रयास कई पूरे संस्थान नहीं करते हैं - जो सांस्कृतिक और बौद्धिक समृद्धि, दोनों के प्रति आईजीएनसीए की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

दिल्ली विश्वविद्यालय में मानव विज्ञान की पूर्व प्रोफेसर सुभद्रा मित्र चन्ना ने तीज के गहन ब्रह्मांडीय और सामाजिक महत्व का उल्‍लेख करते हुए कहा कि ऐसे त्योहारों को उनके समृद्ध प्रतीकात्मक मूल्य के बावजूद अकादमिक जगत में अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है। उन्होंने बताया कि यह त्योहार शिव और पार्वती के प्रतीकात्मक मिलन का प्रतीक है, जो पुरुष (निष्क्रिय, स्थिर ऊर्जा) और प्रकृति (गतिशील, रचनात्मक ऊर्जा) के बीच ब्रह्मांडीय संतुलन का प्रतिनिधित्व करता है। मानसून के दौरान मनाई जाने वाली 'हरियाली तीज' पुनर्जनन और उर्वरता के विषयों को दर्शाती है, फिर भी यह संतुलन की आवश्यकता की याद दिलाती है - क्योंकि अनियंत्रित ऊर्जा विनाशकारी हो सकती है। उन्होंने कहा कि तीज जैसे त्योहार अपनी कर्मकांडीय भूमिका से आगे बढ़कर आधुनिक कैलेंडर पर निर्भर न होकर समाज में समय और निरंतरता के प्रतीक के रूप में कार्य करते हैं।

सुश्री डेलिना खोंगडुप ने बताया कि देश की विविध और जीवंत संस्कृति के प्रदर्शन को देखना एक सुखद अनुभव था। हालाँकि मेघालय में तीज नहीं मनाई जाती, फिर भी उन्होंने सावन के दौरान मनाए जाने वाले बेहदीनखलम त्योहार का उल्लेख किया ; जो भारतीय परंपराओं की निरंतरता का प्रतिबिंब है। उन्‍होंने लैंगिक समानता की आवश्यकता पर बल देते हुए पुरुषों से समान भागीदार बनने का आग्रह किया और महिलाओं के खिलाफ पूर्वाग्रहों को चुनौती देने के लिए सामूहिक प्रयास करने का आह्वान किया। उन्होंने महिलाओं के अधिकारों के उल्लंघन और अपराधों के प्रति सतर्क रहने के महत्व पर भी बल दिया। श्रीमती मालविका जोशी ने जीवंत स्टॉल और इस सुनियोजित प्रदर्शनी के लिए जनपद संपदा प्रभाग को बधाई दी। उन्होंने देश भर में त्योहारों की स्थायी निरंतरता को दोहराया और उनकी सांस्कृतिक गहराई का उल्‍लेख किया। अपने संबोधन के समापन में, उन्होंने "कारे बदरा रे, तू तो जुल्म किया - एक तो कारी रात, दूजे पिया परदेश" की भावपूर्ण प्रस्तुति से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।

समारोह का समापन ' रंगा रंगा आर्ट कल्चरल एसोसिएशन' द्वारा प्रस्तुत एक जीवंत सांस्कृतिक प्रस्तुति के साथ हुआ , जिसने दिन भर के उत्सव का एक जोशीला समापन प्रस्तुत किया। इस प्रस्तुति में पंजाब और हरियाणा के जीवंत लोक संगीत और नृत्य प्रस्तुत किए गए, जिन्होंने इस क्षेत्र की मौसमी परंपराओं की लय, रंग और ऊर्जा को खूबसूरती से दर्शाया।

पीके/एके/केसी/जेके/आरके


(Release ID: 2148826)
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